मत’ करना ‘एलआईसी’ पर ‘भरोसा,’ नहीं ‘तो’ पड़ेगा ‘रोना’!


‘मत’ करना ‘एलआईसी’ पर ‘भरोसा,’ नहीं ‘तो’ पड़ेगा ‘रोना’!

-एलआईसी पर पालिसीधारकों की पालिसी के सुरक्षित रहने पर उठे सवाल

-यहां पर फ्राड के आरोपी महिला और जिसे पुलिस तलाष कर रही, उसकी पालिसी एलआईसी वाले बिना छानबीन किए सरेंडर ही नहीं करते बल्कि आपत्ति के बाद भुगतान भी कर देतें

-एलआईसी वाले महिला से इतने प्रभावित रहे कि दर्ज मोबाइल नंबर पर सत्यापन भी नहीं करते, कार्यालय के 50 मी. की दूरी पर आवास पर जाना भी नहीं चाहत

-एक तरफ एलआईसी वाले एक-एक पालिसी के लिए गांव-गांव घूम रहे हैं, दूसरी तरफ करोड़ रुपये की पुरानी पालिसी हाथ से जाने देते

-डा. अभिजात कुमार के यह लिखकर दिया कि उक्त पालिसी को बिना उच्चतम एवं उच्च न्यायालय और मेरे अनुमति के न तो स्थानांतरित किया जाए और न भुगतान ही किया जाए, फिर भी महिला के प्रभाव/आर्थिक लालच में आकर एलआईसी के मैनेजर ने पालिसी देहरादून स्थानांतरित कर दिया बल्कि दो चरणों में लगभग आठ लाख का भुगतान भी कर दिया

-डा. अभिजात कुमार बस्ती और देहरादून के मैनेजर को नोटिस जारी करते हुए कहा कि क्यों न आप लोगों के खिलाफ 420 एवं 406 के तहत मुकदमा दर्ज कराया जाए,कहा कि परिवार का एलआईसी पर भरोसा नहीं रहा और अब वह परिवार के नाम 10 करोड़ की चल रही पालिसी को वापस लेने जा रहें

-डा. अभिजात ने बस्ती और देहरादून के षाखा मैनेजर के कार्यकाल में जितने भी पुरानी पालिसियां सरेंडर की गई, उन सभी की जांच होनी चाहिए, क्यों कि अधिकांष सरेंडर की गई पालिसियों में दोनों मैनेजर की संल्पिता

-इस मामले में मैनेजर राजेष मलिक कहते हैं, कि भले ही पालिसी वापस कर ले, अगर आप को कुछ जानना हो तो सोमवार को आइए, षनिवार को मैं कुछ नहीं बता पाउंगा

बस्ती। जिस भारतीय जीवन निगम पर करोड़ों बीमाधारक इस विष्वास के साथ अरबों लगाकर बीमा करवाते हैं, कि उनका पैसा और पालिसी दोनों सुरक्षित रहेगा, उन लोगों को जानकर हैरानी होगी कि अब एलआईसी में न तो पालिसी और न पैसा सुरक्षित रह गया। षाखा प्रबंधक संस्था के हित में नहीं बल्कि स्वंय के हित में पुरानी पालिसियों को सरेंडर करवा दे रहें है। प्रभावित/लालच में आकर पालिसी सरेंडर करने से रोकने के बजाए सरेंडर करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे है।


