‘एक’ और लाला ‘परिवार’ निकला ‘नटवरलाल,’ ठगा ‘46’ करोड’़!
-नटवरलाल जितेंद्र श्रीवास्तव ने अधिकांष चौधरियों से कहा कि अगर एक लाख लगाओं तो हर माह 18 हजार मुनाफा मिलेगा, इसी लालच में लोगों ने जमीन, जेवर और मकान बेचकर करोड़ों लगा दिया
-नटवरलाल ने सबसे पहले अपने गांव थाल्हापार के चौधरियों को ही निषाना बनाया, उसके बाद अन्य चौधरियों को भी निषाना बनाना षुरु कर दिया, 20 साल से अधिक दोस्ती का जितेंद्र श्रीवास्तव ने खूब फायदा उठाया
-12 लाख के ठगी का षिकार होने वालों में सपा के प्रदेष सचिव राम दिनेष चौधरी और 13 लाख गवांने वालों में प्रकाष चौधरी का नाम षामिल, दोनों ने लालगंज में भी दी तहरीर
-थाना लालंगज के थाल्हापार निवासी के नटवरलाल जितेंद्र कुमार, पिता बनवारी लाल, माता सुभद्रा, लड़का आदित्य श्रीवास्तव, भाई सचिंद्र और उसकी पत्नी बीना श्रीवास्तवा ने आनलाइन व्यापार में पैसा लगाने और मालामाल होने का दिया झांसा
-परिवार के सभी सदस्यों ने पैसा न डूबने का दिलाया भरोसा, और कहा कि वह लोग अपनी करोड़ो की जमीन, जेवर और मकान बेचकर पैसा चुकता करेगें
-लाला परिवार के झांसें में सबसे अधिक चौधरी लोग ही फंसे, परिवार ने राम निदेष चौधरी और प्रकाष चौधरी का तो 25 लाख ठगा ही दोस्तों का भी 70 लाख ले उड़ा
-बड़ेबन में भी एक लाला परिवार ने चौधरी लोगों से जमीन के नाम पर 30 करोड़ नटवरलाल बनकर ले उड़ा
बस्ती। खबर में लगे फोटो को अच्छी तरह से देख और पहचान लीजिए, इसका नाम जितेंद्र श्रीवास्तव और इसके पिता का नाम बनवारी लाल और यह थाना लालगंज के ग्राम थाल्हापार का रहने वाला हैं, और यह जिले का सबसे बड़ा वह नटवलाल कौन हैं, जो 46 करोड़ की ठगी करके फरार हो गया, कहां यह वचन देकर पैसा जमा करवाया था, कि अगर पैसा डूब गया तो जमीन, मकान और जेवर बेचकर चुकता करुगंा, और जब चुकता करने की बारी आई तो रफूचक्कर हो गया। बेटे के पाप की कमाई में भागीदार रहे मां-बाप अब कहते हैं, कि अगर मेरा बेटा चोर बेईमान निकल गया तो इसमें मेरा क्या कसूर? जब कि वचन देने में मां-बाप भी षामिल थे। जिस तरह इसने सबसे अधिक अपना निषाना चौधरियों को बनाया, उससे पता चलता है, कि जिले के चौधरी, गरीब और पिछड़े हैं, अगर होते तो इन लोगों का करोड़ों रुपया लेकर कोई फरार न होता, रहता। सच तो यह है, कि जिले के चौधरी लोगों के पास खासतौर पर चौधरी नेताओं के पास इधर-उधर का इतना पैसा है, कि इनके पास रखने के लिए जगह नहीं। नाहक ही सांसद रामप्रसाद चौधरी संसद में चिल्लाते रहते हैं, कि उनका जिला पिछड़ा और लोग काफी गरीब है।
बड़ेबन की घटना को थाल्हापार के लाला परिवार ने भी दोहराया। बड़ेबन का नटवरलाल बनकर जिस तरह जमीन के कारोबार में सबसे अधिक चौधरियों को ठगा, उसी तरह थाल्हापार के लाला ने भी सबसे अधिक चौधरियों को ठगा, बड़ेबन वाला तो 30-35 करोड़ लेकर चला गया और थाल्हापार वाला 46 करोड़। दोनों ही मामलों में लालाओं के पूरे परिवार की अहम भूमिका रही। वैसे भी जिले में ठगने के मामले में लाला परिवार का नाम तेजी से सामने आ रहा है। यह लोग अपने परिवार और बुद्धि का इस्तेमाल करके जिस तरह लोगों को ठगने का काम कर रहे हैं, अगर इसी तरह चलता रहा तो कोई लालाओं से संबध रखना पसंद नहीं करेगा। कुछ लोग ठगी करके बिरादरी का नाम