‘खरे’ परिवार पर ‘करोड़ों’ का ‘आरोप’ लगाने वाले ‘क्यों’ नहीं ‘दर्ज’ कराते ‘केस’?
-कोई कहता उधार के नाम करोड़ों दिया तो कोई कहता नौकरी के नाम पर 50 लाख दिया, कौन सी नौकरी के नाम पर इतनी बड़ी दी नहीं बताया, लेकिन कोई यह नहीं बता रहे हैं, कि पैसा कारोबार में लगाने को दिया
-कोई यह नहीं कहता है, कि उसे 70-80 लाख के बदले तीन करोड़ से मिला, कोई यह भी नहीं कहता, कि उसे 20 लाख के बदले 36 लाख मिला, जिसे अधिक मिला वह और अधिक पाने के लिए सोषल मीडिया का सहारा ले रहा, और जिसे मूलधन भी नहीं मिला, वह उफ तक नहीं कर रहाउ
-अगर अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प जीतने के बाद कंपनी के कारोबार पर रोक न लगाते तो आज कोई किसी पर आरोप नहीं लगाता, और चुपचाप मुनाफा कमाते रहते
-बकाया वसूली के लिए कोई धरने पर बैठता तो कोई सोषल मीडिया पर लाइव आकर चिल्लाता, तो कोई सुसाइड करने की धमकी देता, अपनी बर्बादी के लिए कथित पीड़ित द दिव्यांशु खरे को दोषी मान रहें
दिव्यांशु खरे खुद लाइव आकर नमन श्रीवास्तव सहित अन्य पर करोड़ों हड़पने का आरोप लगाते हुए लगभग तीन माह पहले ही एफआईआर दर्ज की तहरीर कोतवाली में दे चुके
चूंकि कारोबार के लिए सभी लोगों ने दिव्यांशु खरे के खाते से लेन-देन किया, इस लिए सबसे अधिक जबावदेही दिव्याषुं खरे की ही बनती, भले ही इन्होंने सबसे अधिक तीन करोड़ लगाया, मुनाफा भी उसी हिसाब से कमाया
के नाम पर पैसा मांगता
बस्ती। देखा जाए तो आज सबसे अधिक अनूप खरे का परिवार चर्चा का विषय बना हुआ है। भले ही करोड़ों के लेन-देन में अनूप खरे की कोई भूमिका न हो, लेकिन नामचीन होने के नाते अवष्य इनका नाम सामने आ रहा है। अनूप खरे का आज भी कहना है, कि लेन-देन के इस मामले में उनका दूर-दूर तक कोई रिष्ता नहीं हैं, जो भी लेन-देन/कारोबार हुआ, वह उनके भतीजे दिव्यांशु खरे और आरोप लगाने वालों के बीच हुआ। इसकी पुष्टि दिव्यांशु खरे भी करते हैं, और कहते भी हैं, कि इस मामले में उनके चाचा का कोई भी रोल नहीं, चाचा की छवि खराब करने के लिए ही उनके साथ चाचा का नाम लिया जा रहा है, ताकि दबाव में आकर इच्छित धनराषि वसूल की जा सके। आज तक लोगों को यह समझ में नहीं आया कि इतनी बड़ी रकम का लेन-देन उधार/ब्याज पर किया गया, या फिर आनलाइन टेडिगं के नाम पर मुनाफा कमाने के लिए दिव्याषुं खरे के खाते में दिए गए। इस बात का खुलासा आज तक किसी आरोपी ने भी नहीं किया। सवाल उठ रहा है, कि बकौल आरोपी जब दिव्यांशु खरे ने उनका करोड़ों हड़प लिया, तो लगभग दो साल होने को हैं, क्यों नहीं अभी तक एफआईआर लिखवाया, एफआईआर लिखवाने की तो बात ही छोड़ दीजिए, तहरीर और एक षिकायत तक नहीं किया, क्यों नहीं किया? यह चर्चा का विषय बना हुआ। सवाल यह भी उठ रहा है, कि क्यों दिव्यांशु खरे की ओर से लगभग तीन माह पहले आरोप लगाने वाले रत्नाकर श्रीवास्तव उर्फ आदर्श श्रीवास्तव एवं अभिषेक सिंह के खिलाफ तहरीर दी गई? क्यों नहीं यही तहरीर दिव्यांशु खरे के खिलाफ दी गई, जब यही सवाल अभिषेक सिंह से किया गया तो उन्होंने कहा कि वापसी होने की उम्मीद में उन लोगों ने अभी तक कानून का सहारा नहीं लिया, लेकिन अब लेने जा रहे है।
