‘प्रमुखजी’ हमारे ‘रिश्तेदार’, मेरा ‘कोई’ कुछ नहीं बिगाड़ ‘सकता’!
-यह कहना हैं, प्रधानों से 25 फीसद कमीषन मांगने वाली ग्राम विकास अधिकारी सोनम श्रीवास्तव, इसे देखते हुए जिगना, सोनबरसा और घरसोहिया सहित चार प्रधानों ने डीएम को लिखित में दिया, कि हम लोग इस सचिव के साथ काम नहीं करेगें
-यह पहली ऐसी महिला सचिव हैं, जिनकी तैनाती तो जनपद सीतापुर में हैं, लेकिन इनका अटैचमेंट बस्ती में, कप्तानगंज में अनियमितता के चलते यह निलंबित भी हो चुकी, बहाली के बाद भी इनके कार्यषैली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, जो काम यह कप्तानगंज में करती थी, वही काम सदर में भी करने लगी
-जिस वित्तीय अनियमितता के कारण इनके खिलाफ मुकदमा एडीओ पंचायत को दर्ज कराना चाहिए, उसे जिला विकास अधिकारी ने आंषिक दंड देकर बहाल करते हुए फिर से लूटने का मौका दे दिया
-इन पर अपने रिष्तेदारों के फर्म में ग्राम निधि का भुगतान करने और प्रधानों का डांगल अपने पास रखने ताकि मनमाने तरीके से भुगतान करने का आरोप अनेक प्रधान लगा चुके, अपर जिला पंचायत अधिकारी अरुण कुमार की जांच में इनके कारनामे का खुलासा हो चुका
बस्ती। जब भी जिले में कोई बड़ा अधिकारी आता है, तो उसके वर्ग वाले अपना रिष्तेदार या फिर करीबी होने का एचएमबी रिकार्ड बजाना नहीं भूलते, ताकि उसी के आड़ में गलत/सही काम करवाया या किया जा सके। जब कि सच्चाई कोसों दूर होती है। लेकिन अगर कोई महिला सचिव यह कहे, कि प्रमुखजी हमारे रिष्तेदार हैं, और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो, चर्चा होगा ही। भले ही चाहें सचिव और प्रमुखजी का दूर-दूर तक कोई संबध न हो। इस तरह की सचिव खुद तो गलत काम करती ही है, साथ ही प्रमुखजी लोगों को इस लिए बदनाम करती है, क्यों कि प्रमुखजी उनके वर्ग के जो हैं। इसी तरह एक मामला सदर ब्लॉक का सामने आया हैं। इस ब्लॉक में कार्यरत् सोनम श्रीवास्तवा नाम की ग्राम विकास अधिकारी है। यह प्रमुखजी को अपना रिष्तेदार बताकर प्रधानों से कहती है, कि चाहें जो कुछ भी कर लो, मेरा कुछ नहीं होगा, क्यों कि प्रमुखजी हमारे रिष्तेदार है। जबकि सच्चाई कोसों दूर है। जिले की यह पहली ऐसी महिला सचिव होंगी, जिनती तैनाती तो जनपद सीतापुर में हैं, और वेतन भी यह सीतापुर से ही लेती है, लेकिन इनका अटैचमेंट बस्ती में हैं, क्यों हुआ, किस आधार पर हुआ, इसका पता नहीं चल सकता। इनके बारे में प्रधानों का कहना है, कि यह पहली ऐसी महिला सचिव है, जो हर काम में 25 फीसद कमीषन मांगती है। इसे देखते हुए जिगना, सोनबरसा और घरसोहिया सहित अन्य प्रधानों ने डीएम को लिखित में दिया, कि हम लोग इस सचिव के साथ काम नहीं करेगें। सचिव की मनमानी कमीषनखोरी के चलते इनके कलस्टर वाले ग्राम पंचायतों में काफी दिनों से कोई कार्य नहीं हो रहा, पुराना भुगतान भी नहीं हो रहा। इनकी