क्यों ‘होल सेलर्स’ ने ‘कोडीन’ को सिर्फ ‘होल सेलर्स’ को ही ‘बेचा’?

 क्यों ‘होल सेलर्स’ ने ‘कोडीन’ को सिर्फ ‘होल सेलर्स’ को ही ‘बेचा’?

बस्ती। बार-बार सवाल उठ रहा है, कि नषे का कारोबार करने वाले होलसेलर्स ने कोडीन सीरप क्यों होलसेलर्स को ही बेचा? क्यों नहीं किसी रिटेलर्स को बेचा? जब कि होलसेलर्स को रिटेलर्स को बेचना चाहिए था, इससे किसी बड़ी साजिष का पता चलता है। एसआईटी को इस पर भी ध्यान देना चाहिए, अगर एसआईटी ने इस पर होमवर्क कर लिया तो एक ही झटके में उस सवाल पर से पर्दा उठ जाएगा, जिसमें बार-बार कहा जाता है, कि करोड़ों की खरीद फरोख्त सिर्फ और सिर्फ कागजों में ही हुई, कागजों में माल आया और कागजों में होलसेलर्स को माल बेच दिया। कोडीन सीरप न सिर्फ कगजों में बिका बल्कि उसकी जीएसटी भी जमा हुआ। सवाल उठ रहा है, कि जब माल कागजों में बिका तो होलसेलर्स को क्या लाभ हुआ, और यह लाभ किसने दिया? और कितना दिया? यह भी सही है, कि होलसेलर्स को माल टासंपोर्ट से आया, और इन्होंने जिस भी होलसेलर्स को बेचा उसका भुगतान बैंक से हुआ, लेकिन माल भी कागजों में आया और कागजों में माल भी बेचा गया। चर्चाओं पर अगर नजर डाले तो एक षीषी पर होलसेलर्स को कमीषन के रुप में 100 से 150 रुपया मिला होगा, और जिसने कमीषन दिया, उसने सीरप को बंगलादेष के बाजार में प्रति षीषी 600 से 700 में बेच दिया। तभी तो एक-एक व्यक्ति ने 20-20 लाख षीषी बेच डाला, जाहिर सी बात हैं, कि अगर किसी को माल कागजों में बेचना है, तो वह करोड़ों षीषी बेच देता, कहने का मतलब इस नषे के कारोबार में खरीदने और बेचने वाले का एक रुपया भी नहीं लगा, और मुनाफा करोड़ों का हुआ। भले ही चाहे इससे बच्चे मरे या फिर लाखों घर बर्बाद हो, इससे कारोबारियों का कोई लेना-देना नहीं। अगर किसी भी कंपनी या फिर होलसेलर्स को इस तरह का कारोबार करने और लाभ कमाने का मौका मिलेगा, तो वह इसके लिए कुछ भी सकता। बेरोजगारी समाप्त करने का इससे बड़ा कोई साधन हो ही नहीं सकता। मोदी और योगीजी को इस कारोबार को कानूनी रुप से दे देना चाहिए, ताकि अधिकांष बेरोजगारों को कम से कम रोजगार तो मिल जाएगा, और सरकार का रोजगार देने का एजेंडा भी कामयाब हो जाएगा। चूंकि कंपनी को भी कोडीन भारत में ही बेचना था, इस लिए कंपनी ने बड़े-बड़े और नामचीन होलसेलर्स का चयन किया, ताकि सरकार को लगे कि माल भारत में ही बिका, क्यों कि जब तक भारत में माल कागजों में नहीं बिकता, तब तक माल बंगलादेष नहीं जाता। कहने का मतलब भारत में कोडीन तो कागजों में बिका लेकिन असली कोडीन बगंलोदेष में बिका। जिस तरह कंपनी ने होलसेलर्स को कागजों में बेचा उसी तरह होलसेलर्स ने भी कागजों में बेचा। होलसेलर्स का सिर्फ होलसेलर्स को बेचना और रिटेलर्स को न बेचना को यह साबित करता है, कि कोडीन सीरप बेचने का खेल कागजों में हुआ, अगर वाकई रिटेलर्स को बेचा गया होता तो उसके यहां मिलता। चिराग लेकर ढूढ़ने पर भी रिटेलर्स के यहां नहीं मिलेगा। सवाल उठ रहा है, कि अगर बोगस फर्म गणपति को बेचा गया तो उसने भी किसी रिटेलर्स को ही बेचा होगा। होलसेलर्स यह कहकर बच सकते हैं, कि उसने माल खरीदा और बेचा, और उसे भुगतान भी हुआ, लेकिन असलियत तो किसी और ओर ईषारा कर रही है। इस बात की भी जांच होनी चाहिए, कि क्यों पिछले छह माह में ही होलसेलर्स के लाइसेंस जारी हुए। इस बात की भी जांच होनी चाहिए, कि जब जिले में दो दर्जन से अधिक होल सेलर्स हैं, तो डीएलए और डीआई ने क्यों सात होलसेलर्स की जांच किया? क्यों नहीं अन्य होलसेलर्स की जांच की? बताते हैं, कि जांच के इस खेल में भी बड़ा खेल हुआ। इस बात की भी चर्चा हो रही है, कि क्यों बीसीडीए के अध्यक्ष और उनकी पत्नी की ही जांच की गई? क्यों नहीं अन्य बड़े होलसेलर्स की गई? जबकि लगभग सभी ने कोडीन बेचा होगा। इस पूरे मामले में सबसे अधिक संदिग्ध भूमिका डीएलए और डीआई की है। अगर यह दोनों अपनी जिम्मेदारी निभाते तो आज बस्ती का नाम बदनाम न होता। कहना गलत नहीं होगा कि पिछले दो साल से नषे का अवैध कारोबार हो रहा है, और जिसके चलते हजारों परिवार बर्बाद हो गए, उसके लिए पूरी तरह डीएलए एवं डीआई को ही दोषी माना जा रहा है। असल में देखा जाए तो कार्रवाई तो इन्हीं दोनों के खिलाफ होनी चाहिए, अगर इन्हें छोड़ दिया तो फिर कोई अन्य कांड हो सकता है। ईडी की जांच में यह साबित हो गया, सरगना षुभम जायसवाल ने दो डीआई को भी करोड़ों रुपया दिया। जिस तरह इस तस्करी में सफेद पोषों का नाम सामने आ रहा है, उससे राजनीति गलियारे में हलचल मची हुई है। वैसे भी बिना सफेद पोष के संरक्षण के इतना बड़ा कांड हो ही नहीं सकता। नेताओं का तो समझ में आता है, लेकिन डीएलए और डीआई का समझ में नहीं आता। योगीजी के रहते अगर सूबे में इतना बड़ा खेल होता है, तो इसकी छींटे डिप्टी सीएम पर भी पड़ेगें।बाक्स में

