‘नशे’ के ‘कारोबार’ में ‘बीसीडीए’ के ‘अध्यक्ष’ और ‘पत्नी’ लिप्त!
-क्यों नहीं बीडीए के अध्यक्ष एवं हर्ष मेडिकल सेंटर के राजेष सिंह, उनकी पत्नी दिव्या सिंह, गोपाल फार्मा की खुषबू गोयल, आईडिएल फार्मा हुष्नआरा पत्नी इकबाल, मसर्स संस फार्मा के मोहम्मद फैसल इकबाल, डीएलए, और डीआई के खिलाफ भी दर्ज हुआ मुकदमा, क्यों ऐसे गणपति नामक फार्मा के खिलाफ दर्ज हुआ, जो अस्तित्व में ही नहीं
-पुलिस और प्रषासन क्यों ऐसे व्यक्ति की तलाष कर रही है, जो हैं, ही नहीं? और क्यों नहीं उन पांचों फर्मो के प्रोपराइटर पर षिकंजा कस रही, जिसने गणपति फार्मा को 1.76 लाख कोडीन सिरप बेचा?
-पांचों फर्म न सिर्फ सरकार की बल्कि पूरे समाज की दुष्मन हेै, इन लोगों ने अनैतिक पैसा कमाने के लिए लाखों परिवारों का बर्बाद कर दिया, परिवार के मुखिया को नषे का आदी बना दिया
-पैसे के लिए जिस तरह फर्मो के मालिकों और डीएलए एवं डीआई ने नषे को बढ़ावा दिया, उसके लिए इन लोगों की जितनी भी निंदा की जाए कम होगी, खासतौर पर सरकारी नौकरी में रहते हुए जिस तरह डीएलए और डीआई ने नषे के कारोबारियों का साथ दिया, उसके लिए दोनों को निलंबित कर देना चाहिए
-नषे का कारोबार करने वालों और डीएलए एवं डीआई ने पिछले दो सालों में लगभग 10 करोड़ कमाया, 100 रुपये की सीरप को 700-700 रुपये में बेचा, बस्ती ही नहीं आजमगढ़ में इन लोगों ने बेचा
-गणपति फार्मा को लाइसेंस देने में सबसे अधिक भूमिका डीएलए और डीआई की रही, कैसे एक फर्म को होलसेल का लाइसेंस दे दिया, जो अस्तित्व में ही नहीं? पैसे के लालच में आईडी और चौहदी का सत्यापन तक नहीं किया
-अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद उपाध्याय ने डीएलए, डीआई सहित पांचों फर्मो के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने और सभी की संपत्त्यिों की जांच करने की मांग षासन और प्रषासन से की
बस्ती। पैसे के लिए अगर बस्ती केमिस्ट एंड डग एसोसिएषन यानि बीसीडीए के जिलाध्यक्ष और उनकी पत्नी नषे के कारोबार में लिप्त पाई जाती है, तो इससे अधिक षर्म की बात और क्या हो सकती? आज जिला ही पूरा प्रदेष नषे के कारोबार में लिप्त लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहा है, इन्हें समाज का दुष्मन कह रहा। कह रहे हैं, यह लोग सरकार और समाज के तो दुष्मन है ही,? उन गरीब परिवारों के भी दुष्मन है, जिन परिवारों का मुखिया और बच्चे कोडीन सीरप पीकर नषे के आदी हो चुके हैं, उसके चलते न जाने कितने घर बर्बाद हो चुके है। जिले के पांच फर्मो के मालिकों और डीएलए एवं डीआई ने मिलकर लाखों घरों को बर्बाद कर दिया और यह सबकुछ सिर्फ पैसे के लिए किया। सवाल उठ रहा है, कि क्या पांचों मालिकों के लिए पैसा ही सबकुछ हैं? क्या इन्हें अपने और अपने परिवार के मान-सम्मान की कोई चिंता नहीं? क्या इन लोगों का समाज के प्रति कोई दायित्व नहीं? क्या यह सामाजिक प्राणी नहीं? यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जो नषे के कारोबार में लिप्त रहें? कहा भी जाता है, ऐसे लोग भले ही पैसे और राजनीति के बल पर बच जाए, लेकिन सामाजिक रुप से यह नहीं बच सकते हैं, समाज ऐसे लोगों को ‘हेय’ की दृष्टि से देखता है। ऐसे लोगों का हिसाब-किताब भले ही षासन, प्रषासन, डीएलए और डीआई न करें, लेकिन उपर वाला अवष्य करता है। कहना गलत नहीं होगा, कि अध्यक्ष के संरक्षण में पिछले दो सालों में जिले में ही नहीं जिले के बाहर भी कोडीन सीरप जैसे नषे का कारोबार फल फूलता रहा। बीसीडीए के अध्यक्ष ने अपनी जिम्मेदारी निभाने के बजाए, उन लोगों का साथ दिया जो नषे का कारोबार करते है। यह समाज के हीरो बनने के बजाए विलेन बन गए।
