चौकिएं मतः ‘650’ करोड़ ‘घोटाले’ का जिन्न ‘निकला’


चौकिएं मतः ‘650’ करोड़ ‘घोटाले’ का जिन्न ‘निकला’

-घोटालेबाजों का सच बताने और सरकार को नींद से जगाने के लिए संजय मिश्र नामक आम आदमी ने ‘पदयात्रा’ के जरिए दी योगीजी को चुनौती, पदयात्रा की षुरुआत मुख्यमंत्री के जनपद से की, पैरों में छाले पड़ गए, लेकिन पदयात्रा जारी रहा, पदयात्रा का स्वागत सरदार कुलवेंद्र सिंह ने किया और पद यात्रा की टीम रात्रि विश्राम बादषाह सिनेमा में किया

-बस्ती सहित अन्य जनपदों में प्रषासक और सचिव ने मिलकर किया इतना बड़ा घोटाला, घोटाले की जानकारी आईटीआई के तहत मिली, सवाल उठ रहा हैं, कि इतने बड़े घोटाले की जांच अभी तक सीबीआई को क्यों नहीं योगीजी ने सौंपा, और क्यों ने इतने बड़े को सपा सहित अन्य विपक्ष ने सदन में उठाया

-पंचायती निदेषक के सात पत्रों को एक भी डीएम ने अभी तक संज्ञान में नहीं लिया, जब कि घोटाला करने वाले प्रषासक और सचिवों की ग्रामवार सूची भी उपलब्ध कराया

-यह घोटाला एडीओ पंचायत, एडीओ, एजी, एडीओ समाजकल्याण, एडीओ सहकारिता और एडीओ आईएसबी, और सचिवों ने मिलकर 25 दिसंबर 21 से 25 मई 21 तक उस समय किया, जब पंचायत का चुनाव हो रहा था, और यह लोग प्रषासक बनाए गए थे

-पांच मई 21 को प्रधान चुने गए, और 25 मई को षपथ ग्रहण हुआ, लेकिन इस बीच 20 दिन में प्रषासकों और सचिवों ने ग्राम पंचायतों को कंगाल कर दिया, प्रषासकों ने सचिवों के साथ मिलकर बिना कोंई काम कराए करोड़ों रुपये का बंदरबांट कर लिया

-2021 में 58189 ग्राम पंचायतों के लगभग 58 हजार प्रधानों का हक पर नियुक्ति प्रषासक और सचिवों के द्वारा नियम विरुद्व बिना काम कराए आनन-फानन में 650 करोड़ उस धन को निकला जो प्रधानों को निकालना था

बस्ती। सरकार के सहयोगी दल के विधायक दूधराम ने मीडिया के सामने सच ही कहा था, कि कौन कहता है, कि प्रदेष में रामराज हैं, अगर रामराज होता तो हर जगह लूटपाट न होता। भले ही विधायकजी के बयान को भाजपा वालों ने हवा में उड़ा दिया हो, लेकिन जो सच विधायक दूधराम ने कहा, वह सच सामने आ रहा है। अगर पंचायत विभाग में मोदीजी के क्षेत्र बनारस, योगीजी के क्षेत्र गोरखपुर और सहित बस्ती अन्य जनपदों में 650 करोड़ का प्रमाणित घोटाला निकलता है, तो इसकी जबावदेही किसकी बनती है? वर्तमान में यह मलाईदार विभाग ओमप्रकाष राजभर के पास है। अपने आप को, अपनी पार्टी और अपने विधायकों को ईमानदारी का हर जगह एचएमबी रिकार्ड बजाने वाले कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाष राजभर के विभाग में अगर इतना बड़ा घोटाला होता है, और यह चुप रहते हैं, तो माना जाता है, घोटाले में इनकी सहमति और हिस्सेदारी दोनों होगी। अगर ऐसा नहीं होता तो इन्हें अब तक इसकी जांच सीबीआई से कराने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव रख देना चाहिए था, कहना गलत नहीं होगा कि न तो कैबिनेट मंत्री ईमानदार हैं, और न इनके विभाग के अधिकारी ही ईमानदार। रही बात योगीजी की तो अगर इनके जनपद से 650 करोड़ घोटाला को लेेकर संजय मिश्र पदयात्रा पर निकलतें हैं, तो सवाल तो योगीजी पर भी उठेगा। प्रदेष की जनता को घोटालेबाजों का सच बताने और सरकार को नींद से जगाने के लिए गोरखपुर से संजय मिश्र नामक आम आदमी ने ‘पदयात्रा’ की षुरुआत करके एक तरह से योगीजी को चुनौती दी है।


