‘पम्पी’ तो चले ‘गए’, ‘छोड’़ गए ‘लाखों’ का ‘कर्ज

 ‘पम्पी’ तो चले ‘गए’, ‘छोड’़ गए ‘लाखों’ का ‘कर्ज’

-कर्ज का खामियाजा उनके पुत्र जसकीरत सिंह को चुकानी पड़ी, पठान टोला के जगदीप धुसिया ने पिता के कर्ज को चुकता न करने के आरोप में दर्ज कराया मुकदमा

-जब कर्ज खाते में दिया गया तो फिर बेटे ने 3.25 लाख का कर्ज क्यों नहीं चुकता किया?

बस्ती। श्री हरगुरु फिलिगं सेंटर बड़ेबन के प्रोपराइटर स्व. सरदार जगजीत सिंह उर्फ पम्पी का दुनिया से जाना जितना हैरान करने वाला रहा है, उससे अधिक हैरान करने वाला मात्र तीन लाख 25 हजार के लिए पुत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना। अगर यह मुकदमा किसी अन्य आरोप में दर्ज हुआ होता तो उतनी चर्चा नहीं होती, जितनी चर्चा पिता के द्वारा लिए गए कर्ज को पुत्र के द्वारा अदा न किए जाने पर हो रही है। हर कोई सरदार पम्पी के जाने से दुखी है, और इनकी आत्मा की षांति के लिए हर किसी ने प्रार्थना किया। सिख समाज के साथ जिले का हर वर्ग स्व. पम्पी के परिवार के साथ खड़ा रहा। हत्या या आत्महत्या को लेकर स्व. पम्पी की मौत का राज हर कोई जानना चाहता था। घटना के लगभग आठ-नौ माह बाद जब पुत्र जसकीरत सिंह के खिलाफ कोतवाली में दो दिसबंर 25 को एसपी के निर्देष पर जो मुकदमा पठानटोला के जगदीप धुसिया ने दर्ज कराया, उससे पूरा जिला एक बार फिर से चकित है। लोग एक दूसरे से सवाल कर रहे हैं, कि क्या पुत्र के पास तीन लाख 25 हजार की भी व्यवस्था नहीं थी, जिससे पिता के कर्ज को चुकता करके उनकी आत्मा को षांति पहुंचाया जा सके। यह भी नहीं कि कर्ज नकद लिया/दिया गया, जिसका कोई सबूत न हो, यहां पर तो तीन चरणों में फर्म के खाते में कारोबार करने के लिए उधार के रुप में पैसा दिया गया।

दर्ज कराए गए एफआईआर में जगदीप धुसिया ने कहा कि वह पेटोल पंप एवं वाइन का कारोबार वाल्टरगंज में करता है। कहा कि विगत कुछ दिनों पूर्व श्री हरगुरु फिलिगं के प्रोपराइटर जगजीत सिंह उर्फ पम्पी को उनके मांग पर टैंकर से डीजल और पेटोल मंगाने के लिए उनके एकाउंट में तीन चरणों में तीन लाख 25 लाख टांसफर किया। जिसके सारे रिकार्ड मेरे पास उपलब्ध है। कहा कि 24 अप्रैल 25 को 50 हजार, 29 अप्रैल 25 को 85 हजार और 30 अप्रैल 25 को दो लाख सहित कुल तीन लाख 25 हजार दिया। कहा कि वर्तमान में पम्पी का देहांत हो गया, और उनके सारे चल और अचल संपत्ति के अकेला वारिष पम्पी के पुत्र जसकीरत सिंह है। कहा कि यह परिवार के साथ रामेष्वरपुरी में अपनी कोठी में रहते है। कहा कि जब मैने पिता को दिए गए उधार का पैसा मांगा तो आनाकानी करने लगे, जिससे मेरी आर्थिक और मानसिक क्षति हुई। लोग कह भी रहें हैं, जिस नामी परिवार के साथ पर कभी किसी के साथ विवाद तक नहीं हुआ, अगर उस परिवार के अकेले वारिष के खिलाफ पिता के कर्ज को चुकता न करने के आरोप में मुकदमा दर्ज होता तो परिवार की तो बदनामी होगी ही। यह उन लोगों के लिए एक सबक हैं, जो कर्ज लेकर या तो कारोबार करते हैं, या फिर बच्चों की षादी करते या फिर इलाज करवाते है। वैसे भी बस्ती में कर्ज को लेकर कई परिवार काफी बदनाम हो चुके हैं, अनेक आत्महत्या तक कर चुके है। जो लोग यह कहते हैं, कि बाप का किया हुआ बेटा भरता है, उन्हें दर्ज एफआईआर के बारे में अवष्य सोचना चाहिए, क्यों कि जमाना काफी बदल गया, लोग बदल गए, मां-बाप के प्रति बच्चों का नजरिया बदल चुका है। कहा भी जाता है, कि ऐसा कर्ज किस काम का, जिसके चलते कोई दुनिया में ही न रहे और जिसके चलते एफआईआर का दंष पूरे परिवार को झेलना पड़े।