सवाल उठ रहा है, कि क्यों नहीं बीडीए के अध्यक्ष एवं हर्ष मेडिकल सेंटर जिला अस्पताल के गेट नंबर दो के राजेष सिंह पुत्र बालाजी सिंह, उनकी पत्नी दिव्या सिंह निवासी कुदरहा के इजड़गढ छरदही, गोपाल फार्मा की खुषबू गोयल पांडेय बाजार बांसी रोड, आईडिएल फार्मा टाउन क्लब के सामने गांधीनगर हुष्नआरा पत्नी इकबाल, मेसर्स संस फार्मा ग्राउंड फलोर जिला अस्पताल के गेट नंबर एक मोहम्मद फैसल इकबाल, ‘एस’ मेडिसिन सेंटर खीरीघाट दिव्या सिंह पत्नी राजेष सिंह, डीएलए, और डीआई के खिलाफ मुकदमा दर्ज दर्ज हुआ? क्यों ऐसे गणपति नामक फार्मा के खिलाफ दर्ज हुआ, जो अस्तित्व में ही नहीं? पुलिस, प्रषासन और डीआई क्यों ऐसे व्यक्ति की तलाष कर रहें हैं, जो हैं, ही नहीं? और क्यों नहीं उन पांचों फर्मो के प्रोपराइटर पर षिकंजा कस रहें और मुकदमा दर्ज कर रहें हैं, जिन्होंने गणपति फार्मा को 1.76 लाख कोडीन सिरप बेचा? इन पांचों फर्म को समाज न सिर्फ सरकार की बल्कि पूरे समाज का दुष्मन मान रही है। क्यों कि इन लोगों ने अनैतिक पैसा कमाने के लिए लाखों परिवारों को बर्बाद कर दिया, परिवार के मुखिया को नषे का आदी बना दिया। पैसे के लिए जिस तरह फर्मो के मालिकों और डीएलए एवं डीआई ने नषे को बढ़ावा दिया, उसके लिए इन लोगों की जितनी भी निंदा की जाए कम होगी, खासतौर पर सरकारी नौकरी में रहते हुए जिस तरह डीएलए और डीआई ने नषे के कारोबारियों का साथ दिया, उसके लिए समाज दोनों को निलंबित करने की मांग कर रही। नषे का कारोबार करने वालों और डीएलए एवं डीआई ने पिछले दो सालों में लगभग 10 करोड़ कमाया, 100 रुपये की सिरप को 700-700 रुपये में बेचा, बस्ती ही नहीं आजमगढ़ में भी इन लोगों ने बेचा। कहा जा रहा हैं, कि गणपति फार्मा को लाइसेंस देने में सबसे अधिक संदिग्ध भूमिका डीएलए और डीआई की रही, कैसे एक फर्म को होलसेल का लाइसेंस दे दिया, जो अस्तित्व में ही नहीं? पैसे के लालच में आईडी और चौहदी का सत्यापन तक नहीं किया। आखिर किसके दबाव में गणपति5 फार्मा को लाइसेंस दिया गया। सवाल तो सबसे अधिक बीसीडीए के अध्यक्ष पर ही उठ रहे हैं, और उनके पूछा जा रहा है, कि आखिर दो-दो होलसेल के लाइसेंस की जरुरत क्यों पड़ी? इनके साथ ही उन लोगों पर सवाल उठ रहे हैं, जो इनके संरक्षक बने हुए है। बतातें चले कि राजेष सिंह सिर्फ बीसीडीए के अध्यक्ष ही नहीं बल्कि आल इंडिया लेबिल के एआईओसीडी यानि आल इंडिया आर्रेनाइजेषन आफ केमिस्ट एंड डगिस्ट के भी पदाधिकारी है। अधिवक्ता दुर्गा प्रसाद उपाध्याय ने इसकी जांच एसआईटी एवं इंकम टैक्स विभाग से कराने और डीएलए, डीआई सहित पांचों फर्मो के खिलाफ विधिक कार्रवाई करने और सभी की संपत्त्यिों की जांच करने की मांग षासन और प्रषासन से की है। पता चला है, कि डीएलए और डीआई मिलकर बीसीडीए के अध्यक्ष को बचाने में रात दिन एक किए हुए हैं, यह इस लिए बचा रहें हैं, मिलबांटकर खाया जा सके। बीसीडीए की पत्नी के नाम खीरीघाट स्थित एस मेडिसिन के खिलाफ तो पूरी तरह कार्रवाई कर दिया, लाइसेंस तक निरस्त कर दिया, लेकिन