तैनाती जब कप्तानगंज में थी, तो अनियमितता के चलते इन्हें निलंबित होना पड़ा, बहाली के बाद जब इनकी तैनाती सदर ब्लॉक में हुई तो भी इनके कार्यषैली में कोई परिवर्तन नहीं हुआ, जो काम यह कप्तानगंज में करती थी, वही काम सदर में भी करने लगी। कप्तानगंज में भी यह रिष्तेदारों के नाम से फर्म खुलवाकर मनमाने तरीके से भुगतान करती थ, जिसका खुलासा अपर जिला पंचायत राज अधिकारी अरुण कुमार की जांच में भी हो चुका, इप्हीं के ही रिपोर्ट पर इन्हें निलंबित होना पड़ा। जिस वित्तीय अनियमितता के कारण इनके खिलाफ मुकदमा एडीओ पंचायत को दर्ज कराना चाहिए, उसे जिला विकास अधिकारी ने आंषिक दंड देकर बहाल करते हुए फिर से लूटने का मौका दे दिया, अब प्रधानों की ओर से डीएम से की गई षिकायत पर जांच अधिकारी के द्वारा क्लीन चिट देने की तैयारी हो रही। प्रधानों का कहना है, कि इनका व्यवहार भी एक अच्छे सचिव की तरह नहीं है। पता नहीं क्यों जिन महिला सचिवों को समाज सवेंदनषील, कुषल व्यवहार और ईमानदार मानता है, वहीं महिलाएं सरकारी खजाना को लूटने वाली डकैत निकलती है। देखा जाए तो सदर ब्लॉक की अधिकांष महिला सचिव न तो गांव वालों और न सरकार और न योजनाओं के प्रति ईमानदार होती दिखाई देती है। इसके लिए किसे दोष माना जाए, समाज को समझ में ही नहीं आ रहा है, बल्कि उन लोगों को दोषी माना जा रहा है, जो भ्रष्ट महिला सचिवों का बचाव और उन्हें संरक्षण देतें है।
‘डा. प्रमोद चौधरी’ की तरह ‘डा. इम्तियाज अहमद’ भी निकले ‘बेईमान’!
-मेडीवर्ल्ड हास्पिटल के डा. प्रमोद चौधरी ने एक्सरे टेक्निीसिएषन रफीउदीन की डिग्री लगाकर फर्जी तरीके से लाइसेंस लिया, नूर हास्पिटल में तो इम्तियाज अहमद खा नामक एक्सरे टेक्निीसिएषन को बकायदा एमबीबीएस डाक्टर बनाकर लाइसेंस लिया
-नूर हास्पिटल के फर्जीवाड़े का पर्दाफास भाजपा युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष अमित कुमार गुप्ता ने किया, और अस्पताल को सील करवाकर ही दम लिया, दस हजार का जुर्माना भी लगवाया
बस्ती। नूर अस्पताल के लाइसेंस को निरस्त और अस्पताल को सील करवाने सहित संचालक इम्तियाज अहमद खान के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए जिस तरह भाजयुमो जिलाध्यक्ष अमित गुप्त और उनकी टीम ने लड़ाई लड़ी, उसका परिणाम भी टीम के लोगों को मिला। अस्पताल न सिर्फ सील हुआ, बल्कि अस्पताल पर दस हजार का जुर्माना भी लगा। जबकि यही कार्रवाई सीएमओ को मेडीवर्ल्ड हास्पिटल के डा. प्रमोद चौधरी और उनके अस्पताल पर भी करनी चाहिए थी। लेकिन दबाव और गांधीजी के कारण नहीं किया। बल्कि रफीउदीन के षिकायत का निस्तारण किए बिना डा. प्रमोद चौधरी को लाइसेंस भी निर्गत कर दिया। मेडीवर्ल्ड हास्पिटल में तो एक्सरे टेक्निीसिएषन रफीउदीन की डिग्री लगाकर फर्जी तरीके से लाइसेंस लिया, तो नूर हास्पिटल में इम्तियाज अहमद