‘एलडीएम’ पर गरजे ‘हरीश सिंह’, पूछा कैसे ‘मरी’ एक दर्जन ‘समूह’ की ‘महिलाएं’?


एलडीएम’ पर गरजे ‘हरीश सिंह’, पूछा कैसे ‘मरी’ एक दर्जन ‘समूह’ की ‘महिलाएं’?

-एमएलएसी प्रतिनिधि ने कहा कि सीडीओ साहब एलडीएम झूठ बोल रहे, जब एमबीआई और पीएनबी जैसी बैंकों ने समूह की महिलाओं को लोन नहीं दिया तो महिलाओं ने मजबूरी में माइक्रो फाइनेंस से 30-50 फीसद सूद पर लोन लिया, चुकता न कर पाने की स्थित पर नगर, कुसौरा और हर्रैया की एक दर्जन महिला समूेह की महिलाओं ने आत्महत्या कर लिया

-इस पर जैसे ही एलडीएम मौर्यजी ने कहा कि आप लोग गलत बोल रहे हैं, इस पर गुलाब चंद्र सोनकर, सरोज मिश्र, फूलचंद्र श्रीवास्तव और मो. सलीम जैसे कथित प्रतिनिधियों ने कहा कि एक तो आप लोग महिलाओं को आत्महत्या करने को मजबूर कर रहें, और दूसरी तरफ हम्हीं लोगों को झूठा ठहरा रहे

-कहा कि झूठे आप हैं, फर्जी रिपोर्ट आप लोग लगाते हैं, गुलाबचंद्र और सरोज मिश्र ने कहा कि जब आप लोगों को जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव को मानना ही नहीं तो क्यों प्रस्ताव लेते हैं, और क्यों झूठी रिपोर्ट लगाते, सांसद रामप्रसाद चॉैधरी, विधायक अजय सिंह और कबिंद्र चौधरी ने प्रस्ताव दिया, लेकिन आप लोगों ने उसे रददी की टोकरी में डाल दिया

-इस पर जब सब लोग बैठक का वाकआउट करने लगे तो एलडीएम ने सबसे मांफी मांगी, सीडीओ ने किसी तरह मामले को संभाला, एक बार फिर जनप्रतिनिधियों के स्थान पर कथित प्रतिनिधियों ने मोर्चा संभाला

बस्ती। हर बार की इस बार भी एमएलसी प्रतिनिधि हरीष सिंह बैठक में दहाड़े। बीएलबीसी यानि बैंकों के कामकाज की समीक्षा बैठक में मामला उस समय गंभीर हो गया, जब एलडीएम मौर्याजी ने एमएलसी प्रतिनिधि हरीष सिंह और अन्य कथित प्रतिनिधियों को ही झूठा साबित करने का प्रयास किया। इस पर एमएलएसी प्रतिनिधि ने कहा कि सीडीओ साहब, एलडीएम अपनी कमियों को छिपाने के लिए हम्हीं लोगों को झूठा बता रहे हैं, जबकि असलियत यह है, कि एसबीआई और पीएनबी जैसी बैंकों की तानाषाही के चलते जिले की महिला समूह की महिलाएं आत्हत्याएं कर रही है, कहा कि अब तक एक दर्जन से अधिक समूह की महिलाएं प्राइवेट यानि माइक्रो फाइनेंस से 30-50 फीसद सूद पर लिए गए पैसे को न चुकता करने पाने के कारण नगर, कुसौरा और हर्रैया में महिलाएं आत्महत्याएं कर चुकी है। पूछा कि सीडीओ साहब बताइए, इन महिलाओं की मौत का जिम्मेदार कौन हैं? कहा कि अगर एलडीएम की ओर से महिला समूहों को लोन देने का कार्य करवाया जाता, तो इतनी बड़ी संख्या में समूह की महिलाएं आत्महत्या न करती, सच तो यह है, कि महिलाओं के द्वारा किए गए आत्महत्या के लिए एलडीएम और नामचीन बैंकें जिम्मेदार है। एलडीएम से पूछा कि क्यों आप के बैकों का ऋण जमानुपात यानि सीडी रेसियो अन्य प्राइवेट बैंकों की अपेक्षा कम क्यों हैं? कहा कि कम इस लिए हैं, क्यों कि आप लोग लोन नहीं देते है? सीडीओ साहब से कहा कि जब बैंकें लोन नहीं देंगी तो उनका सीडी रेसियो कैसे बढ़ेगा? कहा कि प्राइवेट बैंकों का सीडी रेसियो 70-80 फीसद हैं, और इनकी बैकों का मात्र 34 फीसद। इस पर एलडीएम की बोलती बंद हो गई। हरीष सिंह की बातों का समर्थन गुलाब सोनकर, सरोज मिश्र, मो. सलीम और फूलचंद्र श्रीवास्तव सहित अन्य नेताओं ने भी किया। इस पर जैसे ही एलडीएम मौर्यजी ने कहा कि आप लोग गलत बोल रहे हैं, तब गुलाब चंद्र सोनकर, सरोज मिश्र, फूलचंद्र श्रीवास्तव और मो. सलीम जैसे कथित प्रतिनिधियों ने कहा कि एक तो आप लोग महिलाओं को आत्महत्या करने को मजबूर कर रहें, और उपर से हम्हीं लोगों को झूठा ठहरा रहे, कहा कि झूठे आप हैं, फर्जी रिपोर्ट आप लोग लगाते हैं, गुलाबचंद्र सोनकर और सरोज मिश्र ने कहा कि जब आप लोगों को जनप्रतिनिधियों के प्रस्ताव को मानना ही नहीं तो क्यों प्रस्ताव लेते हैं, और क्यों झूठी रिपोर्ट लगाते? कहा कि सांसद रामप्रसाद चॉैधरी, विधायक अजय सिंह और कबिंद्र चौधरी ने प्रस्ताव दिया, लेकिन आप लोगों ने उसे रददी की टोकरी में डाल दिया।