जो राजेष सिंह के नाम वाली हर्ष नामक फर्म हैं, उसके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कोडीन सीरप पर मात्र प्रतिबंध कर दिया। किस नियम के साथ अलग-अलग तरीके से डीएलए एवं डीआई ने कार्रवाई किया, वह सवाल बना हुआ। खासबात यह है, कि सभी ने 1.76 लाख सीरप गणपति फर्म को ही बेचा। जिस मकान में गणपति फर्म का लाइसेंस दिया गया, उस मकान मालिक की लड़की ने पुलिस को यह बयान दिया है, कि उसे तीन माह का एडवांस दिया गया, लेकिन दुकान खुला ही नहीं, एक मेज तक नहीं रखा, दुकान बंद है।
प्रबंधक ‘हाजी मुनीर अली’ के ‘दामादों’ की ‘फैक्ट्री’ होगी ‘बंद’!
-नये आदेष के तहत अब कोई ‘प्रबंधक’ नहीं ‘खोल’ पाएगा ‘दामादों’ की ‘फैक्ट्री’, हाजी मुनीर अली जैसे अन्य प्रबंधकों को 24 दिसंबर 25 तक दामाद न होने का देना पड़ेगा षपथ-पत्र
-हाजी मुनीर अली के दामादों की नियुक्ति में सहयोग करने वाले और हाजी के गलत कामों पर पर्दा डालने तत्कालीन बस्ती के जिला अल्प संख्यक अधिकारी एसएन पांडेय हुए निलंबित
बस्ती। कप्तानगंज स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत फैजुन्नवी के प्रबंधक हाजी मुनीर अली देष के पहले ऐसे मदरसे के प्रबंधक होगें, जिनके मो. बहार षाह, अब्दुल मुक्तबिर, साजिद अली, मो. अब्बास एवं मो. अकरम जैसे पांच दामाद मदरसे में षिक्षक के रुप में तैनात है। नये आदेष के क्रम में हाजी मुनीर अली के दामादों की फैक्ट्री बंद होने जा रही हैं, फैक्ट्री बंद होने से छठें दामाद को नियुक्त करने का प्रबंधक का सपना-सपना ही रह जाएगा, क्यों कि 24 दिसंबर 25 को सभी जिला अल्प संख्यक कल्याण अधिकारियों को षासन में यह षपथ-पत्र देना होगा, कि उनके जिले के मदरसों में प्रबंधकों के कितने रिष्तेदार तैनात हैं, जैसे ही यह षपथ-पत्र षासन को मिलेगा, वैसे ही हाजी मुनीर अली के पांचों दामादों की छुटटी हो जाएगी। षासन की ओर से यह कार्रवाई उस गुलाम हुसैन के षिकायत पर हुई, जिसे हाजी ने अपने छठें दामाद की नियुक्ति के लिए इन्हें जबरिया बर्खास्त कर दिया था, मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है। खास बात यह है, कि हाजी मुनीर अली के दामादों की नियुक्ति में सहयोग करने और हाजी के गलत कामों पर पर्दा डालने वाले तत्कालीन बस्ती के जिला अल्प संख्यक अधिकारी एसएन पांडेय निलंबित हो चुके है।
छठें दामाद की नियुक्ति की जानकारी होने पर सरकार ने षपथ-पत्र देने वाला आदेष जारी किया। इस आदेष से हाजी मुनीर अली के दामादों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है। आठ दिसंबर 25 को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मदरसा शिक्षा परिषद को भेजे गए नवीन आदेश के अनुसार अब प्रदेश के सभी मदरसों की लेखा-परीक्षा एवं भौतिक सत्यापन अनिवार्य कर दिया गया है। परिषद ने 29 मई 2025 की बैठक में नई निरीक्षण समिति का गठन करते हुए स्पष्ट किया कि वर्ष 2025-26 के अंतर्गत सभी मदरसों की वित्तीय एवं प्रशासनिक जाँच अनिवार्य है। इन आदेशों का सीधा प्रभाव कप्तानगंज, जनपद बस्ती स्थित मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत फैजुन्नवी पर भी पड़ रहा है, जो लंबे समय से परिवारवाद, अनियमित नियुक्तियों एवं वित्तीय विसंगतियों के आरोपों के कारण चर्चा में है। स्थानीय जनता द्वारा इसे “दामादों की फैक्ट्री” कहा जाता रहा