सदर ब्लॉक’ के सरकारी ‘आवासों’ पर ‘अनधिकृत’ और ‘आसामाजिक’ तत्वों का ‘कब्जा’

-‘अधिकारियों’ के ‘नाक’ के नीचे हो गई ‘कैटिल कैचर’ बैेटी की ‘चोरी’, जिस ब्लॉक परिसर में डीडीओ, बीडीओ, एडीओ, सीडीओ के बाडी गार्ड निवास करते हों, और जहां पर रात दिन हलचल और आवागमन होता, उस परिसर से बैटी की चोरी होना सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहें

-जिस ब्लॉक के आवास में अधिकांष किराएदार रहते हो वहां पर चोरी जैसी घटना होना आम बात, जिस सरकारी आवास में अनैतिक लोगों का कब्जा हो और जहां पर अनैतिक कार्य होते हो, वहां पर तो कुछ भी हो सकता

-अनधिकृत लोगों के रहने औ।र प्राइवेट कार्यालय खुलने के कारण ब्लॉक परिसर की महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही, अधिकारियों ने अपनी नाकामी का ठीकरा रात का चौकीदार रिषिकेष और विकास भवन के सफाई कर्मी सुनील षर्मा की पत्नी राधा षर्मा पर फोड़ा, दोनों को नोटिस भी जारी किया गया

-सीडीओ ने जब ग्राम विकास अधिकारी दिनेष षुक्ला के आवास का निरीक्षण किया तो उसमें एक प्राइवेट व्यक्ति रहते हुए मिला, नाराज भी हुए