बस्ती पहुंचते-पहुंचते इनके पैरों में इतने छाले पड़ गए, कि यह चल नहीं पा रहे थे, चप्पल पहनकर पदयात्रा पर निकले संजय मिश्र और उनकी टीम का स्वागत सरदार कुलवेंद्र सिंह ने किया और पदयात्रा की टीम रात्रि विश्राम बादषाह सिनेमा में किया। एक भेंट में इन्होंने कहा कि हमने सभी दलों के लोगों से पद यात्रा में षामिल होने को कहा, साथ में चलने को कौन कहे, कोई एक कदम साथ देने को तैयार नहीं, विपक्ष के लोग भी तैयार नहीं हुए। कहते हैं, कि पूरे जनपद से साक्ष्य एकत्रित करने में उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद हुआ, जब आरटीआई के तहत सभी जनपदों की सूचना मिल गई, तब उन्होंने सीएम से सहित सभी को पत्र लिखा और संज्ञान में लेकर जांच कराने की मांग की। कहा कि उनके पत्र को संज्ञान में लेकर पंचायती निदेषक ने 18 अप्रैल 24 और चार अप्रैल 25 के बीच सभी डीएम को सात पत्र जारी किया, लेकिन एक भी डीएम ने न तो जांच कराया और न कोई कार्रवाई ही किया, जब कि यह घोटाला पूरी तरह प्रमाणित हैं, जिसके सारे साक्ष्य दिए जा चुके है। ग्रामवार घोटाले की जानकारी दी गई। बताया कि बस्ती सहित अन्य जनपदों में प्रषासक और सचिव ने मिलकर इतना बड़ा घोटाला किया। कहते हैं, कि सवाल उठ रहा हैं, कि इतने बड़े घोटाले की जांच अभी तक सीबीआई को क्यों नहीं योगीजी ने सौंपा? और क्यों नहीं इतने बड़े घोटाले को सपा सहित अन्य विपक्ष ने सदन में उठाया? कहा कि यह घोटाला एडीओ पंचायत, एडीओ, एजी, एडीओ समाजकल्याण, एडीओ सहकारिता और एडीओ आईएसबी, और सचिवों ने मिलकर 25 दिसंबर 21 से 25 मई 21 तक उस समय किया, जब पंचायत का चुनाव हो रहा था, और यह लोग प्रषासक बनाए गए थे, कहा कि पांच मई 21 को प्रधान चुने गए, और 25 मई को षपथ ग्रहण हुआ, लेकिन इस बीच 20 दिन में प्रषासकों और सचिवों ने ग्राम पंचायतों को कंगाल दिया, प्रषासकों ने सचिवों के साथ मिलकर बिना कोई काम कराए करोड़ों रुपये का बंदरबांट कर लिया। कहते हैं, कि 2021 में 58189 ग्राम पंचायतों के लगभग 58 हजार प्रधानों का हक पर, नियुक्ति प्रषासक और सचिवों के द्वारा नियम विरुद्व बिना काम कराए आनन-फानन में 650 करोड़ उस धन को निकला जो प्रधानों को निकालना था। पदयात्रा की जानकारी देते हुए बताया कि वह छह दिसंबर 25 को गोरखपुर से पदयात्रा षुरु किया और आठ दिसंबर 25 को बस्ती पहुंचा। कहा कि वह रोज 15-20 किमी. की पदयात्रा करते हैं, और उनका 25 दिसंबर को राजधानी पहुंचने का लक्ष्य है।

‘राम’ की ‘नगरी’ को भी ‘घोटालेबाजों’ ने नहीं ‘छोडा’़!

