‘अध्यक्षजी’ कुछ तो ‘शर्म’ कीजिए, ‘बहुत’ लूट ‘लिया’ ‘अब’ तो छोड़ ‘दिजीए’!


‘अध्यक्षजी’ कुछ तो ‘शर्म’ कीजिए, ‘बहुत’ लूट ‘लिया’ ‘अब’ तो छोड़ ‘दिजीए’!

-जिला पंचायत अध्यक्ष, एएमए, इंजीनियर, जेई और ठेकेदार मिलकर विकास भवन के बगल में थर्ड ग्रेड ईंट का इस्तेमाल नींव में कर रहें, खुले आम न्याय मार्ग के सड़क किनारे डीएम और सीडीओ की आंख में धूम झोंक कर दुकानों की बुनियाद ही घटिया ईंट से कर रहे

-जिस भवन की बुनियाद ही थर्ड ग्रेड कर ईंट से होगी, उस भवन की गुणवत्ता कैसी और भवन कितने सालों टिकेगा पर सवाल उठ रहें, अधिकारियों को बेवकूफ बनाने के लिए विकास भवन के बगल में ए ग्रेड का ईंट का चटटा लगा रखा हैं, ताकि जांच में इसी ईंट का दिखया जा सके

-सड़क वाले ईंट के चटटे में से जब एक ईंट नीचे काम कर रहे मजदूर से गिराया गया तो उसके कई टुकड़े हो गए, और जब विकास भवन के बगल वाले चटटे में से ईंट गिराया गया तो आवाज करके चटक कर दूर जा गिरा, एक भी टुकड़ा नहीं हुआ

-इसी रास्ते से न जाने कितनी बार अध्यक्ष और एएमए गुजरते होग, लेकिन एक बार भी यह देखना गुजारा नहीं समझा कि ठेकेदार थर्ड ग्रेड या फिर ए ग्रेड का कर रहा, बखरा मिल गया, सभी ने आंख बद कर लिया, जिला पंचायत सदस्य के सामने में भी घटिया निर्माण हो रहा है, लेकिन यह भी कुछ बोलने को तैयार नहीं।



-सदर विधायक महेंद्रनाथ यादव तो घटिया ईंट के बगल में अपनी गाड़ी खड़ी करते, लेकिन वह भी एतराज नहीं कर रहे, ऐसा लगता है, मानों अध्यक्ष ने ठेका पटटी और बखरा से मुहं बंद कर रखा

बस्ती। पूरे जिले को भ्रष्टाचार की आग में झोंकने वाले जिला पंचायत अध्यक्ष जाते-जाते न्याय मार्ग वालों को करोड़ों रुपये का एक ऐसा गुणवत्ताविहीन भवन देकर जाना चाहते हैं, जिसमें सेकेंड ग्रेड का नहीं बल्कि थर्ड ग्रेड ईंट का इस्तेमाल हो रहा, वह भी नींव में, जब कि नींव के साथ कोई समझौता नहीं करता। सवाल उठ रहा है, कि अध्यक्षजी जो अपना मकान बनवा रहे हैं, उसमें भी यह थर्ड ग्रेर्ड इंट का इस्तेमाल कर रहे हैं क्या? जाते-जाते हर कोई ऐसा काम करके जाता है, ताकि उसके पिछले सारे पाप धुल जाए, लेकिन अध्यक्षजी ऐसा कुछ भी करके नहीं जाना चाहते, जिससे उनके सारे पाप धुल जाए, बल्कि अध्यक्षजी ऐसा कुछ करके जाना चाहते हैं, जिससे उन्हें लोग अगर भूलना भी चाहे तो न भूल पाएं। वैसे भी संजय चौधरी और गिल्लम चौधरी जैसे लोगों को जनता कभी नहीं भूलती। जिस तरह इन दोनों ने मिलकर जिला पंचायत को लूटा, उसे कौन नहीं जानता। वैसे जनता इन दोनों को आगामी विधानसभा का प्रत्याषी मान रही है, किस पार्टी से यह दोनों चुनाव लड़ेगें, यह भविष्य के गर्भ में छिपा हैं, प्रयास तो जिस पार्टी में हैं, उसी से लड़ने का होगा, लेकिन अगर पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो इन्हें दल बदलने में जरा सा भी समय नहीं लगेगा, जिसकी संभावना अभी से ही व्यक्त की जा रही है। दोनों की गतिविधियां चुनाव मैदान में आने वाली बता रही है। आप समझ सकते हैं, कि जिन दोनों का जिला पंचायत में इतना खराब रिकार्ड रहा हो, अगर वह विधानसभा का चुनाव लड़ेगें तो उसका अंजाम क्या होगा? जनता अभी से बता दे रही है। चूंकि दोनों की महत्वाकाक्षां विधायक बनने की है, और इसी लिए दोनों ने मिलकर जिला पंचायत को खोखला कर दिया, ताकि उसी पैसे से चुनाव लड़ा जा सके। जनता के पैसे का सही उपयोग/दुरुपयोग यही दोनों चुनाव में करने वाले है। ऐसा माना जा रहा है। गिल्लम चौधरी तो जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बन पाए, लेकिन इनका पूूरा प्रयास विधायक बनने का होगा। वैसे जिले के लोग दोनों को कभी माफ करने वाले नहीं है, और ऐसे लोगों को कभी माफ भी नहीं करना चाहिए, बल्कि मौका मिले तो जनता को इन दोनों से हिसाब-किताब करना चाहिए।

