‘है’, कोई ‘शूरमा’ जो ‘खाद’ के ‘चोरों’ को ‘जेल’ की ‘हवा’ खिला ‘सके’, हो ‘तो’ सामने ‘आए’!
-कहने को किसानों के तो सब हितैषी, मगर एक बोरी खाद नहीं दिला पा रहें, यह है, जिले के नेताओं और प्रषासन के अधिकारियों का सच
-किसानों के नाम और उनके वोटों पर राज करने वाले जिले के जनप्रतिनिधियों में भी इतना दमखम नहीं जो किसानों को खाद दिला सके
-जनप्रतिनिधि जब किसानों को खाद नहीं दिला सकते तो वह कालाबाजारी कैसे रोकेगें, अब तो यूरिया के बाद डीएपी का संकट गहरा गया
-जिले में खुले आम जिला कृषि अधिकारी, एआर और पीसीएफ के डीएस खाद पर डकैती डाल रहे हैं, लेकिन इन्ीें रोकने वाला कोई
-नए डीएम से किसानों को जो उम्मीद बंधी थी, वह भी पूरा नहीं हो पा रही, लिखा-पढ़ी तो बहुत हो रही है, चेतावनी भी दी जा रही है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही, जिसके चलते खाद की चोरी करने वालों का हौसला बुंलद
बस्ती। जिले के किसानों को नवागत डीएम और जनप्रतिनिधियों से जो उम्मीदें थी, वह रबी सीजन में भी पूरी नहीं हो पा रही। किसानों की माने तो न तो खाद किसानों को मिल रहा है, और न खाद की चोरी ही रुक रही है। जिले के हजारों किसान यह सवाल कर रहे हैं, कि क्या खाद की चोरी करने वाले या कराने वाले प्रषासन और जनप्रतिनिधियों से इतना मजबूत हैं, कि वह जो चाह रहें हैं, वह कर ले रहें हैं? एक तरह से खाद के चोरों ने प्रषासन और जनप्रतिनिधियों दोनों को खुली चुनौती है, कि रोक सको तो रोक कर दिखाओ।
का करिहैं विधाता हमरो बुझाता। कहने को किसानों के तो सब हितैषी हैं, मगर एक बोरी खाद नहीं दिला पा रहें, यह है, जिले के नेताओं और प्रषासन के अधिकारियों का सच। किसानों के नाम और उनके वोटों पर राज करने वाले जिले के जनप्रतिनिधियों में भी इतना दमखम नहीं जो किसानों को खाद दिला सके। जनप्रतिनिधि जब किसानों को खाद नहीं दिला सकते तो वह कालाबाजारी कैसे रोकेगें? अब तो यूरिया के बाद डीएपी का संकट गहरा गया है। किसानों का कहना है, कि जिले में खुले आम जिला कृषि अधिकारी, एआर और पीसीएफ के डीएस खाद पर डकैती डलवा रहे हैं, लेकिन इन्हें रोकने वाला कोई नहीं। नए डीएम तो लिखा-पढ़ी तो बहुत हो कर रही है, चेतावनी भी दे रही है, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल रही, जिसके चलते खाद की चोरी करने वालों का हौसला बुंलद है।
भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेष प्रताप सिंह का कहना है, कि यूरिया के बाद अब डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) की मारामारी। नेताओं की चुप्पी-गुप्पी के कारण किसानों को खरीफ और रबी दोनों सीजन में आखिर क्यों खून के आसूं बहाने पड़ रहें हैं? खरीफ में यूरिया ने रुलाया और रबी की बुआई में डीएपी रुला रही है, क्या किसानों की किस्मत में रोना