बदनाम कर रहे हैं। नटवरलाल जितेंद्र श्रीवास्तव और उनके परिवार ने अधिकांष चौधरियों से कहा कि अगर एक लाख लगाओंगे तो हर माह 18 हजार मुनाफा मिलेगा, बड़ेबन वाले लाला ने एक लाख पर दस हजार माह मुनाफा देने को कहा। इसी लालच में लोगों ने जमीन, जेवर और मकान बेचकर करोड़ों लगा दिया। कुछ लोगों को जब हर माह एक लाख के बदले 18 हजार मिलने लगा तो उन्होंने लालच में 12 लाख से लेकर 13 लाख तक लगा दिया। नतीजा 18 हजार के साथ 13 लाख भी चला गया, ऐसा ही कुछ प्रकाष चौधरी और राम दिनेष चौधरी के साथ हुआ। इन लोगों ने तो पत्नी का जेवर बेचकर पैसा लगाया। राम दिनेष चौधरी को तो जितेंद्र ने किष्त पर 12 लाख का कार भी दिलवा दिया, अब किष्त जमा करने के लाले पड़ गए, दो बेटा लखनउ में पढ़ रहा है, उसका खर्चा नहीं भेज पा रहे है। नटवरलाल ने गांव में इतना आलीषान मकान बनवाया, कि उतना आलीषान आसपास के कई गांव में भी किसी का नहीं होगा। हर कमरे में एसी लगा हुआ है। राम दिनेष चौधरी का कहना है, कि नटवरलाल ने सबसे पहले अपने गांव थाल्हापार के चौधरियों को ही निषाना बनाया, उसके बाद अन्य चौधरियों को भी निषाना बनाना षुरु कर दिया, 20 साल से अधिक दोस्ती का जितेंद्र श्रीवास्तव ने खूब फायदा उठाया। 12 लाख के ठगी का षिकार होने वालों में सपा के प्रदेष सचिव राम दिनेष चौधरी और 13 लाख गवांने वालों में प्रकाष चौधरी का नाम षामिल, दोनों ने लालगंज में तहरीर दी है। दोनों आज उस 20 साल की दोस्ती को लानत भेज रहे हैं, और कह रहे हैं, कि किसी को दुष्मन दे दे, लेकिन जितेंद्र श्रीवास्तव जैसा दोस्त न दे। थाना लालंगज के थाल्हापार निवासी के नटवरलाल जितेंद्र कुमार, पिता बनवारी लाल, माता सुभद्रा, लड़का आदित्य श्रीवास्तव, भाई सचिंद्र और उसकी पत्नी बीना श्रीवास्तवा ने आनलाइन व्यापार में पैसा लगाने और मालामाल होने का झांसा देकर करोड़ों कमाया और फुर्र हा गए। जिले के चौधरी लोग देखते रह गए। परिवार के सभी सदस्यों ने पैसा न डूबने का भरोसा दिलाया था, और कहा था, कि वह लोग अपनी करोड़ों की जमीन, जेवर और मकान बेचकर पैसा चुकता करेगें। लाला परिवार के झांसें में सबसे अधिक चौधरी लोग ही फंसे, परिवार ने राम निदेष चौधरी और प्रकाष चौधरी का तो 25 लाख ठगा ही दोस्तों का भी 70 लाख ले उड़ा। बड़ेबन में भी एक लाला परिवार ने चौधरी लोगों से जमीन के नाम पर 30 करोड़ नटवरलाल बनकर ले उड़ा। जिस तरह लालाओं के द्वारा ठगी करने के मामले में एक के बाद एक सामने आ रहे हैं, उससे लोग अब लालाओं से सावधान होने लगें हैं। कहा भी जा रहा है, कि अगर कोई लाला परिवार कारोबार में पैसा लगाने का आफर दे तो किसी भी कीमत पर पैसा मत लगाइएगा, भले ही चाहे जितना भी लुभावना आफर ही क्यों न दें, लगाया तो रोना तो पड़ेगा ही इज्जत और पैसा भी चला जाएगा। राम दिनेष चॉैधरी का कहना है, कि किसी दलित से दोस्ती कर लीजिए, उसके साथ कारोबार कर लीजिए, लेकिन किसी लाला परिवार के साथ मत करिए, नहीं तो जिंदगीभर की पूंजी चली जाएगी, सालों पुराना संबध अलग से खराब हो जाएगा। जो असली नटवरलाल था, वह भी लाला परिवार से ताल्लुक रखता था। जो अपराध का कारण बनता हैं, उसमें ठगी का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। अगर किसी के जीवनभर की पूंजी चली जाएगी तो वह कुछ भी करने को तैयार हो जता है। ऐसे मामलों में जान तक जा चुकी है।