बिना जांच पड़ताल किए ऐसे लोगों की पालिसी को न सिर्फ सरेंडर करवा दे रहे हैं, बल्कि भुगतान भी कर दे रहें है, जिनके खिलाफ फ्राड का केस दर्ज हैं, और जिसे पुलिस तलाष कर रही हो। यानि यह लोग संस्था का लाभ करने के संस्था का नुकसान कर रहें। ऐसा ही एक मामला नवयुग मेडिकल सेंटर के डा. अभिजात कुमार का सामने आया। इनका आरोप हैं, कि बस्ती के षाखा प्रबंधक की मिली भगत से फ्राड के आरोपी डा. ष्वेता गुप्त नामक महिला जिसे पुलिस तलाष कर रही, उसकी पालिसी एलआईसी वाले बिना छानबीन किए सरेंडर ही नहीं करवाया बल्कि आपत्ति के बाद भुगतान भी कर दिया। एलआईसी वाले महिला से इतने प्रभावित रहे कि दर्ज उनके मोबाइल नंबर पर न तो संपर्क किया और न सत्यापन करवाया। कहते हैं, उनका आवास एलआईसी कार्यालय से मात्र 50 मी. की दूरी पर हैं, अगर चाहते तो किसी को भेज कर सत्यापन करवा लेते तो पालिसी सरेंडर न होती और न एलआईसी का नुकसान ही होता। कहते हैं, कि एक तरफ एलआईसी वाले एक-एक पालिसी के लिए गांव-गांव घूम रहे हैं, दूसरी तरफ करोड़ रुपये की पुरानी पालिसी हाथ से जाने देते हैं। कहते हैं, कि उनके के द्वारा यह लिखकर देने के बावजूद कि उक्त पालिसी को बिना उच्चतम एवं उच्च न्यायालय और मेरे अनुमति के न तो स्थानांतरित किया जाए और न भुगतान ही किया जाए, बावजूद षाखा प्रबंधक ने सरेंडर ही नहीं किया बल्कि महिला के प्रभाव/आर्थिक लालच में आकर आठ लाख का भुगतान दो चरणों में कर भी दिया। कहते हैं, कि इस मामले में बस्ती और देहरादून के मैनेजर को नोटिस जारी करते हुए कहा कि क्यों न आप लोगों के खिलाफ 420 एवं 406 के तहत मुकदमा दर्ज कराया जाए, क्यों कि आप लोगों ने जो कृत्य वह उक्त अपराध की श्रेणी में आता है। कहा कि परिवार का एलआईसी पर अब भरोसा नहीं रहा और अब वह परिवार के नाम 10 करोड़ की चल रही सभी पालिसी को वापस लेने जा रहें है। डा. अभिजात ने बस्ती और देहरादून के षाखा मैनेजर के कार्यकाल में जितने भी पुरानी पालिसियां सरेंडर किए गए, उन सभी की जांच कराने के लिए लिखने जा रहे है। क्यों कि अधिकांष सरेंडर की गई पालिसियों में दोनों मैनेजर की संल्पिता। मुख्य प्रबंधक एलआईसी देहरादून को लिखे पत्र में डा. अभिजात कुमार ने कहा कि मेरे मोबाइल 8765015759 पर रात्रि 1.49 मिनट पर संदेष आया कि आपके द्वारा पालिसी संख्या 299214294 से दो लाख 49 हजार 889 रुपया और पालिसी संख्या 298657072 से छह लाख तीन हजार 337 रुपये का भुगतान खाता संख्या 0000007196 में हुआ, लिखा कि आप को दो दिन से लगातार ईमेल कर रहा हूं कि डा. ष्वेता गुप्ता जो कि एक फ्राड महिला हैं, के द्वारा सालों से बंद पड़ह पालिसी बस्ती से देहरादून तबादला करके पैसा निकासी कर रही है, और दोनों पालिसी का भुगतान भी प्रज्ञपत कर लिया। कहा कि आप लोगों ने इस मामले में छान करना भी जरुरी नहीं समझा, और भुगतान पर भुगतान करते जा रहे है। स्पष्ट लिखा कि इसमें आप दोनों षाखा मैनेजर की साजिष से भुगतान और पालिसी तबादला हुआ। जिस तरह जल्दबाजी में खाता तबादला और भुगतान किया गया, उससे साबित होता है, कि आपकी भी संल्पिता है। क्यों कि आप पालिसी में दर्ज रूथ्ससर्द पते पर भी सत्यापित नहीं किया गया। इस मामले में मैनेजर राजेष मलिक कहते हैं, कि भले ही डाक्टर साहब पालिसी वापस कर लंे, एलआईसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। कहा कि अगर आप को कुछ जानना हो तो सोमवार को आइए, षनिवार को मैं कुछ नहीं बता पाउंगा। षाखा मैनेजर का गैरजिम्मेदाराना बयान यह बताता है, कि मैनेजर साहब अपनी संस्था के प्रति कितना ईमानदार और सजग है।


एसआईआर’ भरने में ‘बीएलओ’ के ‘ठंडक’ में ‘पसीने’ छूट ‘रहें’!

