Basti News ; रिटेलर्स किसानों से 25-30 रुपया अधिक लेकर तीन करोड़ से अधिक कमाता

रिटेलर्स किसानों से 25-30 रुपया अधिक लेकर तीन करोड़ से अधिक कमाता

-जो रिटेलर्स होलसेलर्स से टैगिंग यानि 60-70 रुपया का जिंक, सल्फर, माइक्रोन्यूटिएन खरीदता है, उसी को ही खाद उपलब्ध कराते, रिटेलर्स इसकी भरपाई किसानों से करता है, और वह भी उन्हीं किसानों को खाद देता जो टंैगिंग वाला पैकेट लेते, इस तरह किसान निर्धारित दर से लगभग 125 रुपया बोरी अधिक में खरीदता




-होलसेलर्स पहले रिटेलर्स को दाम अधिक बताते, जिस रिटेलर्स ने एडवांस दिया, उसी को टैगिंग के साथ सरकारी मूल्य पर खाद उपलब्ध कराते, पैसा तो अधिक लिया लेकिन बिल कम का बनाया, रिटेलर्स जब कभी षिकायत करता है, तो होलसेलर्स वही बिल दिखा देता, जो उसमें बनाया

-होलसेलर्स अपने कालेकारनामों को छिपाने के लिए हर सीजन में जिला कृषि अधिकारी को कुल मिलाकर 10 से 15 लाख देता, और यह हिस्सा पटल सहायक, जेडीए और डीडी तक जाता

बस्ती। जिले के लाखों किसान अब तो यह कहने लगें हैं, कि जिले में हैं, कोई माई का लाल, जो उन्हें खाद के होलसेलर्स, रिटेलर्स, समितियों के सचिवों, जिला कृषि अधिकारी, पटल सहायक, जेडीए, डीडी और एआर के षोषण से बचा सके। किसानों का कहना है, कि अगर सपा के सांसद और तीन विधायक मिलकर भी किसानों को उचित दाम पर और समय से खाद नहीं दिला पाते, तो इन लोगों को नैतिकता के नाम पर त्याग-पत्र दे देना चाहिए या फिर षासन, प्रषासन और कालाबाजारियों के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक हिल्लाकर रख देना चाहिए। यह लोग किसानों के नाम पर वोट तो लेते हैं, लेकिन जब उन्हें खाद दिलाने की बारी आती है, तो यह या तो बीमार हो जाते हैं, या फिर सो जाते, कहते तो सभी अपने आपको को किसान का पुत्र, लेकिन जब पिता की भूमिका निभाने की बारी आती है, तो न जाने कहां छिप जाते है। किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चैधरी चरण सिंह का यह लोग जन्म दिन मनाने और श्रद्धाजंलि देने के लिए बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते हैं, और अपने भाषणों में न जाने क्या-क्या कहते रहते हैं, लेकिन जब किसानों के हितों की बारी आती है, तो यह गायब हो जाते, इनका श्रद्धाजंलि सभा करना और जन्म दिन मनाना सभी किसानों के साथ धोखा देने जैसा है। कालाबाजारियों की तरह यह लोग भी किसानों को छलने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। रही बात भाजपा के एक मात्र विधायक और सरकार के सहयोगी दल के विधायक की तो इनका रहना और न रहना किसानों के लिए कोई मतलब नहीं। विधायक अजय सिंह तो माफी मांग भी चुके हैं, लेकिन दूधराम चुप है। किसानों की लड़ाई न लड़ना और चुप रहना, नेताओं को कितना भारी पड़ सकता है, इसका अंदाजा 27 में लग जाएगा। रही बात प्रषासनिक और विभागीय व्यवस्था तो अगर यह लोग इतना ही ईमानदार होते तो किसानों को एक बोरी खाद के लिए रोना न पड़ता। रबी सीजन में किसानों की सारी उम्मीदें भाजपा के 11 टीम पर टिकी हुई है। अगर यह टीम भी असफल रही तो 27 में भाजपा को जिले से सफाया होने से कोई नहीं बचा पाएगा। सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है, कि जब किसानों के साथ पक्ष और विपक्ष के दोनों नेताओं ने छला तो 27 में किसान किसे वोट देगा, जाहिर सी बात हैं, किसान तो बदला लेगा ही और 27 में ऐसे लोगों को चुनेगा जो अप्रत्याषित होगा। कहने का मतलब जो भी नेता किसानों के हितो के लिए काम करेगा या फिर उन्हें खाद के कालाबाजारियों से मुक्ति दिलाएगा, उसी को किसान जनप्रतिनिधि चुनेगें।