है। इस संबध में भाजपा नेता राजेंद्रनाथ तिवारी के द्वारा समय-समय पर मुख्यमंत्री, मदरसा बोर्ड एवं जिला प्रशासन को लगातार पत्र भेजकर इस मदरसे की अनियमितताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कराया जा चुका। इसके बावजूद सीएम पोर्टल पर जिला प्रशासन ने इस मदरसे को “क्लीन चिट” दे दिया। अब मदरसा बोर्ड के नए आदेश के बाद स्वतः संदेह के दायरे में आ गई है। सरकार द्वारा अनिवार्य की गई नई जाँच मे लेखा रजिस्टर, छात्र उपस्थिति, शिक्षक नियुक्ति, अनुदान उपयोग, मान्यता संबंधी दस्तावेज, भौतिक सत्यापन आदि का पुनः निरीक्षण होगा। जाँच के बाद यदि अनियमिताएँ सिद्ध होती हैं तो मदरसा की मान्यता निलंबित, अनुदान रोका और प्रबंधन पर कार्रवाई की जा सकती है। भाजपा नेता की ओर से षासन और प्रषासन से जनहित में यह अपेक्षा की गई हैं, कि न केवल कप्तानगंज में बल्कि प्रदेश के सभी मदरसों में व्याप्त परिवारवाद और अनियमन पर कठोर कार्रवाई की जाए।
‘बस्ती’ का ‘षेर’ दिल्ली के ‘जन्तर-मन्तर’ पर ‘दहाड़ा’
-मांगे न मानी गई तो फरवरी में होगा निर्णायक आन्दोलन, बस्ती के शिक्षक नेताओं ने किया धरने में भागीदारी
बस्ती। जिले के षिक्षक मंचों पर दहाड़ने वाले षेर उदयषंकर षुक्ल ने दिल्ली के जन्तर मन्तर पर ऐसा गरजा की सब देखते रह गए, और पूछते नजर आए कि यह कौन षिक्षक नेता है, तो इस तरह दहाड़ता है। 11 दिसंबर 25 को अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के आवाहन पर राजधानी दिल्ली के जन्तर मन्तर पर टेट अनिवार्यता को वापस लिए जाने, पुरानी पेंशन बहाल करने सहित आठ सूत्रीय मांगों को लेकर विशाल धरना सांकेतिक रूप से हुआ। धरना को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बस्ती के जिलाध्यक्ष उदय शंकर शुक्ल ने कहा कि एकजुटता से ही सफलता मिलती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पाण्डेय के आवाहन पर जिस प्रकार से टेट अनिवार्यता वापस लिये जाने की मांग को लेकर संघर्ष चल रहा है, उससे निश्चित रूप से सरकार को आगे आकर शिक्षकों की समस्याओं का समाधान कराना ही होगा। धरने में निर्णय लिया गया कि यदि मांगों पर शीघ्र सम्यक निर्णय नहीं लिया गया तो 26 के फरवरी माह में व्यापक आंदोलन दिल्ली के धरती पर होगा।
दिल्ली के जन्तर मन्तर पर टेट अनिवार्यता को वापस लिए जाने को लेकर आयोजित धरने में शिक्षक हितों के सवाल पर गरजते हुये शिक्षक नेता उदयशंकर ने बताया कि सरकार शिक्षकों की समस्याओं का प्राथमिकता से समाधान कराये। अन्यथा शिक्षक राष्ट्रीय स्तर पर आर-पार के संघर्ष को बाध्य होंगे। यह जानकारी देते हुये उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ बस्ती के जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ल ने देते हुए बताया कि दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर आयोजित धरने में बस्ती से जिला कोषाध्यक्ष अभय सिंह, दिवाकर सिंह, महेश कुमार, रामपाल चौधरी त्रिलोकी नाथ, विनय कुमार, चन्द्रभान चौरसिया, ओंकार चौधरी, इन्द्रसेन मिश्र, मारुफ खान, नवीन कुमार अभिषेक जायसवाल, शमसुल, राजेश चौधरी योगेश्वर शुक्ल धर्मेन्द्र पाण्डेय आदि शामिल रहे। बताया कि इस धरने की तैयारी संगठन की ओर से जिलाध्यक्ष की अगुवाई में ब्लाकवार हो चुकी है।
‘सुरवार खुर्द’ के लोग ‘सफाई कर्मी’ को नहीं ‘पहचानते’!