बहरहाल, हम बात कर रहे थे, न्याय मार्ग स्थित जिला पंचायत के पुराने दुकानों और मकानों को तोड़कर नए निर्माण में थर्ड ग्रेड के ईंट का इस्तेमाल करने की। अभी तो भवन की नींव ही रखी जा रही है, और कहा जा रहा है, कि जब नींव में भ्रष्टाचार हो रहा है, तो आगे क्या होगा, वही होगा जो 50 फीसद बखरा वाले निर्माण में होता है। जिला पंचायत से बिदाई के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष कहां होगें यह देखने वाली बात होगी। मुंबई होगें या फिर विधानसभा के सदन में, कुछ कहा नहीं जा सकता। चूंकि इन्होंने इतना पैसा कमाया कि इन्हें रोजी-रोटी की कोई चिंता मरते दम तक नहीं रहेगी।

जिला पंचायत अध्यक्ष, एएमए, इंजीनियर, जेई और ठेकेदार मिलकर विकास भवन के बगल में थर्ड ग्रेड ईंट का इस्तेमाल नींव में करवा रहें, खुले आम न्याय मार्ग के सड़क किनारे डीएम और सीडीओ की आंख में धूम झोंक कर दुकानों की बुनियाद में घटिया ईंट का प्रयोग कर रहंे। कहा भी जाता है, कि जिस भवन की बुनियाद ही थर्ड ग्रेड के ईंट पर टिकी होगी, उस भवन की गुणवत्ता कैसी और भवन कितने साल टिकेगा पर सवाल उठ रहें, अधिकारियों को बेवकूफ बनाने के लिए विकास भवन के बगल में ए ग्रेड ईंट का चटटा लगा रखा हैं, ताकि जांच में इसी ईंट को दिखया जा सके। सड़क किनारे वाले ईंट के चटटे में से जब एक ईंट नीचे काम कर रहे मजदूर से गिरवाया गया तो उसके कई टुकड़े हो गए, और जब विकास भवन के बगल वाले चटटे में से एक ईंट गिराया गया तो आवाज करके झटक कर दूर जा गिरा, एक भी टुकड़ा नहीं हुआ। इसी रास्ते से न जाने कितनी बार अदृध्यक्ष और एएमए गुजरते होगें, लेकिन एक बार भी नहीं देखा कि ठेकेदार क्यों ए ग्रेड के बदले थर्ड ग्रेर्ड इंट का इस्तेमाल कर रहा है। कहा जाता है, यह सब बखरे का कमाल है। बखरा मिल गया, सभी ने आंख बद कर लिया, जिला पंचायत सदस्य के सामने में भी घटिया निर्माण हो रहा है, लेकिन यह भी कुछ बोलने को तैयार नहीं। सदर विधायक महेंद्रनाथ यादव अपनी गाड़ी तो घटिया ईंट के बगल में खड़ी करते, लेकिन उन्हें भी कोई एतराज नहीं। एतराज है, तो कामन मैन को। ऐसा लगता है, मानो अध्यक्षजी ने सभी दलों के नेताओं को ठेका पटटी और बखरा से मुहं बंद कर रखा है।


फंस’ गएः ‘संदीप राय’, इनके ‘विकलांगता’ की जांच ‘हाईपावर’ कमेटी ‘करेगी’!

