‘संजयजी’ मत उड़िएः गिर ‘जाएगें’ तो, ‘उठ’ नहीं ‘पाएगें’!
-पत्रकार सोहन सिंह के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करवा इन्होंने अपने उड़ने का सबूत दे दिया, यह पहले भी झूठ बोलते हैं, और आज भी झूठ बोल रहें, खबर प्रकाषित होने से पहले और न बाद में पत्रकार की न तो इनसे और न ही इनके लोगों से न तो फोन से बात हुई और न कभी मुलाकातही हुई, तो कब पत्रकार ने संजय चौधरी के विरुद्व अपषब्द व गाली का प्रयोग किया और यह धमकी दिया कि मैं संजय चौधरी का राजनैतिक कैरियर बर्बाद कर दूंगा
-जब अभी से यह प्रदेष अध्यक्ष के नाम का सहारा लेकर और फर्जी एफआईआर दर्ज करवा रहें, उससे इनकी छवि तो धूमिल नहीं होगी, अलबत्ता पंकज चौधरी की छवि अवष्य यह धूमिल कर देंगें, इसी लिए प्रदेष अध्यक्ष को यह सलाह दी जा रही है, कि जितनी जल्दी हो सके संजय चौधरी जैसे लोगों से पीछा छुड़ा ले
-जो इन्होंने गलत बयानी करके पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया, उसे लेकर पूरा मीडिया और जिले के लोग इनके कृत्य की निंदा कर रहे हैं, और कह रहे हैं, कि कौन नहीं संजय चौधरी और उनके कारोबार के बारे में जानता
-पत्रकार का दावा और संजय चौधरी को खुली चुनौती है, कि अगर उन्होंने यह साबित कर दिया, उन्हें गाली दी गई, या राजनैतिक छवि बर्बाद करने की धमकी दी गई, पत्रकारिता छोड़ने को तैयार, नहीं तो संजय चौधरी को राजनेैतिक जीवन से सन्यास लेना पड़ेगा
-कभी पत्रकार सोहन सिंह का जिंदगीभर एहसान न भूलने की बात कहने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी उसी पत्रकार का एहसान भूल एहसान फरामोषी कोई इनसे सीखे, जिस व्यक्ति का बार डांस बालाओं के साथ ठुमका लगाने और नोट लुटाने का वीडियो वायरल हो, उसकी समाज में कैसी छवि कैसी होगी? इसे आसानी से समझा जा सकता
-कहते हैं, कि जो कुषल और योग्य नेता होता है, वह कभी पत्रकार के खिलाफ न तो मुकदमा कायम करवाता और न ही खबरों पर कभी कमेंट करता, यह वही अकुषल और अयोग्य नेता कर सकता है, जो सत्ता के नषे में चूर होता, जिले में संजय चौधरी की छवि कैसी हैं, यह किसी छिपी हुई नहीं
बस्ती। जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी के बारे 14 दिसंबर 25 को प्रकाषित खबर आज सच साबित हो रही। आखिर यह हवा में उड़ने लगें है।
इनकी पहली उड़ान का षिकार बस्ती के पत्रकार सोहन सिंह हुए। जिस तरह इन्होंने प्रदेष अध्यक्ष के नाम और पद का सहारा लेकर फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया, उससे इनकी बदनामी कम और पंकज चौधरी की अधिक हो रही है। जिस पत्रकार ने इनके लगभग पांच साल में हुए घोटाले का पर्दाफाष करता आ रहा है, आज मौका मिलते ही सबसे पहले उसी पत्रकार को निषाना बनाया। सच को दबाने का जो प्रयास संजय चौधरी कर रहे हैं, उसका खामियाजा इन्हें आज नहीं तो कल किसी न किसी रुप में अवष्य भुगतना पड़ सकता है। कभी पत्रकार सोहन सिंह का जिंदगीभर एहसान न भूलने की बातें कहने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी उसी पत्रकार का एहसान भूल गए, यह न सिर्फ पत्रकार का एहसान भूले बल्कि यह जिले के प्रथम नागरिक की कुर्सी पर बैठाने वाले पूर्व सांसद और पांच विधायकों का भी एहसान भूल गए, इसी लिए कहा जाता है, कि एहसान फरामोषी कोई इनसे सीखे, पत्रकार