बस्ती। सुनने और पढ़ने में अजीब लग रहा होगा, लेकिन यह सच है, कि सदर ब्लॉक के सरकारी आवासों पर अनधिकृत और आसामाजिक तत्वों का कब्जा हो चुका हैं, और इसके लिए उन कर्मियों को जिम्मेदार माना जा रहा है, जिन्होंने अपने नाम आंवटित आवास को किराए पर दे रखा है। बीडीओ को तो कब्जा करने और किराएए पर देने वालों को बढ़ावा देने का आरोप लग रहा है। इससे पहले भी यह मामला उठ चुका है, लेकिन ब्लॉक प्रषासन ने कोई कार्रवाई नहीं किया, अगर कार्रवाई कर देते तो ब्लॉक परिसर में खड़ी कैटिल कैचर की कीमती बैटी चोरी न होती। ब्लॉक के लोग भी दबी जबान में यह कह रहे हैं, जिस ब्लॉक परिसर में डीडीओ, बीडीओ, एडीओ, सीडीओ के बाडी गार्ड निवास करते हो, और जहां पर रात दिन हलचल और आवागमन होता, उस परिसर से अगर बैटी की चोरी होती हैं, तो सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठेगा ही। जिस ब्लॉक के आवास में अधिकांष किराएदार रहते हो वहां पर चोरी जैसी घटना होना आम बात, जिस सरकारी आवास में अनैतिक लोगों का कब्जा हागो और जहां पर अनैतिक कार्य होते होगें, वहां पर तो कुछ भी हो सकता। अनधिकृत लोगों के रहने और प्राइवेट कार्यालय खुलने के कारण ब्लॉक परिसर की महिलाएं अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रही, ठंडक के दिनों में महिलाएं घर के बाहर धूप का आंनद भी नहीं ले सकती। अधिकारियों ने अपनी नाकामी का ठीकरा रात का चौकीदार रिषिकेष और विकास भवन के सफाई कर्मी सुनील षर्मा की पत्नी राधा षर्मा पर फोड़ा, दोनों को नोटिस भी जारी किया गया। सीडीओ ने जब ग्राम विकास अधिकारी दिनेष षुक्ला के नाम आंवटित आवास का निरीक्षण किया तो उसमें एक प्राइवेट व्यक्ति रहते हुए मिला, नाराज भी हुए। कहा भी जाता है, अगर किसी ब्लॉक परिसर में कोई अनैतिक कार्य होता है, या फिर अनधिकृत लोगों का आवासों पर कब्जा होता है, तो इसके लिए सीधे तौर पर बीडीओ को ही जिम्मेदार माना जाएगा। यह पहला ऐसा ब्लॉक हैं, जहां पर बीडीओ के आवास पर डीडीओ रह रहें है। चूंकि डीडीओ के नाम आंवटित आवास अभी तक सीओ साहब ने खाली नहीं किया और उनका सामान आवास पर है, इस लिए डीडीओ को बीडीओ के आवास में रहना पड़ रहा, बीडीओ आवासहीन हैं, और आज भी गैरजनपद के डेली अपडाउन कर रहे है।

अब जरा सदर ब्लॉक के सरकारी आवास पर कब्जेदारों का हाल देख लीजिए। जलकल विभाग के एक सिंह साहब हैं, रिटायर हो चुके हैं, इन्होंने एक नहीं दो-दो सरकारी आवासों पर कब्जा कर रखा है। एक में इनका लड़का और दूसरे में बहु रहती है। मजे की बात यह है, कि जिन दोनों मकानों पर कब्जा है, उसमें एक कर्मी ब्लॉक में कार्यरत और दूसरा ब्लॉक से जा चुका, फिर भी आवासों पर कब्जा किराए पर दे रखा। जिले के सबसे चर्चित एडीओ समाज कल्याण प्रषांत खरे जिनका खुद का आवास विकास कालोनी में अपना घर हैं, लेकिन इन्होंने एक संविदा कर्मी को किराए पर दे रखा है। इस संविदा कर्मी का नाम फरहत और यह कम्पयूटर आपरेटर के तौर पर कार्यरत हैं। एक और मजे की बात हैं, कि महिला के नाम भी सरकारी आवास आंवटित हैं, अब इन्होंने दूसरे को कितने में किराए पर दे रखा है, और कौन अनधिकृत रुप से रह रहा है, इसका पता लगाने का प्रयास बीडीओ ने नहीं किया। अनेक ब्लॉक कर्मियों का दावा है, कि अगर सदर ब्लॉक के परिसर में स्थित सरकारी आवासों की जांच हो जाए तो आसामाजिक तत्वों के होने का खुलासा हो सकता। आसामाजिक तत्वों और अनधिकृत लोगों के रहने के कारण आए दिन विवाद होता रहता है। सबसे खास बात हैं, कि अधिकृत रुप से रहने वाले परिवार की महिलाएं अपने आप को हर समय असुरक्षित महसूस कर रही है। इन्हें हमेषा किसी अनहोनी और चोरी जैसी घटनाओं का डर सताता रहता है।

सीएम’ के ‘फरमान’ को ‘कूड़ेदान’ में ‘डालने’ को ‘आदी’ हो चुके ‘बीएसए’?

