नेताजी, ‘जाति’ की ‘आग’ में मत ‘झोंकिए’, नहीं ‘तो’ जल जाएगा ‘जिला’!
-पार्टिंयां दलीय निष्ठा और दलीय विचार के स्थान पर जातीय निष्ठा को बढ़ावा दे रही, जातीय आधार पर मदद की जा रही
-अब नेता अपनी जाति की टीम बनाता है, जातीय नेता बनकर उभरना चाहते, पार्टियां उसी आधार पर टिकट भी देती
-दयाषंकर मिश्र ने जब भाजपा छोड़ा और बसपा में षामिल हुए तो ब्राहृमण लोग उनके साथ में हो लिए, जिसके चलते हरीष द्विवेदी की हार हुई
-पार्टियां नेता तराषने और गढ़ने के बजाए जातीय नेता खोज रही, अगर कोई जातीय नेता है, और उसके पास धन और बल दोनों हैं, तो पार्टियां ऐसे लोगों का षानदार वेलकम करती
-वहीं पर अगर राजेंद्रनाथ तिवारी और राजमणि पांडेय जैसा कोई नेता है, तो उसे पार्टियां किनारे लगा देती, क्यों कि यह लोग अच्छा नेता तो बन सकते हैं, लेकिन अच्छा मैनेजर नहीं बन सकते
-अगर आप जातीय अधार पर नेता और आप के पास धन और बल तो आइए टिकट ले जाइए, वरना दरी बिछाइए, पार्टियां नेता नहीं बल्कि एक ऐसा मैनेजर तलाषती है, जो धन कमवा सके और खुद कमा सके
-उदाहरण के लिए गिल्लम चौधरी को लिया जा सकता है, इन्हें इस लिए कुर्सी पर नहीं बैठाया क्यों कि इन्हें मिलकर बांट खाने वाला नहीं बल्कि अकेला खाने वाला नेता माना, वहीं सारे विरोध के बावजूद संजय चौधरी को बना दिया
-बड़े नेता, उन लोगों को नेता नहीं मानते जो घघौवा पुल पर उनका स्वागत करने के लिए एक दो गाड़ी लेकर जातें, उन्हीं को मानते जो गाड़ियों का काफिला लेकर जाते, भले ही चाहंे उनका कोई जनाधार हो या न हो
बस्ती। जिले के लाखों लोग ऐसे हैं, जो जाति-पाति की राजनीति पर न तो विष्वास करते हैं, और न मानते ही हैं, ऐसे लोगों की उन नेताओं से अपील हैं, जो जाति की राजनीति कर रहें और समाज में जाति का जहर बो रहें है। यह लोग ऐसे नेताओं से कहना चाहते है, कि जिले को जाति की आग में मत झांेकिए, वरना एक दिन पूरा जिला जलकर राख हो जाएगा, जिसमें वे लोग भी जलेगें जिन्होंने जाति की राजनीति को बढ़ावा दिया। जरुरतमंद की मदद अवष्य कीजिए, लेकिन यह जानकर मत कीजिए, कि वह आप की जाति वाला है। जिस भी नेता ने जाति देखकर मदद किया, वह न तो जाति वालों का रहा और न सर्वसमाज का। कोई भी नेता जाति विषेष की राजनीति करके न तो सांसद बन सकता और न विधायक। सांसद और विधायक बनना हैं, तो जाति विषेष का चांेगा उतारकर फेंकना होगा। क्यों कि आजतक कोई भी एक विषेष जाति के बल पर सांसद और विधायक नहीं बना, क्यों कि उसे जीतने के लिए उसकी जाति में उतना वोट ही नहीं होता, जब भी कोई चुनाव जीता उसमें सर्वसमाज का योगदान अवष्य रहा। कोई व्यक्ति विषेष वर्ग का नेता तो बन सकता है, लेकिन जीत नहीं सकता। अगर ऐसा होता तो बसपा कभी हारती ही नहीं। कोई चौधरी या ब्राहृमण कहने से उस वर्ग का नेता नहीं हो जाता, नेता वह होता जो सर्वसमाज की बात करता है, और सर्व समाज की भलाई के लिए लड़ता है। जो लोग अपने आपको जाति विषेष का नेता कहते हैं, उन्ही के बच्चे ही सबसे अधिक इंटरकास्ट मैरिज करते है।