उपर से यहां पर गलत बयानी कर रहे है। इस पर जब सब लोग बैठक का वाकआउट करने लगे तो एलडीएम ने सबसे मांफी मांगी, सीडीओ ने किसी तरह मामले को संभाला। एक बार फिर जनप्रतिनिधियों के स्थान पर कथित प्रतिनिधियों ने मोर्चा संभाला। बार-बार कहा जा रहा है, कि अगर अधिकारियों को भरी बैठक में नंगा करना है, तो बैठक में आने से पहले हरीष सिंह की तरह होमवर्क करके आना होगा। एकराय होकर हमला करना होगा। अगर बैठकों में जनप्रतिनिधि सवाल जबाव नहीं करेगें तो करेगा कौन? इस लिए अगर बैठक का हीरो बनना हैं, तो अधिकारियों पर सवालों का हमला करना होगा। अधिकारियों को भी लगना चाहिए कि जिले के जनप्रतिनिधि सिर्फ चाय और समोसा खाने नहीं आते। सच तो यह है, कि सरकार की अधिकांष योजनाएं राष्टीयकृत बैंकों की दादागिरी के कारण असफल हो रही है। एलडीएम का यह कहना है, कि प्राइवेट बैंकें गुंडों और लाडी के बदौलत ऋण के बकाए की वसूली करती हैं, पूरी तरह गलत है। चूंकि बैंकों के जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती नहीं, इस लिए यह मनमानी करते है। देखा जाए तो इनका टारगेट कभी नहीं पूरा होता, और प्राइवेट बैंकों का पूरा भी होता है, और सीडी रेसियो भी अच्छा होता हैं। कहा भी जाता है, जिस दिन टारगेट पूरा न करने वाले बैंक मैनेजर और एलडीएम के खिलाफ कार्रवाई होने लगेगी, उसी दिन सरकार की योजनाएं भी सफल होगी और तब फिर कोई महिला समूह की महिलाएं आत्महत्या भी नहीं करेंगी।



खाद’, ‘धान’ और ‘गेहूं’ की ‘चोरी’ कर सचिव ‘मुकेश गुप्त’ बना ‘करोड़पति’!