ही लिखा है? सवाल करते हैं, कि आखिर क्यों नहीं खाद की कालाबाजारी कराने वाले जिला कृषि अधिकारी, एआर और पीसीएफ के डीएस के खिलाफ कार्रवाई हो रही है? क्यों इन तीनों लुटेरों को खुला छोड़ दिया गया? क्यों नहीं इन तीनों अधिकारियों पर लगाम लगाया जा रहा है? कहते हैं, कि अगर इन्हीं तीनों अधिकारियों को प्रषासन काबू कर ले तो जिले का एक किसान खाद के लिए खून का आसूं नहीं रोएगा। कहते हैं, गेहूं के बीज का संकट भी किसान झेल रहा है, प्राइवेट दुकानों पर छापा पड़ रहा है, ब्लाक के कृषि गोदम प्रभारी खुले आम 936 रुपए की जगह 1050 रुपए प्रति बोरी गेहूं का बीज बेच रहे हैं, और यह डकैती जिला कृषि अधिकारी एवं जिला कृषि रक्षा अधिकारी के बगल बने बीज वितरण केंद्र से शुरु हो कर हर ब्लाक तक डाली जा रही है। कहते हैं, कि डीएम और कमिष्नर को इस की जांच उन 20 किसानों से करानी चाहिए, जिन्होंने कृषि बीज वितरण गोदाम से बीज खरीदा। डीएपी और यूरिया की किल्लत पर वर्तमान सांसद व निवर्तमान सांसद दोनों चुप्पी गुप्पी साधे हुए हैं, निवर्तमान सांसद ने तो डीएम का औपचारिक रुप से पत्र भी लिखा, लेकिन वर्तमान सांसद तो ऐसे चुप है, मानो उन्हें किसानों की समस्या से कोई सरोकार नही। आलम यह है कि विगत वर्ष से अधिक बीज वितरण हो गया लेकिन समस्या जस की तस बना हुआ है। जबकि विगत वर्ष जितना बीज आया था उतना वितरण करने के बाद भी बच गया था, खरीफ की बुआई में यूरिया विगत वर्ष से दुगुना से अधिक आया उसके बाद भी किसानों को रोना पड़ा। अब डीएपी के लिए मारामारी है, कहते हैं, कि क्या मोदीजी का विकसित भारत व योगीजी का विकसित उत्तर प्रदेश बनाने का सपना किसानों की दुर्दशा करने से साकार होगा? नेताओं की चुप्पी और अधिकारियों की उदासीनता से किसान रो रहा। कहते हैं, कि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में अगर किसानों को खाद और बीज के लिए रोना पड़े तो फिर ऐसे देष का भगवान ही मालिक। जो लोग यह कहते हैं, कि भारत की आत्मा गांव में बसती हैं, उन्हें गांव में आकर अवष्य यह देखना चाहिए कि जब भारत की आत्मा गांव में बसती है, तो फिर गांव क्यों विराम और उजड़ रहें? क्यों गांव का किसान खाद और बीज के लिए रो रहा?
‘डा. एके चौधरी’ के ‘करोड़ों’ के अवैध ‘संपत्ति’ का हुआ ‘खुलासा’
-जांच टीम के मांगने पर षिकायतकर्त्ता उमेष गोस्वामी ने अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध कराए
-कहा कि यह जिस भी जांच टीम का हिस्सा बनते हैं, त्वरित बिक जाते, ऐसे भ्रष्ट डाक्टर का साथ सीएमओ भी दे रहें
-कहा कि ग्राम निपनिया खुर्द में गाटा संख्या 144, यह जमीन डिप्टी सीएमओ डा. एके चौधरी और उनकी पुत्री आदिती चौधरी एवं पुत्र आर्यन चौधरी के नाम, इसी जमीन पर यह हास्पिटल में प्राइवेट प्रेक्टिस करते