खा नामक एक्सरे टेक्निीसिएषन को बकायदा एमबीबीएस डाक्टर बनाकर लाइसेंस दिया। दोनों ही मामलों में नोडल ही जिम्मेदार है। नूर अस्पताल को सील करवाकर टीम को जो वाहवाही मिल रही है, उससे टीम के लोगों का मनोबल बढ़ा है। भले ही चाहें इसके लिए टीम को काफी लड़ाई लड़नी पड़ी, लेकिन परिणाम तो मिला, यह उन लोगों के लिए एक सबक जैसा है, जो हास्पिटलों के फर्जीवाड़े के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे है। जिले की जनता और गरीब मरीज बार-बार सीएमओ और उनकी टीम से सवाल कर रही है, कि आखिर इस जिले में ही सबसे अधिक मरीजों की मौतें प्राइवेट अस्पतालों में ही क्यों होती है? और कैसे फर्जी डिग्री लगाने वाले मेडीवर्ल्ड और नूर हास्पिटल जैसे को लाइसेंस मिल जाता? यह भी सवाल कर रही है, कि कैसे नूर अस्पताल में एक एक्सरे टेक्निीसिएन, फिजिसीएन डाक्टर बनकर ओपीडी कर रहा था? मरीजों का ईलाज और दवा लिख रहा था? जिस तरह जिले भर में सीएमओ और उनकी टीम को मरीजों के मौत और अवैध अस्पतालों के संचालन का दोषी माना जा रहा है, उससे यह पता चलता है, कि यह लोग पैसे के कितने भूखे है, अगर इन्हें पैसा मिल जाए तो यह कुछ भी करने को तैयार हो जाते है। यह भी कहा जा रहा है,
कि जब यह लोग एमओआईसी कप्तानगंज डा. अनूप चौधरी के बच्चे की मौत के जिम्मेदार पीएमसी के खिलाफ कोई कार्रवाई आज तक नहीं कर पाए तो यह अन्य के खिलाफ क्या कार्रवाई करेगें? मेडीवर्ल्ड के बाद जिस तरह नूर अस्पताल में फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ, उससे यह भी पता चलता है, कि सीएमओ कार्यालय में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है, और जब से नये सीएमओ आए हैं, तब से फर्जीवाड़ा बढ़ गया, वैसे सरकारी तौर पर अगर किसी अल्टासाउंड और पैथालाजी को गलत लाइसेंस जारी हो गया तो उसके लिए डीएम को जिम्मेदार माना जाता है, और अगर अस्पताल को गलत लाइसेंस जारी हुआ तो सीएमओ जिम्मेदार होते। तीनों ही मामलों में नोडल की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है, क्यों कि इन्हीं के रिपोर्ट पर डीएम और सीएमओ लाइसेंस जारी करते है। दोनों नोडल डीएम और सीएमओ को गुमराह करके गांधीजी बटोर रहे है। यकीन मानिए जब तक नोडल डा. एसबी सिंह और डा. एके चौधरी जिले में रहेगें, तब तक फर्जीवाड़ा होता रहेगा, और मरीज मरते रहेगें। देखा जाए तो जनपद के दक्षिण दरवाजा स्थित नूर हॉस्पिटल में लंबे समय से अवैध रूप से चिकित्सकीय कार्य संचालित किया जा रहा है। अस्पताल के संचालक इम्तियाज अहमद खान, जो कि केवल एक्स-रे टेक्नीशियन हैं, कई वर्षों से फिजिशियन एवं सर्जन के रूप में कार्य कर रहे थे, यह न केवल चिकित्सा नियमों का उल्लंघन है बल्कि भारतीय चिकित्सा परिषद् अधिनियम के प्रावधानों का भी सीधा हनन है।
‘हरीशजी’ संकट ‘खाद’ का ‘नहीं’, ‘कालाबाजारीे’ का!
