डाक्टर’ हो तो ‘डा. रमेष चंद्र श्रीवास्तव’ और ‘डा. वीके वर्मा’ जैसा!


‘डाक्टर’ हो तो ‘डा. रमेश  चंद्र श्रीवास्तव’ और ‘डा. वीके वर्मा’ जैसा!

-दोनों डाक्टरों के प्रति मरीज का ऐसा अटूट विष्वास और रिष्ता बहुत कम देखने को मिलता, आज के दौर में भी मरीज इन दोनों डाक्टरों को भगवान से कम नहीं मानते

-जब तक डा. रमेष श्रीवास्तव चलते फिरते रहे, उन्होंने किसी मरीज से पैसा नहीं लिया, आज भी जब वह बीमार और मुंबई में इलाज करवा रहे तो भी वह बेड पर रहते हुए मरीजों का आनलाइन देखते और परामर्ष देते 

-डा. रमेष चंद्र के पदचिन्हृों पर डा. वीके वर्मा भी चल रहे हैं, बल्कि यह दो कदम आगे चल रहे, 36 साल से यह मरीज से फीस नहीं ले रहे, इनके अस्पताल में बेड और सर्विस चार्ज निःषुल्क, पैथालाजी का न्यूनतम लेते, 25 फीसद गरीब और असहाय मरीज ऐसे होते हैं, जिनसे यह जांच और दवा का पैसा भी नहीं लेते, लगभग 100 ऐसे मरीज और उनके परिवार हैं, जिन्हें अस्पताल में जीवनभर निःषुल्क इलाज चल रहा

-ब्रेन हैमरेज और पैरालाइज के कई ऐसे मरीज हैं, जिनके परिजन को बार-बार कहा जाता है, कि इन्हें लखनउ किसी बड़े अस्पताल में ले जाइए, लेकिन कहते हैं, कि डाक्टर साहब मरीज तो कहीं नहीं जाएगा, यही पर इलाज होगा, जो होना होगा वह हो कर रहेगा, यह विष्वास ही है, जो मरीज ठीक भी होकर घर जा रहें

-डा. वीके वर्मा अब तक लगभग 13 लाख मरीजों का इलाज बिना फीस लिए कर चुके, एक-एक मरीज को चार से पांच मिनट तक देते हैं, और जब मरीज संतुष्ट हो जाता है, तब उसे डिस्चार्ज करतें

-इनके पास सबसे अधिक मरीज दूरदराज की बुजुर्ग महिलाएं ही आती है, भर्ती भी सबसे अधिक महिलाएं ही होती, ठीक होने पर डाक्टर साहब के सिर पर हाथ रखकर आर्षीवाद देकर जाती