-कहा कि दूसरा रुधौली कला में गाटा संख्या 532क हैं, यह जमीन भी लिंक रोड पर है, यह जमीन डा. एके चौधरी की पुत्री आदिती चौधरी, आरुषि चौधरी और पुत्र आर्यन चौधरी के नाम
-यह जांच टीम कमिष्नर के निर्देष पर एडी हेल्थ की ओर से बनाई, जांच टीम का पूरा झुकाव डा. एके चौधरी को बचाने पर है, इसी लिए ऐसे-ऐसे सवाल और सबूत मांगे जा रहे हैं, जिसे तलाष करना जांच टीम का काम
बस्ती। सीएमओ के लूटपाट वाली टीम के सबसे होनहार खिलाड़ी और डिप्टी सीएमओ एवं पैथालाजी/अल्टासाउंड का लाइसेंस देने में गलत/सही रिपोर्ट डा. एके चौधरी की मुस्किलें कम नहीं हो रही। इसबार इनका पाला किसी नेता या फिर धन वसूलने वाले षिकायतकर्त्ता से नहीं बल्कि एक ऐसे जाबांज व्यक्ति से पाला पड़ा, जो जिसके पीछे पड़ गया, उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लिया। इस व्यक्ति का नाम हैं, उमेष गोस्वामी, यह भाकियू भानु गुट के जिला उपाध्यक्ष भी है। इनकी षिकायत पर कमिष्नर ने डा. एके चौधरी की जांच करने के लिए एडी हेल्थ को लिखा, जिस पर सीएमएस टीबी अस्पताल, एसआईसी जिला अस्पताल एवं एडी हेल्थ के एक अधिकारी की टीम गठित की गई। टीम तो पहले षिकायतकतर्ता को जांच के नाम पर खूब घुमाया, इतने सबूत मांगें कि कोई दे नहीं पाएगा। लेकिन उमेष भी किसी से कम नहीं, उसने जांच टीम को स्पष्ट कह दिया कि अगर आप लोगों ने डा. एके चौधरी को बचाने का प्रयास किया, जैसा कि आप लोगों के व्यवहार से लग रहा है, तो आप सभी न्यायालय तक ले चाहूंगा। हर तरह का लालच भी दिया गया, पैसा भी भेजवाया गया, फिर भी नहीं ढिगा। यह वही व्यक्ति ने जिसने डीएम से कहा था, कि हजार दो हजार पकड़ने वाले नोडल को जांच अधिकारी मत बनाइए। जांच टीम के मांगने पर षिकायतकर्त्ता उमेष गोस्वामी ने अभिलेखीय साक्ष्य उपलब्ध करा दिया हैं, कहां-कहां करोड़ों की जमीन खरीदी गई और किस-किस के नाम खरीदी गई, सभी का अभिलेखीय साक्ष्य प्रस्तुत कर दिया। जांच टीम के सामने उमेष ने कहा कि डा. एके चौधरी इतना भ्रष्ट हैं, कि यह जिस भी जांच टीम का हिस्सा बनते हैं, त्वरित बिक जाते, ऐसे भ्रष्ट डाक्टर का साथ सीएमओ और आप लोग दे रहें। कहा कि ग्राम निपनिया खुर्द में गाटा संख्या 144, यह जमीन डिप्टी सीएमओ डा. एके चौधरी और उनकी पुत्री आदिती चौधरी एवं पुत्र आर्यन चौधरी के नाम, इसी जमीन पर यह हास्पिटल में प्राइवेट प्रेक्टिस करते है। यह भी कहा कि दूसरा रुधौली कला में गाटा संख्या 532क हैं, यह जमीन भी लिंक रोड पर है, यह जमीन डा. एके चौधरी की पुत्री आदिती चौधरी, आरुषि चौधरी और पुत्र आर्यन चौधरी के नाम है। जांच टीम का पूरा झुकाव डा. एके चौधरी को बचाने पर है, इसी लिए ऐसे-ऐसे सवाल और सबूत मांगे जा रहे हैं, जिसे तलाष करना जांच टीम का काम है।
‘जानदार’, ‘शानदार’, ‘मिलनसार’ व्यक्तित्व के ‘धनी’ ‘मिश्राजी’ नहीं ‘रहे’!