-आनलाइन 2003 की सूची और उनके परिवार का नाम ढूंढ़ना है कठिन कार्य

महिलाएं अपने मयके का निर्वाचन सम्बंधी विवरण नहीं दे पा रही

-गांव के ही लोगों के माता पिता का 2003 का इपिक नंबर डालने पर बता रहा मिसमैच

-15-20 फार्म भरने में खप जा रहा बीएलओ का अधिकांश समय, अगर इस कार्य में अन्य लोगों का सहयोग नहीं लिया गया तो समय से कार्य पूर्ण करना होगा मुश्किल

-जिम्मेदार अधिकारियों को भी बीएलओ के साथ अपनाना होगा व्यवहारपूर्ण रवैया, नहीं तो अभी अनुदेशक संघ ने बीएलओ से कार्य मुक्त करने का दिया ज्ञापन, अन्य भी देने लगेगें

बस्ती। एसआईआर का काम करने में बीएलओ को इस ठंडक में भी पसीने छूट रहे है। इनकी समझ में नहीं आ रहा है, कि आखिर यह काम समय से कैसे पूरा होगा, कहते हैं, कि अगर इस काम में अधिकारियों ने सहयोग या फिर व्यवहारपूर्ण रवैया नहीं अपनाया तो कार्य बाधित भी हो सकता। देखा जाए तो एसआईआर को लेकर जिले के आलाधिकारी से लेकर बीएलओ तक परेशान है।


निर्वाचन से जुड़ा यह कार्य समय से पूरा हो इसके लिए हर कोई लगा हुआ है। लेकिन सबसे अधिक समस्या उन लोगों के साथ खड़ी हो रही है जो मतदाताओं से गणना पत्रक भरवा रहे हैं। यह जिम्मा कई विभाग के कर्मियों को बीएलओ बनाकर थोपा गया है। कहने को तो उनके सहयोग में सुपरवाईजर एसडीएम आदि लगे हैं। लेकिन यह उनके साथ कितना समय फिल्ड में रह रहे हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है। बस दो चार फार्म भरवाते फोटो खिंचाकर चल दे रहे हैं। सारा कार्य तो बीएलओ को ही निपटाना है। एक बार आफलाइन फार्म भरे इसके बाद उसे अनलाइन भरकर मैपिंग कराए। यह कोई आसान कार्य नहीं है। कहां यह आसान तब हो सकता है जब अधिकांश मतदाता अपना प्रपत्र सही से भर देते और अन्य कर्मचारियों का भरपूर सहयोग मिलता ।फार्म जमा कराने व न भर पाने वाले परिवार का फार्म भरवाने में ।लेकिन इस कार्य में पीडीए भी नजर नहीं आ रहा है। जबकि उनके राष्ट्रीय नेताओं ने बीएलए बनाया है। आखिर यह लोग कहां हैं । इनका भी कुछ पता नहीं चल रहा है। जो परिवार बाहर रह रहा है कम से कम उनको सूचित कर यह कार्य लगकर करा सकते हैं। क्योकि यह वोटर तो उनके गांव व ग्राम पंचायत का ही है। उसका फोटो आदि उपलब्ध करा कर बीएलओ की मदद व अस्थाई तौर पर बाहर रह रहे परिवार का सहयोग किया जा सकता है। क्योकि एसआईआर की निगरानी करने के लिए ही पीडीए द्वारा बीएलए बनाए गए है। क्योकि कर्मी भी बीएलओ बन कर निर्वाचन कार्य में सहयोग ही कर रहे हैं। वरना 33 रुपये में कौन कहे दो चार सौ में यह कार्य लोग नहीं करना चाहेंगे। इस लिए जिम्मेदार अधिकारियों को भी बीएलओ के साथ व्यवहारिक बात कर कार्य लेने कई जरूरत है ।ज्यादा दबाव डालने पर यह कार्य बहिष्कार करने को मजबूर होंगे ।एक के विरूद्ध कार्रवाही कई जा सकती है। पूरे समूह पर करना कठिन होगा ।थोड़ा अधिकारी सख्ती दिखना शुरू क्या किए थे ।विरोध के स्वर गूंजने शुरू हो गए थे ।एक संघ ने तो देर शाम डीएम कार्यालय में ज्ञापन देकर बीएलओ से कार्यमुक्त करने की आवाज उठा दी है। अन्य संघ भी तैयार थे क्योकि उनके विभाग के कर्मियों को बीएलओ बनाकर जबरदस्ती कार्य का दबाव बनाया जा रहा था। वह भी तानाशाही अंदाज में। यदि यही रवैया रहा तो अबतक न जाने कितने लोग हटाने की मांग शुरु कर दिए होते है