बस्ती। जब भी समाजसेवी के रुप में डाक्टर्स का नाम आएगा तो सबसे पहले डा. रमेषचंद्र श्रीवास्तव और डा. वीके वर्मा का नाम लिया जाएगा। देखा जाए तो समाज और मरीजों की ओर से जो मान और सम्मान मिला, इन दोनों को मिला, उतना किसी अन्य को नहीं मिला होगा। यह दोनों आज के लालची डाक्टरों की तरह कभी पैसे की ओर नहीं भागे, इन्होंने समाज सेवा को सर्वोपरि और सबकुछ माना। इन दोनों डाक्टरों के प्रति मरीज और समाज का जो अटूट विष्वास और रिष्ता है, वह बहुत कम डाक्टरों में देखने को मिलता है। असल में मरीज ऐसे डाक्टर्स को ही अपना भगवान मानते और समझते हैं। जब तक डा. रमेष श्रीवास्तव चलते फिरते रहे, उन्होंने किसी मरीज से पैसा नहीं लिया, मरीज को घर जाकर देखने का फीस नहीं लिया। जब यह बीमार हैं, और मुंबई में इलाज करवा रहे तो भी यह बेड पर रहते हुए मरीजों को आनलाइन देखते और परामर्ष देते है। ऐसा समाजसेवी डाक्टर कहां मिलेगा। डा. रमेष चंद्र श्रीवास्तव के पदचिन्हृों पर डा. वीके वर्मा भी चल रहें हैं, बल्कि यह दो कदम आगे चल रहंे, 36 साल से यह मरीजों से फीस नहीं ले रहे, इनके अस्पताल में बेड और सर्विस चार्ज निःषुल्क, पैथालाजी का न्यूनतम चार्ज लिया जाता, 25 फीसद गरीब और असहाय मरीज ऐसे होते हैं, जिनसे यह जांच और दवा का भी पैसा नहीं लेते, लगभग 100 ऐसे मरीज और उनके परिवार हैं, जिनका यह सालों से निःषुल्क इलाज करते आ रहे। ब्रेन हैमरेज और पैरालाइज के कई ऐसे मरीज हैं, जिनके परिजन को बार-बार लखनउ या दिल्ली के किसी बड़े अस्पताल में ले जाने की डाक्टर साहब सलाह देते हैं, लेकिन कहते हैं, कि डाक्टर साहब मरीज तो कहीं नहीं जाएगा, यहीं पर इलाज होगा, आप पर हमको पूरा भरोसा और विष्वास है, जो होना होगा वह यहीं पर होगा। इसी विष्वास के साथ मरीज ठीक भी होकर घर जा रहें है। डा. वीके वर्मा और उनकी टीम टूटने ने मरीजों का विष्वास टूटने नहीं दिया, भले ही चाहेें इसके लिए अस्पताल को नुकसान ही क्यों न उठाना पड़ा? अगर कोई समाज सेवी डाक्टर जिसने 36 साल की सेवा में 13 लाख गरीब मरीजों से एक रुपया भी फीस नहीं लिय हो बल्कि जिन मरीजों के पास वापस घर जाने का किराया न और दवा खरीदने को पैसा न रहा हो उसे किराया भी दिया और साथ में निःषुल्क दवा भी दिया। एक-एक मरीजों को यह चार से पांच मिनट देते हैं, जब तक पूरी तरह केस हिस्टी नहीं जान लेते तब तक यह मरीजों से पूछते रहते है। एक-एक मरीज को चार से पांच मिनट तक देते हैं, और जब तक मरीज पूरी तरह ठीक और संतुष्ट नहीं हो जाता, तब तक उसे डिस्चार्ज नहीं करतें। इनके पास सबसे अधिक मरीज दूरदराज की बुजुर्ग महिलाएं और पुरुष ही इलाज और आपरेषन के लिए आते है। भर्ती भी सबसे अधिक महिलाएं और पुरुष ही होते हैं। ठीक होने पर डाक्टर साहब के सिर पर हाथ रखकर फलने-फूलने का आर्षीवाद भी देकर जाते हैं। अगर किसी भी व्यक्ति या डाक्टर्स को इस तरह का आर्षीवाद मिल जाए तो वह फलेगा भी और फूलेगा भी। डा. वीके वर्मा कहते हैं, कि उनके लिए मरीजों का आर्षीवाद बहुत बड़ी पूंजी है। ठीक होकर जाने वाले मरीजों में ब्रेन हैमरेज, फालिज, पथरी, गठिया और साईटिया के मरीज होते है।


गोटवा स्थित पटेल अस्पताल जिले का पहला ऐसा अस्पताल होगा, जहां पर 36 सालों में एक भी मरीज या उसके परिजन ने कोई हंगामा नहीं किया, और न किसी ने षिकायत ही किया, और न किसी ने पैसे के लिए ब्लैकमेल ही किया। पुलिस भी कभी नहीं आई। अगर किसी मरीज की इलाज के दौरान मौत हो भी गई, तो उसके लिए किसी परिजन डाक्टर वीके वर्मा और उनकी टीम को दोषी नहीं माना, बस यही कहते, कि भगवान को यही मंजूर था। इस अस्पताल में अल्टा साउंड से लेकर आईसीयू और एनआईसीयू एवं सर्जरी तक की सुविधा हैं। इतवार को डा. वीके वर्मा 12 से 14 घंटे तक निःषुल्क ओपीडी करते है। एक कमरे से क्लीनिक षुरु करने और गांव-गांव साइकिल से मरीज देखकर इस मुकाम पर पहुंचने वाले डा. वीके वर्मा, सही मायने में एक समाज सेवी है। जब इन्होंने देखा कि उनके क्षेत्र में षिक्षा का खासतौर से लड़कियों का कोई स्कूल नहीं तो इन्होंने सीमित संसाधनों में स्कूल खड़ा किया। षिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति इनका लगाव 1989 से ही रहा। इन दोनों क्षेत्रों में इन्हें जितना पुरस्कार और सम्मान मिला, उतना षायद जिले में बहुत कम लोगों को मिला होगा। चाहें सामाजिक कार्य हो या फिर कोई खेलकूद का कार्यक्रम हो, इन्हें न सिर्फ हर जगह देखा जाता है, बल्कि कार्यक्रम को सफल बनाने में इनका आर्थिक रुप योगदान भी रहता। इनके पास कोई भी जरुरतमंद चला गया, उसे निराष नहीं होना पड़ा। दोनों डाक्टरों का व्यक्तित्व षानदार और जानदार है। लोगों का कहना है, कि ऐसे समाजसेवी डाक्टरों का समाज में रहना अति आवष्यक है। क्यों कि जिस तरह अधिकांष डाक्टर्स मरीजों का हर तरह से षोषण कर रहे हैं, उसे देखते हुए दोनों डाक्टरों का सलामत रहना जरुरी हैं, और अधिकांष गरीब मरीज दोनों डाक्टरों की की सलामती के लिए दुआ भी कर रही है।