-जिले के कई एडेड स्कूल और कालेजों में पढ़ा रहे माध्यमिक और स्नातक पास, प्राईवेट स्कूल की जांच तो हातीे, लेकिन एडेड स्कूल कालेज की कौन करेगा, यह उन्हीं स्कूलों की जांच करते, जहां पर इन्हें मोटा लिफाफा मिलने की गांरटी रहती, यह लिफाफा आपसी विवद में मिलने की संभावना रहती

-जब बीएसए और डीआईओएस मंथली लेगें तो कार्रवाई कौन करेगा और रिपोर्ट कौन लगाएगा, एडेड स्कूल और कालेज की जांच अधिकारियों के लिए महज औपचारिक बनकर रह जाती, अप्रशिक्षित पैराटीचर के भरोसे चल रहा कालेज

बस्ती। जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारी मुख्यमंत्री के फरमान को कूड़ेदान में डारलने लायक समझते। इनके लिए बस एक एक कागज का पन्ना है। पढ़ा और कूड़ेदान में डाल दिया। गार्ड फाईल में रख भुला दिया। फरमान का पालन होना और न होना इनके लिए कोई खास महत्व नहीं रखता। यह उसी फरमान को महत्वपूर्ण मानते और समझते हैं, जिसमें इन्हें मोटा लिफाफा मिलने की गांरटी रहती है। हाल ही में शिक्षक और शिक्षणेतर कर्मचारियों की संबद्धता समाप्त कर मूल विद्यालय पर जाने का आदेशा शासन स्तर से जारी हुआ। लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया, पढ़ा और कूड़ेदान में डाल दिया। क्यों कि इसमें मोटा लिफाफा मिलने की गारंटी जो है। कहीं स्कूल पर तो कहीं बीआरसी पर इनसे कार्य लिया जा रहा है। इतना ही नहीं साहबों के बगल ही यह कुर्सी लगाकर अपने मूल पद व विद्यालय से इतर कार्य कर रहे हैं। अब इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है? शासन को भी गलत रिपोर्ट भेजकर गुमराह कर कहते हैं, कि कोई संबधता नही है। बीएसए आफिस ही इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। यहां तमाम लोग ऐसे दिखेंगे, जो एक शिक्षण के रुप में किसी स्कूल में तैनात हैं। बीआरसी का भी यही हाल है। इस पर न तो सीडीओ की और न डीएम की ही नजर पड़ रही। अगर कहीं औचक निरीक्षण होता भी है, तो यह किसी कार्य से आफिस आने का बहाना बनाते नजर आतें है, या फिर चुपके से खिसक लेतें। प्राईवेट स्कूलों के शिक्षकों की योग्यता जांच के लिए आदेश तो जारी हो गया, लेकिन उन सरकारी और अर्ध सरकारी स्कूलों की भी जांच हो जाए तो मिल जाएगा कि वहां पर माध्यमिक और स्नातक पास लोग बढ़ा रहे हैं। सवाल उठ रहा है, कि आखिर क्या यह लोग एनसीआरटी और एससीआरटी के नियमों का पानल कर रहे हैं? क्या यह बच्चों के भविष्य के साथ मजाक नहीं? यह भी सही है, कि अगर इसकी जांच हो जाए तो फिर मोटा लिफाफा कहां से मिलेगा? तभी तो दो-दो, तीन-तीन साल बीत जाते हैं, लेकिन कोई जांच करने नहीं जाता। खानापूर्ति के लिए रजिस्टर और मोटा लिफाफा मगांकर चिरई बैठा देतें है। इस तरह के कई स्कूलों का मामला सामने आ चुका है। मीडिया उजागर भी कर चुकी है। मीडिया अप्रशिक्षित के द्वारा बच्चों को शिक्षा देने के सच का भी उजागर कर चुकी है। यह मामला भी अधिकारियों के संज्ञान में है। डीआईओएस और बेसिक बस उन्ही एडेड स्कूलों की जांच करते हैं, जहां प्रबंधक या स्टाफ की लडाई चल रही होती है। यहां इनकी अच्छी खासी कमाई हो जाती है। अब देखना है, कि इस आदेश का कितना पालन हो पता है? संबद्धता की रिपोर्ट में तो आल ईज वेल है, और हर कोई अपने मूल विद्यालय पर ड्यूटी दे रहा है।

‘अमरौली शुमाली’ का ‘416’ पन्नें का आरोप ‘लोकायुक्त’ तक ‘पहुंचा’!

