‘पांच सौ’ का काम, ‘पांच हजार’ में हो ‘रहा’
-कौन कहता, कि रामराज है, होता तो गरीब खाए बिना नहीं मरते, बेरोजगारी न होती और न नौजवान सड़क पर घूमते, आखिर नौजवान डकैती नहीं डालेगें और लूटपाट नहीं करेगें तो करेेगें क्या
-सरकार का न विकास और न रोजगार उपलब्ध कराने पर ध्यान, यह हम नहीं बल्कि महादेवा क्षेत्र की गरीब जनता कह रही, सवाल कर रही है, कि क्यों आप ऐसी सरकार का हिस्सा हैं, जो सरकार गरीबों को बुनियादी सुविधा नहीं उपलब्ध करा पा रही
-हम तो गांव-गांव और गली-गली घूमते, भ्रष्टाचार गली और मोहल्लों में घुस चुकी, अधिकारी लूट रहे, गांव का हर एक आदमी परेषान, गरीबी बेरोजगारी है, बाढ़ आता, तो गांव का गांव बह जाता, यही बात हमने सदन में सरकार से कही, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं
-सदन में दो बार हर ब्लॉक में फायर स्टेषन की मांग उठा चुका हूं, कह चुका हूं, फायर स्टेषन के न होने से हर साल करोड़ों की फसलें जलकर स्वाहा हो रही हैं, फिर भी सरकार ने न तो उनकी आवाज सुनी और न किसानों का दर्द ही सुना
-हम झूठ नहीं बोलते, हम जनता के हैं, उस सरकार के नहीं जो गरीब जनता की आवाज तक नहीं सुनती, आखिर जनता के प्रति हमारी भी कोई जिम्मेदारी है, कि नहीं? सरकार हम्हें नहीं जीताती जनता हम्हें विधायक बनाती
बस्ती। महादेवा विधानसभा क्षेत्र के ओमप्रकाष राजभर पार्टी के दूधराम पहले ऐसे विधायक हैं, जिनका दावा है, कि उनका अधिकांष समय क्षेत्र के गांव की गलियों में गरीब जनता के साथ बीतता है। भले ही इनका अधिकांष समय जनता के बीच में बीते, लेकिन इनका नाम भी उन विधायकों में षामिल हो गया, जो सरकार का हिस्सा होने के बाद भी सरकार इनकी नहीं सुनती। बेबाकी से कहते हैं, कि ऐसी सरकार का हिस्सा बनने से क्या फायदा जो गरीबों की नहीं सुनती। एक सवाल के जबाव में कहते हैं, कि कौन कहता, कि प्रदेष में रामराज है, होता तो गरीब खाए बिना नहीं मरते, बेरोजगारी न होती और न नौजवान सड़क पर घूमते, ऐसे में अगर नौजवान डकैती नहीं डालेगें और लूटपाट नहीं करेगें तो करेेगें क्या? दुखी मन से कहते हैं, कि सरकार का न विकास और न रोजगार उपलब्ध कराने पर ध्यान, यह हम नहीं बल्कि महादेवा क्षेत्र की गरीब जनता कह रही, हमसे सवाल कर रही है, कि क्यों आप ऐसी सरकार का हिस्सा हैं, जो सरकार गरीबों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं, ऐसी सरकार का साथ क्यों दे रहे हैं, जो सदन में आपकी की नहीं सुनती? कहा कि हम तो गांव-गांव और गली-गली घूमते है। जोर देकर कहते हैं, कि भ्रष्टाचार गली और मोहल्लों में घुस चुका, अधिकारी लूट रहे, गांव का हर एक आदमी परेषान है, गरीबी, बेरोजगारी है, बाढ़ आता, तो गांव का गांव बह जाता, यही बात हमने सदन में सरकार से कही, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं। कहा कि सदन में दो बार हर ब्लॉक में फायर स्टेषन स्थापित करने की मांग उठा चुकें हैं, कह चुका हूं, कि फायर स्टेषन के न होने से हर साल करोड़ों की फसलें जलकर स्वाहा हो जा रही हैं, जब तक बस्ती मुख्यालय से फायर बिग्रेड की गाड़ी पहुंचती तब तक न जाने कितने गरीब किसान बर्बाद हो चुके होते है। फिर भी सरकार ने न तो उनकी आवाज सुनी और न किसानों का दर्द ही जाना। कहते हैं, कि हम झूठ नहीं बोलते, हम जनता के हैं, उस सरकार के नहीं जो गरीब जनता की आवाज तक नहीं सुनती, पूछते हैं, कि आखिर जनता के प्रति हमारी भी कोई जिम्मेदारी है, कि नहीं? जोर देकर कहते हैं, कि सरकार हम्हें नहीं जीताती, जनता हम्हें विधायक बनाती है। भले ही सरकार गरीबों की सुने न सुने कोई बात नहीं, लेकिन मैं क्षेत्र के हर वर्ग के दुख और सुख में षामिल रहने का प्रयास करता हूं। 112 की तरह मेरी भी गाड़ी क्षेत्र में घूमती रहती है, और सूचना मिलते ही 112 से पहले उनकी गाड़ी पीड़ितों के पास पहुंच जाती।