कोई कहता, कि उधार के नाम करोड़ों दिया तो कोई कहता कि नौकरी के नाम पर 50 लाख दिया, कौन सी नौकरी के नाम पर इतनी बड़ी रकम दिया, यह नहीं बताते। लेकिन कोई यह भी नहीं बता रहा है, कि पैसा, कारोबार में लगाने को दिया, या फिर ब्याज पर दिया। ब्याज की बात तो आदर्ष श्रीवास्तव और नमन श्रीवास्तव के हाथ से लिखे उस हिसाब से होता है, जिसमें ब्याज के रकम को देने की बात कही गई। कोई यह नहीं कहता है, कि उसे 70-80 लाख के बदले तीन करोड़ क्यों और कैसे मिला? कोई यह भी नहीं कहता, कि उसे 20 लाख के बदले 36 लाख क्यों और कैसे मिला? जिसे अधिक मिला वह और अधिक पाने के लिए सोषल मीडिया का सहारा लिया, और जिसे मूलधन भी नहीं मिला, वह उफ तक नहीं कर रहा। कहा जाता है, कि अगर अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड टंप जीतने के बाद कंपनी के कारोबार पर रोक न लगाते तो आज कोई किसी पर आरोप नहीं लगाता, और चुपचाप मुनाफा कमाते रहते। आज भी एक दो लोग हैं, जिन्हें कंपनी के फिर से चालू होने की उम्मीद है। इसी आस में वह पैसा वापस नहीं मांग रहे हैं। हालत यह हो गई कि बकाया वसूली के लिए कोई धरने पर बैठ रहा तो कोई सोषल मीडिया पर लाइव आकर चिल्ला रहा, तो कोई गोली मारकर सुसाइड करने की धमकी देकर वसूलना चाहता। कहना गलत नहीं होगा कि आजकल लोग घर जाकर या फिर आपस में मिल बैठकर हिसाब नहीं करना चाहते, बल्कि सोषल मीडिया के जरिए अपनी बर्बादी का ठीकरा एक दूसरेे पर फोड़ना चाहतें। जब करोड़ों का लेन-देन किया गया और मुनाफा कमाया गया तो कोई नहीं जान पाया, और जब डूबा तो पूरी दुनिया जान गई। आज कथित पीड़ित, दिव्यांषु खरे को ही अपनी बर्बादी का कारण मान रहा है। दिव्याषुं खरे खुद लाइव पर आकर नमन श्रीवास्तव सहित अन्य पर करोड़ों हड़पने का आरोप लगाते हुए लगभग तीन माह पहले ही एफआईआर दर्ज की तहरीर कोतवाली में दे चुके। चूंकि कारोबार के लिए सभी लोगों ने दिव्यांषु खरे के खाते से लेन-देन किया, इस लिए सबसे अधिक जबावदेही दिव्याषुं खरे की ही बनती, भले ही इन्होंने सबसे अधिक पैसा लगाया, लेकिन मुनाफा भी उसी हिसाब से कमाया होगा, लेकिन आरोपों से यह नहीं बच सकते हैं, अगर दिव्यांषु खरे लाइव पर आकर नमन श्रीवास्तव सहित अन्य पर आरोप न लगाते तो षायद नमन श्रीवास्तव भी दो बार लाइव पर आकर दिव्यांषु खरे पर हमला न बोलते, और न अभिषेक सिंह, सीएमएस स्कूल के गेट पर यह कहते हुए धरने पर बैठते कि जब तक उनका पूरा पैसा नहीं मिल जाता, वह यहां से नहीं जाएगें, यह अलग बात हैं, कि धरने पर बैठने का इन्हें एक रुपये का भी लाभ नहीं हुआ। इसी धरने पर बेैठकर इन्होंने अनूप खरे पर नौकरी के नाम पर 50 लाख लेने का आरोप लगाया था। देखा जाए तो कुल मिलाकर सबसे अधिक बदनामी खरे परिवार की ही हो रही है। इस पूरे मामले को हवा देने में एक नामचीन श्रीवास्तव का नाम भी सबसे अधिक सामने आ रहा है। कहा जाता है, कि यह व्यक्ति खरे परिवार को सामने करके अपना बदला लेना चाहता है। क्यों कि इन्हें लगता है, कि उनके खिलाफ जो एफआईआर दर्ज हुआ, उसमें अनूप खरे का बहुत बड़ा हाथ है। यह सही है, कि जिस व्यक्ति के खिलाफ फ्राड के आरोप में केस दर्ज हुआ, उसने कभी सपने भी नहीं सोचा था, कि उसके खिलाफ भी कोई मुकदमा दर्ज करा सकता हैं, क्यों कि इनके पास पावर और मनी दोनों है।
‘सीएमओ’ को ‘बेच’ रहें ‘डा. एसबी सिंह’ और ‘डा. एके चौधरी’ःचंद्रेश सिंह
बस्ती। भ्रष्टाचार के खिलाफ निरंतर हमला बोलने वाले भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेश प्रताप सिंह का कहना है, कि सीएमओ अत्यंत सज्जन और सरल व्यक्ति हैं और इनकी सरलता और सहजता सज्जनता को वसूली अधिकारी के नाम पर चर्चित दोनों नोडल डॉ. एके चौधरी व डॉ एसबी सिंह बेच रहे हैं। इन दोनों के बारे में कहावत मशहूर हैं कोई काम बिना पैसे लिए नहीं करते हैं। सही काम कराने वाले को दौड़ाते हैं, गलत काम करवाने वालों को बगल में बैठाकर चाय-पानी करवाते है। जिले के यह दोनों पहले अधिकारी है, जिनसे कुछ भी करवा लो बस चढ़ावा वजनदार होना चाहिए। रफीउद्दीन खान की फोटो कापी एक्स-रे टेक्नीशियन की डिग्री कूटरचित तरीके से फ्राड कर लगाने