-जिस समिति के अध्यक्ष ने सहायक सचिव से सचिव बनाया, उसी सचिव ने अध्यक्ष को ही चूना लगा दिया

-35 साल से साधन सहकारी समिति महथा सजहरा के अध्यक्ष रहें षेषराम चौधरी ने सचिव मुकेष गुप्त की अकूत संपत्ति का लेखाजोखा देते हुए डीएम से सपंत्तियों की जांच कराने की मांग की

-जिन संपत्तियों का ब्यौरा दिया गया, उनमें नगर पंचायत बनकटी के देईसाड़ में आमने सामने तीन आलीषान आवास और दुकान, टिकवाजोत में मुख्य मार्ग पर आलीषान मकान, देइसाड़ बानपुर मुख्य मार्ग पर एवं मकदूमपुर में दो आलीषान मकान

-पूर्व अध्यक्ष के गेहू के 38200 रुपया काटकर उसे गांव भर के किसानों को सदस्य बना दिया, पूछा कि क्यों मेरे पैसे से सदस्य बनाए तो कहने लगा कि गेहूं और धान में एडजस्ट हो जाएगा

-पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मुकेष गुप्त को सचिव बनाने के लिए वर्तमान एआर ने सिफारिष किया था, बाद में जब सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र दिया तो सचिव से भारी रकम लेकर जांच को ही रददी की टोकरी में डाल दिया

-कहा कि यह सरकारी खाद, गेहूं और धान खरीदता और उसे बेचता भी है, इसके खुद के नाम से खाद और बिल्डिगं मैटेरिएल कर दुकान, कहते हैं, कि ईमानदार बनिया समझकर सचिव बनाया, लेकिन यह तो बड़ा ही बेईमान निकला और हमको ही ठग लिया

बस्ती। जो लोग समितियों के सचिवों को दीनहीन और गरीब समझते हैं, वे गलती करते है। आज का कोई समिति का सचिव करोड़पति से कम नहीं है। इन्हें करोड़पति बनाने में सबसे बड़ा हाथ एआर और पीसीएफ के डीएस का है। अब आप समझ सकते हैं, कि जब एक सचिव करोड़ों की संपत्ति का मालिक हो सकता है, तो एआर और पीसीएफ के डीएस की क्या हैसियत होगी? इसी लिए एआर बार-बार बस्ती आते है। इसी को देखते हुए मीडिया ने नवागत डीएम से कहा था, कि मैडम एआर, पीसीएफ के डीएस और जिला कृषि अधिकारी पर कभी भरोसा मत करिएगा। एक ऐसे समिति के सचिव का मामला सामने आया, जिसके पास इतनी संपत्ति हैं, उतनी किसी माफिया के पास नहीं होगी। इस सचिव का नाम हैं, मुकेष गुप्त, और यह साधन सहकारी समिति महथा सजहरा के वर्तमान सचिव है। इनके अकूत संपत्तियों की जांच किसी और ने नहीं बल्कि इस समिति के 35 साल से अध्यक्ष रहने वाले षेषराम चौधरी ने किया। यह वही अध्यक्ष हैं, जिन्होंने सहायक सचिव मुकेष गुप्त को सचिव बनाया, और इसे एआर के सिफारिष पर बनाया गया।


इस सचिव की बेईमानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि जिस समिति के अध्यक्ष ने सहायक सचिव से सचिव बनाया, उसी सचिव ने अध्यक्ष को ही चूना लगा दिया। षपथ-पत्र के साथ 35 साल से साधन सहकारी समिति महथा सजहरा के अध्यक्ष रहें षेषराम चौधरी ने सचिव मुकेष गुप्त की अकूत संपत्ति का लेखाजोखा देते हुए डीएम से सपंत्तियों की जांच कराने की मांग की है। जिन संपत्तियों का ब्यौरा दिया गया, उनमें नगर पंचायत बनकटी के देईसाड़ में आमने सामने तीन आलीषान आवास और दुकान, टिकवाजोत में मुख्य मार्ग पर आलीषान मकान, देइसाड़ बानपुर मुख्य मार्ग पर एवं मकदूमपुर में दो आलीषान मकान। पूर्व अध्यक्ष का कहना है, कि सचिव ने मेरे खाते से गेहू का 38200 रुपया काट लिया, और उस पैसे से गांव भर के किसानों को सदस्य बना दिया, पूछा कि क्यों मेरे पैसे से सदस्य बनाए तो कहने लगा कि गेहूं और धान में एडजस्ट हो जाएगा। पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि मुकेष गुप्त को सचिव बनाने के लिए वर्तमान एआर ने सिफारिष किया था, बाद में जब सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पत्र दिया तो सचिव से भारी रकम लेकर जांच को ही रददी की टोकरी में डाल दिया। कहा कि यह सरकारी खाद, गेहूं और धान खरीदता और उसे बेचता भी है, इसके खुद के नाम से खाद और बिल्डिगं मैटेरिएल की दुकान भी है, कहते हैं, कि ईमानदार बनिया समझकर सचिव बनाया, लेकिन यह तो बहुत बड़ा ही बेईमान सचिव निकला इसने हमको ही ठग लिया। अब आप लोग समझ गए होगें कि इन भ्रष्ट सचिवों ने कहां से धान घोटाले का करोड़ों रुपया जमा किया। वह तो कमिष्नर के चलते जांच नहीं हुई नही ंतो यह लोग आज जेल में होते।