जो कभी मंडल ‘अध्यक्ष’ नहीं बना, उसे बना दिया प्रदेश ‘अध्यक्ष’!

-जिसे संगठन चलाने का कोई अनुभव न रहा हो, वह कैसे प्रदेष संगठन चलाएगा? जो प्रदेष अध्यक्ष अपना पहला भाषण पढ़कर देगा, वह कैसे संगठन चलाएगा, उसे तो हमेषा दूसरों पर निर्भर रहना पड़ेगा

-चर्चा इस बात की हो रही है, कि आखिर भाजपा ने क्या देखकर पंकज चौधरी के हाथों में प्रदेष संगठन की बागडोर सौंप दी, जिले में तो इस बात की भी चर्चा हो रही है, कि इससे अच्छा अगर हरीष द्विवेदी को अध्यक्ष बना दिया होता, तो अच्छा था, कम से कम यह पर्ची पढ़कर भाषण तो नहीं देते

-जो कभी योगीजी के साथ मंच न साझा किया हो, वह कैसे मिलकर सरकार और संगठन चलाएगें, वैसे पंकज चौधरी के सिर पर हीरे का नहीं कांटों का ताज सजाया गया, जिसकी चुभन इन्हें तब तक रहेगी जब तक यह अध्यक्ष रहेगें

-पंकज चौधरी जब तक संजय चौधरी जैसे लोगों से घिरे रहेगें, तब तक वह न सिर्फ विवादों में रहेगें बल्कि आरोप भी लगेगा, संजय चौधरी की मंषा जोरदार नारा लगाकर और वीडियो वायरल कर पंकज चौधरी के खास होने का लोगों को एहसास कराना