राजेष कुमार षुक्ल कहते हैं, कि जिस व्यक्ति का बार डांस बालाओं के साथ ठुमका लगाने और नोट लुटाने का वीडियो वायरल हो, उसकी समाज में कैसी छवि होगी? ऐसे लोग सरकार और पार्टी दोनों को बदनाम करने का काम करते। कहते हैं, कि जो कुषल और योग्य नेता होतें हैं, वह कभी पत्रकार के खिलाफ न तो मुकदमा कायम करवाते और न खबरों पर कभी कमेंट करतें हैं, यह वही अकुषल और अयोग्य नेता करते है, जो सत्ता और पद के नषे में चूर रहते है। कहते हैं, कि जिले में संजय चौधरी की छवि कैसी हैं, यह किसी से छिपी हुई नहीं है। यह पहले भी झूठ बोलते हैं, और आज भी झूठ बोल रहें। कहा कि जब खबर प्रकाषित होने से पहले और बाद में पत्रकार की न तो इनसे और न ही इनके लोगों से न तो फोन से बात हुई और न कभी मुलाकात ही हुई, तो कब पत्रकार ने इनके विरुद्व अपषब्द व गाली का प्रयोग किया और यह धमकी दिया कि मैं संजय चौधरी का राजनैतिक कैरियर बर्बाद कर दूंगा। कहते हैं, कि यह प्रदेष अध्यक्ष के नाम का सहारा लेकर और फर्जी एफआईआर दर्ज करवा रहें, तो यह आगे क्या करेगें? यह सवाल बना हुआ है। इससे इनकी छवि तो धूमिल नहीं होगी, अलबत्ता पंकज चौधरी की छवि अवष्य यह धूमिल कर देंगें, इसी लिए प्रदेष अध्यक्ष को यह सलाह दी जा रही है, कि जितनी जल्दी हो सके संजय चौधरी जैसे लोगों से पीछा छुड़ा ले। इन्होंने जो गलत बयानी करके पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया, उसे लेकर पूरा मीडिया और जिले के लोग इनके कृत्य की निंदा कर रहे हैं, और कह रहे हैं, कि कौन नहीं संजय चौधरी और उनके कारोबार के बारे में जानता है। पत्रकार की ओर से संजय चौधरी को खुली चुनौती दी गई है, कि अगर उन्होंने यह साबित कर दिया, उन्हें गाली दी गई, या राजनैतिक छवि बर्बाद करने की धमकी दी गई, तो पत्रकारिता छोड़ने को तैयार हूं, नहीं तो संजय चौधरी को राजनेैतिक जीवन से सन्यास लेना पड़ेगा। पत्रकार अनुज प्रताप सिंह लिखते हैं, कि पत्रकारों का अपमान किसी भी कीमत पर बर्दाष्त नहीं किया जाएगा, फर्जी मुकदमें से पत्रकार डरने वाले नहीं है। पत्रकार एकता जिंदाबाद। इसे लेकर पत्रकारों की एक बैठक होने जा रही है।
‘हरीशजी’ का ‘बाल’ के साथ ‘दिमाग’ भी उड़ ‘गया’
बस्ती। एक दिन पहले सोषल मीडिया पर यह बहस हो रही थी, कि पूर्व सांसद हरीष द्विवेदी और वर्तमान सांसद राम प्रसाद चौधरी में से किसने सबसे अधिक विकास दिया। इसे लेकर जो कमेंट आया, वह काफी रोचक रहा। यह बहस एक दिन पहले नगर पंचायत बनकटी में स्टेडिएम के भूमि पूजन के दौरान पूर्व सांसद हरीष द्विवेदी ने पत्रकारों से कहा था, कि जाकर बाबूजी से पूछिए कितना विकास किया, हमसे से तो आप लोग बहुत सवाल कर चुके हैं, अब सवाल करने की बारी बाबूजी से है। सबसे रोचक कमेंट दुर्गेष चौधरी ने किया कहा कि हरीषजी का बाल के साथ-साथ दिमाग भी उड़ गया। सौरभ दूबे लिखते हैं, कि बिना फालतू के ज्ञान पेलने वालों एक हजार करोड़ का बजट पास हुआ था, हाईवे के पास, जितना भी पूर्व सांसद ने किया बढ़िया ही किया। जैसराम चौधरी कहते हैं, देईसाड़ से डीहीखास के नहीं बनवा पाए, अब जाकर दूधराम के सौजन्य से बन रहा। आरएस यादव लिखते हैं, कि सुना है,