जनप्रतिनिधि के रुप में यह दर्द अकेले विधायक दूधराम का नहीं बल्कि सरकार के सभी सहयोगी और भाजपा के मंत्री और विधायकों का भी है। योगीजी जितना अफसरषाहों को तव्वौजो देते हैं, उतना अपने मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को नहीं देते, जिसके चलते सहयोगी और भाजपा के जनप्रतिनिधि दिन प्रति दिन कमजोर होते जा रहे है। जनता के बीच उनकी पकड़ ढ़ीली पड़ती जा रही है। जनता से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में कैसे जनता उन जनप्रतिनिधियों पर विष्वास करें और 27 में वोट देने की सोचे जो उनसे दूर होता जा रहा है। भाजपा के भीतरखाने से खबर आ रही है, कि अगर जिले से भाजपा का सफाया होता है, तो इसके लिए योगीजी और उनके चहेते अफसरषाहों को जिम्मेदार माना जाएगा। जब सरकार के सहयोगी पार्टी के विधायक यह कहें कि जो काम पहले पांच सौ रुपये में तहसीलों में होता था, अब उसी काम के लिए जरुरतमंदों को पांच हजार देना पड़ रहा है। इसके बाद भी अगर योगीजी यह कहें कि प्रदेष में रामराज है, तो फिर भगवान ही सरकार की रक्षा करें।फोटो-02
जनप्रतिनिधि के रुप में यह दर्द अकेले विधायक दूधराम का नहीं बल्कि सरकार के सभी सहयोगी और भाजपा के मंत्री और विधायकों का भी है। योगीजी जितना अफसरषाहों को तव्वौजो देते हैं, उतना अपने मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को नहीं देते, जिसके चलते सहयोगी और भाजपा के जनप्रतिनिधि दिन प्रति दिन कमजोर होते जा रहे है। जनता के बीच उनकी पकड़ ढ़ीली पड़ती जा रही है। जनता से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे में कैसे जनता उन जनप्रतिनिधियों पर विष्वास करें और 27 में वोट देने की सोचे जो उनसे दूर होता जा रहा है। भाजपा के भीतरखाने से खबर आ रही है, कि अगर जिले से भाजपा का सफाया होता है, तो इसके लिए योगीजी और उनके चहेते अफसरषाहों को जिम्मेदार माना जाएगा। जब सरकार के सहयोगी पार्टी के विधायक यह कहें कि जो काम पहले पांच सौ रुपये में तहसीलों में होता था, अब उसी काम के लिए जरुरतमंदों को पांच हजार देना पड़ रहा है। इसके बाद भी अगर योगीजी यह कहें कि प्रदेष में रामराज है, तो फिर भगवान ही सरकार की रक्षा करें।फोटो-02
‘एलआईसी’ में ‘पालिसी’ सरेंडर के ‘नाम’ पर हो रहा ‘खेल’
-सुविधा षुल्क दीजिए और ओरीजनल पालिसी सरेंडर किए बिना लाखों का भुगतान ले जाइए
-डा. ष्वेता गुप्ता के पालिसी सरेंडर और आठ लाख के भुगतान करने में फंसें एलआईसी बस्ती और देहरादून के षाखा प्रबंधक
-नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के ष्षाखा प्रबंधकों को दी गई कानूनी नोटिस
-कहा कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष्स होगा, क्यों कि इस मामले दोनों न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया
-कहा कि अगर डा. ष्वेता गुप्ता को की गई धनराषि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों षाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए
बस्ती। जिस तरह एलआईसी बस्ती और देहरादून के षाखा प्रबंधकों ने डा. ष्वेता गुप्ता नामक कथित फ्राड महिला की पालिसी बिना ओरीजनल पालिसी के सरेंडर किए उसका भुगतान कर दिया, उससे पता चलता है, कि एलआईसी में पालिसी सरेंडर और भुगतान के नाम पर कितना बड़ा खेल हो रहा है। पालिसी को बस्ती से देहरादून टासंफर करने और भुगतान करने के मामले में दोनों षाखा प्रबंधक फंसें हुए नजर आ रहे है। चूंकि यह मामला उच्चतम और उच्च न्यायालय में लंबित हैं, इस लिए और अधिक गंभीर माना जा रहा है। सूचना देने के बाद भी पालिसी की जांच और वास्तविक पते पर छानबीन किए बिना पालिसी को सरेंडर कर लेना और और आठ लाख का भुगतान कर देने के मामले में एलआईसी सवालों के घेरें में आ चुकी है। एक कथित फ्राड महिला के मात्र एक षपथ-पत्र पर एलआईसी के जिम्मेदारों के द्वारा सरेंडर और भुगतान कर देना यह दर्षाता है, कि यह कार्रवाई मिली भगत से की गई। इसके लिए नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के षाखा प्रबंधकों को कानूनी नोटिस देते हुए कहा हैं, कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष होगा, क्यों कि इस मामले को दोनों प्रबंधकों ने न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया, कहा कि अगर डा. ष्वेता गुप्ता को की गई धनराषि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों षाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए।