बस्ती। पंकज चौधरी षायद प्रदेष के पहले ऐसे प्रदेष अध्यक्ष होगें, जिनके पास संगठन चलाने का कोई खास अनुभव नहीं हैं, जिला स्तरीय भी अनुभव नहीं। फिर भी इन्हें प्रदेष के संगठन का बागडोर सौंप दिया गया। यह पहले ऐसे प्रदेष अध्यक्ष भी बने हैं, जो इससे पहले मंडल अध्यक्ष तक नहीं बने। भाजपा ने पंकज चौधरी को प्रदेष अध्यक्ष बनाकर उन खाटी कार्यकर्त्ताओं और संगठन की सेवा में जीवन खपाने वालों को यह संदेष दिया है, कि जीवन खपाने और दरी बिछानेे में जवानी गंवाने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है। क्यों कि भाजपा जो कहती है, वह करती नहीं हैें, और नहीं कहती है, वही करती है। जिले में इस बात की चर्चा गांव कस्बे से लेकर षहर तक में हो रही हैं, कि अगर बनाना ही था तो हरीष द्विवेदी को बना देते, कम से कम इनके पास संगठन चलाने का अपार अनुभव तो है, और यह कम से कम पढ़कर भाषण तो नहीं ही करते। कहा भी जाता है, कि जिसे संगठन चलाने का कोई अनुभव न रहा हो, वह कैसे प्रदेष संगठन चलाएगा? जो प्रदेष अध्यक्ष अपना पहला भाषण पढ़कर देगा, उससे क्यष उम्मीद की जा सकती? उसे तो हमेषा दूसरों पर ही निर्भर ही रहना पड़ेगा। जो कभी योगीजी के साथ मंच न साझा किया हो, वह कैसे मिलकर सरकार और संगठन चलाएगें? वैसे पंकज चौधरी के सिर पर हीरे का नहीं कांटों का ताज सजाया गया, जिसकी चुभन इन्हें तब तक रहेगी जब तक यह अध्यक्ष रहेगें। जिले के लोग कहते हैं, कि पंकज चौधरी जब तक संजय चौधरी जैसे लोगों से घिरे रहेगें, तब तक वह न सिर्फ विवादों में रहेगें बल्कि आरोप भी लगता रहेगा। संजय चौधरी की मंषा जोरदार नारा लगाकर और वीडियो वायरल कर पंकज चौधरी के खास होने का लोगों को एहसास कराना था, ताकि उसी की आड़ में पूरे प्रदेष को लूटा जा सके। जो व्यक्ति कभी अमित षाह जैसे नेता को गाली दे चुका हो, आज वह अमित षाह जिदांबाद का नारा लगा रहा है। राजनीति में इससे अधिक घिनौना सच सामने नहीं आ सकता। अब तो जो लोग संजय चौधरी को बधाई देते हैं, वह पहले विधायकजी कहते हैं, और उसके बाद बधाई देते है। यह तो तय है, कि अब जिले की राजनीति में काफी उधल पुधल होगा, इसका एहसास लोगों को बधाई के बैनर और पोस्टरों को देखकर लग जाता है। जिस तरह जिले के एक मात्र भाजपा विधायक अजय सिंह का फोटो गायब किया गया, उससे पता चलता है, कि क्या होने वाला है। यह वही विधायकजी है, जिन्होंने जिला पंचायत की बैठक में संजय चौधरी का बचाव करते हुए कहा था, कि अगर किसी ने इनके खिलाफ एक भी षब्द बोला तो उसकी जबान काट लूूंगा, आज उसी विधायक का फोटो गायब कर दिया। जिले में पंकज चौधरी के अध्यक्ष बनने पर कोई खास उत्साह न तो भाजपाईयों और न चौधरियों में देखने को मिला। पंकज चौधरी को यह याद रखना होगा कि हरीष द्विवेदी को हराने के लिए भाजपा के अनेक चौधरियों ने सपा के रामप्रसाद चौधरी का तन, मन, धन और बल तीनों से साथ दिया, आज भी वे लोग कहीं न कहीं रामप्रसाद चौधरी से जुड़े हुएं है। इनमें जिला पंचायत अध्यक्ष का भी नाम षामिल है। जिसने झंडा तो भाजपा का लगाया और सहयोग सपा को किया, ऐसे लोगों से निपटना पंकज चौधरी के लिए आसान नहीं होगा। एक तरह से कम से कम बस्ती मंडल तो पंकज चौधरी के लिए कांटों भरी राह होगी, जहां पर उन्हें हर कदम पर भीतरधाती नामक कांटा मिलेगा। कहा भी जाता है, अगर मंडल में रामप्रसाद चौधरी से टक्कर लेना है, तो रामप्रसाद चौधरी जैसा चौधरियों का नेता बनना पड़ेगा। पंकज चौधरी को पहले बस्ती में रामप्रसाद चौधरी जैसे चटटान से टकराना होगा। जिले में भाजपा का एक भी ऐसा कुर्मी नेता नहीं जिसे नेता कहा जा सकें, लेकिन सपा का हर विधानसभा में कुर्मियों का नेता और विधायक है। सत्ता के लालच में भले ही कुछ कुर्मी जुड़ जाएं लेकिन नाम से जुड़ना मुस्किल है। क्यों कि पंकज चौधरी सात बार तो सांसद बन गए, लेकिन इन 35 सालों में इन्होंने मंडल में एक भी कुर्मी सम्मेलन नहीं किया। जमीन तैयार करते-करते 27 आ जाएगा।

‘फिर’ बिछाया ‘दरी’, फिर दिया ‘ज्ञापन’, आखिर यह कब ‘तक’?