कि पूर्व सांसदजी के 10 साल की कमाई से हिमाचल प्रदेष में एक आलीषान रिजोर्ट बनवाए हैं, और बस्ती में एक हास्पिटल भी निर्माणधीन हैं, कोई भी नेता हो वह अपनी संपत्ति बनाने में लगा, किसी को जनता की नहीं पड़ी। अयांष चौधरी कहते हैं, कि अरे दस साल में जो विकास की गंगा बही, वह गंगा में बह गया, केवल एक जगह बस्ती का विकास हुआ, जनता उसे जानती। राजकुमार सिंह दुर्गेष कहते हैं, कि आपने कौन सा कितना काम करवा दिया, बस बस्ती में बीजेपी को चार हिस्सो में बांट दिया, पहला हरीष द्विवेदी, दूसरा अजय सिंह, तीसरा संजय चौधरी और चौथा रविसोनकर। धतुरा तिवारी कहते हैं, कि खुद तत्कालीन सांसद के गोद लिए गांव के बारे में भी व्याख्या कीजिए महोदयजी। ज्ञान प्रकाष सैनी कहते हैं, केंद्र सें लेकर राज्य तक तुम्हारी ही सरकार है, और तुम 10 सांसद थे, क्या किया। षौर्य प्रताप चौधरी लिखते हैं, कि बाउजी कुछ नहीं किए तो इन्होंने ही कौन सा बड़का झंडा गाड़ दिया। डा. प्रिंस चौधरी कहते हैं, कि ऐसा विकास करो कि गांव के लोग ही तुम्हारे खिलाफ हो जाएं। कृपाषंकर द्विवेदी लिखते हैं, कि आपने बस्ती का बेड़ा गर्द कर दिया था, पूर्व और अब भी कर रहे है। अतुल कुमार रिंकू कहते हैं, कि जब से बाबूजी जातिवाद का सहारा लेकर और झूठा अफवाह फैलाकर चुनाव जीते हैं, तब से विकास कार्य ठप्प है। जनता इससे बहुत दुखी है, अगर चुनाव हो जाए तो भारी मतों से हार जाएगें। योगेंद्र मणि त्रिपाठी कहते हैं, कि ठेकेदारों और दलालों की फौज खड़ा करने के आलावा किया भी क्या? इतनी आत्ममुग्धता भी ठीक नहीं। दूसरों का उपहास करने से पहले स्वंय के भतर झांक लेना उचित होगा। कहैंया पटेल कहते हैं, कि अगर आप कुछ बोलेगें तो आपके सत्ता में आने का योगदान में भी बाबूजी का नाम आएगा। अमित चौधरी लिखते हैं, कि पूर्व सांसदजी ने इतना काम किया है, कि बाबूजी के लिए कुछ बचा ही नहीं, इस लिजए वह आराम कर रहें है। अर्पित पटेल कहते हैं, कि बाबूजी बस्ती ही नहीं पूरे प्रदेष्रा के नता है, रही बात हरीष द्विवेदीजी की तो यह न्यूज चैनल पर आने के लिए बेफजूल बयान देते रहते है, बस्ती की जनता ने नकार दिया तो छटपटाहत होना लाजिमी। अजीत चौधरी कहते हैं, कि बाबूजी के रहमो करम पर सांसद बनने वाले बाबूजी से सवाल कर रहें है। राजेष चौधरी कहते हैं, कि इन्होंने अपनी जाति के लोगों का अन्याय करने में पूरा सहयोग दिया, वहीं छोटी जाति के लोगों के साथ अन्याय करने में पूरा सहयोग दिया। आरके सिंह लिखते हैं, कि बस्ती लोकसभा से कभी हरीषजी नहीं जीत सकते। रविंद्र यादव कहते हैं, कि इन्होंने 10 साल अपना घर और कुछ सजातीय लोगों का सहयोग किया। सैकड़ों लोगों पर मुकदमा दर्ज करवाया, सत्ता के हनक में प्रधान, बीडीसी, जिला पंचायत सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष एवं प्रमुख जैसे पदों पर विपक्ष के लोगों का पर्चा ही दाखिल नहीं होने दिया। विक्रम चौधरी लिखते हैं, कि हरीषजी ने पिछले दस सालों में जितना काम किया उतना कोई भी सांसद ने नहीं किया। जनता की ओर से जो भी कमेंट आते हैं, उन्हें नेताओं को बहुत ही ध्यान से समझना और उसकी मानिटरिंग करनी चाहिए, क्यों कि आम जनता जो कहती है, वह सच ही कहती है। उससे किसी भी नेता से कोई मतलब नहीं होता, उसे तो विकास चाहिए, लेकिन अफसोस नेता वही नहीं करते जो जनता चाहती है, इसी लिए जनता बदलाव कर देती है।
‘योगीजी’ देखिए, ‘बस्ती’ में ‘चौथे स्तंभ’ पर फिर हुआ ‘हमला’!