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‘एलआईसी’ में ‘पालिसी’ सरेंडर के ‘नाम’ पर हो रहा ‘खेल’
-सुविधा षुल्क दीजिए और ओरीजनल पालिसी सरेंडर किए बिना लाखों का भुगतान ले जाइए
-डा. ष्वेता गुप्ता के पालिसी सरेंडर और आठ लाख के भुगतान करने में फंसें एलआईसी बस्ती और देहरादून के षाखा प्रबंधक
-नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के ष्षाखा प्रबंधकों को दी गई कानूनी नोटिस
-कहा कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष्स होगा, क्यों कि इस मामले दोनों न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया
-कहा कि अगर डा. ष्वेता गुप्ता को की गई धनराषि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों षाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए
बस्ती। जिस तरह एलआईसी बस्ती और देहरादून के षाखा प्रबंधकों ने डा. ष्वेता गुप्ता नामक कथित फ्राड महिला की पालिसी बिना ओरीजनल पालिसी के सरेंडर किए उसका भुगतान कर दिया, उससे पता चलता है, कि एलआईसी में पालिसी सरेंडर और भुगतान के नाम पर कितना बड़ा खेल हो रहा है। पालिसी को बस्ती से देहरादून टासंफर करने और भुगतान करने के मामले में दोनों षाखा प्रबंधक फंसें हुए नजर आ रहे है। चूंकि यह मामला उच्चतम और उच्च न्यायालय में लंबित हैं, इस लिए और अधिक गंभीर माना जा रहा है। सूचना देने के बाद भी पालिसी की जांच और वास्तविक पते पर छानबीन किए बिना पालिसी को सरेंडर कर लेना और और आठ लाख का भुगतान कर देने के मामले में एलआईसी सवालों के घेरें में आ चुकी है। एक कथित फ्राड महिला के मात्र एक षपथ-पत्र पर एलआईसी के जिम्मेदारों के द्वारा सरेंडर और भुगतान कर देना यह दर्षाता है, कि यह कार्रवाई मिली भगत से की गई। इसके लिए नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के षाखा प्रबंधकों को कानूनी नोटिस देते हुए कहा हैं, कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष होगा, क्यों कि इस मामले को दोनों प्रबंधकों ने न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया, कहा कि अगर डा. ष्वेता गुप्ता को की गई धनराषि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों षाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए।
‘एलआईसी’ में ‘पालिसी’ सरेंडर के ‘नाम’ पर हो रहा ‘खेल’
-सुविधा षुल्क दीजिए और ओरीजनल पालिसी सरेंडर किए बिना लाखों का भुगतान ले जाइए
-डा.श्वेता गुप्ता के पालिसी सरेंडर और आठ लाख के भुगतान करने में फंसें एलआईसी बस्ती और देहरादून के षाखा प्रबंधक
-नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के ष्षाखा प्रबंधकों को दी गई कानूनी नोटिस
-कहा कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष्स होगा, क्यों कि इस मामले दोनों न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया
-कहा कि अगर डा. ष्वेता गुप्ता को की गई धनराषि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों षाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए
बस्ती। जिस तरह एलआईसी बस्ती और देहरादून के षाखा प्रबंधकों ने डा. ष्वेता गुप्ता नामक कथित फ्राड महिला की पालिसी बिना ओरीजनल पालिसी के सरेंडर किए उसका भुगतान कर दिया, उससे पता चलता है, कि एलआईसी में पालिसी सरेंडर और भुगतान के नाम पर कितना बड़ा खेल हो रहा है। पालिसी को बस्ती से देहरादून टासंफर करने और भुगतान करने के मामले में दोनों षाखा प्रबंधक फंसें हुए नजर आ रहे है। चूंकि यह मामला उच्चतम और उच्च न्यायालय में लंबित हैं, इस लिए और अधिक गंभीर माना जा रहा है। सूचना देने के बाद भी पालिसी की जांच और वास्तविक पते पर छानबीन किए बिना पालिसी को सरेंडर कर लेना और और आठ लाख का भुगतान कर देने के मामले में एलआईसी सवालों के घेरें में आ चुकी है।