-जांच महानिदेषक स्वास्थ्य एवं सेवाएं की अध्यक्षता में सीएमओ लखनउ, केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष, डिप्टी सीएमओ/नोडल अधिकारी दिव्यांग बोर्ड, बलरामपुर अस्पताल लखनउ के अस्थि रोग विषेषज्ञ एवं केजीएमयू के अस्थि रोग विषेषज्ञ डा. आरसी वर्मा करेगें, यह जांच चार दिसंबर 25 को होगी

-सीएमओ बस्ती से संदीप राय पटल सहायक को सभी मूल प्रमाण-पत्रों एवं अभिलेखों के साथ उपस्थित रहने के निर्देष जारी करने को कहा, यह जांच भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेष प्रताप सिंह की षिकायत पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं परिवार कल्याण की ओर से हो रही

-एनएचएम के पटल सहायक संदीप राय पर फर्जी भुगतान करने और निविदा में अनियमितता करने और फर्जी विकलांग प्रमाण-पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप लगाते हुए जांच करने की मांग काफी लंबे समय से हो रही

बस्ती। एनएचएम का नाम आते ही घोटाले की बू आने लगती है। इसी लिए एनएचएम को मंत्रियों, अधिकारियों और ठेकेदारों का सबसे बड़ा लूट का अडडा माना जाता है। अब जरा आप इस बात से अंदाजा लगाइए कि जब पटल सहायक करोड़पति हो सकता है, तो नोडल और सीएमओ के पास कितना संपत्ति होगी? बस्ती में एनएचएम में संदीप राय नामक व्यक्ति पटल सहायक के रुप में तैनात हैं, जिनके बारे में कहा जाता है, कि यह जो चाहते हैं, उसी को ठेका पटटी मिलता है, नोडल और सीएमओ से भी अगर कोई ठेकापटटी पाने का प्रयास करता और उनके पास जाता तो उससे कहा जाता कि पहले पटल सहायक से मिलो, उसके बाद मेरे पास आना। जिस पटल सहायक का यह रुतबा हो, वह तो स्वंय भ्रष्टाचार करेगा और अधिकारियों को भी कमवाएगा। ऐसे लोगों को अधिकारी अपनी बीबी से अधिक मानते और प्यार करते हैं, क्यों कि यह कमाउपूत जो होते है। इसी लिए अधिकारी के नरा जब भी इसकी षिकायत जाती, जांच और कार्रवाई करने के बजाए उसे दबा देते। सभी अधिकारियों को मालूम था, इसकी विकलांगता प्रमाण-पत्र गलत हैं, फिर कोई कार्रवाई नहीं किया। लेकिन जब इसकी षिकायत भाकियू भानु गुट के मंडल प्रवक्ता चंद्रेष प्रताप सिंह ने अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं परिवार कल्याण से की इन लोगों की एक न चली। इनकी षिकायत पर जांच की हाईपावर कमेटी बनाई गई, जांच महानिदेषक स्वास्थ्य एवं सेवाएं की अध्यक्षता में सीएमओ लखनउ, केजीएमयू के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष, डिप्टी सीएमओ/नोडल अधिकारी दिव्यांग बोर्ड, बलरामपुर अस्पताल लखनउ के अस्थि रोग विषेषज्ञ एवं केजीएमयू के अस्थि रोग विषेषज्ञ डा. आरसी वर्मा करेगें, यह जांच चार दिसंबर 25 को होगी। सीएमओ बस्ती से संदीप राय पटल सहायक को सभी मूल प्रमाण-पत्रों एवं अभिलेखों के साथ उपस्थित रहने के निर्देष जारी करने को कहा गया है। एनएचएम के पटल सहायक संदीप राय पर फर्जी भुगतान करने और निविदा में अनियमितता करने और फर्जी विकलांग प्रमाण-पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने का आरोप लगाते हुए जांच करने की मांग काफी लंबे समय से हो रही है। संदीप राय के विकलांगता प्रमाण-पत्र पर सवाल खड़ा करते हुए श्रीसिंह ने कहा कि इन्हें जो विकलांगता का प्रमाण-पत्र 23-24 में दिया गया, उनमें लोकोमोटर विकलांगता यानि चलन संबधी अक्षमता जिसमें व्यक्ति को हडिडयों, जोड़ों या मांसपेसियों की समस्या रहती है, जिसमें विकलांग का प्रतिषत 50 फीसद होता। कहा गया कि विकलांग होने के बावजूद संदीप राय के द्वारा वे सभी कार्य किए जा रहे हैं, जो एक सामान्य व्यक्ति कर सकता। कहा गया कि 23-24 में अपनी चहेती फर्म को लाभ पहुंचाने के लिए निविदाओं में अनिमियतता किया, 60 लाख का भुगतान बिना सामानों की आपूर्ति के कर दिया।


‘पेंशनर्स’ की ‘बच’ खुची ‘जिंदगी’ ज्ञापन, बैठक और दरी ‘बिछाने’ में ही ‘बीत’ रही!