बनकटी, रुधौली, बस्ती। जिले में सत्ता और सच्चाई की टकराहट अब खुलकर सामने आ गई है। रुधौली के पत्रकार अनूप कुमार जायसवाल करते हैं, कि जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी द्वारा वरिष्ठ पत्रकार सोहन सिंह के खिलाफ कोतवाली थाना में मुकदमा दर्ज कराए जाने से जिले के पत्रकारों में भारी आक्रोश है। इस कार्रवाई को निष्पक्ष पत्रकारिता को डराने और दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हाल ही में प्रकाशित एक खबर के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष ने पत्रकार के विरुद्ध तहरीर दी, जिसमें राजनीतिक छवि धूमिल करने का आरोप लगाया गया है। पत्रकार संगठनों का कहना है कि सवाल उठाना अपराध नहीं होता। सच्चाई उजागर करना ही पत्रकार का धर्म है। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिन पत्रकारों ने कभी जिला पंचायत सदस्य रहे संजय चौधरी को अध्यक्ष पद तक पहुंचाने में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई, आज उन्हीं पत्रकारों का उत्पीड़न और हनन हो रहा है। डराने का प्रयास किया जा रहा है। कहा जा रहा है, जिस भी व्यक्ति ने संजय चौधरी को मुकदमा दर्ज कराने का सुझाव दिया होगा, वह संजय चौधरी और पंकज चौधरी दोनों का अषुभ चिंतक होगा। यह स्थिति लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर करारा प्रहार मानी जा रहा है। पत्रकारों का कहना है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बस्ती के पत्रकारों को ही बार-बार ऐसे हालात से गुजरना पड़ रहा है। जहां सत्ता में बैठे लोग सवालों से असहज होकर मुकदमे का सहारा ले रहे हैं। पत्रकारों का कहना है कि अपने दाग छुपाने और सच्चाई से ध्यान भटकाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है। कभी सहयोगी रहे पत्रकारों पर ही आज कानूनी शिकंजा कसा जा रहा है। इससे कई सवाल खड़े हो रहें है। यह चौथे स्तंभ पर हमला वही लोग कर रहे हैं, जो खुद भ्रष्टाचार में डूबे रहते है। पुलिस भी ऐसे लोगों का मुकदमा बिना छानबीन और सच्चाई जाने लिख दे रही है, लगता है, कि इस मामले में पुलिस पर भी दबाव रहा होगा, वरना पुलिस एक आदमी का मुकदमा लिखने के लिए महीनों दौड़ाती हैं, फिर भी दर्ज नहीं करती और यहां पर तो एक दो दिन में पुलिस ने निपटा दिया। ंयोगीजी चिल्लाते रहते हैं, और आदेष पर आदेष करते हैं, कि पत्रकारों का उत्पीड़न न किया जाए, लेकिन पुलिस मानने और सुनने को तैयार नही। बनकटी के एवं जिला गोै सेवा प्रमुख राष्टीय स्वंय सेवक संघ राजेष षुक्ल करते हैं, कि जो नेता खुले मंच पर रंगरलियां मनाकर पूरे पार्टी को बदनाम कर दिया, वह आज इज्जत बचाने की बात करते हुए फर्जी मुकदमा पंजीकृत करवा रहें है। मुकदमा दर्ज होने की सूचना के बाद बस्ती जिले के पत्रकारों में एक तरह से उबाल है। पत्रकार संगठनों की ओर से चेतावनी दी है कि यदि मुकदमों के जरिए अभिव्यक्ति दबाने की परंपरा नहीं रोकी गई, तो वे सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष करेंगे।
स्कूलों का समय बदलने को लेकर शिक्षकों ने डीएम को सौंपा ज्ञापन’
बस्ती। घने कोहरे और बढ़ती ठंड के कारण परिषदीय विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा को लेकर शिक्षकों की चिंता बढ़ गई है। बुधवार को शिक्षकों ने उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष चन्द्रिका सिंह और मंत्री बालकृष्ण ओझा के नेतृत्व में विद्यालयों के संचालन समय में बदलाव की मांग किया है। ज्ञापन सौंपते हुए जिला मंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में ग्रामीण अंचलों में कोहरे और ठंड का प्रभाव बढ़ गया है। कोहरे और ठंड की वजह से बच्चे भी विद्यालय में देरी से आ रहे हैं तथा उनकी संख्या भी निरंतर घटती ही जा रही है। जिसको देखते से विद्यालय का समय सुबह 10 बजे से किया जाय। जिला कोषाध्यक्ष दुर्गेश यादव और जिला उपाध्यक्ष रवीश कुमार मिश्र ने कहा कि बड़ी संख्या में शिक्षकों की प्रणति उनके निवास स्थल से काफी दूर है जिससे उनको विद्यालय आने-जाने में भी अत्यधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
इसलिए बच्चों और शिक्षकों की समस्याओं को देखते हुए विद्यालय के समय परिवर्तन का आदेश तत्काल जारी किया जाय। कहा कि अत्यधिक ठंड के कारण अगल-बगल के जिलों में भी विद्यालय के समय का परिवर्तन कर दिया गया है।
ज्ञापन देने वालो में मुख्य रूप से प्रवीण श्रीवास्तव, सुधीर तिवारी, शिवप्रकाश सिंह, बब्बन पाण्डेय, संजय यादव, शेषनाथ यादव, मंगला मौर्य, हरेंद्र यादव, संदीप यादव, शिक्षा मित्र संघ जिलाध्यक्ष वीरेंद्र शुक्ल आदि उपस्थित रहे।