कहना गलत नहीं होगा कि पार्टिंयां दलीय निष्ठा और दलीय विचार के स्थान पर जातीय निष्ठा को बढ़ावा दे रही, जातीय आधार पर मदद के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अब नेता अपनी जाति की टीम बनाने लगा है, जातीय नेता बनकर उभरना चाहता, पार्टियां उसी आधार पर टिकट भी देती है। दयाषंकर मिश्र ने जब भाजपा छोड़ा और बसपा में षामिल हुए तो ब्राहृमण लोग उनके साथ में हो लिए, जो हरीष द्विवेदी के हार का एक कारण बना। पार्टियां नेता तराषने और गढ़ने के बजाए, जातीय नेता खोज रही, अगर कोई जातीय नेता है, और उसके पास धन और बल दोनों हैं, तो पार्टियां ऐसे लोगों का बाएं फैलाकर वेलकम करती हैं। वहीं पर अगर राजेंद्रनाथ तिवारी और राजमणि पांडेय जैसा कोई नेता है, तो उसे पार्टियां किनारे लगा देती, क्यों कि इनमें अच्छा नेता तो बनने के सारे गुण है, लेकिन अच्छा मैनेजर बनने का एक भी गुण नहीं। अगर आप जातीय अधार पर नेता हैं, और आप के पास धन और बल हैं, तो आइए टिकट ले जाइए, वरना दरी बिछाइए, पार्टियां नेता नहीं बल्कि एक ऐसा मैनेजर तलाषती है, जो धन कमवा सके और खुद कमा सके। उदाहरण के रुप में गिल्लम चौधरी को लिया जा सकता है, इन्हें इस लिए जिले के प्रथम नागरिक की कुर्सी पर नहीं बैठाया गया, क्यों कि इन्हें मैनेजर नहीं माना गया, वहीं सारे विरोध के बावजूद संजय चौधरी को इस लिए कुर्सी पर बैठा दिया, कि इन्हें मैनेजर माना गया, अब यह अलग बात हैं, कि यह उन लोगों के उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सके, जिन लोगों ने इन्हें सारे विरोध के बावजूद जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया, ऐसे लोगों को भी निराषा हाथ लगी जो यह सोचकर इन्हें कुर्सी पर बैठाया ताकि यह रुधौली विधानसभा के टिकट के दावेदार न बन सके। आज संजय चौधरी, रुधौली विधानसभा के लिए सबसे मजबूत दावेदार उभरकर सामने आ रहे है। यहां पर संजय जायसवाल ने संजय चौधरी की मदद जाति को देखकर नहीं किया, फायदे को देखकर किया, अब फायदा नहीं हुआ तो इसमें संजय चौधरी की क्या गलती। फायदा तो पूर्व सांसद सहित अन्य पांच विधायकों को भी अपेक्षानुसार नहीं हुआ। वर्तमान में यह जिस तरह अपने जाति वाले की मदद अपनी ही पार्टी के नेता के विरोधी का कर रहे हैं, उससे इन्हें कितना लाभ होगा और पार्टी को कितना नुकसान होगा, यह देखने वाला होगा। कहा भी जाता है, कि बड़े नेता, उन लोगों को नेता नहीं मानते जो घघौवा पुल पर उनका स्वागत करने के लिए एक दो गाड़ी लेकर जातें, उन्हीं को मानते जो गाड़ियों का काफिला लेकर जाते, भले ही चाहंे उनका कोई जनाधार हो या न हो।
पहले ‘विशाल चौधरी’, अब ‘बृजेश चौधरी’ पर ‘मुकदमा’!