-‘केन्द्र’ ने किया ‘पेंशनरों’ के साथ ‘अन्याय’ःनरेंद्र बहादुर उपाध्याय

बस्ती। वैसे भी पेंषनर्स की कोई नहीं सुनता, न राज्य सरकार सुनती और न केंद्र सरकार। स्थानीय अधिकररियों की तो बात ही छोड़ दीजिए। जीवनभर दूसरों की सेवा में जिंदगी खपाने वाले पेंषनर्स की ऐसी हालत हो गई कि वह अपने आप को असहाय सा महसूस रहे है। इनकी बची खुची जिंदगी ज्ञापन, बैठक और आंदोलन में ही बीत जा रही है। इन लोगों की समझ में नहीं आ रहा है, कि इस उम्र में अब यह लोग किसके पास फरियाद लेकर जाएं। सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसियेशन उ.प्र. की जनपद शाखा की बैठक कलेक्ट्रेट स्थित पेंशनर्स कक्ष मे जिलाध्यक्ष नरेन्द्र बहादुर उपाध्याय के नेतृत्व में हुई। बैठक में 29 नवम्बर को केन्द्रीय आठवें वेतन आयोग एवं अन्य पेंशनरी समस्याओं को लेकर हुई बैठक मे 29 नवम्बर को कैंडल मार्च निकालने एवं ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया। अध्यक्षता कर रहे नरेन्द्र बहादुर उपाध्याय ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा आठवें वेतन आयोग के संकल्प पत्र में पेंशनरों को शामिल न करके उनके साथ अन्याय किया गया है। जब तक पेंशनरों को आठवें वेतन आयोग का लाभ देने के लिये संकल्प पत्र में शामिल नही किया जायेगा पेंशनर्स एसोसियेशन का संघर्ष अनवरत जारी रहेगा। पहले चरण में 29 नवम्बर शनिवार को जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री को सम्बोधित, ज्ञापन दिया जायेगा। इसके बाद कैंडल मार्च निकाला जायेगा। दूसरे चरण में 15 दिसम्बर सोमवार को पुनः प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा जायेगा। इसके बाद भी केन्द्र सरकार ने मांग नही मानी तो विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। जिलाध्यक्ष ने धरना प्रदर्शन व अन्य कार्यक्रमों को सफल बनाने की अपील किया।


वक्ताओं ने कहा कि आठवें वेतन आयोग में पहली बार सेवानिवृत्त कर्मचारियों, पेंशनरों को आयोग के लाभ से वंचित करने का प्रयास किया गया है। सातवें वेतन आयोग के संकल्प पत्र में स्पष्ट रूप से पेंशन के पुनरीक्षण एवं पेंशनरों के अन्य लाभों को दायरे में लाया गया था जबकि आठवें वेतन आयोग में इससे वंचित किया गया है जिससे आगे चलकर मंहगाई राहत पर खतरा उत्पन्न हो सकता है। वक्ताओं ने इसे पेंशन नीति के विपरीत बताया। इसके अलावा वर्ष 2004 के पहले के कर्मचारियों के पेंशन को गैर अंशदायी कहा जा रहा है जो बिलकुल अनुचित है। बैठक का संचालन जिला मंत्री उदय प्रताप पाल ने किया। सुभाष चन्द्र श्रीवास्तव, छोटेलाल यादव, प्रेमशंकर लाल श्रीवास्तव, सुरेशधर दूबे, नरेन्द्रदेव मिश्र, रामकुमार लाल, शारदा प्रसाद विश्वकर्मा, रामचन्द्र शुक्ल, जंगबहादुर, दिलीप श्रीवास्तव, राधेश्याम तिवारी, सुरेन्द्रनाथ उपाध्याय, रामप्रसाद तिवारी, शम्भूनाथ मिश्रा, अशोक कुमार मिश्र आदि उपस्थित रहे।


‘फर्जीवाड़ा’ के ‘बुनियाद’ पर खड़ा ‘मेडीवर्ल्ड हास्पिटल’

-फर्जीवाड़ा का केंद्र बना मेडीवर्ल्ड हास्पिटल, लाइसेंस फर्जी, भवन का मानचित्र स्वीकृति नहीं