बस्ती। 38 साल से लोगों को आवास और दुकान पर बुला-बुलाकर हालचाल पूछने और जबरिया चाय पिलाने वाले जानदार, षानदार, मिलनसार व्यक्तित्व के ‘धनी’ ‘चंद्रभूषणमिश्रजी’ अब हम लोगों के बीच नहीं रहे। जैसे ही इनके न रहने की खबर आई लोग सन्न रह गए, इनके चलते देर रात्रि तक गुलजार रहने वाला न्याय मार्ग अब इनके बिना सूना-सूना सा लगेगा। मिश्राजी ऐसे व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे, जिनकी प्रषंसा विरोधी दलों के लोग भी करते रहे। सपा पार्टी के प्रति रात-दिन समर्पित रहने वाले मिश्राजी जैसा कार्यकर्त्ता पार्टी को बिरले ही मिलते। अन्य लोगों की तरह इन्होंने पद के लिए इन्होंने कभी पार्टी को धोखा नहीं दिया। पार्टी के प्रति वफादार रहना कोई मिश्रीजी से सीखे। खाने और खिलाने के षौकीन मिश्राजी हमेषा लोगों के दिलों में रहेगें। कपड़ा पहनना मानो इनका प्रिय षौक रहा, एक साथ 20-25 जोड़ी कुर्ता और पैजामा सिलवाते थे, एक सप्ताह पहले इन्होंने कहा कि उन्होंने 25 जोड़ी गरम कुर्ता, पैजामा और जैकिट सिलवाया। इनकी आलमारी में आज भी दो दर्जन से अधिक ओवर कोर्ट टंगा होगा। लोग एक दो जोड़ी इनर खरीदते थे, और यह एक दर्जन एक साथ खरीदने थे। सपा की सेवा में पूरी जवानी खपाने वाले ‘मिश्राजी’ ऐसे व्यक्ति रहे, जिन्होंने कभी अपने विरोधी और दुष्मन को भी बुरा भला नहीं कहा। यह किसी लाभकारी पद के मोहताज कभी नहीं रहे। जनेष्वर मिश्रजी जब कभी बस्ती आते इनके आवास पर ही ठहरते। पार्टी के प्रति इनकी ईमानदारी और समर्पण की भावना से मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेष सिंह यादव तक प्रभावित रहते थे। छात्र जीवन से ही यह लड़ाकू रहे। यह पहले ऐसे नेता और व्यक्ति रहे, जो विवादरहित थे। हालांकि इनके साथ इनके ही लोगों ने इनके पीठ में छूरा भोकने का काम किया, लेकिन इन्होंने कभी सार्वजनिक रुप से विरोध नहीं किया। इनकी याद में पूरे जिले में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई।
कहना गलत नहीं होगा, इनके न रहने से पार्टी को बहुत बड़ा नुकसान हुआ। इनकी भरपाई होना कठिन। वैसे श्रद्धांजलि देने वालों में इतने नाम हैं, कि अगर सबका नाम लिख दिया जाए, तो अखबार कम पड़ जाएगा। इनमें मुख्य रुप से मिश्राजी के अतिकरीबी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह, राजेंद्रनाथ तिवारी, हरीष सिंह, यषकांत सिंह, भोलू सिंह, चंद्रेष प्रताप सिंह, रविंद्र गौतम, खादिम हुसैन, राम आधार पाल, कुलवेद्र सिंह मजहबी, दयाषंकर मिश्र, संजय चौधरी, अब्दुल हक, ज्वाला प्रसाद यादव, अनिल दूबे, दिनेष दूबे, राम सिंह, फूलचंद्र श्रीवास्तव, दुर्गेष, उदयषंकर षुक्ल, अषोक पांडेय, सूर्य प्रकाष षुक्ल, मोहित पांडेय, सुरेंद्र पांडेय, स्कंद षुक्ल, सतीष श्रीवास्तव, अनुज प्रताप सिंह, मनोज कुमार यादव, सुदृष्टि नरायन तिवारी, विनोद उपाध्याय, विपिन बिहारी त्रिपाठी, गोपाल सिंह, डा. वीके वर्मा, सदानंद, अम्बिका सिंह, अवधेष तिवारी, नरेंद्र उपाध्याय, अंकुर वर्मा, बाबूराम सिंह, विजय द्विवेदी, राना दिनेष प्रताप सिंह, केके दूबे, अनूप मिश्र, दुष्यंत सिंह, राना सिंह पगार, किस्सू, अषोक कुमार सिंह, अजय श्रीवास्तव, दिनेष यादव, राजाराम यादव, विजय यादव, कोयल, जमील अहमद, सुषील यादव, वीरेंद्र चौधरी सहित अन्य का नाम षामिल।