-किसको-किसको छुड़ाने जाएगें संजय चौधरी
बस्ती। कहा भी जाता है, कि सोषल मीडिया पर खासतौर पर लाइव पर आकर अपनी बात कहने के तरीके को जिस किसी ने इस्तेमाल किया, समझो वह कानूनी षिंकजें में फंसा। जिस तरह सोषल मीडिया पर अपनी बात कहने का जो चलन निकल पड़ा हैं, उसका खामियाजा भी उसी को भुगतना पड़ता जो सोषल मीडिया का दुरुपयोग/उपयोग करते है। सोषल मीडिया एक तरह से उन लोगों के लिए हानिकारक साबित होता जा रहा है, जो लोग जोष में आकर अनापषनाप टिपणी करते हैं, एक तरह से आप सबूत दे रहे हो कि हमने आप को अपषब्द कहा। इसी आधार पर रोज न जाने कितने मुकदमें कायम हो रहे है। इसी लिए समझार व्यक्ति कभी भी सोषल मीडिया पर कोई टिपणी नहीं करता। जिसने भी टिपणी किया, समझो वह फंस गया। अगर दो दिन में एक ही व्यक्ति के द्वारा सोषल मीडिया पर टिपणी करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराता है, तो समझ लेना चाहिए, कि आप गलत कर रहे हों। सोषल मीडिया पर कमेंट करने का मतलब अपने आप को कानून के दायरे में लाने जैसा माना जाता है। 18 दिसंबर 25 को भूपेन्द्र कुमार पाल पुत्र राघवेन्द्र पाल निवासी तेनुआ थाना लालगंज ने कोतवाली में विषाल चौधरी नामक व्यक्ति पर पूर्व सांसद हरीष द्विवेदी के खिलाफ सोषल मीडिया पर अभद्र टिपणी के आरोप में मुकदमा कायम कराया था, 19 दिसंबर को भूपेंद्र कुमार पाल ने सरदार सेना के बृजेष चौधरी के खिलाफ सोषल मीडिया पर एक अत्यंत भड़काऊ पोस्ट करने और खुलेआम सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने, सड़कों पर उतरने तथा देख लेने जैसी धमकियाँ देने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया। कहा गया कि इस प्रकार की पोस्ट से क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है तथा मुझे एवं मेरे परिवार को गंभीर जान-माल की क्षति होने की प्रबल आशंका है, जिसके चलते मैं मेरा मेरा परिवार अत्यधिक भयभीत एवं मानसिक रूप से व्यथित है। इसी बृजेष चौधरी को कोतवाली से छुड़ाने के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी रात में चौधरियों का नेता बनकर कोतवाली पहुंच गए, और छुड़ा भी लाए, लेकिन इसके बाद बृजेष चौधरी ने जो टिपणी किया, वह बृजेष चौधरी को भारी पड़ने वाला है। पंकज यादव लिखते हैं, कि पंकज चौधरी का प्रदेष अध्यक्ष बनना और संजय चौधरी का उनके अतिकरीब होना भविष्य में विधायक की रेस में आगे होने के नाते बृजेष चौधरी की आड़ में संजय चौधरी का वौधरी वोट को अपनी तरफ मोड़ने की राजनीति है। राना दिनेष प्रताप सिंह लिखते हैं, कि किसी की भी मदद करने में जाति और पार्टी से उपर उठकर होनी चाहिए, बस जिसकी मदद की जाए वो सत्य के रास्ते पर हो। बृजेषजी ने कोतवाली से छूटने के बाद जो प्रतिक्रिया दिया, वह स्वागत योग्य है। आनंद उपाध्याय लिखते हैं, जो समीकरण संजय चौधरी लगा रहे हैं, आज की घटना से सब समझ में आ रहा, एक तो आप को भाजपा से टिकट मिलना नहीं, और अगर बाईचांस मिल भी गया तो जीतना नही, यही मेरा समीकरण है, क्यों कि मैं भी रुधौली का हूं। षोभानाथ यादव लिखते हैं, कि अब अगले विवाद की बारी है। जिला पंचायत अध्यक्ष क्यों बृजेष पटेल के समर्थन में उतरे, जब कि यह भाजपाई है। भाजपा के सुनील सिंह लिखते हैं, कि भाजपा के पूर्व राष्टीय मंत्री एवं असम प्रभारी हरीष द्विवेदी के खिलाफ बेहद आपत्तिजनक टिपणी करने वाले व्यक्ति की गैरकानूनी तरीके से मदद करने वाले बृजेष पटेल जब अपने ही आपराधिक मामलों में पुलिस द्वारा कोतवाली में बैठाया गया, तो उनके समर्थन में जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरी का पहुंचना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है। पार्टी की विचारधारा और अनुषासन के साथ विष्वासघात और गददारी करने वाले ऐसे लोगों को समय आने पर जनता लोकतांत्रिक और सवैधानिक तरीके से करारा जबाव देगी। सुधांषु लिखते हैं, कि हरीष द्विवेदी के खिलाफ की गई अभद्र टिपणी एक सोची समझाी साजिष का हिस्सा है। यदि जिला पंचायत अध्यक्ष संजय चौधरीजी वास्तव में ऐसे लोगों का समर्थन कर रहे हैं, तो यह अत्यंत दुर्भायपूर्ण है। कहते हैं, कि कार्यकर्त्ता अपने नेता के मान और सम्मान से कोई समझौता नहीं करेंगे।
‘बायोमैट्रिक’ से सरकारी ‘अस्पतालों’ में होगी ‘हाजीरी’
बस्ती। आवास पर या फिर प्राइवेट अस्पतालों पर प्रेक्टिस कर लेट अस्पताल पहुंचने वाले डाक्टर अगर समय से अस्पताल नहीं पहुंचे तो वह गैरहाजिर हो जाएगें और वेतन भी कट जाएगा। ’महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य ने आदेश किया जारी जिसमें ’प्रदेश के समस्त सरकारी अस्पतालों में बायोमैट्रिक हाजिरी अनिवार्य किया गया हैंें, अब लेट आने का कोई बहाना नहीं चलेगा, लेट आएगें तो वेतन कटना तय है, जिसका प्रभाव प्रमोषन और सीआर पर पड़ेगा। जिला चिकित्सालय, महिला चिकित्सालय, सीएचसी, पीएचसी, सभी जगह बायोमेट्रिक उपस्थिति अनिवार्य’ कर दिया गया है। इससे पहले यही व्यवस्था 2017 में भी लागू की गई थी, लेकिन कोराना आने के बाद इस व्यवस्था पर विराम लग गया था, अब फिर से व्यवस्था को लागू करने का फरमान जारी हुआ है। देखना है, कि यह व्यवस्था कब तक चल पाएगी, क्यों कि लेट आने वाले डाक्टर्स और कर्मचारी की आदत इतनी जल्दी नहीं सुधरेगी। लेट आने के पीछे अधिकांष डाक्टरों का मकसद आवास और प्राइवेट अस्पतालों में प्रक्टिस के जरिए पैसा कमाना रहता है।
‘बैदोलिया’ की प्रधान ‘ममता पांडेय’ का पावर ‘सीज’
-ग्राम पंचायत सचिव वीरेंद्र कुमार और तकनीकी सहायक राम लाल पर भी गिरी गाज
बस्ती। जिस ब्लॉक का संचालन नकली प्रमुख करेगें, उस ब्लॉक में भ्रष्टाचार होना लाजिमी है। बात हम गौर ब्लॉक की कर रहे हैं, इस ब्लॉक को भ्रष्टाचार की आग में झांेकने वाले और कोई नहीं बल्कि असली महिला प्रमुख के नकली पति जटाषंकर षुक्ल है। पहले इन पर अपनी पत्नी को प्रमुख बनाने के लिए पर्चा दाखिला के समय पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेष सिंह की बहु को अपमानित करने और मारपीट करने का आरोप लगा, हालांकि स्थानीय न्यायालय के द्वारा इन्हें बरी किया जा चुका है। उसके बाद इन पर ब्लॉक का संचालन करने और भ्रष्टाचार का आरोप लगा। आरोपों की ठीक से और ईमानदारी से जांच नहीं हुई, वरना आज कहानी कुछ और होती। नकली प्रमुख के नक्षेकदम पर लगभग सभी असली/नकली प्रधान, तकनीकी सहायक और सचिव भी चल पड़े। इसी कड़ी में ग्राम बैदोलिया भारीनाथ की प्रधान ममता पांडेय, ग्राम पंचायत अधिकारी वीरेंद्र कुमार और तकनीकी सहायक रामलाल भी चल पड़े, इन सभी ने मिलकर मनरेगा में फर्जीवाड़ा किया, जिसके चलते डीएम ने प्रधान का पावर सीज करते हुए सचिव और तकनीकी सहायक के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेष दिया। जिस तरह इन तीनों ने मिलकर मेढ़बंदी के नाम पर 8.31 लाख रुपये का फर्जीवाड़ा किया, उससे पता चलता है, िकइस ब्लॉक में मनरेगा में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया, चूंकि इस ब्लॉक पर और इसके नकली प्रमुख पर पूर्व सांसद का आर्षीवाद मिलना बताया जाता है, इस लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। जितने भी जांच ईमानदारी से की गई, उसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया। इनके पहले इसी तरह के अनेक कार्रवाई हो चुकी है। कहा जाता है, कि अगर किसी भी ब्लॉक में भ्रष्टाचार होता है, तो उसकी जिम्मेदारी बीडीओ के साथ-साथ असली/नकली प्रमुखों की भी मानी जाती है। क्यों कि बखरा तो सभी लोग लेते है।