वंदना, गीता पाल, सोफिया खातून, मिथिला शुक्ला, सुधा पाल, माया देवी, चंद्रकाली, निर्मला, गीता श्रीवास्तव, रीता, पुष्पा सहित अन्य आशा बहू के साथ संगना उपस्थित रहींे।

अधिकारी ‘आशा बहूओं’ कर रहें ‘षोषण’, धरने पर ‘बैठी’

-अगर अधिकारी ’आशा बहूओं का षोषण कर रहे हैं, तो आषा बहुएं मरीजों का कर रही

बनकटी/बस्ती। अगर आशा बहुएं अधिकारी पर षोषण का आरोप लगा रही है, तो इन पर मरीज षोषण करने का आरोप लगा रहे है। देखा जाए तो जिलेभर में दोनों की छवि एक जैसी है। किसी को ईमानदार का तमगा नहीं दिया जा सकता है। यह सही है, कि अधिकारी कदम-कदम पर आषा बहुओं का षोषण कर रहे हैं, लेकिन यह भी सच हैं, कर रही है। इसी लिए अधिकारी, आषा बहुओं की समस्याओं को लेकर अधिक चिंतित नहीं रहते है। कहने का मतलब न तो अधिकारी ईमानदार और न आषा बहुंए ही अपने दायित्वों के प्रति ईमानदार होती है। मुख्यालय के अधिकारी तक यह जानते हैं, कि आषा बहुएं अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रही है, इसी लिए मुख्यालय स्तर पर भी इनकी समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाता।



बहरहाल, आषा बहुएं घर-घर जाकर प्रसवपूर्व और प्रस्वोतर देखभाल करती है। स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने और मातृ एवं शिशु देखभाल, टीकाकरण जैसे आदि महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। लेकिन इनकी मांगें पूरी नहीं होती, सिर्फ अधिकारी आश्वासन ही देते रहते। इन सब का शोषण होता है। धरने पर बैठी आशाओं ने बताया कि अपनी मागों को लेकर प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश कुमार को ज्ञापन भी दिया। सुबह जब हम लोगों ने आंदोलन शुरू किया तो धरना समाप्त करने के लिए दबाव बनाया गया, पुलिस बुलाकर जेल भिजवाने की बात भी कही गई और पुलिस को बुलाया भी गया। हम आशा बहनों का धरना समाप्त करने के लिए लालगंज पुलिस की ओर से धमकी भी दी गई। फिर भी धरना समाप्त नहीं हुआ। 16 सूत्रीय मांगों को लेकर आशा बहुओं द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुबह से ही धरना जारी है। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा शनिवार की सुबह से ही प्रदर्शन किया जा रहा है। धरना ब्लॉक अध्यक्ष नीलम चौधरी के नेतृत्व में आयोजित किया गया। आशा कार्यकर्ताओं के प्रमुख मांगों मे अपने बकाया मानदेय टीकाकरण जैसे स्वास्थ्य अभियानों का बहिष्कार भी शामिल है। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया हैं कि जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं होती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। विरोध से पता चला कि यदि इनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो भविष्य में एक बड़ा प्रदर्शन भी हो सकता है। उनके प्रमुख मांगों में बकाया मानदेय, सरकारी कर्मचारी का दर्जा निश्चित और सम्मानजनक वेतन, टीकाकरण का बहिष्कार, टीडीआई का भुगतान जो एक बर्ष का बकाया है। आभा आईडी का संपूर्ण बकाया भुगतान, सी बैक का एक वर्ष का बकाया भुगतान, आयुष्मान का संपूर्ण बकाया भुगतान, महिला नसबंदी का बकाया भुगतान, क्षय रोग का बकाया भुगतान, शादी अंतराल का विगत चार वर्षो का बकाया, बच्चा अंतराल का विगत 4 वर्षों का बकाया, पीपीआई यूसीडी का कभी तक कोई भुगतान का न होना, गर्भनिरोधक इंजेक्शन का भुगतान न होना, प्रसव के समय गैलेक्स से लेकर किसी सुविधा का नही मिलना, प्रसव उपरांत ₹100 से लेकर ही रजिस्टर का भरा जाना, रात में कोई स्टाफ प्रसव केंद्र पर न मिलना, दस्तक कार्यक्रम में कोई भुगतान नहीं मिलना, रात्रि में आने पर ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं होना, आदि उनकी प्रमुख मांग है। खबर लिखे जाने तक डीसीपीएम दुर्गेश मल्ल से बातें चल रही थी। मुख्य रूप से धरना में सविता गौतम, सुधा देवी, मनोरमा देवी, मनु, संध्या शर्मा, एस मायावती सिंह, कुसुम लता, मिथिला, गोमती देवी, सरोज, कांति देवी, कंचन मिश्रा, मीणा, वंदना, गीता पाल, सोफिया खातून, मिथिला शुक्ला, सुधा पाल, माया देवी, चंद्रकाली, निर्मला, गीता श्रीवास्तव, रीता, पुष्पा सहित अन्य आशा बहू के साथ संगना उपस्थित रहींे।