वाले मेडीवर्ल्ड हास्पिटल के प्रबंध संचालक निदेशक व रेडक्रास सोसायटी बस्ती के सभापति डॉ. प्रमोद कुमार चौधरी का पंजीकरण निरस्त किया, करारा दाम वसूला और फिर से पंजीकरण कर दिया। जबकि एक्स-रे टेक्नीशियन रफीउद्दीन खान के शिकायत का निस्तारण नहीं हुआ, गलत को सही बनाकर जांच रिपोर्ट अना दिया, और पंजीकरण कर दिया। कहते हैं, कि डॉ एके चौधरी डॉ एसबी सिंह अपने वरिष्ठ अधिकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पैसे के आगे कुछ नहीं समझते बल्कि यह दोनों सीएमओ को अपने जूते की नोक पर रखते हैं।
भयमुक्त हो कर भ्रष्टाचार करते हैं। डा. एके चौधरी के संरक्षण में तमाम झोला छाप डॉक्टर अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर फल फूल रहे हैं। वहीं डॉ. एसबी सिंह के संरक्षण में मानकविहीन हास्पिटल संचालित हो रहें है। आंकड़े के हिसाब से पूरे जिले में लगभग 10-15 हजार अयोग्य झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है नाम न बताने के आश्वासन पर सीएमओ कार्यालय का एक स्टाफ ने बताया कि प्रति झोलाछाप डॉक्टर तीन हजार रुपए प्रति माह और प्रति अल्ट्रासाउंड सेंटर पांच हजार डाक्टर एके चौधरी को देते हैं, कहते हैं, कि डा. चौधरी से थोड़ा कम कमाई डॉ. एसबी सिंह की है। इनको प्रति लैब 2-3 हजार प्रतिमाह और अवैध संचालित अस्पतालों से 10-15 हजार की वसूली है और हास्पिटल रजिस्ट्रेशन में 40-50 हजार सब मिलाकर लगभग 50 लाख की अवैध कमाई प्रति माह दो नोडल अधिकारी करते है। कहते हैं, कि सीएमओ की सिधाई सज्जनता ने इन दोनों को लूटने का बड़ा अवसर प्रदान कर रहा। इनके कृत्यों से सीएमओ बदनाम हो रहे है। कहते हैं, कि अगर सीएमओ को चाहिए कि अपनी छवि बचाने के लिए तत्काल इन दोनों अधिकारियों को दिए प्रभार को वापस ले लेना चाहिए और किसी योग्य ईमानदार थोड़ा कम ईमानदार को प्रभारी बनाना चाहिए। कहते हैं, कि इन दोनों के चलते सीएमओ साहब को कहीं तत्कालीन सीएमओ डॉ आरसजू1ेउबएस दूबे की तरह दषं न झेलना पड़े। कहते हैं, कि अगर रफीद्दीन खान को न्याय नहीं मिला तो न्यायिक कार्यवाही को झेलने के लिए तैयार रहें। किसी एक महान व्यक्ति ने एक बार कहा था कि हमारा देश एक समृद्ध देश है, लेकिन यहां की जनता गरीब है। अफसोस की बात यह है कि यह कथन आज भी प्रसांगिक बना हुआ है। कहा जा रहाउब है कि हमारे देश ने विगत वर्षों में आर्थिक स्तर पर व्यापक विकास किया है, लेकिन एक कटु सत्य है कि बढ़ते भ्रष्टाचार ने देश को गरीबी के गर्त में और धकेला है। देश एक लोकतांत्रिक देश है, जहां सरकारें व्यापक स्तर पर कल्याणकारी योजनाओं को लागू करती हैं। लेकिन इन योजनाओं को सफल बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सरकारी संस्थानों की होती है और इनमे बैठी नौकरशाही इसका संचालन करती है। अफसोसजनक स्थिति यह है कि भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आए लोग ही भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए काम मे लगाए गए हैं। भारत जैसे देश मे भ्रष्टाचार के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। मसलन, प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही, निष्पक्षता, संवेदनशीलता आदि गुणों का क्षरण होना दूसरा कारण है। राजनीतिक और प्रशासनिक, दोनों ही स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार तीसरा कारण है। केंर्द्रीकृत प्रणाली का दिन-प्रतिदिन विस्तार होना और भ्रष्टाचार के लिए बनाए गए कानूनों के लागू होने में ढीलापन अन्य महत्त्वपूर्ण कारण हैं। इसके अलावा, नागरिक और सरकारी कर्मचारियो,दोनों के ही द्वारा कानूनों का अनुपालन नही होना भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। कहते हैं, कि अब वक्त आ गया है कि सरकारों को भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए व्यापक स्तर पर मंथन करना चाहिए और इससे संबंधित कानूनों का फिर से निरीक्षण करना चाहिए। सरकार पहला कदम उठाए कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए बने कानूनों को सख्ती से लागू करवाए। दूसरा उपाय यह हो कि आरटीआई कानून में जरूरी सुधार करके इसे और मजबूत बनाया जाए और इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। कुछ दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन यह कानून अपने आप में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का लगाने का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है।सरकारी संस्थाओं का राजनीतिकरण नहीं होने देना सबसे जरूरी है, ताकि वे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा न दे सकें। फिर शिकायतों से संबंधित जटिल नियमों को और सरल बनाने की जरूरत है, ताकि आमजन भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने में सहज महसूस करे।
भयमुक्त हो कर भ्रष्टाचार करते हैं। डा. एके चौधरी के संरक्षण में तमाम झोला छाप डॉक्टर अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटर फल फूल रहे हैं। वहीं डॉ. एसबी सिंह के संरक्षण में मानकविहीन हास्पिटल संचालित हो रहें है। आंकड़े के हिसाब से पूरे जिले में लगभग 10-15 हजार अयोग्य झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है नाम न बताने के आश्वासन पर सीएमओ कार्यालय का एक स्टाफ ने बताया कि प्रति झोलाछाप डॉक्टर तीन हजार रुपए प्रति माह और प्रति अल्ट्रासाउंड सेंटर पांच हजार डाक्टर एके चौधरी को देते हैं, कहते हैं, कि डा. चौधरी से थोड़ा कम कमाई डॉ. एसबी सिंह की है। इनको प्रति लैब 2-3 हजार प्रतिमाह और अवैध संचालित अस्पतालों से 10-15 हजार की वसूली है और हास्पिटल रजिस्ट्रेशन में 40-50 हजार सब मिलाकर लगभग 50 लाख की अवैध कमाई प्रति माह दो नोडल अधिकारी करते है। कहते हैं, कि सीएमओ की सिधाई सज्जनता ने इन दोनों को लूटने का बड़ा अवसर प्रदान कर रहा। इनके कृत्यों से सीएमओ बदनाम हो रहे है। कहते हैं, कि अगर सीएमओ को चाहिए कि अपनी छवि बचाने के लिए तत्काल इन दोनों अधिकारियों को दिए प्रभार को वापस ले लेना चाहिए और किसी योग्य ईमानदार थोड़ा कम ईमानदार को प्रभारी बनाना चाहिए। कहते हैं, कि इन दोनों के चलते सीएमओ साहब को कहीं तत्कालीन सीएमओ डॉ आरसजू1ेउबएस दूबे की तरह दषं न झेलना पड़े। कहते हैं, कि अगर रफीद्दीन खान को न्याय नहीं मिला तो न्यायिक कार्यवाही को झेलने के लिए तैयार रहें। किसी एक महान व्यक्ति ने एक बार कहा था कि हमारा देश एक समृद्ध देश है, लेकिन यहां की जनता गरीब है। अफसोस की बात यह है कि यह कथन आज भी प्रसांगिक बना हुआ है। कहा जा रहाउब है कि हमारे देश ने विगत वर्षों में आर्थिक स्तर पर व्यापक विकास किया है, लेकिन एक कटु सत्य है कि बढ़ते भ्रष्टाचार ने देश को गरीबी के गर्त में और धकेला है। देश एक लोकतांत्रिक देश है, जहां सरकारें व्यापक स्तर पर कल्याणकारी योजनाओं को लागू करती हैं। लेकिन इन योजनाओं को सफल बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका सरकारी संस्थानों की होती है और इनमे बैठी नौकरशाही इसका संचालन करती है। अफसोसजनक स्थिति यह है कि भ्रष्टाचार की गिरफ्त में आए लोग ही भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए काम मे लगाए गए हैं। भारत जैसे देश मे भ्रष्टाचार