एक कथित फ्राड महिला के मात्र एक षपथ-पत्र पर एलआईसी के जिम्मेदारों के द्वारा सरेंडर और भुगतान कर देना यह दर्षाता है, कि यह कार्रवाई मिली भगत से की गई। इसके लिए नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के षाखा प्रबंधकों को कानूनी नोटिस देते हुए कहा हैं, कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष होगा, क्यों कि इस मामले को दोनों प्रबंधकों ने न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया, कहा कि अगर डा. ष्वेता गुप्ता को की गई धनराषि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों षाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए।
एक कथित फ्राड महिला के मात्र एक षपथ-पत्र पर एलआईसी के जिम्मेदारों के द्वारा सरेंडर और भुगतान कर देना यह दर्षाता है, कि यह कार्रवाई मिली भगत से की गई। इसके लिए नवयुग मेडिकल सेंटर के डाक्टर अभिजात कुमार की ओर से देहरादून और बस्ती के षाखा प्रबंधकों को कानूनी नोटिस देते हुए कहा हैं, कि अगर प्रकरण की जांच नहीं हुई तो वह उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के संज्ञान में लाने को विवष होगा, क्यों कि इस मामले को दोनों प्रबंधकों ने न्यायालयों को भी अंधकार में रखा गया, कहा कि अगर डा. ष्वेता गुप्ता को की गई धनराषि की रिकवरी नहीं हुई तो दोनों षाखा प्रबंधकों के खाते से आठ लाख की वसूली की जाए।
मुख्य प्रबंधक भारतीय जीवन बीमा निगम देहरादून और बस्ती को भेजे गए नोटिस में कहा गया कि सभी पालिसी की मूल प्रति मेरे स्थाई निवास पर उपलब्ध है। कहा गया कि डा. ष्वेता गुप्ता एवं षाखा प्रबंधक 241/283 आपसी साजिष से झूठा षपथ-पत्र प्रस्तुत करके कुछ पालिसी का स्थानांतरण फ्राड की सूचना ई-मेल के जरिए कार्यालय में दर्ज करा दिया गया था। पत्र में उक्त पालिसी में हुई फ्राड की जांच किसी उच्च अधिकारी के द्वारा कराई जाए, एवं दोनों षाखा प्रबंधकों के कार्यकाल में सालों से बंद पड़ी पालिसी को दूसरे जनपद में स्थानांतरण करके पैसा निकालने की घटना हुई है। इसकी विस्तृत जांच कराई जाए और भुगतान की धनराषि को डा. ष्वेता गुप्ता से रिकवरी कराई जाए, अगर रिकवरी नहीं होती तो दोनों षाखा प्रबंधकों के व्यक्तिगत खाते से कराई जाए। इसी लिए बार-बार कहा जा रहा है, कि एलआईसी पर भरोसा मत करना, अगर करोगें तो रोना पड़ेगा। साथ ही लोगों को डा. ष्वेता गुप्ता जैसी कथित फ्राड महिला के झांसें में न आने की सलाह भी दी जा रही है। क्यों कि इस तरह की महिलाएं धन और संपत्ति के लालच में पहले विवाह करती है, और उसके बाद सब कुछ समेट कर रफफू चक्कर हो जाती है। इस तरह की महिलाएं और उनके माता-पिता किसी के मान-सम्मान और इज्जत तक का ख्याल नहीं रखतें। कहा भी जाता है, कि षादी अगर बराबर वालों और अपनी विरादरी में की जाए तो धोखा खाने और धोखा मिलने की संभावना न के बराबर रहती है।
‘बेईमानी’ की ’बुनियाद’ पर हुआ ‘करोड़ों’ का ‘लेन-देन’!
बस्ती। कहा भी जाता है, जो कारोबार बेईमानी की बुनियाद पर खड़ा किया जाता है, उसका अंत बुरा ही होता है। जैसा कि दिव्यांषु खरे, नमन श्रीवास्तव, आदर्ष श्रीवास्तव एवं अभिषेक सिंह एक अन्य के मामले में देखा गया। इस पूरे एपीसोड में ईमानदारी का अभाव देखने को मिला। आज भी एक भी व्यक्ति सच बोलने और कहने को तैयार नहीं है। किसने कितना लगाया, उसे कितना लाभ हुआ और कितना नुकसान यह बताने को कोई तैयार नहीं है। यह कहने से काम नहीं चलेेगा कि मेरा दसों करोड़ डूब गया और यह भी कहने से काम नहीं चलेगा कि दिव्यांषु खरे ने मेरा करोड़ों हड़प लिया। आरोप लगाना और आरोप को सही साबित करना दोनों अलग-अलग बातें है। यह भी सही है, कि जब चार-पांच दोस्त अच्छे समय के साथी होते हैं, तो कुछ ऐसा लेन-देन भी होता, जिसका कोई अधिकृत हिसाब नहीं रखा-जाता। लगता हैं, इस मामले में यही हुआ होगा। कुछ तो व्यक्तिगत के रुप में तो कुछ ब्याज पर पैसे का लेन-देन हुआ होगा। पांच लोगों की यह मंडली अगर एक दूसरे के प्रति ईमानदार और समर्पित होती तो पांचों को यह दिन न देखना पड़ता। जो लोग आज पैसे के लिए आपस में लड़ते झगड़ते दिख रहे हैं, और एक दूसरे को जेल भेजने से लेकर देख लेने की धमकी दे रहे हैं, उन लोगों को यकीन नहीं हो रहा होगा कि एक दिन यह भी देखना पड़ेगा। देखा जाए तो इस मंडली ने कारोबार तो करोड़ों का किया, लेकिन ईमानदारी नदारत रही, अगर ईमानदारी होती तो धरना पर नहीं बैठते और न लाइव पर ही आकर इज्जत का जनाजा निकालते।