‘जब’ कांड ‘भाजपा काल’ में ‘हुआ’ तो ‘दोषी’ सपाई ‘कैसे’ हो ‘गए’?

सवाल उठ रहा है, कि जब कोडीन कांड भाजपा काल में हुआ तो दोषी सपाई कैसे हो गए? अगर मान लिया जाए कि इस कांड को सपाईयों ने अंजाम दिया तो षासन-प्रषासन और डिप्टी सीएम एवं हेल्थ मिनिस्टर, प्रमुख सचिव हेल्थ, आयुक्त औषधि, डीएलए और डीआई क्या कर रहे थे? इसका सीधा मतलब सपाईयों ने भाजपाईयों के गढ में सेधंमारी कर दी। योगीजी यह कहकर नहीं बच सकते कि यह पूरा कांड सपाईयों ने किया, और बदनाम भाजपा को किया। वैसे भी डिप्टी सीएम के अब तक के कार्यकाल में इनके विभाग में सबसे अधिक घोटाला हुआ। यूपी में पिछले तीन सालों से कोडीन का अवैध कारोबार हो रहा है, और सरकारी अमला सोता रहा, इसे प्रदेष की जनता क्या माने, और अब तो अखिलेष यादव ने भी कोडीन माफिया और कोडीन भाई के घरों और कार्यालयों पर बुलडोजर चलाने की सहमति दे दी है, योगीजी को यह मौका हाथ से नहीं जाने देना चाहिए। कौन नहीं जानता कि इस खेल में किस पार्टी के लोग और कौन-कौन षामिल है। अगर ईमानदारी से बुलडोजर चला तो सपाईयों पर कम और भाजपाईयों पर अधिक चलेगा। हो सकता है, कि इस कांड से भाजपा के कुछ बड़े लोगों पर कार्रवाई की गाज भी गिर जाए। भाजपा को अगर साफ मन से 2027 के चुनाव में जाना है, तो इस कांड के असली दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी।

‘मत करना’ सोषल मीडिया पर ‘टिपणी’, नहीं तो ‘बर्बाद’ हो जाएगा ‘भविष्य’!