बस्ती। जनपद की अमरौली शुमाली ग्राम पंचायत में 12 परियोजनाओं पर हुए लगभग 76 लाख रुपये के खर्च को लेकर गंभीर अनियमितताओं का मामला जोर पकड़ने लगा है। इन्हीं आरोपों को आधार बनाते हुए सौरभ वीपी वर्मा ने लोकायुक्त में विस्तृत शिकायत दर्ज कराते हुए समूचे व्यय की जांच और स्वतंत्र ऑडिट कराए जाने की मांग की है। शिकायत में कहा गया है कि ग्राम पंचायत में पहले से चल रही जांच को प्रशासन द्वारा दबाने का प्रयास किया जा रहा है। आरोप है कि पिछले 13 महीनों से लंबित जांच के दौरान जांच अधिकारी ने फर्जी आख्या लगाई, जबकि बीडीओ ने अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहे। साथ ही डीपीआरओ बस्ती पर भी मामले को गंभीरता से न लेने की बात शिकायत में दर्ज है। शिकायतकर्ता का कहना है कि ग्राम पंचायत स्तर पर पहले से की गई जांच में भी गोलमाल किया गया और वास्तविक अनियमितताओं की पड़ताल करने के बजाय केवल प्रधान के वित्तीय अधिकार सीज करने की कार्रवाई आगे बढ़ाई गई, जिससे मूल मुद्दा अधूरा रह गया।

शिकायत में जिन मदों में वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है, उनमें

हैंडपंप मरम्मत एवं रिबोर पर 22 लाख, वाटर कूलर पर पांच लाख, खाद गड्ढा निर्माण में नौ लाख, कूप व सोख्ता निर्माण में आठ लाख, दो इंटरलॉकिंग सड़क में 11 लाख और नाली मरम्मत में 4.50 लाख के अलावा कुल 12 परियोजनाओं पर 76 लाख रुपये से अधिक का व्यय दर्शाया गया है, जिसकी लोकायुक्त से जांच कराए जाने की मांग की गई है। सौरभ वीपी वर्मा ने अपनी शिकायत के साथ 416 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट भी संलग्न की है।

गौरतलब है कि पूर्व में की गई शिकायतों के आधार पर प्रधान गायत्री देवी के वित्तीय अधिकार पहले ही सीज किए जा चुके हैं। लोकायुक्त को भेजी गई शिकायत में बीडीओ, सचिव अखिलेश शुक्ला और प्रधान गायत्री देवी को पक्षकार बनाया गया है।

आखिर ‘क्यों’ रुधौली के ‘बीडीओ’ सचिव ‘रंजना चौधरी’ पर ‘मेहरबान’?