 अधिकारी समाधान दिवस की उपयोगिता, उपादेयता व सार्थकता को बनाए रखेंःडीएम

बस्ती। आमजन की समस्याओं के त्वरित निस्तारण के लिए प्रत्येक माह के प्रथम एवं तृतीय शनिवार को आयोजित होने वाले सम्पूर्ण समाधान दिवसों की कड़ी में माह नवम्बर के तृतीय शनिवार को तहसील सदर में डीएम कृत्तिका ज्योत्सना की अध्यक्षता में सम्पूर्ण समाधान दिवस आयोजित हुआ। इस अवसर पर डीएम ने आये हुए फरियादियों की समस्याओं की गम्भीरतापूर्वक सुनवाई की और निस्तारण के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये। जिलाधिकारी ने अधिकारियों का आहवान्ह किया कि सम्पूर्ण समाधान दिवस के आयोजन की उपयोगिता, उपादेयता व सार्थकता को बनाए रखें। इसके लिए प्राप्त होने वाली शिकायतों का त्वरित व गुणवत्तापूर्ण निस्तारण करें, जिससे लोगों को राहत महसूस हो। उन्होंने सभी अधिकारियों को सुझाव दिया कि अपने स्तर पर विभिन्न माध्यमों से प्राप्त होने वाले प्रार्थना-पत्रों की नियमित रूप से समीक्षा कर उनका गुणवत्तापूर्ण निस्तारण सुनिश्चित कराएं।


डीएम ने सभी अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रार्थना-पत्रों का निस्तारण इस प्रकार से करायें कि फरियादी भी की गयी कार्यवाही से संतुष्ट हो जाएं और उन्हें दोबारा भाग-दौड़ न करनी पड़े। उन्होंने निर्देश दिया कि लम्बित सभी सन्दर्भांे का तत्काल निस्तारण कराया जाय। पुलिस अधीक्षक अभिनन्द ने भी फरियादियों के प्रार्थना पत्रों पर सुनवई करते हुए पुलिस अधिकारियों को निर्देषित किया कि विभाग से संबधित षिकायतों को गम्भीरता से सुने और त्वरित निस्तारण करें। तहसील सदर में आयोजित सम्पूर्ण समाधान दिवस में कुल 47 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए। राजस्व विभाग से सम्बन्धित 19 प्रार्थना पत्र, पुलिस विभाग से सम्बन्धित 09 प्रार्थना पत्र, विकास विभाग से सम्बन्धित 09 प्रार्थना पत्र, विद्युत विभाग से सम्बन्धित 05 प्रार्थना पत्र, गन्ना विभाग से संबंधित 03 प्रार्थना पत्र तथा अन्य विभाग से सम्बन्धित 02 प्रार्थना पत्र प्रस्तुत हुए। मौके पर कुल 06 प्रार्थना पत्रों का निस्तारण किया गया।

सम्पूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. राजीव निगम, डीएफओ डा. षिरीन, पीडी राजेष कुमार, उप जिलाधिकारी शत्रुध्न पाठक, उपनिदेशक कृषि अषोक कुमार गौतम, जिला समाज कल्याण अधिकारी लालजी यादव, मत्स्य अधिकारी संदीप वर्मा, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी रेखा गुप्ता, मुख्य पषुचिकित्साधिकारी डा. ए.के. गुप्ता, डीपीआरओ धनष्याम सागर, डीएचओ अरूण कुमार त्रिपाठी, जिला पूर्ति अधिकारी विमल कुमार शुक्ला, बीएसए अनूप तिवारी सहित जनपद स्तरीय अधिकारी मौजूद रहे।

‘कब’ तक ‘ठगबाजों’ के ‘चंगुल’ में ‘छटपटा’ रहेगा ‘बेरोजगार’?