के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। मसलन, प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही, निष्पक्षता, संवेदनशीलता आदि गुणों का क्षरण होना दूसरा कारण है। राजनीतिक और प्रशासनिक, दोनों ही स्तर पर व्यापक भ्रष्टाचार तीसरा कारण है। केंर्द्रीकृत प्रणाली का दिन-प्रतिदिन विस्तार होना और भ्रष्टाचार के लिए बनाए गए कानूनों के लागू होने में ढीलापन अन्य महत्त्वपूर्ण कारण हैं। इसके अलावा, नागरिक और सरकारी कर्मचारियो,दोनों के ही द्वारा कानूनों का अनुपालन नही होना भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। कहते हैं, कि अब वक्त आ गया है कि सरकारों को भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए व्यापक स्तर पर मंथन करना चाहिए और इससे संबंधित कानूनों का फिर से निरीक्षण करना चाहिए। सरकार पहला कदम उठाए कि भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए बने कानूनों को सख्ती से लागू करवाए। दूसरा उपाय यह हो कि आरटीआई कानून में जरूरी सुधार करके इसे और मजबूत बनाया जाए और इसके उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। कुछ दुरुपयोग हो सकता है, लेकिन यह कानून अपने आप में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का लगाने का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है।सरकारी संस्थाओं का राजनीतिकरण नहीं होने देना सबसे जरूरी है, ताकि वे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण और भ्रष्टाचार को बढ़ावा न दे सकें। फिर शिकायतों से संबंधित जटिल नियमों को और सरल बनाने की जरूरत है, ताकि आमजन भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत करने में सहज महसूस करे।
‘ऑनलाइन’ हाजिरी के ‘नाम’ पर हो रहा ‘शिक्षकों’ का ‘उत्पीड़न’ःउदयशंकर शुक्ल
बस्ती। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष उदय शंकर शुक्ल के नेतृत्व में शिक्षकों के प्रतिनिधिमण्डल, पदाधिकारियों ने जिलाधिकारी को सम्बोधित ज्ञापन उनके प्रशासनिक अधिकारी और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अनूप कुमार तिवारी को सौंपा। मांग किया कि छात्रों की ऑन लाइन हाजिरी के नाम पर शिक्षकों का उत्पीड़न बंद किया जाय। जब तक शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं हो जाता और प्रदेश नेतृत्व से निर्देश नहीं मिलता शिक्षक छात्रों की ऑन लाइन हाजिरी का बहिष्कार करेंगे।ज्ञापन देने के बाद संघ जिलाध्यक्ष उदय शंकर शुक्ल ने कहा कि छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर जनपद के सभी ब्लाकों में शिक्षकों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा है और नोटिस तथा वेतन रोकने की धमकी दी जा रही है, जबकि ऑनलाइन उपस्थिति को लेकर शासन द्वारा 10 नवम्बर, 2025 को शासन स्तर पर 16 सदस्यीय कमेटी बनायी गयी है, जो ऑनलाइन उपस्थिति पर प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी। गठित समिति की प्रथम बैठक दिनांक 13.11.2025 को अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन की अध्यक्षता में हो चुकी ही।
अभी वार्ता और प्रस्ताव विचाराधीन है। कहा कि बीएसए सम्बन्धित को निर्देशित करें कि समिति के निर्णय होने तक ऑनलाइन उपस्थिति के लिए दबाव बनाकर असहज परिस्थिति न उत्पन्न करें। यदि शिक्षकों का अकारण उत्पीड़न बंद न हुआ तो संघ आन्दोलन को बाध्य होगा। यह जानकारी देते हुये संघ के जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ल ने बताया कि ज्ञापन देने के दौरान मुख्य रूप से जिला मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, कोषाध्यक्ष अभय सिंह यादव, विजय प्रताप वर्मा, बृजेश कुमार पाण्डेय, शिवम शुक्ल, आदित्य तिवारी, जया यादव आदि उपस्थित रहे।