यह मंडली उन लोगों के लिए एक सबक जैसा है, जो इस तरह का कारोबार करने का प्लान बना रहे है। यह 100 फीसद सही है, कि वही कारोबार/कारोबारी सफल होता है, जहां पर ईमानदारी का समावेष होता है। 72 देषों का दौरा करने वाले जब एक नौजवान से यह पूछा गया कि इतने देषों का दौरा करने के बाद क्या सीखा, कहने लगा कि अगर किसी व्यक्ति के पास ईमानदारी है, तो उसे कोई आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता, कहते हैें, कि ईमानदारी न सिर्फ पैसे में ही नहीं बल्कि रिष्ते और कारोबार में भी होनी चाहिए। बस्ती में भी इसके कई उदाहरण है। ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति अभाव में तो रह सकता है, लेकिन उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। ईमानदारी का नषा जिस पर भी चढ़ता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। अगर यही ईमानदारी मंडली के लोगों में होती तो इन लोगों का जीवन भी सफल हो जाता, बेईमानी रही इस लिए समाज, रिष्तेदारों और परिवार में बदनामी का दंष झेलना पड़ रहा है। मंडली के कई सदस्यों से पूछा गया कि भाई अब तो सच बता दो, लेकिन कोई बताने को तैयार नहीं, हर कोई एक दूसरे का पैसा हड़पने का आरोप लगा रहा। मंडली के लोगों का जो आर्थिक नुकसान हुआ या फायदा हुआ वह अलग हैं, लेकिन इन लोगों ने समाज को बहुत ही खराब संदेष दिया। इन लोगों ने एक दूसरे को बुरा कहकर खुद को बुरा साबित कर दिया। देखा जाए तो नुकसान तो सबसे अधिक खरे परिवार का ही हुआ। सामाजिक नुकसान इतना हुआ, कि इसकी भरपाई आसान नहीं है। कोई कह रहा है, कि हवाई अडडा होटल बिक गया तो कोई कह रहा हैं, कि सीएमएस स्कूल बिक गया। कोई कह रहा है, करोड़ों हड़प लिया, कोई कह रहा करोड़ों का कर्जदार हैं। इसमें सच्चाई कितनी है, इससे किसी से कोई सरोकार नहीं। ऐसा करोड़ों का कारोबार किस काम का, जिसमें मामा और भांजी का रिष्ता ही दांव पर लग जाए।
‘बेईमानी’ की ’बुनियाद’ पर हुआ ‘करोड़ों’ का ‘लेन-देन’!
बस्ती। कहा भी जाता है, जो कारोबार बेईमानी की बुनियाद पर खड़ा किया जाता है, उसका अंत बुरा ही होता है। जैसा कि दिव्यांषु खरे, नमन श्रीवास्तव, आदर्ष श्रीवास्तव एवं अभिषेक सिंह एक अन्य के मामले में देखा गया। इस पूरे एपीसोड में ईमानदारी का अभाव देखने को मिला। आज भी एक भी व्यक्ति सच बोलने और कहने को तैयार नहीं है। किसने कितना लगाया, उसे कितना लाभ हुआ और कितना नुकसान यह बताने को कोई तैयार नहीं है। यह कहने से काम नहीं चलेेगा कि मेरा दसों करोड़ डूब गया और यह भी कहने से काम नहीं चलेगा कि दिव्यांषु खरे ने मेरा करोड़ों हड़प लिया। आरोप लगाना और आरोप को सही साबित करना दोनों अलग-अलग बातें है। यह भी सही है, कि जब चार-पांच दोस्त अच्छे समय के साथी होते हैं, तो कुछ ऐसा लेन-देन भी होता, जिसका कोई अधिकृत हिसाब नहीं रखा-जाता। लगता हैं, इस मामले में यही हुआ होगा। कुछ तो व्यक्तिगत के रुप में तो कुछ ब्याज पर पैसे का लेन-देन हुआ होगा। पांच लोगों की यह मंडली अगर एक दूसरे के प्रति ईमानदार और समर्पित होती तो पांचों को यह दिन न देखना पड़ता। जो लोग आज पैसे के लिए आपस में लड़ते झगड़ते दिख रहे हैं, और एक दूसरे को जेल भेजने से लेकर देख लेने की धमकी दे रहे हैं, उन लोगों को यकीन नहीं हो रहा होगा कि एक दिन यह भी देखना पड़ेगा। देखा जाए तो इस मंडली ने कारोबार तो करोड़ों का किया, लेकिन ईमानदारी नदारत रही, अगर ईमानदारी होती तो धरना पर नहीं बैठते और न लाइव पर ही आकर इज्जत का जनाजा निकालते।