बैदोलिया निवासी दलसिंगार पुत्र राजाराम की षिकायत पर लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं नलकूप विभाग के एई की संयुक्त टीम ने मौके पर जाकर स्थलीय एवं भौतिक और अभिलेखीय सत्यापन 28 अगस्त 25 को किया गया। रामबुझारत के कच्चे सात बीघा जमीन में मेड़बंदी दिखाकर 80500 रुपया लूटा गया। मौके पर कोई मेंड़बंदी करना नहीं मिला। इसी तरह नेबूलाल, राम दयाल एवं रीता के खेत का मेड़बंदी दिखा कर लाखों रुपया लूटा गया। इस तरह तीनों ने मिलकर विभिन्न गांव वालों के खेत की फर्जी मेड़बंदी दिखाकर 8.31 लाख के धन का बंदरबांट किया। यह फर्जी मेड़बंदी 2022-23 में किया गया, जिसकी जांच दो साल बाद हुई।
‘पैरवी’ करने ‘वाला’ ही निकला ‘अशोक यादव’ का ‘असली’ कथित ‘हत्यारा’
-पांच माह बाद ‘पुलिस’ के ‘हत्थे’ चढ़ा ‘अषोक यादव’ का कथित ‘हत्यारा’
बस्ती। दुबौलिया पुलिस के हत्थे पांच माह बाद नियामतपुर गांव में बहुचर्चित पूर्व प्रधान हृदयराम यादव के नाती 17 वर्षीय किशोर अशोक यादव की गोली मार कर हत्या करने वाले कथित हत्यारे चढ़ गए। इस मामले में पीड़ित द्वारा वर्तमान प्रधान और उनके चार साथियों को नामजद कराया गया था। नामजद के आधार पर पुलिस भी कार्रवाई करते हुए मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। पीड़ित परिवार के साथ तब भी सभी की संवेदना थी और आज भी पूरी संवेदना है। गांव वाले चाहते हैं, कि पीड़ित परिवार को न्याय मिले, और असली हत्यारे को सजा। पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की इस लिए उम्मीद बढ़ गई हैं, क्यों कि बताते हैं, कि पुलिस के हत्थे असली हत्यारा गिरत में आ चुका है। खास बात यह है, कि घटना को अंजाम देने के बाद से ही आरोपी पीड़ित को लेकर वर्तमान प्रधान के खिलाफ दुबौलिया से लेकर बस्ती तक पैरवी भी कर रहे थे, लेकिन एक कॉल रिकार्ड ने सब को बेनकाब कर दिया।
हुआ कुछ ऐसा कि हत्या के बाद इन सब की करतूतें ममता सिंह नाम की एक महिला को पता चली जिस समय ये एक दूसरे से घटना के बाद पैसा और हत्या में प्रयुक्त असलहे की बात कर रहे थे जैसे ही इन्हें पता चला कि ये बात ममता को पता चल गई है ये लोग उस महिला को रास्ते से हटाने की बात वायरल ऑडियो में कर रहे है इस पर ममता सिंह ने डीआईजी बस्ती, पुलिस अधीक्षक बस्ती से मिलकर शिकायत दर्ज करवाई और इनके मोबाइल नंबर को ट्रेस किया गया तो पुलिस कई अहम सुराग हाथ लगे कल रात में इन लोगों की गिरफ्तार कर दुबौलिया पुलिस कड़ाई से पूछताछ कर रही है। सूत्र बताते है कि इन लोगों ने अपना गुनाह कबूल भी कर लिया है। पूछताछ के दौरान इन लोगों ने इस क्षेत्र के कई अन्य लोगों का भी नाम लिया। प्रशासन से ऑडियो की जांच पड़ताल के बाद असली हत्यारों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई।
‘भाजपा’ में ‘युवाओं’ की भूमिका ‘निरंतर’ बढ़ ‘रही’ःजगदीश मित्तल