बस्ती। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि आखिर कब तक सेवानिवृत्त कर्मचारी दरी बिछाते रहेगें और ज्ञापन देते रहें? सवाल यह भी उठ रहा है, कि क्या इनका बची खुची जिंदगी ज्ञापन देने और दरी बिछाने में ही गुजर जाएगी? अखिल भारतीय राज्य पेंशनर फेडरेशन के आवाह्न पर सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं शिक्षक एवं समन्वय समिति के बैनर तले केन्द्रीय 8 वें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन में पेंशनरों का क्लाज शामिल न किये जाने के विरोध में धरना प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री को सम्बोधित तीन सूत्रीय ज्ञापन कीर्ति प्रकाश भारती मुख्य राजस्व अधिकारी को सौंपा गया जिसकी अध्यक्षता पेंशनर एसोसियेशन के संरक्षक श्रीनाथ मिश्र ने किया। उक्त जानकारी देते हुये जिला मीडिया प्रभारी लक्ष्मीकान्त पाण्डेय के अनुसार एसोसियेशन के जिलाध्यक्ष नरेन्द्र बहादुर उपाध्याय की अध्यक्षता ने कहा 8 वें वतन आयोग के नोटिफिकेशन मे पेंशनरों का क्लाज जब तक नही शामिल किया जायेगा, तब तक एसेसियेशन का विरोध जारी रहेगा। भेजे गये ज्ञापन में पेंशन पुनरीक्षण एवं अन्य पेंशनरी लाभों को सम्मिलित किये जाने की मांग की गई। धरना प्रदर्शन का संचालन एसोसियेशन के जिला मंत्री उदय प्रताप पाल ने किया। जिलाध्यक्ष ने अपने सम्बोधन मे कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कर्मचारियों एवं शिक्षक पेंशनरों को शामिल न किया जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।


सरकार की त्रृटिपूर्ण पेंशन नीति किसी कीमत पर बर्दाश्त नही की जायेगी और सकारात्मक परिणामों तक संघर्ष जारी रहेगा। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रान्तीय महामंत्री अनिरूद्ध त्रिपाठी, ने कहा कि सरकार पेंशनरों के धैर्य की परीक्षा न ले। सरकार की फूड डालो की मंशा साकार नही होगी। जिला मुख्यालयों पर किये गये प्रदर्शन से सरकार नही जागी तो प्रदेश मुख्यालय पर अपनी ताकत और एकजुटता दिखायेंगे। माध्यमिक शिक्ष संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष मारकन्डेय सिंह ने कहा कर्मचारियों व शिक्षकों को पेंशन देना सरकार की जिम्मेदारी है खैरात नहीं। राज्य कर्मचारी महासंघ के जिला अध्यक्ष सुनील कुमार पाण्डेय न कहा कि लड़ाई लम्बी है लेकिन अंत मे विजय हमारी होगी। एसोसियेशन के उपाध्यक्ष अशोक कुमार मिश्र ने कहा कि अंशदायी और गैर अंशदायी, परिभाषित करके सरकार पेंशनरों को बांटने की चाल चल रही है, सरकार इसमे सफल नही होगी। इंजी. एसके श्रीवास्तव, सुभाषचन्द्र श्रीवास्तव, चन्द्रप्रकाश पाण्डेय, गणेशदत्त शुक्ल, नरेन्द्रदेव मिश्र, अयोध्या प्रसाद यादव, देवनरायन प्रजापति, उदयराज वर्मा, श्रवण कुमार श्रीवास्तव, रामनरायन चौधरी, घनश्याम सिंह, जोखू प्रसाद यादव, राधेश्याम तिवारी, इंजी. देवीप्रसाद शुक्ल, इंजी. राधेश्याम त्रिपाठी, इंजी. रामचन्द्र शुक्ल, छोटेलाल यादव, सुरेशधर दूबे, सुरेन्द्रनाथ उपाध्याय आदि ने धरना प्रदर्शन को सम्बोधित किया। धरना प्रदर्शन में प्रमुख रूप से ओम्रपकाश श्रीवास्तव, रामकुमार लाल, बुद्धिसागर पाण्डेय, रामप्रकाश त्रिपाठी, रामकुमार पाल, साधूसरन शुक्ल, अनंतधर दूबे, मो. युसूफ खांन, दिलीप कुमार श्रीवास्तव, भगवानदास, रामशब्द पाण्उेय, अशोक कुमार पाण्डेय, अरूण कुमार पाण्डेय, जंबबहादुर, अंगीरा प्रसाद चौधरी, श्यामधर सोनी, कमला प्रसाद यादव, मंगरू प्रसाद, सर्यूनाथ सिंह, तिलकराम वर्मा, शारदा प्रसाद विश्वकर्मा, राममूर्ति चौधरी, धर्मप्रकाश उपाध्याय, प्रदीप शुक्ल, घनश्याम गुप्ता आदि का सहयोग रहा।