यह मंडली उन लोगों के लिए एक सबक जैसा है, जो इस तरह का कारोबार करने का प्लान बना रहे है। यह 100 फीसद सही है, कि वही कारोबार/कारोबारी सफल होता है, जहां पर ईमानदारी का समावेष होता है। 72 देषों का दौरा करने वाले जब एक नौजवान से यह पूछा गया कि इतने देषों का दौरा करने के बाद क्या सीखा, कहने लगा कि अगर किसी व्यक्ति के पास ईमानदारी है, तो उसे कोई आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता, कहते हैें, कि ईमानदारी न सिर्फ पैसे में ही नहीं बल्कि रिष्ते और कारोबार में भी होनी चाहिए। बस्ती में भी इसके कई उदाहरण है। ईमानदारी के रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति अभाव में तो रह सकता है, लेकिन उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। ईमानदारी का नषा जिस पर भी चढ़ता है, उसका जीवन सफल हो जाता है। अगर यही ईमानदारी मंडली के लोगों में होती तो इन लोगों का जीवन भी सफल हो जाता, बेईमानी रही इस लिए समाज, रिष्तेदारों और परिवार में बदनामी का दंष झेलना पड़ रहा है। मंडली के कई सदस्यों से पूछा गया कि भाई अब तो सच बता दो, लेकिन कोई बताने को तैयार नहीं, हर कोई एक दूसरे का पैसा हड़पने का आरोप लगा रहा। मंडली के लोगों का जो आर्थिक नुकसान हुआ या फायदा हुआ वह अलग हैं, लेकिन इन लोगों ने समाज को बहुत ही खराब संदेष दिया। इन लोगों ने एक दूसरे को बुरा कहकर खुद को बुरा साबित कर दिया। देखा जाए तो नुकसान तो सबसे अधिक खरे परिवार का ही हुआ। सामाजिक नुकसान इतना हुआ, कि इसकी भरपाई आसान नहीं है। कोई कह रहा है, कि हवाई अडडा होटल बिक गया तो कोई कह रहा हैं, कि सीएमएस स्कूल बिक गया। कोई कह रहा है, करोड़ों हड़प लिया, कोई कह रहा करोड़ों का कर्जदार हैं। इसमें सच्चाई कितनी है, इससे किसी से कोई सरोकार नहीं। ऐसा करोड़ों का कारोबार किस काम का, जिसमें मामा और भांजी का रिष्ता ही दांव पर लग जाए।
‘नशा’ मुक्ति का ‘संदेश’ और ‘प्रेत’ योनि से ‘मुक्ति’ की ‘महिमा’
बनकटी/बस्ती। विकास क्षेत्र के बघाड़ी गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस ने श्रद्धालुओं के मन में भक्ति और प्रेरणा का संचार किया। वृंदावन के पधारे कथावाचक उत्कर्ष पांडेय ने जहाँ एक ओर युवा पीढ़ी को जीवन में सफलता के लिए प्रेरित किया, वहीं दूसरी ओर, कथा के मुख्य पात्र धुंधकारी के उदाहरण से नशा और व्यसनों से दूर रहने का सशक्त संदेश दिया। युवाओं को नशा से दूर रहने का आह्वान द्वितीय दिवस की कथा में गोकर्ण और धुंधकारी के चरित्र का वर्णन किया गया। गोकर्ण जहाँ धर्मात्मा थे, वहीं उनके भाई धुंधकारी अत्यंत दुराचारी, व्यसनी और नशाखोरी में लिप्त थे। कथावाचक ने स्पष्ट किया कि नशा कैसे एक व्यक्ति को अधोगति की ओर ले जाता है। और उसे समाज में अपमानित करवाता है।
धुंधकारी का जीवन व्यसनों का दुखद परिणाम दिखाता है, जहाँ सुख, शांति और सम्मान दूर हो जाते हैं। कथावाचक ने युवाओं से अपील की कि वे अपने जीवन को सद्कर्मों और शिक्षा की ओर मोड़ें, क्योंकि नशा केवल विनाश की ओर ले जाता है। यह संदेश दिया गया कि शक्ति और ऊर्जा का उपयोग राष्ट्र और स्वयं के उत्थान में करें, न कि क्षणिक सुख देने वाले व्यसनों में। भागवत की शक्तिरू अधम से अधम प्रेत को भी मुक्ति
धुंधकारी का जीवन व्यसनों का दुखद परिणाम दिखाता है, जहाँ सुख, शांति और सम्मान दूर हो जाते हैं। कथावाचक ने युवाओं से अपील की कि वे अपने जीवन को सद्कर्मों और शिक्षा की ओर मोड़ें, क्योंकि नशा केवल विनाश की ओर ले जाता है। यह संदेश दिया गया कि शक्ति और ऊर्जा का उपयोग राष्ट्र और स्वयं के उत्थान में करें, न कि क्षणिक सुख देने वाले व्यसनों में। भागवत की शक्तिरू अधम से अधम प्रेत को भी मुक्ति
कथा के इस भाग का सबसे महत्वपूर्ण संदेश श्रीमद्भागवत की अपार महिमा को दर्शाना था। धुंधकारी की मृत्यु के बाद, वह प्रेत योनि को प्राप्त हुआ, जो अधम से अधम गति मानी जाती है। कथा में वर्णन किया गया कि कैसे धुंधकारी प्रेत बनकर अपने भाई गोकर्ण के पास आया।
गोकर्ण ने प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया। कथावाचक ने इस बात पर जोर दिया कि केवल सात दिन तक चली भागवत कथा के श्रवण मात्र से, प्रेत योनि में भटका हुआ धुंधकारी भी समस्त बंधनों से मुक्त होकर परम पद को प्राप्त हुआ। यह घटना सिद्ध करती है कि श्रीमद्भागवत कथा में वह दैवीय शक्ति है जो न केवल जीवित व्यक्ति को सही मार्ग दिखाती है, बल्कि अधम से अधम प्रेत को भी मुक्ति प्रदान कर सकती है। यह संदेश दिया गया कि जीवन में दुःख, निराशा या कैसी भी बाधा हो, भागवत के आश्रय से सभी समस्याओं का समाधान संभव है। कथा के सफल आयोजन से क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण बना हुआ है। तृतीय दिवस की कथा के लिए श्रद्धालु उत्सुक हैं। आयोजक बलराम प्रसाद शुक्ल द्वारा कथा में आने के लिए सबका आभार व्यक्त किया है। इस मौके पर राजेश शुक्ल, सर्वेश उपाध्याय, गंगेश शुक्ल, सुरेश तिवारी, शिखर, विश्वास, बृजेश शुक्ल, ओम प्रकाश शुक्ल सहित भारी संख्या मे श्रद्धालु उपस्थित रहे।