-‘सांसद’ रामप्रसाद चौधरी और ‘विधायक’ राजेंद्र प्रसाद चौधरी को ‘गाली’ देने वाले पर ‘एफआईआर’

बस्ती। पूर्व सांसद बनाम वर्तमान सांसद के समर्थकों का सोषल मीडिया पर आपस में लड़ना झगड़ना और अपषब्द कहने का दौर धमने का नाम नहीं ले रहा है। इस चक्कर में नौजवान बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। इन्हें समझ में ही नहीं आ रहा है, कि अगर एक मुकदमा कायम हो गया तो उन्हें नौकरी नहीं मिलेगी। मिल भी गई तो सीआर खराब होने के कारण उन्हें चरित्र प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा और जब प्रमाण-पत्र नहीं मिलेगा तो नौकरी भी नहीं मिलेगी। जिनके लिए नौजवान नौकरी से हाथ धो रहे हैं, वह भी इनके लिए कुछ नहीं कर सकते। नेता तो मलाई काट रहें, लेकिन उनके समर्थक जेल जा रहें है। जेल और कोतवाली की हवा अलग से खानी पड़ सकती है। पिछले चार दिनों में वर्तमान और पूर्व सांसद के समर्थकों के बीच तीन मुकदमा कायम हो चुका है। अगर यह सिलसिलस बंद न हुआ तो न जाने कितने मुकदमें दर्ज हो सकते हैं, पुलिस का अधिकांष समय सोषल मीडिया पर दिए गए अपषब्दों पर ही बीत जा रहा है। मुकदमा लिखने और न लिखने का दबाव अलग से झेलना पड़ रहा है। नौजवानों से अपील है, कि सोषल मीडिया पर कोई भी ऐसी टिपणी न करें, जिससे उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो। जिन नेताओं के समर्थकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो रहा है, उन्हें भी बहुत अफसोस होता है, वे लोग भी सोषल मीडिया पर आपत्तिजनक टिपणी न करने की अपील कर रहे है। कहा भी जाता है, कि सोषल मीडिया से जितना भी दूर रहेगें उतना ही अच्छा होगा। जिन मां-बा पके बच्चों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हो रहे हैं, उन्हें भी बहुत अफसोस हो रहा हैं, कहते भी है, कि ऐसे नेताओं के लिए क्यों जीवन बर्बाद कर रहे हो, जिन्हें सिर्फ अपना लाभ दिखाई देता है। जनप्रतिनिधियों को भी अपने समर्थकों से संयम बरतने की अपील करनी चाहिए। कहा भी जाता है, कि सोषल मीडिया को किसी भी लड़ाई का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए। एक दिन पहले पूर्व सांसद के समर्थक ओम सिंह के खिलाफ कोतवाली में सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से सांसद रामप्रसाद चौधरी और रूधौली के विधायक राजेन्द्र चौधरी जी को माँ, बहन की गाली दिया। वही दूसरी आईडी से यह कि ये तो साला संसद मे सोने के लिए जाता है। यह आईडी दयाशंकर के नाम से है। इस संबन्ध मे विनय चौधरी पुत्र संतबक्स चौधरी निवासी ग्राम कटरा थाना कोतवाली की ओर से ओम सिंह नामक व्यक्ति पता अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ।

‘भाजपा’ की ‘नीति’ और ‘नियत’ में ‘खोट’ःडा. आलोक रंजन

-नाम बदलने की राजनीति बंद करे भाजपाःविश्वनाथ चौधरी

बस्ती। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. आलोक रंजन ने कहा कि भाजपा की नीति और नियत में खोट है, समय आने पर जनता इसका करारा जबाब देगी। यह सरकार जान बूझकर महापुरूषों का नाम बदलने मंें लगी है और गरीबों, मजदूरों का हक मारा जा रहा है जिससे पूंजीपतियों को लाभ पहुंचे। मनरेगा की नयी योजना मजदूर विरोधी है। कांग्रेस इस सवाल को जनता तक लेकर जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ चौधरी ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार केवल नाम बदलने और आर्थिक संसाधनों को अपने चहेते पूंजीपतियों के हाथ बेंचने का काम कर रही है।