बस्ती। कोई दिन ऐसा नहीं बीतता जिस दिन थानों में नौकरी के नाम पर ठगी करने का मुकदमा न दर्ज होता हो। किसी-किसी दिन तो चार से पांच मुकदमा दर्ज हो जाता। पुलिस तो मुकदमा दर्ज कर लेती है, लेकिन बहुत कम ठगबाज पकड़ में आते है। छोटे ठगबाज तो पकड़ लिए जाते हैं, लेकिन नटवरलाल टाइप के लोग पकड़ में नहीं आते। नौकरी के नाम पर लाखों देने वाले बेरोजगार अच्छी तरह जानते हैं, कि जब उन्हें सरकार नौकरी दे पा रही है, तो यह ठगबाज कहां से नौकरी दिलवाएगें, फिर खेत मकान और जेवर बेचकर लाखों दे देते है। नौकरी पाने का सपना जब उनका टूटता है, जब उन्हें पता चलता है, कि वह तो ठगी का षिकार हो चुका है, जब तक उसे असलियत का पता चलता तब तक ठगबाज घरबार छोड़ इतनी दूर चले जाते हैं, कि पुलिस भी उन तक नहीं पहुंच पाती। एक अनुमान के अनुसार जिले में हर माह नौकरी के नाम पर लगभग पांच सौ से अधिक ठगे जाते है। ठगबाजों के जेब में 15 से 20 करोड़ जाता है। सबसे अधिक ठगी का षिकार और मुकदमा लालगंज थाने में ही लिखा जाता है। उेसा लगता है, तो मानो ठगबाजों के लिए लालगंज थाना क्षेत्र स्वर्ग साबित हो रहा है। हाल ही में जितेंद्र श्रीवास्तव उर्फ नाई निवासी थाल्हापार 46 करोड़ लेकर फरार हो गया। इसी थाने में 14 नवंबर 25 को नौकरी के नाम पर ठगी करने का दो मुकदमा कायम हुआ, जिसमें बनकटी ब्लाक के विपक्षी द्वारा वादी से नौकरी दिलाने के नाम पर 22 जुलाई .24 को 1.50 लाख और 24 जुलाई 24 को 1.50 लाख उत्तर प्रदेश स्कील डेवलपमेन्ट मिशन में बतौर ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर का फर्जी नियुक्त प्रमाण देना इस बात को लेकर वादी द्वारा प्रतिवादी उपरोक्त से कहने पर कि फर्जी नियुक्ति प्रमाण क्यों दिये हो तो आश्वासन देना की ग़ड़बङ नहीं है और फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र की बात को कहने पर फोन पर माँ बहन की गाली गुप्ता देना व जान से मारने की धमकी देने व पैसा वापस न देने के सम्बन्ध में राधेश्याम निवासी ग्राम कनेहटी पोस्ट खरका थाना लालगंज, जय सिंह उर्फ चिन्कू पुत्र सूबेदार सिंह निवासी राजू शर्मा पुत्र स्व0 अखिलेश शर्मा ( मकान मालिक ) मकान न0 385, सेक्टर ए सैनिक बिहार कालोनी गोरखपुर और सचिवालय में चतुर्थ क्लास की नौकरी में लगवाने के नाम पर पैसा लेना तथा नौकरी न दिलाने पर वादी द्वरा अपना पैसा मांगने पर गाली गुप्ता देते हुए फर्जी मुकदमे में जेल भिजवाने की धमकी देने के आरोप में दीपक चौधरी पुत्र राधेश्याम चौधरी ग्राम धौरुखोर थाना लालगंज की ओर से अजय प्रताप चौधरी पुत्र स्व इन्द्रजीत चौधरी ग्राम बेनीपुर, थाना-कलवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करया। इसी तरह मुंडेरवा थाने में एकमा 06 किमी दक्षिण-पूर्व विपक्षी द्वारा वादी से कुल लगभग 2 लाख रुपया लेकर नौकरी दिलाने का वादा करना तथा नौकरी न दिलाने पर वादी द्वारा अपना पैसा मांगने पर जान माल की धमकी देने के आरोप में राजकुमार पुत्र उध्दव प्रसाद साकिन एकमा थाना मुण्डेरवा जनपद बस्ती उम्र 35 वर्ष उपेन्द्रनाथ दूबे पुत्र गंगाराम दूबे साकिन सोनूपार थाना कोतवाली के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।

 



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