‘सीडीओ’ ने खोली ‘एआर’ की ‘पोल’
-जो जांच एआर, एसीडीओ और एडीओ को करना चाहिए, वह जांच सीडीओ कर रहे
-सीडीओ की जांच में बी-पैक्स साधन सरकारी समिति जिनवा सल्टौआ बंद मिला, त्वरित एआर को कार्रवाई करने का दिया निर्देष
-न चाहते हुए भी एआर को समिति के सचिव राजेष कुमार चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी, सचिव के हस्ताक्षर की मान्यता को समाप्त करते हुए, प्रभार पचानू समिति के सचिव को देना पड़ा
-सुबह ही समिति पर खाद पहुंची, खाद को बंटना चाहिए था, लेकिन समिति के सचिव इस लिए ताला बंदकर फरार हो गए, कि बाद भी खाद की कालाबाजारी की जाएगी, लेकिन सीडीओ ने सचिव की मंषा को पूरा नहीं होने दिया, जब कि यह जांच एआर, एसीडीओ और एडीओ को करनी चाहिए थी, कार्रवाई तो इन तीनों के खिलाफ भी होनी चाहिए
-अगर बसडीला और सजनाखोर जैसे समितियों की जांच हो जाए तो सबसे अधिक खाद की आपूर्ति इन्हीं समितियों पर मिलेगी, क्यों कि इन समितियों के सचिवों को एआर का चहेता माना जाता
-जो सचिव समिति छोड़कर एआर के यहां हाजरी लगाने सुबह-सुबह जाता है, उसी को ही अधिक खाद मिलती, जब कि खाद का वितरण हर समितियों पर समान रुप से होना चाहिए, खाद जब उपलब्ध हैं तो क्यों नहीं सभी समितियों को खाद भेजी जा रही?
बस्ती। मीडिया पहले ही यह बता चुकी है, कि जिन एआर और जिला कृषि अधिकारी की टीम ने खरीफ को लूटा, वही टीम रवी को लूट रही है। इसी लिए किसान बार-बार कह रहा है, कि जब तक दोनों अधिकारी रहेगें, तब तक खाद की कालाबाजारी नहीं रुक सकती। किसान की ओर से बार-बार षासन, प्रषासन और पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं से खाद की कालाबाजारी करने वालों से बचाने की गुहार लगा रही है, मगर इन किसानों की आवाज को एआर और डीओ की बेईमानी के आगे सुनना ही नहीं चाहते। इन दोनों अधिकारियों पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसान एक-एक बोरी खाद के लिए क्यों परेषान और क्यों रो रहा है। खरीफ के लूट के बाद लगने लगा था, कि रवी सुरक्षित रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नया प्रषासन भी इन दोनों अधिकारियों के सामने कमजोर पड़ता नजर आ रहा है। अब जरा अंदाजा लगाइए कि समितियों की जां जांच एआर, एसीडीओ और एडीओ को करनी चाहिए, वह जांच सीडीओ को करनी पड़ रही है। जाहिर सी बात हैं, जब जांच एआर करेगें तो कौन इन्हें हिस्सा देगा। 11 नवंबर 25 को सीडीओ की जांच में बी-पैक्स साधन सरकारी समिति जिनवा सल्टौआ बंद मिला, त्वरित एआर को कार्रवाई करने का दिया निर्देष। न चाहते हुए भी एआर को समिति के सचिव राजेष कुमार चौधरी के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी, सचिव के हस्ताक्षर की मान्यता को समाप्त करते हुए, प्रभार पचानू समिति के सचिव को देना पड़ा। सुबह ही समिति पर खाद पहुंची, खाद को बंटना चाहिए था, किसानों की लाइन लगी थी, लेकिन समिति के सचिव इस लिए ताला बंदकर फरार हो गए, ताकि बाद भी खाद की कालाबाजारी की जा सके। लेकिन सीडीओ ने सचिव की मंषा को पूरा नहीं होने दिया, जब कि यह जांच एआर, एसीडीओ और एडीओ को करनी चाहिए थी, कार्रवाई तो इन तीनों के खिलाफ भी होनी चाहिए। किसानों