-‘गोरखपुर’ और ‘बस्ती’ में हुआ ‘छह-छह’ करोड़ का ‘घोटाला’

बस्ती। प्रदेष का कोई भी ऐसा जिला नहीं जो घोटाले में षामिल न हो। हैरानी होती है, कि इतना बड़ा घोटाला हो जाता है, और जिम्मेदारों की जानकारी में होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती। लोगों को सबसे अधिक हैरानी जीरो टालरेंस नीति का ढ़ोलक बजाने वाले सीएम और उनकी टीम पर होती है। उससे अधिक हैरानी विपक्ष के नेताओं की चुप्पी देख करन हो रही है, ऐसा लगता है, कि मानो अगर विपक्ष ने मुंह खोल दिया, उनके घरों और प्रतिष्ठानों पर बुलडोजर चल जाएगा। अधिकारियों और नेताओं के संज्ञान में यह मामला पिछले चार साल से हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर जीरो।


घोटाले को उजागर करने वाले गोरखपुर के संजय मिश्र कहते हैं, कि बात जीरो टालरेंस की मगर भ्रष्टाचार 100 फीसद। जिन जिलों में प्रषासक और सचिवों ने ग्राम निधि के धन को लूटा, उनमें आगरा में 12 करोड़, अलीगढ़ में आठ करोड़, अंबंडकरनगर में 10 करोड़, बमेठी में नौ करोड़, अमरोहा में दो करोड़, औरैया में छह करोड़, अयोध्या में 11 करोड़, आजमगढ़ में 13 करोड़, बागपत में छह करोड़, बहराइच में 21 करोड़, बलिया में 13 करोड़, बलरामकपुर में आठ करोड़, बांदा में 20 करोड़, बाराबंकी में 14 करोड़, बरेली में पांच करोड़, बस्ती में छह करोड़, बिजनौर में सबसे अधिक 27 करोड़, बदायूं में नौ करोड़, बुलंदषहर में 18 करोड़, चंदौली में सात करोड़, चित्रकूट में आठ करोड़, एटा में छह करोड़, इटावा में पांच करोड़, फर्रुखाबाद में छह करोड़, फतेहपुर में 17 करोड़, फिरोजाबाद में 12 करोड़, गौतमबुद्धनगर में एक करोड़, गाजीपुर में पांच करोड़, गोंडा में सात करोड़, गोरखपुर में छह करोड़, हमीरपुर में पांच करोड़, हापुड़ में दो करोड़, हरदोई में 11 करोड़, हाथरस में सात करोड़, जालौन में 12 करोड़, जौनपुर में 20 करोड़, झांसी में 12 करोड़, कन्नपौज में दो करोड़, कानपुर देहात में पांच करोड़, कासगंज में 10 करोड़, कौषांबी में पांच करोड़, खीरी में 11 करोड़, कुषीनगर में 18 करोड़, ललितपुर में छह करोड़, लखनउ में पांच करोड़, महराजगंज में पांच करोड़, महोबा में सात करोड़, मैनपुरी में चार करोड़, मथुरा में 12 करोड़, म उमें दो करोड़, मेरठ में तीन करोड़, मिर्जापुर में आठ करोड़, मुरादाबाद में नौ करोड़, मुज्जफरनगर में 15 करोड़, पीलीभीत में नौ करोड़, प्रतापगढ़ में 13 करोड़, प्रयागराज में 12 करोड़, रायबरेली में पांच करोड़, सहारनपुर में 14 करोड़, संभल में आठ करोड़, संतबकीरनगर में चार करोड़, संतरविदासनगर में तीन करोड़, षाहजहांपुर में चार करोड़, षामली में पांच करोड़, श्रावस्ती में चार करोड़, सिद्धार्थनगर में नौ करोड़, सीतापुर में 18 करोड़, सोनभद्र में आठ करोड़, सुल्तानपुर में 121 करोड़, उन्नाव में आठ करोड़, वाराणसी में चार करोड़ और देवरिया में 11 करोड़ सहित कुल 650 करोड़ का घोटाला भाजपा के कार्यकाल में हुआ।

 ‘युवा कल्याण’ में ‘भी’ हुआ ‘25 करोड’ का ‘घोटाला’