बस्ती। जिले के लोग जानना चाहते हैं, कि क्यों महिला सचिवों पर कभी बीडीओ तो कभी प्रमुखजी लोग मेहरबान रहते हैं, आखिर इन महिला सचिवों में ऐसी कौन सी बात होती है, जिसके चलते यह बीडीओ और प्रमुख के खास बन जातें? यह सवाल वे पुरुष सचिव भी उठा रहे हैं, जिनमें कार्य करने की क्षमता किसी महिला सचिव से कम नहीं होता, फिर भी यह किसी के खास नहीं बन पाते। प्रमुख और बीडीओ साहब लोग महिला सचिवों के इतने खास हो जाते हैं, कि इनके लिए किसी हद तक जा सकते हैं, अधिकारी से लड़ने तक को तैयार हो जाते, अगर किसी ने तआला कर दिया तो यह लोग बवाल मचा देते है। यह लोग तहिला सचिवों पर इतने मेहरबान होते हैं, कि इन्हें लाभ पहुंचाने के लिए एक साथ कई कलस्टर तक एलाट कर देते हैं, और वहीं पर पुरुष सचिव चाहे जितना क्षमता हो, उसे उतना तवज्जौ नहीं दिया जाता, जितना महिला सचिवों को दिया जाता। कुछ ऐसी महिला सचिव भी हैं, जो किसी का खास बनना नहीं चाहती, क्यों कि उन्हें अच्छी तरह मालूम हैं, कि खास बनने में क्या-क्या गवाना और नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसा ही एक और महिला सचिव का मामला सामने आया। इनका नाम रंजना चौधरी हैं, कहते हैं, कि इनके लिए बीडीओ साहब इनकी सारी गलती पर पर्दा डालने का मन बना लिया। रुधौली विकासखंड की ग्राम पंचायत आमबारी में मनरेगा भ्रष्टाचार अब चरम सीमा पर है। लेकिन बीडीओ साहब को कुछ दिखाई ही देता। महिला सचिव के चलते प्रधान की भी लाटरी निकल गई। सरकार बेरोजगारों को काम देने की बात करती है और यहां जिम्मेदार मनरेगा को अपनी निजी कमाई का एटीएम बना चुके हैं। फर्जी हाजिरी भरकर मजदूरों के नाम पर धन निकाला जा रहा है। एक ही फोटो दो ग्राम पंचायतों में अपलोड कर पैसा खींचा जा रहा है। ग्राउंड पर न काम दिखता है, न मजदूर, केवल कागजों में करोड़ों का विकास हो रहा। ताजा खुलासा आमबारी में कृष्ण चंद्र मिश्र की चक से पोखरा होते हुए सत्यराम के चक कार्य को दिखाने के लिए जो फोटो अपलोड की गई है, वही फोटो दूसरे गांव में भी उपयोग की जा चुकी है। इसी फर्जी फोटो से दो-दो जगह का भुगतान निपटा दिया गया, भ्रष्टाचारियों का खेल इतना बड़ा कि उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि एक दिन उनका फर्जीवाड़ा खुद ही सबूत बन जाएगा। दूसरी ओर पिपरा कला में निर्मला देवी की चक से नहर तक चक मार्ग को कागजों में पूरा दिखाकर धन निकाल लिया गया, जबकि मौके पर एक फावड़ा भी नहीं चला। सबसे दर्दनाक बात यह कि बेरोजगारों को काम नहीं मिलता, लेकिन फर्जी मस्टररोल पर हजारों की एंट्री रोज होती है। ग्रामवासी पूछ रहे हैं, क्यों मनरेगा में खुलेआम लूट हो रही है? आखिर सरकारी धन को लूटने वालों के खिलाफ कार्रवाई कब होगी? होगी भी या नहीं? गांव के लोग खुद वीडियो बनाकर सबूत दें रहें? लेकिन जिम्मेदार न जाने क्यों कन्नी काटे हुए है। प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से तत्काल जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। 