का दावा है, कि अगर बसडीला और सजनाखोर जैसे समितियों की जांच हो जाए तो सबसे अधिक खाद की आपूर्ति इन्हीं समितियों पर मिलेगी, क्यों कि इन समितियों के सचिवों को एआर का चहेता माना जाता और दोनों पदाधिकारी भी है। जो सचिव समिति छोड़कर एआर के यहां हाजरी लगाने सुबह-सुबह जाता है, उसी को ही अधिक खाद मिलती, जब कि खाद का वितरण हर समितियों पर समान रुप से होना चाहिए, खाद जब उपलब्ध हैं तो क्यों नहीं सभी समितियों को खाद भेजी जा रही? सवाल उठ रहा है, कि जब डीओ और एआर दावा कर रहे हैं, कि गोदाम में खाद भरा हुआ है, तो क्यों नहीं सभी समितियोें पर खाद उपलब्ध कराई जा रही है। किसानों का कहना हैं, कि अगर इसी तरह सीडीओ जांच करते रहें तो हर समिति का खाद उपलब्ध मिलेगा और सचिव खाद बांटते हुए मिलेगें। किसानों की ओर से डीएम से भी मांग की जा रही है, कि वह खाद की उपलब्धता बनाए रखने के लिए प्रषासनिक अधिकारियों की देखरेख में समितियों और रिटेलर्स के यहां नियमित जांच करानी चाहिए। इससे काफी हद तक खाद की कालाबाजारी पर अंकुष लग सकेगा। खाद उपलब्ध रहने के बाद भी सचिवों और रिटेलर्स का समिति और दुकान बंदकर फरार रहना दर्षाता है, कि खाद की कालाबाजारी नहीं रुक रही है।
मैडम, ‘किसानों’ को ‘समीक्षा’ नहीं, ‘खाद’ चाहिए!
-मैडम, समीक्षा और बैठकों में आदेष और निर्देष देने से एआर, डीओ, डीडीओ सुधरने वाले नहीं हैं, अगर वाकई किसानों को खाद उपलब्ध कराना चाहती है, तो इनके कालाबाजारी को रोकना होगा
बस्ती। डीएम कृत्तिका ज्योत्सना की ओर से खाद, बीज और धान खरीद की समीक्षा में जो निर्देष और आदेष दिए गए हैं, उसकी पूर्ति हुई कि नहीं? क्यों कि समीक्षा और बैठकों में आदेष और निर्देष देने से एआर, डीओ, डीडीओ सुधरने वाले नहीं हैं, अगर वाकई आप किसानों को खाद उपलब्ध कराना चाहती है, तो इनके कालाबाजारी को रोकना होगा। अगर, यह लोग आदेष और निर्देष से सुधर जाते तो अब तक न जाने कितने आदेष और निर्देष कमिष्नर और डीएम दे चुके है। अगर यह लोग अधिकारियों के आदेष और निर्देष का पालन कर देते तो जिले में सबसे बड़ा धान का घोटाला न होता और न नौ लाख यूरिया की कालाबाजारी खरीफ में होती। किसानों का मानना और कहना है, कि आदेष और निर्देष देने का समय बीत चुका है, अब तो कार्रवाई करने का समय आ गया। अगर, खरीफ में कार्रवाई हो गई होती तो रवी में कालाबाजारी न होती। मैडम, कृषि विभाग और सहकारिता के अधिकारी से तभी किसानों के हित में कार्य करेगें, जब इनमें ईमानदारी आएगी। किसानों का खाद उपलब्ध कराना इन लोगों की न तो प्राथमिकता हैं, और न यह पारदषर््िाता ही कभी ला सकते है। जिस तरह मैडम ने खाद एवं बीज वितरण की समीक्षा करते हुए उप कृषि निदेषक अषोक कुमार गौतम, ए.आर. कोआपरेटिव आषीष श्रीवास्तव और जिला कृषि अधिकारी को निर्देष दिया, अगर उसका पालन हो जाए तो किसी भी किसान को कोई परेषानी ही न हो।