‘सिख’ समाज ‘सदैव’ सेवा में ‘विश्वास’ रखताःकुलवेंद्र सिंह

-रक्तदान करके हम दूसरे का जीवन बचाने का माध्यम बनतःराजेंद्रनाथ तिवारीे

-श्री गुरु तेग बहादुर सिंह के शहीदी दिवस पर 27 ने किया रक्तदान

बस्ती। श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी के 350 में शहीदी दिवस पर गुरु गोविंद सिंह नगर कंपनी बाग में रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। हरी सिंह बब्लू के संयोजन में कुल 27 लोगों ने रक्तदान किया। बादशाही अखाडा के सरदार कुलवेन्द्र सिंह ने कहा कि सिख समाज सदैव सेवा में विश्वास रखता है। रक्तदान शिविर का उद्देश्य ऐसे लोगों का संकट में जीवन बचाना है जो रक्त पाकर स्वस्थ हो सकते हैं।



भाजपा के वरिष्ठ नेता जिला सहकारी बैंक अध्यक्ष राजेन्द्रनाथ तिवारी ने कहा कि रक्तदान महादान है। इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं होता और हम दूसरे का जीवन बचाने का माध्यम बनते हैं। ज्ञानी हर्षदीप सिंह ने श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी के 350 वे शहीदी दिवस पर विस्तार से जानकारी दिया। कहा कि सिख धर्म में राष्ट्र के लिये बलिदान की लम्बी परम्परा है। बताया कि श्री गुरु तेग बहादुर जी सिखों के नौवें गुरु थे। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धान्त की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है। श्री गुरु तेग बहादुर जी विश्व में प्रभावशील गुरू है। उन्होने मुगलिया सल्तनत का विरोध किया। 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने उन्हे इस्लाम स्वीकार करने को कहा। पर गुरु साहब ने कहा कि सीस कटा सकते हैं, केश नहीं। इस पर औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया।

रक्तदान करने वालों में विजयदीप, राजेन्द्र सिंह दिल प्रीत सिंह, करन, हरी सिंह, दमन प्रीत सिंह, कृष्ण कुमार पाण्डेय, इन्द्रपाल सिंह रिंकल, गुरूप्रीत भाटिया, संचित सचदेवा, विशाल अरोडा, सुरजीत सिंह, सुदृष्टि नरायन त्रिपाठी, हर्षदीप शुक्ल, अनिल कुमार, रश्मीत सिंह, गुरूमीत सिंह, प्रीती पाण्डेय, गुरूप्रीत भाटिया, मनीष अग्रवाल, सत्यप्रीत मौर्या, शशांक त्रिपाठी, जगन्नाथ, गगन गुप्ता, सिफत सिंह, शशांक राजगढ़िया, दीपेंद्र सिंह एडवोकेट, इंद्रपाल सिंह आदि शामिल रहे। बस्ती चेरिटेबल ट्रस्ट के विजय सिंह, मुकेश गौतम, जितेन्द, मुकेश कुमार आदि ने रक्तदान में योगदान दिया। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।


इंद्र की पूजा रुकवाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई

-आचार्य उत्कर्ष पाण्डेय जी महाराज की कथा में कृष्ण लीला का अद्भुत वर्णन

बनकटी/बस्ती। आचार्य उत्कर्ष पाण्डेय जी महाराज ने अपनी नवीनतम कथा में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का मनमोहक वर्णन किया। इस कथा में उन्होंने न केवल भगवान के प्रेम-सुलभ स्वरूप को भक्तों के सामने रखा, बल्कि पर्यावरण और प्रकृति के प्रति हमारे दायित्व का गहरा संदेश भी दिया। कथा के आरंभ में इस बात पर जोर दिया कि जिस परम सत्ता को बड़े-बड़े ऋषि, मुनि और देवता तपस्या और यज्ञों से भी प्राप्त नहीं कर पाते, वही भगवान श्री कृष्ण भक्तों और प्रेमियों के लिए सहज, सुलभ और सरल हैं।