पूर्वी जोन को मिला सर्वोच्च सम्मान, डॉ. नवीन सिंह का रहा योगदान
बस्ती। इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश चौप्टर द्वारा आयोजित योग सेतु कार्यक्रम एवं सम्मान समारोह का भव्य आयोजन सहारनपुर के मोक्षायतन योग संस्थान में सम्पन्न हुआ। इस विशेष अवसर पर वर्ष भर के उत्कृष्ट कार्यों के आधार पर उत्तर प्रदेश के चारों जोनों में पूर्वी जोन को सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ।
इस उपलब्धि पर पूर्वी जोन को सम्मानित किया गया, जो क्षेत्र के लिए गर्व का विषय रहा। पूर्वी जोन के अध्यक्ष डॉ. नवीन सिंह, सचिव आशीष टंडन एवं सहसचिव डॉ. रमेश चंद्रा के साथ बस्ती जनपद में योगाचार्य राम मोहन पाल, सन्नों दुबे, हरीश कुमार, डॉ संगीता यादव, श्रावण कुमार गोंड, वेदांत सिंह, संतोष तिवारी,वर्षा गोंड के अथक प्रयासों से विभिन्न क्षेत्रों में योग सेतु कार्यक्रम का व्यापक विस्तार हुआ। पूर्वी जोन को शीर्ष स्थान तक पहुँचाने में डॉ. नवीन सिंह की नेतृत्व क्षमता और निरंतर सक्रियता विशेष रूप से सराहनीय रही। यह सम्मान मोक्षायतन योग संस्थान के संस्थापक, पद्मश्री से सम्मानित योग गुरु आदरणीय भारत भूषण जी, एवं योगाचार्य प्रतिष्ठा जी (गुरु मां) द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम में इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के चेयरमैन पियूषकांत मिश्रा, सचिव अमित गर्ग, कोषाध्यक्ष एवं मोक्षायतन योग संस्थान के विभिन्न पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस कार्यक्रम में सहारनपुर मंडल आयुक्त रूपेश कुमार, राज्य मंत्री औद्योगिक विकास जसवंत सिंह सैनी, नगर विधायक राजीव गुंबर, राज्य मंत्री लोक निर्माण विभाग कुंवर बृजेश सिंह, सहारनपुर महापौर अजय सिंह, सहित उत्तर प्रदेश चौप्टर के सभी कैबिनेट सदस्य, योगाचार्य, योग साधक एवं विभिन्न क्षेत्रों से आई योगिनी बहनों ने कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
इस उपलब्धि पर पूर्वी जोन को सम्मानित किया गया, जो क्षेत्र के लिए गर्व का विषय रहा। पूर्वी जोन के अध्यक्ष डॉ. नवीन सिंह, सचिव आशीष टंडन एवं सहसचिव डॉ. रमेश चंद्रा के साथ बस्ती जनपद में योगाचार्य राम मोहन पाल, सन्नों दुबे, हरीश कुमार, डॉ संगीता यादव, श्रावण कुमार गोंड, वेदांत सिंह, संतोष तिवारी,वर्षा गोंड के अथक प्रयासों से विभिन्न क्षेत्रों में योग सेतु कार्यक्रम का व्यापक विस्तार हुआ। पूर्वी जोन को शीर्ष स्थान तक पहुँचाने में डॉ. नवीन सिंह की नेतृत्व क्षमता और निरंतर सक्रियता विशेष रूप से सराहनीय रही। यह सम्मान मोक्षायतन योग संस्थान के संस्थापक, पद्मश्री से सम्मानित योग गुरु आदरणीय भारत भूषण जी, एवं योगाचार्य प्रतिष्ठा जी (गुरु मां) द्वारा प्रदान किया गया। कार्यक्रम में इंडियन योग एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के चेयरमैन पियूषकांत मिश्रा, सचिव अमित गर्ग, कोषाध्यक्ष एवं मोक्षायतन योग संस्थान के विभिन्न पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस कार्यक्रम में सहारनपुर मंडल आयुक्त रूपेश कुमार, राज्य मंत्री औद्योगिक विकास जसवंत सिंह सैनी, नगर विधायक राजीव गुंबर, राज्य मंत्री लोक निर्माण विभाग कुंवर बृजेश सिंह, सहारनपुर महापौर अजय सिंह, सहित उत्तर प्रदेश चौप्टर के सभी कैबिनेट सदस्य, योगाचार्य, योग साधक एवं विभिन्न क्षेत्रों से आई योगिनी बहनों ने कार्यक्रम में उत्साहपूर्वक भाग लिया।
‘राजकुमार सिंह’ अध्यक्ष, तो ‘विनोद कुमार यादव’ बने ‘मंत्री’
-उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के अधिवेशन में उठे मुद्दे
-ऑन लाइन हाजिरी नहीं लेंगे शिक्षक, उत्पीड़न बर्दाश्त नहींःउदयशंकर शुक्ल