-हरीषजी अगर वाकई आप और आप की टीम किसानों को उचित दाम और समय पर खाद उपलब्ध कराना चाहते हैं, तो इसके लिए आप को सबसे पहले जिला कृषि अधिकारी, एआर और पीसीएॅफ के डीएस पर हैमर करना पड़ेगा, क्यों कि बस्ती का खाद नेपाल और यूरिया पंप पर जा रहा
-डीएम को बजाए खाद की संकट को त्वरित दूर करने को लिखने के बजाए खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए,
-किसानों को खाद चाहिए, कौन डीएम और सीएम को लिखकर उससे उसे कोई सरोकार नहीं, यही पत्र अगर रवी सीजन षुरु होने से लिखा गया होता और मिलकर दबाव बनाया गया होता तो इसका प्रभाव कुछ और पड़ता
-बहरहाल, आप ने डीएम को किसानों की समस्या से अवगत करा दिया, बहुत किया, अब अपने टीम 11 को इस काम में सक्रिय होने को कह दीजिए
-भाजपा जिलाध्यक्ष और भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष की ओर से भी प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए, क्यों कि किसान सबसे अधिक इन्हीं दोनों से उम्मीद करती
बस्ती। जिस तरह जनपद में बढ़ते खाद संकट और समितियों पर खाद उपलब्धता की कमी को लेकर पूर्व सांसद एवं भाजपा असम प्रभारी हरीश द्विवेदी की ओर से गंभीर चिंता जताते हुए डीएम को पत्र लिखा हैं, उसकी उपयोगिता और सार्थतता पर सवाल उठ रहे हैं, और किसानों की ओर से कहा जा रहा है, कि हरीषजी अगर वाकई आप और आप की टीम किसानों को उचित दाम और समय पर खाद उपलब्ध कराना चाहते हैं, तो इसके लिए आप को सबसे पहले जिला कृषि अधिकारी, एआर और पीसीएॅफ के डीएस पर हैमर करना पड़ेगा, क्यों कि इन्हीं तीनों की मिली भगत से बस्ती का खाद नेपाल और यूरिया पंप पर जा रहा। कहते हैं, कि डीएम को खाद की संकट को त्वरित दूर करने को लिखने के बजाए खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रभावी कार्रवाई करने पर जोर देना चाहिए था, क्यों कि जिले भर का किसान जानता है, कि खाद कहां जा रहा है, और क्यों नहीं उसे मिल रहा? कहते हैं,
कि किसानों को खाद चाहिए, किसने डीएम और सीएम को लिखा उससे किसानों को कोई सरोकार नहीं, कहते हैं, कि अगर यही पत्र रवी सीजन षुरु होने से लिखा गया होता और मिलकर दबाव बनाया गया होता तो इसका प्रभाव कुछ और पड़ता। किसानों की नजर में इस तरह के पत्र का कोई मतलब नहीं। बहरहाल, आप ने डीएम को किसानों की समस्या से अवगत करा दिया, बहुत किया, अब अपने टीम 11 को इस काम में सक्रिय होने को कह दीजिए। भाजपा जिलाध्यक्ष और भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष की ओर से भी प्रभावी कार्रवाई करनी चाहिए, क्यों कि किसान सबसे अधिक इन्हीं दोनों से उम्मीद कर रही है।
पूर्व सांसद के निर्देष पर पूर्व सांसद का पत्र भाजपा नेता अमृत कुमार वर्मा, राजकुमार शुक्ल और अभिषेक पाण्डेय डीएम कार्यालय गए और उनकी गैरमौजूदगी में डीएम के स्टेनों को पत्र दिया। पत्र में उल्लेख किया गया है कि वर्तमान समय में जनपद के अधिकांश समितियों पर खाद का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं है, जिसके कारण किसान भारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। रबी की बुवाई का यह समय किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और खाद की कमी से फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। इससे किसानों के आर्थिक जीवन पर भी गंभीर असर पड़ेगा। पूर्व सांसद द्वारा भेजे गए पत्र में यह भी बताया गया कि कई समितियाँ जनशक्ति के अभाव में सप्ताह में केवल एक-दो दिन ही खुल पा रही हैं। इससे खाद वितरण की प्रक्रिया बाधित हो रही है, और किसानों को लंबी दूरी तक भटकना पड़ रहा है। यदि समितियों में मैनपावर बढ़ाकर उन्हें प्रतिदिन खोले जाने की व्यवस्था सुनिश्चित कर दी जाए तो किसानों को काफी राहत मिलेगी। जनपद की सभी समितियों पर खाद की पर्याप्त उपलब्धता तत्काल सुनिश्चित कराई जाए। समितियों में मैनपावर की संख्या बढ़ाई जाए तथा उन्हें प्रतिदिन संचालित करने के निर्देश जारी किए जाएँ। खाद वितरण में पारदर्शिता बनाए रखने हेतु निगरानी तंत्र को और अधिक सक्रिय किया जाए।
‘विकास पुस्तिका’ का ‘विमोचन’ करवाकर ‘प्रदेष’ के ‘हीरो’ बने ‘यशकांत सिंह’!