प्रभु की लीलाएं दर्शाती हैं कि वे पद, प्रतिष्ठा या ज्ञान के भूखे नहीं, वे केवल निश्छल प्रेम के वशीभूत हैं। महाराज श्री ने माखन चोरी लीला का वर्णन करते हुए कहा कि यह केवल शरारत नहीं, बल्कि भक्तों के अहंकार को पिघलाने और उनके हृदयों को शुद्ध करने की लीला है। भगवान गोप-ग्वालों के घरों में माखन चुराकर, उन्हें अपने प्रेम का प्रसाद देते थे। यह माखन चोरी उन भक्तों के लिए प्रेम-प्रसाद बन गई, जिन्हें भगवान स्वयं अपनी नजदीकी और स्पर्श का सुख प्रदान करते थे। कथा के दौरान उद्धार का प्रसंग भी जोड़ा गया, जिसमें यह दर्शाया गया कि जो भगवान के दर्शन और स्पर्श से वंचित थे, उन्हें इस लीला के माध्यम से सहज ही प्रभु की कृपा प्राप्त हुई। पूतना को मिली माँ की गतिरू पापनी पर भी प्रभु की कृपा

आचार्य उत्कर्ष पाण्डेय जी ने पूतना उद्धार प्रसंग को विशेष रूप से भक्तों को भाव-विभोर कर दिया। उन्होंने समझाया कि पूतना एक पापनी राक्षसी थी जो प्रभु को मारने आई थी, लेकिन भगवान ने उसे भी माता की गति प्रदान की। भगवान ने पूतना के अंदर के दुष्ट कर्मों को जलाकर, उसके श्माँश् बनने के भाव को स्वीकार किया। यह प्रभु की असीम करुणा है, जो शत्रु को भी मोक्ष प्रदान करती है। यह दर्शाता है कि प्रभु के पास आया हुआ कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं जाता। कथा का सबसे महत्वपूर्ण संदेश गोवर्धन पूजा से मिला। आचार्य श्री पाण्डेय जी ने इस प्रसंग को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के सम्मान के रूप में बरदायिनी गौ शाला में जाकर बघाड़ी में जाकर मुख्य यजमान बलराम प्रसाद शुक्ल के द्वारा पूजन अर्चन करवाने के बाद प्रस्तुत किया। भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा रुकवाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा कराई। इसका गहरा अर्थ यह है कि हमें देवताओं की पूजा से पहले उन प्राकृतिक शक्तियों जैसे गौ,पर्वत, पेड़-पौधे, जल, वायु का सम्मान और संरक्षण करना चाहिए जो हमें जीवन देती हैं। गोवर्धन पूजा हमें सिखाती है कि प्रकृति गौमाता ही हमारी पहली देवी है, और उसे बचाना हमारा सबसे बड़ा धर्म है। देवताओं को प्रसन्न करने से पहले हमें अपने पर्यावरण को सुरक्षित करना चाहिए। महाराज की कथा में श्रद्धालुओं को भगवान के बाल स्वरूप की मधुरता के साथ-साथ, धर्म और पर्यावरण के प्रति एक नए दृष्टिकोण की प्रेरणा मिली।इस मौके परमुख्य यजमान बलराम प्रसाद शुक्ल द्वारा कथा में पहुंचने वाले श्रदालुओ का आभार व्यक्त किया गया। इस मौके पर बनारस से यज्ञाचार्य सत्यम दूबे,रामानंद तिवारी तबला पर संगत कर रहे गोन्डा से पिन्टू बाबा, ओक्तापैड परअंकित दूबे, आर्गन पर मुकेश कैमरा पर मध्यप्रदेश रीवा से राजन तिवारी, गोविन्द प्रसाद शुक्ल बिष्णु कुमार पाल, विनोद यादव,दयाराम गंगेश शुक्ल,कैलाश नाथ पान्डेय, ओमप्रकाश शुक्ल, रामनवल शुक्ल, राम बुझारत,अलगू यादव, प्रत्यूष मिश्र, विराट मिश्र आदि मौजूद रहे।  

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