बस्ती। जिस तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ समाज सेवी एवं आरटीआई कार्यकर्त्ता संजय मिश्र पदयात्रा पर निकले, उसके लिए इनके हिम्मत की जितनी भी तारीफ की जाए कम हैं, जहां योगीराज में भ्रष्टाचार के खिलाफ विपक्ष नहीं बोलता, ऐसे में अगर एक आम आदमी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए निकला है, तो सभी आमजन को सपोर्ट करना चाहिए। कहा भी जाता है, कि अगर संजय मिश्र जैसे दो चार और हो जाएं तो षायद सरकार में बैठे लोगों की नींद खुल जाए। इन्होंने जितना पसीना पंचायत विभाग के भ्रष्टाचार को उजागर करने में बहाया, उतना ही युवा कल्याण विभाग घोंटाला उजागर करने के लिए भी पसीना बहाया। यह अपने पदयात्रा में लोगों को यह बताते हैं, कि किस तरह इस विभाग के अधिकारियों ने प्रदेष के 25 हजार युवक/महिला मंगल दलों के नाम पर घटिया खेल सामग्री की आपूर्ति कर 25 करोड़ से अधिक का बंदरबांट किया गया। षासन स्तर पर जांच का मामला लगभग पांच साल से लंबित हैं, कहते हैं, कि आखिर जांच और कार्रवाई कब होगी? महानिदेषक की ओर से आठ फरवरी 2021 को उनकी षिकायत पर जांच कमेटी भी गठित किया, लेकिन आज तक कमेटी ने जांच ही नहीं षुरु किया। कहा कि साक्ष्य के साथ बताया गया कि साफर इंटरनेषनल प्रा.लि. के द्वारा जो खेल सामग्री उपलब्ध कराया गया, वह घटिया गुणवत्ता का है। जब उन्होंने जनसूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी तो आनन-फानन में कूटरचित तरीके से एक जांच रिपोर्ट तैयार किया, इस पर सीएम पोर्टल पर मेरे द्वारा आपत्ति भी दाखिल किया गया, जिसे मनमाने तरीके से मामले को निस्तारित कर दिया गया। इस पर मेरे द्वारा सीएम से सीबीआई, एसआईटी एवं ईओडब्लू से जांच करवाने की मांग की गई। कहा कि ढ़ाई साल बाद भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस नीति के तहत एक भी कार्रवाई नहीं की गई, और न ही जांच टीम का गठन ही किया गया। कहते हैं, कि जब वह इस मामले को लेकर तत्कालीन प्रमुख सचिव/महानिदेषक युवा कल्याण डिपंल वर्मा से मिला तो उन्होंने स्वंय यह कहा कि विभागीय मंत्री उपेंद्रनाथ तिवारी एवं खरीद समिति के अनुमोदन से खरीदारी की गई। कहते हैं, कि मैं रहूं या न रहूं, आप लोगों के हित के लिए भ्रष्टाचार की आवाज उठाता रहूंगा। भ्रष्टाचार में लिप्त लोग मुझे समाप्त करना चाहते हैं, लेंकिन मैं भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहता हूं। हमारा प्रयास और आप लोगों के सहयोग से भ्रष्टाचार करने वालों का स्थान जेल की सलाखों में होगा।

पहले ‘बाबू’ तो ‘करें’, फिर ‘साहब’ करेगें, ‘गुरुजी’ का ‘सम्मान’!