इन्हें महात्मा गांधी के नाम से नफरत है वरना मनरेगा का नाम बदलने की क्या जरूरत थी। वह दिन दूर नहीं जब भाजपा भारत के नोटांें पर से भी महात्मा गांधी का नाम बदल देगी। कहां कि अच्छा हो कि गरीबो के लिये वरदान साबित हो रही मनरेगा को पुनः सरकार लागू करे। कांग्रेस के डा. वाहिद अली सिद्दीकी, संदीप श्रीवास्तव, गिरजेश पाल, शौकत अली नन्हू, अनिल भारती, साधूसरन आर्य आदि ने कहा कि केन्द्र सरकार ने केवल नाम ही नहीं बदला है मोदी सरकार ने काम के अधिकार की गारंटी वाले इस कानून को बदलकर उसमें शर्तें और केंद्र का नियंत्रण बढ़ा दिया है जो कि राज्यों और मजदूरों दोनों के खिलाफ है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार काम को रोककर मजदूरों को निजी खेतों में मजदूरी के लिए धकेलना कल्याण नहीं बल्कि सरकार द्वारा मजदूरों की सप्लाई है जो उनसे उनकी आय, उनकी इच्छा और सम्मान सब छीनती है. असल में नई स्कीम का मतलब केंद्र सरकार का कंट्रोल है। अब राज्यों को खर्च के लिए मजबूर किया जाएगा। मजदूरों के अधिकारों को कम करके उस पर शर्त लगा दिया जाएगा, हर बार की तरह इस बार भी यह कानून गरीब विरोधी है। कांग्रेस इन सवालों को लेकर गांव-गांव जन जागरण अभियान चलायेगी।

कांग्रेस नेताओं ने सोमवार को मनरेगा का नाम बदलकर विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ (वीबीजीआरएमजी) किए जाने के विरोध में कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ चौधरी के नेतृत्व में महात्मागांधी प्रतिमा के समक्ष प्रदर्शन किया। मनरेगा का नाम बदलने के विरोध में आयोजित विरोध प्रदर्शन में महिला कांग्रेस अध्यक्ष लक्ष्मी यादव, राम धीरज चौधरी, प्रताप नारायण मिश्र, अमर बहादुर शुक्ल‘ तप्पे बाबा’, अनूप पाठक, राहुल चौधरी, लालजीत पहलवान, रविन्द्र सिंह राजन, राम बचन भारती, अतीउल्ला सिद्दीकी, सलाहुद्दीन, दुर्गेश चौधरी, मनीष दूबे, जमील अहमद कादरी, अशरफ अली, आनन्द निषाद, सर्वेश शुक्ल, गुड्डू सोनकर, सोमनाथ संत, राम बहादुर सिंह, वृजभान कन्नौजिया, राम पूरन चौधरी, विजय कुमार, विश्वजीत, डीएन शास्त्री, साधू पाण्डेय, राम प्रीत दुसाद, राजेन्द्र गुप्ता, जगदीश शर्मा के कांग्रेस के अनेक नेता शामिल रहे। 

‘टांय-टांय’ फिस हुआ ‘हर घर’ जल मिशन ‘योजना’

-केंद्र सरकार की योजना को उन्हीं के लोगों ने लगाया पलीता

बस्ती। जिले में हर घर जल मिषन योजना मजाक बन कर रह गया। अरबों रुपये के इस केंद्र सरकार की योजना को उन्हीें के लोगों ने पलीता लगा दिया, हर घर में जल तो नहीं पहुंचा अलबत्ता गांव की सूरत जगह-जगह गढढा खोदने से अवष्य बदल गई। डिप्टी सीएम केषव मौर्य तक इस योजना को बकवास बता चुके हैं, और जिले में इसके जांच के आदेष भी दिए। जिले के प्रभारी मंत्री भी इस योजना में हो रही अनियमितता को लेकर बैठक में अधिकारियों को भटकार लगा चुके हैं, और इसकी षिकायत केंद्र को भी कर चुके हैं। चूंकि इस योजना का ठेकेदार गुजरात का है, इस लिए कोई कार्रवाई नहीं होती, एक तरह मोदी और षाह ने योजना को पूरी तरह ठेकेदार के हवाले कर दिया।