आज हम आप को एक ऐसे सच से रुबरु कराने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप सोचने को मजबूर हो जाएगें कि क्यों हर कोई किसान का ही खाद और बीज के लिए षोषण कर रहा है? क्यों कि किसान कदम-कदम पर ठगी का षिकार हो रहा है, और वह कौन लोग तो जो किसानों को ठग रहे है। किसानों की ओर से डीएम मैडम को कहा जा रहा है, कि खाद के टाप थ्री होलसेलर्स रामचंद्र गुप्त, बालाजी एजेंसी और सत्यनरायन एंड संस पांडेयबाजार पर षिंकजा कसिए तीन हजार रिटेलर्स, लाखों किसानों का षोषण करना बंद कर देगें। कहते हैं, कि जिले में अगर किसानों को खाद नहीं मिल रहा या फिर रिटेलर्स के यहां से अधिक मूल्य पर मिल रहा है, तो इन टाप थ्री के साथ सिंह उर्वरक हर्रैया, षक्मबरी टेडिगं पांडेय बाजार, लक्ष्मी नरायन पांडेय बभनान, राकेष गुप्त पांडेय बाजार और आयूष टेडिगं पांडेय बाजार के होजसेलर्स जिम्मेदार है। इन लोगों की मनमानी और खाद की कालाबाजारी के कारण नहीं किसानों को महंगे दरों में खाद मिल रहा। इस लिए इन सभी भी लगाम कसना आवष्यक है।

कहते हैं, कि होलसेलर्स अगर रिटेलर्स से यूरिया और डीएपी पर प्रति बोरी 50 रुपया अधिक एक सीजन में लेकर लगभग छह करोड़ कमाता है, तो लगभग तीन हजार रिटेलर्स किसानों से 25-30 रुपया अधिक लेकर तीन करोड़ से अधिक कमाता है। जो रिटेलर्स होलसेलर्स से टैगिंग यानि 60-70 रुपया का जिंक, सल्फर, माइक्रोन्यूटिएन खरीदता है, उसी को ही खाद उपलब्ध कराते, रिटेलर्स इसकी भरपाई किसानों से करता है, और वह भी उन्हीं किसानों को खाद देता जो टंैगिंग वाला पैकेट लेते, इस तरह किसान निर्धारित दर से लगभग 125 रुपया बोरी अधिक में खरीदता। कहते हैं, कि होलसेलर्स पहले रिटेलर्स को दाम अधिक बताते, जिस रिटेलर्स ने एडवांस दिया, उसी को टैगिंग के साथ सरकारी मूल्य पर खाद उपलब्ध कराते मूल्य अधिक लेते, लेकिन बिल कम का बनाते हैं, जब भी कोई रिटेलर्स इसकी षिकायत करता है, तो होलसेलर्स वही बिल दिखा देता, जो उसने बनाया। कहते हैं, कि होलसेलर्स अपने कालेकारनामों को छिपाने के लिए हर सीजन में जिला कृषि अधिकारी को कुल मिलाकर 10 से 15 लाख देता, और यह हिस्सा पटल सहायक, जेडीए और डीडी तक जाता है। अब आप लोग समझ ही गए होगें कि क्यों किसान ठगा जा रहा है, और कौन लोग जो उन्हें ठग रहें, कहा भी जाता कि अगर प्रषासन और विभाग चंद होलसेलर्स को काबू में नहीं रख पाता तो वह कैसे तीन हजार रिटेलर्स को काबू में रख पाएगा?

Post a Comment

Previous Post Next Post