बस्ती। प्रमुख सचिव प्रभात कुमार सांरगी ने आज से लगभग 12 साल पहले यानि 12 दिसंबर 12 को सभी प्रमुख सचिव, सचिव, कमिष्नर और डीएम को एक आदेष जारी था, जिसमें षिक्षकों के प्रति षिष्टाचारयुक्त सम्मान करने की बात कही गई थी। कहा था, कि षासन को निरंतर यह जानकारी मिल राही है, कि अधिकारी षिक्षकों का षिष्टाचारयुक्त सम्मान नहीं कर रहे है। अब जरा अंदाजा लगाइए कि कितने गुरुजी लोगों का सम्मान अधिकारी करते हैं, कितने ऐसे अधिकारी हैं, तो षिक्षकों के आने पर उनका स्वागत कुर्सी से उठकर करते है। सच तो यह है, कि जब तक गुरुजी लोग बीएसए/एबीएसए कार्यालय में प्रसाद लेकर नहीं जाएगें तब तक कोई उन्हें बैठने को नहीं कहता, अधिकारियों की तो बात ही छोड़िए इनके कार्यालय का चपरासी और बाबू तक सम्मान नहीं करता। सम्मान करने को कौन कहे, 6600 पे ग्रेड वाला बाबू के सामने प्रधानाचार्य तक को खड़ा रहना पड़ता, अधिकारियों की तो बात ही छोड़ दीजिए। सौरभ मिश्र कहते हैं, कि भईया यह बीजेपी की सरकार है, आदेष उस समय का है, जब भाजपा सरकार में नहीं थी। नरेष चौधरी कहते हैं, कि भाई यह नया भारत हैं, घुसनरा और घुसाना जानता है, इज्जत करना नहीं। सतीष चंद्र पचौरी कहते हैं, कि यह नया भारत हैं, 2012 तो बहुत समय पहले की बात है। षिराज दीक्षित कहते हैं, कि यह सिर्फ षिक्षक दिवस के लिए है। सच तो यह है, कि अधिकांष बच्चे ही अपने गुरुजी का सम्मान नहीं करते। इसके लिए बच्चों को नहीं बल्कि गुरुजी लोगों को दोषी माना जा रहा है। जिस गुरुजी लोगों को बच्चों के सामने आदर्ष बनना चाहिए, वे गुरुजी लोग बच्चों के सामने पान और गुटका खाते है। बच्चों का भोजन तक चटकर जाते है। अब तो गुरुजी लोग अनैतिक आचरण भी करने लगे है। वैसे भी कहा जाता है, कि सम्मान पाने के लिए आदर्ष आचरण प्रस्तुत करना होता है। अनेक ऐसे गुरुजी हैं, जो बच्चों के आदर्ष बने हुए है। ऐसे गुरुजी का सम्मान बच्चे ही नहीं उनके अभिभावक भी करते है। गुरुजी लोगों सबसे पहले बीएसए/एबीएसए कार्यालय में सम्मान मिलना चाहिए। जिस दिन बीएसए और एबीएसए सम्मान करने लगेंगे, उस दिन किसी बाबू के सामने कोई हेडमास्टर खड़ा नहीं रहेगा।

प्राचीन ‘इतिहास’ विषय के ‘शोध’ पर मिली ‘अवधेश’ को ‘पीएचडी’ की ‘उपाधि’

बस्ती। कपिलवस्तु सिद्धार्थ विशवविद्यालय से संबद्ध पंडित महादेव शुक्ल कृषक पीजी कॉलेज गौर से प्राचीन इतिहास विषय में छात्र अवधेश कुमार ने पीएचडी शोध की पढ़ाई पूरी कर उपाधि प्राप्त की है। इस उपलब्धि पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर संतोष कुमार सिंह ने छात्र के उज्जवल भविष्य की कामना की है।


महाविद्यालय की शिक्षक डॉ गजेंद्र उबारन गिरि ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से वर्ष 2024 से महाविद्यालय कॉलेज को पीएचडी शोध के लिए नामित किया गया है। जहां पहली बार छात्र अवधेश कुमार ने कॉलेज के शोध निर्देशक राजेश कुमार तिवारी के दिशा-निर्देश में प्राचीन इतिहास विषय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। जिसका विषय नारद महापुराण एक सांस्कृतिक अध्ययन रहा। उन्होंने बताया कि इस ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह बहुत ही उपयोगी है। क्योंकि अब महाविद्यालय के बच्चे भी पीएचडी की पढ़ाई शोधकर पूरी कर सकेंगे और उन्हें दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कॉलेज के शिक्षक डॉ भरत गौतम, डॉ सुधीर कुमार, डॉ अनुज कुमार, सत्य प्रकाश, डॉ सीमा जयसवाल, राम प्रकाश वर्मा आदि ने प्रशंसा व्यक्त की।     

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