कोई भी ऐसा प्रधान और जनप्रतिनिधि नहीं जिन्होंने इस योजना को लेकर षिकायत न की हो। विकास खंड क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत मझौवा चौबे में हर घर जल जीवन मिशन योजना के तहत कराए जा रहे निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। इस संबंध में अर्पित सिंह द्वारा जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई है।

शिकायतकर्ता अर्पित सिंह निवासी ग्राम मझौवा चौबे ने आरोप लगाया है कि योजना के अंतर्गत जैक्सन विश्वराज कंपनी द्वारा लगभग 234.29 लाख की लागत से कराए जा रहे जलापूर्ति कार्य समय सीमा समाप्त होने के बावजूद अधूरे हैं। सूचना बोर्ड के अनुसार कार्य की शुरुआत 07 अगस्त 2023 को हुई थी तथा पूर्ण होने की निर्धारित तिथि 06 फरवरी 2025 थी, लेकिन तय समयावधि बीत जाने के बाद भी कार्य पूर्ण नहीं कराया गया।

ग्रामीणों का कहना है कि गांव के कई हिस्सों में पाइपलाइन बिछाने का कार्य अधूरा है, अब तक घर-घर जल कनेक्शन नहीं दिया जा सका है तथा पानी की टंकी व अन्य संरचनाओं की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके बावजूद कार्यदायी संस्था को भुगतान किए जाने का आरोप लगाया गया है। शिकायत में मांग की गई है कि मामले की उच्चस्तरीय एवं निष्पक्ष जांच कराई जाए, अनियमितताओं की पुष्टि होने पर दोषी ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए तथा भुगतान की गई धनराशि की वसूली कराई जाए। साथ ही अधूरे कार्यों को किसी अन्य योग्य एजेंसी से गुणवत्तापूर्ण ढंग से पूर्ण कराने की मांग की गई है।

‘अभिषेक उपाध्यया’ दे रहें ‘उदय शंकर शुक्ल’ को कड़ी ‘चुनौती’

-प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष के सिघांसन पर भी बैठ सकते अभिषेक उपाध्याय

-पदाधिकारयों की चुनाव प्रक्रिया शुरूः पहले दिन बिके 52 पर्चे, नामांकन शुरू

बस्ती। 18 साल बाद होने जा रहा उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ जिला इकाई का चुनाव काफी रोचक होने जा रहा है। ‘अभिषेक उपाध्यया’ देगें ‘उदय षंकर षुक्ल’ को कड़ी ‘चुनौती’ दे सकते है। अप्रत्याषित परिणाम के आने के आसार बढ़ गएं है। चुनाव में भले ही चार दिन रह गए, लेकिन अभी से सरगर्मी तेज हो गई है। हर कोई एक दूसरे को पटकनी देने की रणनीति बना रहें है। सबसे अधिक कांटे की लड़ाई वर्तमान जिलाध्यक्ष उदय षंकर षुक्ल और सांउघाट ब्लॉक के अध्यक्ष अभिषेक उपाध्याय के बीच होने की संभावना है। अभिषेक के समर्थकों का कहना है, कि इस बार अप्रत्याषित परिणाम लोगों को देखने में मिल सकता है। वहीं उदय षंकर षुक्ल के समर्थकों का दावा है, कि इस बार रिकार्ड मतों से जीत होगी। दोनों के समर्थकों में चुनाव को लेकर काफी जोष देगा जा रहा है।  


पदाधिकारियों के चुनाव की प्रक्रिया सोमवार से आरम्भ हुई। प्रेस क्लब सभागार में पर्यवेक्षक मार्कण्डेय राय, देेवेन्द्र यादव और वृजेन्द्र मिश्र की देख रेख में विभिन्न पदों के लिये कुल 52 पर्चे खरीदे गये। अध्यक्ष पद पर 2, उपाध्यक्ष 17, प्रवक्ता 2, उप मंत्री 2, संगठन मंत्री 16, एकाउन्टेन्ट 1, आडीटर 1, मंत्री 1, कोषाध्यक्ष 1, संयुक्त मंत्री 1 सहित सभी पदों पर नामांकन किया गया। नामांकन 26 दिसम्बर को दिन में 11 बजे तक होगा और उसी दिन बीएसए कार्यालय परिसर में आयोजित अधिवेशन में प्रत्याशियों का चुनाव सम्पन्न होगा। पद से अधिक नामांकन के कारण अध्यक्ष समेत अनेक पदों पर मतदान के आसार है। संघ के जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ल ने यह जानकारी देते हुये बताया कि कडाके की ठंड के बावजूद प्रेस क्लब सभागार में गहमागहमी का माहौल रहा। चुनाव अधिकारी शिव कुमार तिवारी ने बताया कि नामांकन प्रक्रिया 26 दिसम्बर को दिन में 11 बजे तक जारी रहेगी। नाम वापसी के बाद यदि पद से अधिक प्रत्याशी रहेंगे तो नियमानुसार चुनाव कराया जायेगा।