‘आखिर’ कब मिलेगा ‘ग्रापए’ को ‘सुरक्षा’, कब होगी ‘रक्षा’

बस्ती। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि आखिर ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के सदस्यों को कब सुरक्षा मिलेगी और कब तक यह लोग डर के साए में पत्रकारिता करते रहेंगे। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र सिंह एवं जिलाध्यक्ष अवधेश कुमार त्रिपाठी के निर्देशन के क्रम में एवं तहसील अध्यक्ष रुधौली अरुण कुमार मिश्र के नेतृत्व में सोमवार को तहसील इकाई रुधौली द्वारा पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं और मांगों को लेकर स्थानीय विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी (रुधौली विधानसभा क्षेत्र-309) के रोडवेज के बगल स्थित उनके आवास पर मुलाकात की गई।


संगठन ने विधायक के माध्यम से उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी को संबोधित एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें ग्रामीण पत्रकारों के हितों की रक्षा और उन्हें सुविधाएं प्रदान करने की मांग की गई।ज्ञापन सौंपते हुए संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि ग्रामीण पत्रकार अत्यंत कठिन परिस्थितियों में काम करते हैं, लेकिन उन्हें सरकार और प्रशासन की तरफ से कोई विशेष सुविधा नहीं मिलती है। संगठन ने मांग की है कि पत्रकारों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और सम्मानजनक कार्य वातावरण प्रदान किया जाए। ज्ञापन में शामिल प्रमुख 7 मांगें तहसील स्तर पर मान्यतारू सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी 2004 के शासनादेश को संशोधित कर, सभी दैनिक समाचार पत्रों के तहसील स्तरीय संवाददाताओं को मान्यता प्रदान की जाए। सुरक्षा समिति में भागीदारीरू पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए जिला और तहसील स्तर पर गठित स्थाई समिति की नियमित बैठकें हों और इसमें ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के अध्यक्ष को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया जाए। स्वास्थ्य और यात्रा सुविधारू ग्रामीण पत्रकारों को ‘आयुष्मान कार्ड’ की सुविधा दी जाए और उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों में निरूशुल्क यात्रा की अनुमति प्रदान की जाए। राज्य स्तरीय प्रतिनिधित्वरू प्रदेश स्तर पर गठित पत्रकार मान्यता समिति और विज्ञापन मान्यता समिति में ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के दो प्रतिनिधियों को सदस्य बनाया जाए। लखनऊ में कार्यालय राजधानी लखनऊ के दारुलशफा में ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन के कार्यालय हेतु निरूशुल्क भवन उपलब्ध कराया जाए, पत्रकार आयोग का गठनरू ग्रामीण पत्रकारों की समस्याओं के अध्ययन और समाधान के लिए एक ‘ग्रामीण पत्रकार आयोग’ का गठन किया जाए। फर्जी मुकदमों पर रोकरू कवरेज के दौरान विवाद होने पर पत्रकारों के खिलाफ सीधे एफआईआर दर्ज करने से पहले किसी राजपत्रित अधिकारी से जांच कराई जाए। विधायक राजेंद्र प्रसाद चौधरी ने पत्रकारों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि वे इन मांगों को मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे और सदन में भी पत्रकारों की आवाज उठाएंगे। इस अवसर पर ज्ञापन सौंपने के दौरान मुख्य रूप से डॉ. एस.के. सिंह (संरक्षक) डॉ. परशुराम वर्मा (जिला संगठन मंत्री), तहसील अध्यक्ष अरुण कुमार मिश्र, संतोष कसौधन, गुंजेश्वर सिंह, राजन चौधरी (महामंत्री), अनूप बरनवाल, असलम सादा, योगेश्वर त्यागी, शंकर यादव, नीरज और रमेश चंद सहित संगठन के कई अन्य पदाधिकारी व पत्रकार मौजूद रहे।