खो-खो की जूनियर बालक और जूनियर बालिका की टीम घोषित
बस्ती। जूनियर खो खो प्रदेशीय प्रतियोगिता 2025-26 जनपद हरदोई में भाग लेने वाली जूनियर बालक और जूूनियर बालिका वर्ग के ख्लिाड़ियों के नामों का एलान किया गया है। एमेच्योर खो खो संघ, बस्ती ने जूनियर बालक वर्ग में सैनी, शिवम, इरशाद अली, अंश्क पासवान, युवराज सिंह, हर्ष मौर्या, कृष्णा सिंह, अरपित, अंकित सोनी, दीपांकर, मोहम्मद कैफ, मनीष, अफजल एवं टीम मैनेजर रौनक राजभर, टीम कोच संतोष कुमार जायसवाल।
जूनियर बालिका वर्ग में अनीता यादव, गरिमा, लक्ष्मी, प्रियंका यादव, प्रियंका शर्मा, मिनाक्षी यादव, सावित्री, सरिता, सृद्धी एवं टीम मैनेजर अभिषेक गौतम टीम कोच खुशी यादव द्वारा उपरोक्त प्रतियोगिता में प्रतिभाग करेगी। टीम को रवाना करनें के समय एमेच्योर खो खो संघ,बस्ती के ’अध्यक्ष’ रामजी पाण्डेय, ’सचिव’ संतोष कुमार जायसवाल,’वरिष्ठ उपाध्यक्ष’ प्रज्ञा सिंह, ’महामंत्री’ रमाकांत शुक्ल,’संगठन मंत्री’ अखिलेश यादव, ’उपाध्यक्ष’ संदीप श्रीवास्तव, सुरजीत, ’कोषाध्यक्ष’ अजय श्रीवास्तव एडवोकेट सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
‘एसडीएम’ सदर के ‘खिलाफ’ लामबंद हुए ‘बीएलओ’
बस्ती। बीएलओ के प्रति अधिकारियों का जो व्यवहार सामने आ रहे है, एसआईआर के प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। अब तो अधिकारियों के कार्य और व्यवहार से दुखी होकर बीएलओ आंदोलन की ओर जाने की धमकी देने लगें है। कुछ इसी तरह का उत्तम गिरि ग्राम रोजगार सेवक, ग्राम पंचायत डारीडीहा विकास खण्ड सदर के मामले में देखा गया। जिस तरह सदर के उपजिलाधिकारी शत्रुघ्न पाठक के द्वारा क्षेत्र भ्रमण के दौरान ग्राम पंचायत में सार्वजनिक रूप से अपमानित करने, अभद्रता करने एवं एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी दी गई, उसे लेकर डीएम को ज्ञापन दिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि अगर एसडीएम के खिलाफ अनुषाासनिक कार्रवाई एक सप्ताह में नहीं की गई तो आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
कहा गया कि तहसील सदर के उपजिलाधिकारी शत्रुघ्न पाठक के द्वारा बीएलओ के रूप में कार्यरत ग्राम रोजगार सेवक उत्तम गिरि ग्राम पंचायत डारीडीहा विकास खण्ड सदर को क्षेत्र भ्रमण के दौरान सार्वजनिक रूप से बेहद अपमानित किया और अशोभनीय भाषा का प्रयोग करते हुए धमकी इत्यादि भी दी जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर प्रदेश भर में वायरल है जिसमें उपजिलाधिकारी न केवल ग्राम रोजगार सेवक से अभद्रता कर रहे हैं, बल्कि समूचे ग्राम विकास विभाग के कर्मियों को कामचोर और लापरवाह भी बता रहे हैं। कहा गया कि ग्राम रोजगार सेवक अल्प मानदेय में मनरेगा सहित सरकार की सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को जनमानस तक पहुंचाने में अपना पूरा सहयोग करते रहे हैं, विभागीय कार्यों को छोड़ दें तो जब तहसील के कर्मियों ने क्राप सर्वे (अग्रिस्टेक) से