मैडम, यही लोग जो काम करने का आईडिएल इन्वायरमेंट नहीं लाना चाहते। तभी न तो कोई डीएम और जिला आईडिएल बन पा रहा है। मैडम, देखना है, कि आप के निर्देष के बाद वितरण केंद्रों पर खाद और बीज की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहती। यह भी देखना है, कि किसानों को समय से उर्वरक मिले इसके लिए ब्लॉकवार निगरानी दल सक्रिय हुए कि नहीं, अगर सक्रिय हुए होते तो सीडीओ के निरीक्षण में जिनवा समिति बंद न मिलता। मैडम, जिस दिन खाद की कालाबाजारी या कृत्रिम अभाव की शिकायतों पर आप सख्त हो गई, उस दिन किसान आप की जयजयकार करेगा। मैडम, आप को इस बात की भी समीक्षा करनी होगी कि समस्त केन्द्रों पर षिकायत हेल्प नम्बर प्रदर्षित किया गया या नहीं? मैडम, अगर आप इस मामले में सफल हो गई तो किसान बाकी काम स्वंय कर लेगा, आप को करने की आवष्यकता ही नहीं पड़ेगी। बैठक में जिला विकास अधिकारी अजय कुमार सिंह, पीडी राजेष कुमार, उप जिलाधिकारी रष्मि यादव, उमाकान्त तिवारी, ईओ नगरपालिका अंगद गुप्ता सहित संबंधित विभागीय अधिकारीगण उपस्थित रहें।
‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’, नारा नहीं, जीवन दर्शनःहरीष द्विवेदी
बस्ती। असम प्रभारी एवं पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि भाजपा का विचार “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” केवल नारा नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है, जो समाज के हर वर्ग को समान भागीदारी देता है। कहा कि यह वर्ष अत्यंत गौरवपूर्ण है, धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जी की 150वीं जयंती के साथ-साथ लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल जी की 150वीं जयंती का भी प्रतीक है। भारत सरकार इस अवसर को “जनजातीय गौरव वर्ष” के रूप में मना रही है, जो आदिवासी समाज के सम्मान और योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने का प्रतीक है। कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने केवल एक जनजातीय नेता के रूप में नहीं, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्रोत के रूप में भारतीय इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलीहातु गाँव में जन्मे बिरसा मुंडा ने अन्याय, अत्याचार और दमन के विरुद्ध “उलगुलान” (महान आंदोलन) का नेतृत्व किया। उन्होंने आदिवासी अस्मिता, आत्मसम्मान और स्वराज का बिगुल बजाया। उनका संदेश “अबुआ डिसुम, अबुआ राज” (हमारा देश, हमारा शासन) आज के “आत्मनिर्भर भारत” की भावना से गहराई से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनजातीय समाज के सशक्तिकरण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं।
वर्ष 2021 से 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” के रूप में राष्ट्रीय सम्मान प्रदान किया गया। रांची में भगवान बिरसा मुंडा स्मारक एवं स्वतंत्रता संग्रहालय की स्थापना की गई, जो आदिवासी नायकों के बलिदान को समर्पित है। एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय के माध्यम से आदिवासी अंचलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विस्तार किया जा रहा है। वन धन योजना के अंतर्गत वन उत्पादों के मूल्य संवर्धन और विपणन के लिए देशभर में वन धन केंद्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री जनजातीय सशक्तिकरण मिशन, लखपति दीदी योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से जनजातीय समाज के जीवन स्तर में ऐतिहासिक सुधार हुआ है। उत्तर प्रदेश में भी वनटांगिया और मुसहर समुदायों को सरकारी पहचान, आवास, पेंशन, राशन और