-राजस्व गांव बन्नी में गंदगी का अम्बार, सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त, सफाई कर्मी कर रहें साहबों के घरों की सफाई और खिला रहें बच्चे
बस्ती। जिले के 80 फीसद गांव वाले अपने सफाई कर्मी को पहचानते तक नहीं। अधिकांष सफाई कर्मी या तो मौज मस्ती करते या फिर नेतागिरी, जब से सरकार ने इन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिया, तब से इन लोगों को सफाई करना या फिर सफाई कर्मी कहलाना पसंद नहीं।
आधे से अधिक सफाई कर्मी गांव की सफाई छोड़कर साहबों के घरों और कार्यालयों की सफाई करने में लगे हैं, भले ही चाहें गांव में गंदगी के चलते सक्रामक बीमारी फैल रही है, इनके सेहत पर कोई फर्क नहीं। सूरज चक्रवर्ती नामक सफाई कर्मी तो पूरा जिला ही नहीं प्रदेष के अन्य लोग भी जानते हैं, अपने कार्यो के प्रति जितनी ईमानदारी और गांव के असहाय लोगों की कूड़ाकरकट बेचकर मदद करने का जो जज्बा श्रीचक्रवर्ती में देखा गया, वह जज्बा अन्य में नहीं दिखाई देता। गांव वाले ऐसे ही सफाई कर्मियों की अपेक्षा करते हैं, गांव वालों का कहना है, कि सफाई कर्मियों के लापरवाह होने के पीछे प्रधानों का बहुत बड़ा हाथ हैं, अगर प्रधान फर्जी हाजीरी लगाना बंद कर दें, तो यह लोग सुधर जाएगें।
रुधौली विकासखंड के ग्राम पंचायत सुरवार खुर्द के राजस्व गांव बन्नी में साफ-सफाई की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है। ग्रामीणों के अनुसार, गांव में लंबे समय से गंदगी का अम्बार लगा हुआ है, सफाई कर्मी नियमित रूप से ड्यूटी पर नहीं आते। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान की मिलीभगत के कारण सफाई व्यवस्था सिर्फ कागजों में चल रही है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मामले में मीडिया की ओर से भी अधिकारियों के संज्ञान में लाया जा चुका लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। ग्रामीणों का आरोप है कि सफाई कर्मी संतोष कुमार, प्रधान के विशेष लोगों की कृपा से वर्षों से एक ही ग्राम पंचायत में तैनात हैं, और बिना काम किए वेतन लेते हैं। आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि सफाई कर्मी खुद सफाई न करके महीने में एक-दो बार दिहाड़ी मजदूरों से सफाई कराते हैं। गांव से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर तैनात होने के बावजूद सफाई कर्मी की अनुपस्थिति पर ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं। लगातार वर्षों से एक ही स्थान पर जमे रहने की वजह और सहायक विकास अधिकारी की मौन भूमिका भी ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। सरकार जहां स्वच्छ भारत मिशन पर लाखों रुपये खर्च कर रही है, वहीं गांव में सफाई की बदहाली सरकारी योजनाओं की पोल खोल रही है। नेताओं द्वारा प्रतीकात्मक कार्यक्रमों में झाड़ू चलाने और फीता काटने के बावजूद गांवों में सफाई का अभाव साफ दिख रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम प्रधान की निरंकुशता और मिलीभगत के चलते सफाई कर्मी घर बैठे ही वेतन लेने के लिए मजबूर हो गए हैं। जब इस संबंध में सहायक विकास अधिकारी रमेश चंद्र यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण की जांच कराई जाएगी और दोषी पाए जाने पर नियम के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
कैसे ‘मनोज चौधरी’ विधायक ‘बनेगे’ जब सरकारी ‘जमीन’ पर कब्जा ‘करेंगे’!