शिक्षकों मे प्रसन्नताः 22 को नामांकन, 26 को होगा चुनाव

बस्ती। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय की कार्य समिति को वैधानिक मान्यता मिलने पर शिक्षकों में प्रसन्नता की लहर है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल ने यह जानकारी देते हुये बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय निरन्तर शिक्षक हितों के लिये संघर्षरत है। निबन्धन विभाग ने कार्य समिति को वैधता प्रदान कर दिया है। इस तकनीकी समस्या के हल होने के बाद अब अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ और सक्रियता के साथ राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक समस्याओं का समाधान कराने की दिशा में सक्रिय होगा। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल ने बताया कि बस्ती के शिक्षकों के लिये यह सौभाग्य है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय आगामी 26 दिसम्बर को बस्ती आ रहे हैं। वे संघ के अधिवेशन में हिस्सा लेंगे। बताया कि पहली बार बस्ती आगमन पर संघ की ओर से उनका भव्य स्वागत किया जायेगा। उन्होने बताया कि संघ के अधिवेशन की तैयारियां अंतिम चरण में है। मतदाता सूची का प्रकाशन कर दिया गया है। आगामी 22 दिसम्बर को प्रेस क्लब सभागार में दिन में 11 बजे से सभी पदों के लिये नामांकन के बाद 24 को जांच और नाम वापसी होगा। 26 दिसम्बर को जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय परिसर में अधिवेशन और पदाधिकारियों का निर्वाचन होगा। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय की कार्य समिति को वैधानिक मान्यता मिलने पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री राघवेन्द्र प्रताप सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश कुमार, कोषाध्यक्ष अभय सिंह यादव, जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ल, इन्द्रसेन मिश्र, राजकुमार सिंह, शशिकान्त दूबे, सतीश शंकर शुक्ल, सन्तोष शुक्ल, चन्द्रभान चौरसिया, दिवाकर सिंह, रामपाल वर्मा, त्रिलोकीनाथ, ओम प्रकाश पाण्डेय, रीता शुक्ला, सरिता पाण्डेय, अभिषेक उपाध्याय, शैल कुमार शुक्ल, विजय प्रकाश वर्मा, देवेन्द्र वर्मा, सुनील पाण्डेय, नरेन्द्र पाण्डेय, रविन्द्रनाथ, दिनेश वर्मा, नरेन्द्र दूबे, विकास पाण्डेय, राजेश चौधरी, योगेश्वर शुक्ल, उमाशंकर मणि त्रिपाठी के साथ ही अनेक शिक्षकों, संघ पदाधिकारियों ने प्रसन्नता व्यक्त किया है।

‘रत्नाकर’ ने लगाया ‘दिव्याशु’ पर जान से ‘मारने’ का ‘आरोप’

-एक करोड़ 94 लाख बकाया न देना पड़े इस लिए तरह-तरह के लगा रहें आरोपःदिव्ंयाषु खरे

बस्ती। रत्नाकर श्रीवास्तव उर्फ आदर्ष श्रीवास्तव पुत्र स्वर्गीय प्रेम चन्द्र श्रीवास्तव ने एसपी सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर दिव्यांशु खरे पुत्र आशीष खरे पर उस समय पति और पत्नी पर गाड़ी चढ़ाकर जान से मारने का आरोप लगाया, जब पति और पत्नी अमहट घाट के मंदिर जा रहे हैं, घटना 15 दिसंबर 25 की सुबह नौ बजे के आसपास का बताया गया। कहा कि किसी तरह पति और पत्नी जान बचाकर भागे और 112 को फोन किया। पत्र में कानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई। उधर दिव्यांषु खरे ने कोतवाली में एक तहरीर दिया जिसमें यह कहा गया कि रत्नाकर श्रीवास्तव को बकाए का एक करोड़ 94 लाख रुपया न देना पड़े इस लिए तरह-तरह का आरोप लगा रहे है। कहा कि सच्चाई का पता सीसी कैमरे की जांच से पता चल जाएगा। कहा कि इससे पहले सीएम को इनके खिलाफ विधिक कार्रवाई के लिए पत्र दिया जा चुका है

 

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