पीछा छुड़ाया तो ग्राम रोजगार सेवकों ने ही उस कार्य को पूरा करने में अपना योगदान दिया, फार्मर रजिस्ट्री का कार्य भी रोजगार सेवक कर रहे हैं बीएलओ के रूप में पिछले 10-12 सालों से कार्य करते आ रहे हैं। लंबे समय से मानदेय भुगतान न होने के बाद भी हम सभी साथी किसी भी कार्य को करने में कभी पीछे नहीं रहे, बीएलओ जैसी महत्वपूर्ण जिममेदारी को भी हम सभी निभा रहे हैं लेकिन उसके बाद भी उपजिलाधिकारी सदर के द्वारा ऐसी अभद्रता करने से जिले भर के ग्राम रोजगार सेवकों सहित ग्राम विकास विभाग के कर्मियों में आक्रोश व्याप्त है इनके दुर्व्यवहार का वीडियो वायरल होने से प्रांतीय संगठन एवम् रोजगार सेवक भी काफी आक्रोशित हैं और कभी भी बस्ती आने को तैयार हैं। कहा गया कि उच्च पद पर बैठे अधिकारी को किस व्यक्ति किस कार्मिक से कैसा व्यवहार करना चाहिए यह भी ज्ञात नहीं, यदि किसी कर्मी द्वारा कार्य में कोई षिथिलता बरती गई थी तो उसको कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण प्राप्त करना था न कि खुलेआम अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपमानित करना था। ज्ञापन देते समय प्रदेश उपाध्यक्ष अमित किशोर यादव वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद चौधरी जी जिला उपाध्यक्ष चंद्रशेखर चौधरी बहादुरपुर ब्लॉक अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्रा जी साऊघाट ब्लाक अध्यक्ष कैशो यादव जी अवनीश शुक्ला इरशाद अहमद हनुमान प्रसाद रोहित कुमार विजय प्रताप परशुराम भगवती प्रसाद अरुण कुमार विशाल कुमार एवं अन्य मौजूद रहे
‘राजेश कुमार’ अध्यक्ष तो ‘योगेश्वर प्रसाद’ बने मंत्री
बस्ती। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ रूधौली का अधिवेशन एक मैरिज हॉल में संपन्न हुआ। अधिवेशन में शिक्षक समस्याओं, टेट की अनिवार्यता, ऑन लाइन हाजिरी आदि मुद्दों पर विचार करने के साथ ही दूसरे सत्र में चुनाव अधिकारी विनोद यादव, पर्यवेक्षक इन्द्रसेन मिश्रा की देख रेख में चुनाव सम्पन्न कराया गया। शशिकांत दूबेे संरक्षक, राजेश कुमार चौधरी अध्यक्ष, रजनीश मिश्र कार्यवाहक अध्यक्ष, सुधाकर उपाध्याय वरिष्ठ उपाध्यक्ष, श्रीमती प्रीति ओझा, कौशल किशोर पाण्डेय, गब्बूलाल, सुशील कुमार उपाध्याय, भानु प्रकाश चौबे, हेमंत कुमार मिश्रा, उमेश कुमार चौधरी, बृजेश उपाध्यक्ष, योगेश्वर प्रसाद शुक्ला मंत्री, अमरेश कुमार द्विवेदी कोषाध्यक्ष, आदित्य मिश्रा संयुक्त मंत्री, सचिदानंद गुप्ता, प्रदीप कुमार चौधरी, गौरव द्विवेदी, प्रतुल पाण्डेय, सदानंद मौर्य, प्रशांत पाण्डेय, अमरेश यादव, संजीव सिंह, अलका चौधरी संगठन मंत्री, कृष्ण कुमार शर्मा, ओमप्रकाश गुप्त, वंदना चौधरी प्रचार मंत्री, अंकुर मिश्रा एकाउंटेंट, दिनेश कुमार ऑडिटर, संजय कनौजिया मीडिया प्रभारी चुने गए।