बस्ती। शनिवार को भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के पूर्व संगठन महामंत्री एवं कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल का गोरखपुर प्रवास पर जाते हुए बस्ती बड़ेवन टोल प्लाजा पर भाजपा जिला कार्य समिति सदस्य नितेश शर्मा की अगुवाई में स्वागत किया गया। पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री जगदीश मित्तल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में श्रेष्ठ भारत के निर्माण में अनरवत प्रयत्नशील है। भाजपा शासन में विभिन्न योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति को मिल रहा है। केंद्र व प्रदेश की सरकार प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण एवं संवर्धन कर रही है जो कि वास्तविक भारतीय विकास है।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में युवाओं की भूमिका निरंतर बढ़ रही है। युवा नेतृत्व से और अधिक ऊर्जावान होगी भाजपा। जिससे आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी और अच्छा प्रदर्शन करेगी। कवि संगम के क्षेत्रीय अध्यक्ष ओज कवि शिव कुमार व्यास का भी स्वागत किया गया। इस अवसर पर गोरखपुर के भाजयुमो उपाध्यक्ष शिवम राय, साहित्यकार राजेश मिश्र, भाजपा मंडल अध्यक्ष राकेश उपाध्याय, विपिन कुमार, मनोज चौधरी, जितेंद्र चौधरी, रामभारत यादव, आकाश चौधरी मौजूद रहे।
‘एक्यूप्रेशर’ एक ‘सरल’, ‘सुरक्षित’ और ‘प्राकृतिक’ उपचार ‘पद्धति’ःडा. नवीन
बस्ती। संकल्प योग वैलनेस सेंटर, बस्ती के योगाचार्य डॉ. नवीन सिंह का कहना है, कि आधुनिक जीवनशैली में बढ़ते तनाव, अनियमित दिनचर्या और गलत खानपान के कारण लोग अनेक शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में एक्यूप्रेशर जैसी प्राचीन प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति आज फिर से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही है। एक्यूप्रेशर में शरीर के विशिष्ट बिंदुओं पर उंगलियों या हल्के दबाव के माध्यम से उपचार किया जाता है, जिससे शरीर की ऊर्जा का संतुलन बना रहता है और रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। एक्यूप्रेशर तनाव कम करने में अत्यंत प्रभावी भूमिका निभाता है। नियमित रूप से सही बिंदुओं पर दबाव देने से मानसिक तनाव, चिंता और बेचौनी में कमी आती है, जिससे व्यक्ति मानसिक रूप से अधिक शांत और संतुलित महसूस करता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह पद्धति मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है। डॉ. नवीन सिंह के अनुसार एक्यूप्रेशर दर्द से राहत दिलाने में भी उपयोगी है। सिरदर्द, माइग्रेन, गर्दन दर्द, कमर दर्द और जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं में यह बिना दवा के आराम प्रदान करता है। इसके अलावा यह पाचन तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है। कब्ज, गैस, अपच और पेट दर्द जैसी समस्याओं में नियमित एक्यूप्रेशर लाभकारी माना जाता है। एक्यूप्रेशर से शरीर की ऊर्जा का प्रवाह बेहतर होता है, जिससे थकान कम होती है और कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। यह नींद की गुणवत्ता को भी सुधारता है। जिन लोगों को अनिद्रा या बार-बार नींद टूटने की समस्या रहती है, उन्हें एक्यूप्रेशर से विशेष लाभ मिल सकता है।
इसके साथ ही यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ने में अधिक सक्षम बनता है। मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी एक्यूप्रेशर की भूमिका महत्वपूर्ण है। अवसाद, घबराहट और नकारात्मक सोच जैसे लक्षणों को कम करने में यह सहायक होता है। हालांकि, डॉ. नवीन सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि एक्यूप्रेशर एक पूरक चिकित्सा पद्धति है और गंभीर रोगों में चिकित्सकीय परामर्श के साथ ही इसका प्रयोग करना चाहिए। कुल मिलाकर एक्यूप्रेशर एक सरल, सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार पद्धति है, जिसे अपनाकर स्वस्थ और संतुलित जीवन की दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है।