स्वास्थ्य सुविधाएँ देकर समाज की मुख्यधारा से जोड़ा गया है। हरीश द्विवेदी ने कहा कि भाजपा का विचार “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” केवल नारा नहीं, बल्कि जीवन दर्शन है, जो समाज के हर वर्ग को समान भागीदारी देता है। अंत में उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती केवल स्मरण का नहीं, बल्कि संकल्प का वर्ष है। संकल्प कि उनके आदर्शों पर चलते हुए हम समानता, आत्मनिर्भरता और स्वराज के मूल्यों को अपनाएँगे। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी धरती आबा बिरसा मुंडा को। प्रेस वार्ता में भाजपा जिलाध्यक्ष विवेकानन्द मिश्र, अभियान संयोजक अरविन्द श्रीवास्तव, अमृत कुमार वर्मा सहित अन्य भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
‘अरे’ अब तो ‘जाग’ जाओ ‘टीम’ 11 ‘वाले’
बस्ती। भाजपा की टीम 11 के सदस्यों ने किसानों को न सिर्फ भरोसा बल्कि यकीन भी दिलाया था, कि जब भी आप बुलाओगें हम लोग दौडे़-दौड़े चले आएगें। खरीफ में तो हमारी टीम आपकी कोई मदद नहीं कर सकी, लेकिन रवी में आप लोगों को खाद के लिए रोना नहीं पड़ेगा, टीम 11 आपके साथ खड़ी हुई मिलेगी। टीम 11 के दावे के साथ किसानों ने भी एक वादा किया था, कि अगर टीम 11 हम लोगों को समय से और उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराने में सफल रही तो किसान भी 27 में भाजपा को सत्ता में लाने के लिए जीजान लगा देगी। साथ ही यह भी किसानों ने कहा हैं, कि अगर टीम 11 अपने मकसद में फेल हुई, तो जिले में भाजपा एक सीट के लिए तरस जाएगी। किसानों की माने तो जब टीम 11 के सदस्य उनके फोन का जबाव नहीं दे रहे हैं, तो खाद क्या दिलाएगें? किसान फिर टीम 11 को उनके वादे के मुताबिक उन्हें बुला रही है, और कह रही है, कि किसानों को खाद नहीं मिल रहा है, समिति वाले ताला बंद करके भाग जा रहे है। न एआर और न डीओ सुन रहे हैं, किससे अपनी बात कहे, कोई नंबर भी इन लोगों ने केंद्रो पर प्रदर्षित नहीं किया। कहते हैं, कि टीम 11 के हुकांर भरने के बाद भी एआर और डीओ की टीम खाद के आवंटन से लेकर वितरण तक में मनमानी कर रही है। उन्हीं सचिवों और रिटेलर्स को खाद उपलब्ध कराया जा रहा है, जो चढ़ावा चढ़ा रहे है। टीम 11 का खाद वितरण के मामले में अब तक कि जो सक्रियता/ निष्क्रियता किसानों ने देखा उसे देख कहा जा सकता है, कि टीम 11 को किसानों की कोई चिंता नहीं। मीडिया पहले भी कह चुकी है, कि अगर वादे के मुताबिक टीम 11 के लोग खरे नहीं उतरे तो उसका खामियाजा टीम के सदस्यों को तो नहीं अलबत्ता भाजपा को 27 में भुगतना पड़ सकता है। टीम 11 अभी तक खाद के मामले में नवागत डीएम से भी नहीं मिली, और न कोई ज्ञापन ही दिया। टीम 11 के पास अभी भी अपनी गलती को सुधारने का समय है। प्रत्येक सदस्यों को अपने-अपने क्षेत्र में पांच से छह बड़े खाद के कारोबारियों और समितियों का चयन करना होगा, और उनपर न सिर्फ बराबर नजर रखनी होगी बल्कि वितरण केंद्रों पर भी जाना होगा, और यह सुनिष्चित करना होगा कि खाद का वितरण समान रुप से समितियों और रिटेलर्स को हो, क्यों कि कालाबाजारी करने वाले लोग इसी में ही खेल खेलतें। देखा जाए तो टीम 11 की प्रतिष्ठा किसानों को खाद उपलब्ध करवाने में में लगी हुई है।