नव निर्वाचित पदाधिकारियों को जिलाध्यक्ष उदय शंकर शुक्ला ने पद औरं गोपनीयता की शपथ दिलाया। कहा कि संगठन को मजबूत बनाने और समस्याओं के समाधान हेतु ने सभी पदाधिकारी एक जुट रहकर शिक्षक हितों में कार्य करे। बताया कि विकास क्षेत्र हरैया में 25 नवंबर, बस्ती सदर 26, बनकटी 27, बहादुरपुर 29 और सॉऊघाट में 1 दिसंबर को संपन्न होगा। उन्होने आवाहन किया कि 11 दिसंबर को जंतर मंतर नई दिल्ली में धरना प्रदर्शन में बस्ती से बड़ी संख्या में शिक्षक रवाना होंगे। श्री शुक्ल ने कहा कि टेट की अनिवार्यता, ऑन लाइन हाजिरी के सवालों को लेकर संघ निरन्तर संघर्षरत है। शीघ्र ही शिक्षकोंके पक्ष में परिणाम आयेगे। उन्होने बताया कि 26 दिसंबर को जनपदीय अधिवेशन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में होगा। इसमें जनपद के सभी शिक्षक अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। इसके पूर्व अधिवेशन का उद्घाटन खण्ड शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार ने किया।
अधिवेशन और चुनाव के दौरान मुख्य रूप से गुरूलाल, ज्ञानेश्वर शुक्ल, कृष्ण कुमार शर्मा, धर्मेन्द्र कुमार पाण्डेय, रविशंकर मिश्र, शशांक कुमार सिंह, दीपक शर्मा, सुरेन्द्र, विनायकमणि त्रिपाठी, शमसेर अली, श्यामलाल, वशिष्ठ कुमार चौधरी, प्रतिमा, अमरावती, इन्द्रावती, जूही, चन्द्रशेखर चौधरी, रमेश चन्द्र शर्मा, कन्हैयालाल यादव, गिरजेश के साथ ही अनेक शिक्षक उपस्थित रहे।
‘मण्डल’ ने ‘समाजवादी’ आन्दोलन के ‘पुरोधा’ और ‘अध्येता’ को खो ‘दिया’!
बस्ती। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता लगभग 68 वर्षीय चन्द्रभूषण मिश्र का 21 नवम्बर शुक्रवार की भोर में निधन हो गया। समाजवादी पार्टी बस्ती के कार्यालय परिसर में उन्हें पार्टी विधायकों, नेताओं, कार्यकर्ताओं ने अश्रुपूरित श्रद्धाजलि अर्पित किया। बस्ती मण्डल ने समाजवादी आन्दोलन के पुरोधा और अध्येता को खो दिया। पूर्व विधायक राजमणि पाण्डेय, विधायक समाजवादी पार्टी अध्यक्ष महेन्द्रनाथ यादव, विधायक राजेन्द्र चौधरी, कवीन्द्र चौधरी, दया शंकर मिश्र, रवीन्द्र यादव, राजाराम यादव के साथ ही पार्टी के अनेक नेताओं, कार्यकर्ताओं ने कहा कि चन्द्रभूषण मिश्र आजीवन समाजवादी रहे और पार्टी को निरन्तर गति दिया। उन्हें समाजवादी पुस्तकों के अध्ययन की विशेष रूचि थी। उनका निधन पार्टी और समाज के लिये अपूर्णनीय क्षति है।
संतकबीरनगर जनपद के मेहदावल तहसील के मिश्रौलिया स्थित उनके मूल गांव से परिजन शव लेकर समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंचे तो दलीय प्रतिबद्धताओं को तोड़ बड़ी संख्या में लोगों ने चन्द्रभूषण मिश्र को श्रद्धासुमन अर्पित किया। उनका अंतिम संस्कार अयोध्या के सरयू तट पर किया गया।
श्रद्धासुमन अर्पित करने वालों मंें मो स्वाले, जावेद पिडारी, गीता भारती, अरविंद सोनकर, प्रशान्त यादव, बृजेश मिश्र, दिनेश तिवारी, युनुस आलम, विजय विक्रम, राघवेन्द्र सिंह, छोटे सिंह, राजेन्द्र चौरसिया, प्रमोद यादव, मो सलीम, गुलाब सोनकर, रन बहादुर यादव, समीर चौधरी, शैलेन्द्र दूबे, श्याम यादव, जमील, मो0 सलीम, आर डी गोस्वामी, जितेन्द्र यादव, हरिओम श्रीवास्तव, अरविन्द पाल, सत्येन्द्र सिंह भोलू, रालोद के अरूणेन्द्र पटेल, दीनदयाल तिवारी, गौरीशंकर, के साथ ही बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे। अयोध्या में सरयू तट पर अंतिम संस्कार के दौरान लोगों ने अपने नेता को अंतिम विदाई दी।