अभी वार्ता और प्रस्ताव विचाराधीन है। कहा कि बीएसए सम्बन्धित को निर्देशित करें कि समिति के निर्णय होने तक ऑनलाइन उपस्थिति के लिए दबाव बनाकर असहज परिस्थिति न उत्पन्न करें। यदि शिक्षकों का अकारण उत्पीड़न बंद न हुआ तो संघ आन्दोलन को बाध्य होगा। यह जानकारी देते हुये संघ के जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ल ने बताया कि ज्ञापन देने के दौरान मुख्य रूप से जिला मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, कोषाध्यक्ष अभय सिंह यादव, विजय प्रताप वर्मा, बृजेश कुमार पाण्डेय, शिवम शुक्ल, आदित्य तिवारी, जया यादव आदि उपस्थित रहे।
शरीर दान करने वाली प्रभावती को 23 को दी जाएगी श्रद्धांजलि
बस्ती। राम प्रसाद स्मारक सामाजिक विकास संस्थान की बैठक में मानवता और विज्ञान के विकास हेतु मृत्योपरांत अपना शरीर वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज को दान करने वाली स्वर्गीय प्रभावती देवी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। ज्ञात हो कि 26 दिसंबर 2024 को श्रीमती प्रभावती देवी पत्नी दयाराम चौधरी ने महर्षि वशिष्ठ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, बस्ती में मृत्योपरांत देहदान हेतु पंजीकरण कराया था, ताकि मेडिकल कॉलेज में प्रशिक्षु छात्रों को प्रैक्टिकल ज्ञान प्राप्त हो सके। उनके इस निर्णय ने समाज को एक अनुकरणीय प्रेरणा प्रदान की।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने कहा कि मेडिकल छात्रों के अध्ययन हेतु मृत शरीर को दान करना एक महान कार्य है, लोगों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रेस क्लब संरक्षक प्रकाश चंद गुप्ता ने भी स्वर्गीय प्रभावती देवी के देहदान की सराहना करते हुए उन्हें महान आत्मा बताया। उन्होंने कहा कि आगामी 23 नवंबर को सायंकाल उनकी स्मृति में एक वृहद शोकसभा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें परिजनों का सम्मान और शोक संतप्त परिवार के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाएगी। बैठक राम प्रसाद भवन, गांधी नगर, बस्ती में संपन्न हुई। अध्यक्षता प्रेस क्लब संरक्षक प्रकाश चंद्र गुप्ता ने तथा संचालन प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने किया। इस दौरान राकेश तिवारी, लवकुश सिंह, राजेश पांडे, वशिष्ठ पांडेय, राजेंद्र उपाध्याय, सर्वेश श्रीवास्तव, राकेश गिरी, राघवेंद्र सिंह, विवेक गुप्ता, सुनील मिश्रा सहित कई लोग उपस्थित रहे।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने कहा कि मेडिकल छात्रों के अध्ययन हेतु मृत शरीर को दान करना एक महान कार्य है, लोगों को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए। प्रेस क्लब संरक्षक प्रकाश चंद गुप्ता ने भी स्वर्गीय प्रभावती देवी के देहदान की सराहना करते हुए उन्हें महान आत्मा बताया। उन्होंने कहा कि आगामी 23 नवंबर को सायंकाल उनकी स्मृति में एक वृहद शोकसभा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें परिजनों का सम्मान और शोक संतप्त परिवार के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाएगी। बैठक राम प्रसाद भवन, गांधी नगर, बस्ती में संपन्न हुई। अध्यक्षता प्रेस क्लब संरक्षक प्रकाश चंद्र गुप्ता ने तथा संचालन प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद कुमार उपाध्याय ने किया। इस दौरान राकेश तिवारी, लवकुश सिंह, राजेश पांडे, वशिष्ठ पांडेय, राजेंद्र उपाध्याय, सर्वेश श्रीवास्तव, राकेश गिरी, राघवेंद्र सिंह, विवेक गुप्ता, सुनील मिश्रा सहित कई लोग उपस्थित रहे।