बस्ती। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ का अधिवेशन गौर विकास खण्ड कार्यालय पर सम्पन्न हुआ। अधिवेशन में शिक्षक समस्याओं, टेट की अनिवार्यता, ऑन लाइन हाजिरी आदि मुद्दों पर विचार करने के साथ ही दूसरे सत्र में चुनाव अधिकारी जिला उपाध्यक्ष आनन्द दूबे, पर्यवेक्षक वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश कुमार की देख रेख में चुनाव सम्पन्न कराया गया। सर्व सम्मत से राजकुमार सिंह अध्यक्ष, गंगा प्रसाद कनौजिया, , गिरजा शंकर चौधरी वरिष्ठ उपाध्यक्ष, हनुमान प्रसाद यादव, संजय चौहान, अनिल सिंह, ज्ञानदास चौधरी, श्रीमती संध्या, जनार्दन प्रसाद शुक्ला, राम यज्ञ, रामकृपाल, चंद्रेश प्रताप सिंह, किरण गौतम, बृजेश चौधरी, विवेक शुक्ला, करण सिंह उपाध्यक्ष, विनोद कुमार यादव मंत्री, कल्पनाथ कोषाध्यक्ष, अशोक कुमार पाण्डेय संयुक्त मंत्री, अरुण पाण्डेय, लालजी पाल ओमकार उपाध्याय मंत्री, देवी, राजेश कुमार, धर्मराज, धीरेंद्र कुमार चौधरी, नीलम यादव, राजेश कुमार, रंजू गुप्ता, संजय संगठन मंत्री, सिराज अहमद, संजय यादव, महेंद्र वर्मा, नरसिंह यादव, मनोज कुमार जायसवाल, आशुतोष प्रचार मंत्री, प्रीतेश यादव अकाउन्टेंट, अनिल अग्रहरि, ऑडिटर महेन्द्रनाथ पाठक मीडिया प्रभारी निर्वाचित हुए ।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल ने नव निर्वाचित पदाधिकारियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाया। कहा कि शिक्षक अपने समय के सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है।
एकजुटता से ही लक्ष्य हासिल होंगे। कहा कि 20 नवम्बर को रुधौली 21 नवम्बर को हर्रैया का अधिवेशन संपन्न कराया जाएगा। श्री शुक्ल ने कहा कि जब तक प्रदेश शासन द्वारा गठित कमेटी का निर्णय नहीं आता तब तक ऑनलाइनउपस्थिति शिक्षक नहीं कराएंगे यदि अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही किया गया तो संगठन चुप नही रहेगा। अधिवेशन का उद्घाटन भाजपा नेता जटाशंकर शुक्ला और विनोद सिंह अध्यक्ष गन्ना समिति बभनान के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया। अधिवेशन को जिला मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक उपाध्याय, सम्राट देवेन्द्र वर्मा आदि संबोधित करते हुये शिक्षक समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये एकजुटता पर जोर दिया। कार्यक्रम में ओंकार उपाध्याय, शैलेष अग्रहरि, बजरंगी राजभर, अर्चना दीपमाला, अनुराधा, अंजली, साधना गुप्ता, उमा पाण्डेय, चंद्रावती, सुरेशचंद्र, विकास चंद्र मिश्रा, आलोक शुक्ला, अजय पाण्डेय, शरीफउल्लाह, रामनाथ, इन्दू सिंह, राम किशोर निषाद, सुभाष सिंह, उमाशंकर मणि त्रिपाठी विवेक गौतम के साथ ही जिला पंचायत सदस्य शंकर यादव के साथ ही अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।
एकजुटता से ही लक्ष्य हासिल होंगे। कहा कि 20 नवम्बर को रुधौली 21 नवम्बर को हर्रैया का अधिवेशन संपन्न कराया जाएगा। श्री शुक्ल ने कहा कि जब तक प्रदेश शासन द्वारा गठित कमेटी का निर्णय नहीं आता तब तक ऑनलाइनउपस्थिति शिक्षक नहीं कराएंगे यदि अधिकारियों द्वारा कोई कार्यवाही किया गया तो संगठन चुप नही रहेगा। अधिवेशन का उद्घाटन भाजपा नेता जटाशंकर शुक्ला और विनोद सिंह अध्यक्ष गन्ना समिति बभनान के द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया। अधिवेशन को जिला मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह, अभिषेक उपाध्याय, सम्राट देवेन्द्र वर्मा आदि संबोधित करते हुये शिक्षक समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुये एकजुटता पर जोर दिया। कार्यक्रम में ओंकार उपाध्याय, शैलेष अग्रहरि, बजरंगी राजभर, अर्चना दीपमाला, अनुराधा, अंजली, साधना गुप्ता, उमा पाण्डेय, चंद्रावती, सुरेशचंद्र, विकास चंद्र मिश्रा, आलोक शुक्ला, अजय पाण्डेय, शरीफउल्लाह, रामनाथ, इन्दू सिंह, राम किशोर निषाद, सुभाष सिंह, उमाशंकर मणि त्रिपाठी विवेक गौतम के साथ ही जिला पंचायत सदस्य शंकर यादव के साथ ही अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।