-चौथी बार रामनगर ब्लाक के विकास पुस्तिका का विमोचन कराने वाले ब्लॉक प्रमुख यषंकात सिंह प्रदेष के पहले क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष बन गए
-इनके इस प्रयास की प्रषंसा नीति आयोग के सदस्य भी लखनउ में भरी बैठक में कर चुके
-विकास कार्यों का ब्यौरा देना ईमानदारी का प्रतीकः विजय लक्ष्मी
बस्ती। क्या आप लोगों को मालूम हैं, कि रामनगर क्षेत्र पंचायत के अध्यक्ष यषंकात सिंह प्रदेष के पहले ऐसे व्यक्ति बन गए हैं, जिन्होंने लगातार चार सालों से क्षेत्र पंचायत की विकास पुस्तिका का विमोचन कराते आ चुके है। इनके इस प्रयास की प्रषंसा नीति आयोग के सदस्य भी लखनउ में भरी बैठक में कर चुके है। विकास पुस्तिका विमोचन करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार की मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम ने भी ब्लॉक प्रमुख की प्रषंसा करते हुए कहा कि विकास कार्यों का ब्यौरा देना ईमानदारी का प्रतीक होता है। कहा कि इस तरह की ईमानदारी सभी क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों को दिखानी चाहिए। इससे क्षेत्र पंचायत के लोगों का भरोसा और विष्वास बना रहता है।
फिर किसी को यह कहने की आवष्कता नहीं पड़ेगी कि हमने यह-यह विकास किया। विकास पुस्तिका किसी भी क्षेत्र पंचायत के कार्यो का आइना होता है, इस पुस्तिका को पढ़ने के बाद कोई आरटीआई के तहत कार्यो का ब्यौरा नहीं मांग सकता है। सवाल उठ रहा है, कि क्यों नहीं जिले सहित प्रदेष के अन्य क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों ने ईमानदारी दिखाया? कहा भी जाता हैं, कि अगर वाकई विकास किया है, तो विकास पुस्तिका का विमोचन करवाने में क्या दिक्कत हैं? यह एक ऐसा सवाल हैं, जिसका जबाव यषंकात सिंह के आलावा और किसी के पास नहीं होगा। इच्छा तो जिले के कई प्रमुखों ने जताई, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाए। प्रतिवर्ष ब्लॉक प्रमुख रामनगर यशकांत सिंह के द्वारा वर्ष भर में कराए गए विकास कार्यों का प्रस्तुत विवरण इस पुस्तिका में रहता है। रामनगर ब्लाक परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश सरकार की मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम ने रामनगर ब्लॉक के विकास पुस्तिका के चौथे संस्करण का लोकार्पण किया। इस अवसर पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने ब्लॉक प्रमुख रामनगर यशकांत सिंह के द्वारा कराए गए विकास कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हर जनप्रतिनिधि कि यह जिम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों को जनता और सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें। जिससे जनता और सरकार उस कार्य का मूल्यांकन कर सके। मंत्री ने कहा कि यह तभी संभव है। जब जनप्रतिनिधि पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने क्षेत्र के विकास में तन्मयता से लगा होता है। कहा कि जनप्रतिनिधि के द्वारा अपने क्षेत्र में किए गए विकास कार्यों का ब्यौरा देना ईमानदारी का प्रतीक है। जिलाध्यक्ष भाजपा विवेकानंद मिश्र ने कहा कि जिस उद्देश्य से रामनगर ब्लॉक के प्रतिनिधित्व के लिए ब्लॉक प्रमुख चुना गया था उसे यशकांत सिंह ने पूरा किया। कार्यकाल सही मायने में उचित निर्णय था। उन्होंने कहा कि रामनगर क्षेत्र पंचायत क्षेत्र के जो भी बचे हुए विकास कार्य हैं, उसे आने वाले दिनों में पूरा किया जाएगा। जनसभा में आए हुए आम जनमानस को संबोधित करते हुए ब्लाक प्रमुख रामनगर यशकांत सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और