संघ जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल ने बताया कि अधिवेशन में नव निर्वाचित अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लेंगे। उनका स्वागत घघौवा से लेकर कार्यक्रम स्थल तक किया जायेगा। अधिवेशन में सांसद जगदम्बिका पाल, एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह, दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री महेश शुक्ल के साथ ही अनेक विशिष्ट जन हिस्सा लेंगे। पर्चो की बिक्री और नामांकन के दौरान राघवेन्द्र प्रताप सिंह, महेश कुमार, अभय सिंह यादव, इन्द्रसेन मिश्र, राजकुमार सिंह, शशिकान्त दूबे, सतीश शंकर शुक्ल, सन्तोष शुक्ल, चन्द्रभान चौरसिया, दिवाकर सिंह, रामपाल वर्मा, त्रिलोकीनाथ, ओम प्रकाश पाण्डेय, रीता शुक्ला, सरिता पाण्डेय, अभिषेक उपाध्याय, शैल कुमार शुक्ल, विजय प्रकाश वर्मा, सुनील पाण्डेय, नरेन्द्र पाण्डेय, रविन्द्रनाथ, दिनेश वर्मा, नरेन्द्र दूबे, विकास पाण्डेय, योगेश्वर शुक्ल, राम प्रकाश शुक्ल, प्रभाकर शुक्ल, स्कन्द मिश्र, मारूफ खान, प्रणव मिश्र के साथ ही अनेक शिक्षक और प्रत्याशी शामिल रहे।

‘रोजगार’ मेले में ‘आइए’, ‘नौकरी’ ले ‘जाइए’

बस्ती। जिला सेवायोजन अधिकारी अवधेन्द्र प्रताप वर्मा ने बताया कि क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय/माडल कॅरियर सेन्टर के द्वारा एकदिवसीय रोजगार मेला का आयोजन दिनांक 30 दिसम्बर 2025 को पूर्वान्ह 11.00 बजे से क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय कैम्पस कटरा मूड़घाट रोड बस्ती में किया जायेंगा। इस मेले में रोडवेज उप्र परिवहन निगम बस्ती डिपों के आरएम ⁄ भर्ती अधिकारी सविंदा चालक के रि क्त ( डाइवर ) पदों के लिए साक्षात्कार के मा ध् यम से कैम्पस भर्ती करेंगें। उन्होने बताया कि शैक्षिक योग्यता कम से कम कक्षा 8 पास , लम्बाई 05 फुट 03 इंच, लाइसेन्स हैवी व वाहन चलाने का न्यूनतम 02 ( दो ) वर्ष का अनुभव, आयु न्यूनतम 23 वर्ष 06 माह से ऊपर होनी चाहिए। उन्होने बताया कि सविंदा चालक (डृाइवर) पद पर चयनित होने के उपरान्त मानदेय 2.06 पैसा प्रति किलोमीटर, 5000 से अधिक किलोमीटर एवं 22 दिन के संचालन पर 3000 का अतिरिक्त प्र ोत्साहन देय होगा। साथ ही नाइट भत्ता एवं टारगेट से अधिक आय पर अतिरिक्त प्रोत्साहन मिलेगा। इच्छुक अभ्यर्थी अपने अंकपत्र, डाइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड के साथ निःशुल्क प्रतिभाग कर साक्षात्कार के मा ध् यमचयन होने हेतु उपरो क्त तिथि पर क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय बस्ती में सम्मिलित हो सकते है अथवा इच्छुक जाब सीकर सेवायोजन पोर्टल पर भी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते है।


 

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