टेट की अनिवार्यता, ऑन लाइन हाजिरी को लेकर संघ निरन्तर संघर्षरतःउदय

-शिक्षक समाज की रीढःमहेश शुक्ल 

-विकास पाण्डेय अध्यक्ष, श्रवण कुमार मंत्री निर्वाचित

बस्ती। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ हर्रैया का अधिवेशन बी.आर.सी. पर सम्पन्न हुआ। अधिवेशन में शिक्षक समस्याओं, टेट की अनिवार्यता, ऑन लाइन हाजिरी, स्थानीय समस्याओं आदि मुद्दों पर विचार करने के साथ ही दूसरे सत्र में चुनाव अधिकारी उमाशंकर मणि त्रिपाठी, पर्यवेक्षक दिवाकर सिंह, रविन्द्रनाथ की देख रेख में चुनाव सम्पन्न कराया गया। सर्वसम्मत से संतोष शुक्ला औरशैलेश सिंह संरक्षक, विकास पाण्डेय अध्यक्ष, अनिल कुमार सिंह , विपिन कुमार शुक्ला वरिष्ठ उपाध्यक्ष, अनुराधा मनीष कुमार पाण्डेय, उदय शंकर पाण्डेय, प्रमोद ओझा, सूर्यकांत दुबे, प्रेम सागर उपाध्यक्ष, श्रवण कुमार मंत्री, मोहम्मद सलाम कोषाध्यक्ष, लव कुश त्रिपाठी संयुक्त मंत्री, संगीता मौर्य मेराज अहमद जगदीश चौहान रक्षा राम विनीत विक्रम बौद्ध संगठन मंत्री, अमरजीत यादव, मनमोहन कनौजिया, रामदेव, विजय बहादुर वर्मा, राजकुमार, क्रांति देवी प्रचार मंत्री, राहुल द्विवेदी अकाउंटेंट, रविंद्र साहू ऑडिटर निर्वाचित हुए।



गौसेवा के उपाध्यक्ष महेश शुक्ला ने कहा कि शिक्षक समाज की रीढ है। जिलाध्यक्ष उदय शंकर शुक्ला ने निर्वाचित पदाधिकारियों को शपथ दिलाते हुये कहा कि संगठन को मजबूत बनाने और समस्याओं के समाधान हेतु ने सभी पदाधिकारी एक जुट रहकर शिक्षक हितों में कार्य करे। उन्होने कहा कि 11 दिसंबर को जंतर मंतर नई दिल्ली में धरना प्रदर्शन में बस्ती से बड़ी संख्या में शिक्षक 10 दिसम्बर को रवाना होंगे। श्री शुक्ल ने कहा कि टेट की अनिवार्यता, ऑन लाइन हाजिरी के सवालों को लेकर संघ निरन्तर संघर्षरत है। शीघ्र ही शिक्षकोंके पक्ष में परिणाम आयेगे। उन्होने बताया कि 26 दिसम्बर को जनदीय अधिवेशन जिला बेसिक अधिकारी कार्यालय के परिसर में होगा। अधिवेशन को राघवेन्द्र प्रताप सिंह अभय सिंह यादव, महेश कुमार, दिवाकर सिंह, उदय प्रताप सिंह आदि ने सम्बोधित करते हुये शिक्षक समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। संचालन धनीष त्रिपाठी ने किया। संतोष शुक्ला संरक्षक हर्रैया ने कहा पूर्व की भांति वे निर्वाचित पदाधिकारियों का सदैव सहयोग करेंगे। निर्वाचित अध्यक्ष विकास पाण्डेय ने कहा की जो भी जिम्मेदारी मुझे दी गई है मैं उसका ईमानदारी पूर्वक पालन करूंगा और सभी शिक्षकों के हितों में काम करूंगा ।

 जिला अध्यक्ष उदय शंकर शुक्ला ने शिक्षको की विभिन्न समस्याओं पर विस्तृत रूप से चर्चा करते हुए चयन वेतनमान और पदोन्नति हेतु जनपदीय अधिवेशन के बाद आन्दोलन की घोषणा की जाएगी। 8 दिसम्बर को प्रेस क्लब में अधिवेशन की रणजनीति हेतु बैठक होगी और मतदाता सूची का अन्तिम प्रकाशन कर 22 दिसम्बर को प्रेस क्लब सभागार में नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न होगी। अधिवेशन में डा. आशीष त्रिपाठी , हरिशंकर तिवारी , अनिल ओझा, बेगम खैर इंटर कॉलेज के प्रबंधक मोहम्मद आलम चौधरी, शिव प्रकाश पाण्डेय, अरुण शुक्ला, भारती शुक्ला, प्रमोद त्रिपाठी, मंजू रानी, किरण शुक्ला, सुधा श्रीवास्तव, स्नेह लता सिंह, मनोज यादव, इश्तियाक अहमद, मनोज उपाध्याय, नईमुद्दीन विजय पाण्डेय, जगम्ंबा द्विवेदी, नरेंद्र पाण्डेय आदि शामिल


 

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