-आरटीआई के एक जबाव में बीडीए ने बताया कि मेडीवर्ल्ड हास्पिटल का मानचित्र स्वीकृति नहीं, अगर स्वीकृति नहीं तो बीडीए ने क्यों नहीं अब तक की कार्रवाई

-बीडीए ने बिना मौका मुआयना किए जबाव दे दिया, जबाव के विरोध में सूचना मांगने वाले आषुतोष सिंह ने की अपील, 12 दिसंबर 25 को होगी सुनवाई

बस्ती। मेडीवर्ल्ड हास्पिटल के फर्जीवाड़े में इसके संचालक डा. प्रमोद कुमार चौधरी ही नहीं सीएमओ, पुलिस और बीडीए वाले भी षामिल है। इसी लिए इस हास्पिटल को फर्जीवाड़ा का केंद्र माना जा रहा है। ऐसा लगता है, कि मानो इस हास्पिटल की बुनियाद ही फर्जीवाड़ा के बुनियाद पर खड़ी की गई हो। इतना फर्जीवाड़ा करने के बाद भी डा. प्रमोद चौधरी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। कहा भी जा रहा है, कि अगर इनके स्थान पर कोई और होता तो इतनी बदनामी के बाद रेडक्रास सोसायटी के सभापति के पद से न जाने कब का इस्तीफा दे दिया होता, ऐसा लगता है, कि मानो इनके भीतर नेताओं वाली छवि घुस गई, तभी तो यह इस्तीफा देने के बजाए आरोपों का डटकर सामना कर रहे है। अभी तक तो धन और राजनीति के बल पर जैसा चाहा वैसा किया। यह वही लोग कर पाते हैं, जो पैसे और पद को ही सबकुछ समझते है। बहरहाल, इनके फर्जीवाड़े में सहयोग करने वालों में अब बीडीए का भी नाम जुड़ गया। बीडीए के लोगों के दोस्त डा. प्रमोद कुमार चौधरी जैसे पैसे वाले ही होते है। बीडीए के लोगों ने जितना पैसा नामचीन डाक्टरों के फर्जीवाड़े से कमाया, उतना षायद ही कोई विभाग का भ्रष्ट अधिकारी कमाया होगा। बीडीए उतनी तरक्की नहीं कर रहा है, जितना इससे जुड़े लोग कर रहे है, और बीडीए के लोगों की तरक्की में सबसे अधिक योगदान नामचीन डाक्टर्स का रहा।



अवैध रुप से मेडीवर्ल्ड हास्पिटल बनकर खड़ा भी हो गया, और बीडीए ने आज तक एक नोटिस तक जारी नहीं किया, जो भी नोटिस जारी की होगी, वह कागजों में और धन की वसूली के लिए की होगी, अगर नोटिस जारी करते तो अब तक अवैध निर्माण में कब का हास्पिटल बंद हो गया होता। लेकिन बीडीए के लोगों को तो गांधीजी चाहिए, उसे डा. प्रमोद चौधरी जैसे लोग पूरा करते रहते है। इसी लिए कहा जा रहा है, कि मेडीवर्ल्ड हास्पिटल फर्जीवाड़ा का केंद्र बन गया, लाइसेंस फर्जी, भवन का मानचित्र स्वीकृति नहीं। आरटीआई के एक जबाव में बीडीए ने बताया कि मेडीवर्ल्ड हास्पिटल का मानचित्र स्वीकृति नहीं, अगर स्वीकृति नहीं तो बीडीए ने क्यों नहीं अब तक कोई कार्रवाई किया? बीडीए ने बिना मौका मुआयना किए जबाव दे दिया, जबाव के विरोध में सूचना मांगने वाले आषुतोष सिंह ने अपील की है, जिसकी सुनवाई 12 दिसंबर 25 को होगी। कहा गया कि उनके द्वारा मांगी गई पांच बिंदुओं की जानकारी के क्रम में बीडीए ने किसी का भी सही जवाब नहीं दिया। कहा कि जन सूचना अधिकारी ने बिना पत्र पढ़ें, बिना मौका मुआयना किये अपने कार्यालय में ही बैठकर निर्णय ले लिया है। अगर जन सूचना अधिकारी सम्बंधित कर्मचारी पत्र को गंभीरता से पढे होते तो उसमें प्रश्नों का उत्तर सही आता और हमारा और आपका समय भी बचता और न मुझे अपील ही करनी पड़ती। बस्ती विकास प्राधिकरण का राजस्व भी बढ़ता, क्योंकि घरेलू मकान में व्यावसायिक कार्य करना भी नियमों के विपरीत है जो कि मौके मुयाइना से स्पष्ट

हो जाता।


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