क्षेत्र की जनता ने जिस आशा और विश्वास के साथ मुझे यह जिम्मेदारी दी थी। उस पर मैं खरा उतरने का पूरा प्रयास किया हूँ। आगे भी हर संभव प्रयास करके रामनगर विकास क्षेत्र को उत्तर प्रदेश में टॉप पर लाने के लिए प्रयासरत रहूंगा। रामनगर ब्लाक परिसर में आयोजित कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल, भाजपा नेता दुष्यन्त सिंह, ब्लॉक प्रमुख अभिषेक कुमार, जिला उपाध्यक्ष प्रत्यूष सिंह, भाजपा नेता पुष्करादित्य सिंह, ब्लॉक प्रमुख आलोक चौधरी, हरीष सिंह, रोली सिंह, आशा सिंह, संगीता जायसवाल एवं भाजपा जिला का समिति सदस्य नितेश शर्मा सहित अन्य मौजूद रहे
आचार्य जी ने आधुनिक समाज को एक अत्यंत प्रासंगिक संदेश दिया
बनकटी/बस्ती। स्थानीय विकास क्षेत्र के बघाड़ी गांव में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर वृंदावन धाम से पधारे आचार्य पंडित उत्कर्ष पांडेय ने निर्गुण और सगुण ब्रह्म के गूढ़ रहस्य का वर्णन करते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आचार्य जी ने स्पष्ट किया कि परमात्मा एक ही है, जब भक्तों को आवश्यकता होती है, तो वही अव्यक्त (निर्गुण) शक्ति व्यक्त (सगुण) रूप धारण कर लेती है। उन्होंने कहा, ष्वास्तव में, निर्गुण ही सगुण का आधार है, ठीक वैसे ही जैसे निराकार ब्रह्म ही साकार रूप में प्रकट होते हैं। ऊं नाम जप की महिमा और नारद जी का दृष्टांत कथा को आगे बढ़ाते हुए आचार्य जी ने नाम जप के असाधारण महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने देवर्षि नारद जी के पूर्व जन्म का प्रेरक दृष्टांत प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार नारद जी अपने पूर्व जन्म में एक दासी पुत्र थे, किंतु निरंतर नाम-संकीर्तन और साधु-सेवा के बल पर उन्हें अगले जन्म में स्वयं ब्रह्मा जी के मानस पुत्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
आचार्य श्री ने बताया कि नाम जप की इसी शक्ति से नारद जी ने महर्षि वेदव्यास जी की मनोशांति भंग होने पर उन्हें चार श्लोकों वाली मूल भागवत का उपदेश दिया। इसी उपदेश के फलस्वरूप, व्यास जी ने श्रीमद्भागवत महापुराण की रचना कर ज्ञान का वह अक्षय भंडार मानव मात्र को प्रदान किया, जो आज भी जीवन को दिशा दे रहा है। शुकदेव जी का वैराग्य और पर्यावरण संरक्षण का संदेश। तृतीय दिवस की कथा का महत्वपूर्ण अंग शुकदेव जी के जीवन चरित्र का वर्णन रहा। आचार्य जी ने शुकदेव जी के परम वैराग्यपूर्ण जीवन और वनवास में उनके तपस्वी जीवन-यापन का मार्मिक चित्रण किया। इसी प्रसंग में, आचार्य जी ने आधुनिक समाज को एक अत्यंत प्रासंगिक संदेश दिया। उन्होंने वन रक्षा और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए उद्घोष कियारू ष्प्रकृति ही साक्षात भगवान का स्वरूप है।ष् उन्होंने समझाया कि वनों, नदियों और समस्त प्राकृतिक संपदा की रक्षा करना हमारी केवल सामाजिक नहीं, अपितु आध्यात्मिक जिम्मेदारी भी है। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि इसमें ही हमें परमात्मा की झलक मिलती है।
कथा में उपस्थित श्रद्धालुओं ने आचार्य जी के आध्यात्मिक विवेचन और सामाजिक संदेश को सुनकर भाव विभोर होकर जयकारे लगाए। मुख्य आयोजक बलराम प्रसाद शुक्ल ने कथा में पहुंचने वाले भक्तों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर दुर्गा प्रसाद मिश्र, कैलाश पान्डेय, राधेश्याम पान्डेय, प्रत्यूष मिश्र, विराट मिश्र, राजेश शुक्ल, बृजेश, गंगेश, शिखर, विश्वास, जनार्दन चौधरी, राम बुझारत प्रजापति, शिवपूजन के साथ तमाम श्रदालु उपस्थित रहें।