बस्ती। अगर विधायक बनने या फिर विधायकी का चुनाव लड़ने से पहले किसी प्रत्याषी पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगेगा, तो जनता ऐसे को क्यों वोट देगी? नगर पंचायत भानपुर क्षेत्र में एक मनोज चौधरी हैं, जिन्होंने अपने मेहनत के बल पर न सिर्फ भारत में बल्कि अफ्रीका जैसे देष में खूब पैसा कमाया। कहते हैं, कि यह गरीबों की मदद भी बहुत करते हैं, गरीब परिवार की लड़कियों की षादी विवाह में दस-दस लाख तक खर्च करते है। इनकी मंषा रुधौली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की है। इसी को देखकर ही यह अपने क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने में लगे हुए है। इसी बीच इन पर सुहेलदेव भारतीय समाजवादी पार्टी के प्रदेष उपाध्यक्ष आईटी सेल पवन मौर्य ने डीएम को एक पत्र लिखा, जिसमें मनोज चौधरी और इनकी पत्नी चांदनी चौधरी पर स्टेडिएम के नाम सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए जांच और जमीन का अवैध कारोबार करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। वैसे मनोज चौधरी की ओर से रुधौली थाने में पहले ही एक तहरीर दी जा चुकी है, जिसमें कुछ लोगों और मीडिया के द्वारा छवि को धूमिल करने के आरोप मुकदमा दर्ज करने की बात कही गई है।
पवन मौर्य के द्वारा डीएम को लिखे पत्र में कहा गया है, कि नगर पंचायत भानपुर के जोगिया स्थित बैड़वा मंदिर समय माता मंदिर के सामने चिन्हिृत पांच बिघा जमीन स्टेडिएम के नाम है। स्टेडिएम की जमीन पर थाना रुधौली क्षेत्र के पिपरपतिया निवासी मनोज चौधरी ने अपने पत्नी चांदनी चौधरी के नाम से कुछ जमीन बैनामा करवाया, और अवषेष जमीन पर कब्जा कर रहे है। कहा कि यह जमीन सार्वजनिक उपयोग के लिए स्टेडिएम निर्माण करने के वास्ते प्रस्तावित है। जिसे मनोज चौधरी ने अपनी पत्नी चांदनी चौधरी के नाम दर्ज करवा लिया, जिसे लेकर क्षेत्र में रोष व्याप्त है। जिसकी निष्पक्ष जांच होना और कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई आवष्यक है।
‘बेटी’ पैदा ‘कीजिए’ और ‘निःशुल्क’ सुविधा ‘पाइए’
-राजेन्द्रा हास्पिटल षुरु किया अनोखा पहलः डा. ईशा कपूर
बस्ती। राजेन्द्रा हास्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. ईषा कपूर की ओर से अनोखा पहल षुरु किया गया। डा. ईषा कपूर का कहना है, कि उन्होंने यह निर्णय केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना से प्रेरित होकर लिया। कहती है, कि बेटी के जन्म पर राजेन्द्रा हास्पिटल में नार्मल डिलेवरी पर दवा के साथ सभी सुविधायें निःशुल्क हैं। ऐसे समय में जबकि निजी अस्पतालों के मनमानी की खबरे लगातार आ रही है यह खबर राहत वाली है कि राजेन्द्रा हास्पिटल में बेटी पैदा होने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता। यही नहीं बेबी किट के साथ ही मिठाई भी उपलब्ध कराया जाता है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. ईशा कपूर ने बताया कि केन्द्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढाओ योजना से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया गया है। बेटी के जन्म पर राजेन्द्रा हास्पिटल में नार्मल डिलेवरी पर दवा के साथ सभी सुविधायें निःशुल्क हैं। डा. ईशा कपूर ने बताया कि राजेन्द्रा हास्पिटल बायपोखर के निकट राजेन्द्रनगर में स्थित है। पिछले 4 वर्षो से हास्पिटल द्वारा 24 घंटे की सेवायें दी जाती है और फोन पर भी एम्बुलेन्स सेवायें उपलब्ध करा दी जाती है।
हास्पिटल में मातृ शिशु से सम्बंधित सभी सेवायें उपलब्ध हैं। बताया कि लेबल थ्री का एनआईसीयू, आईसीयू, के.एम.सी. के साथ मातृ शिशु से सम्बंधित सभी सुविधायें उपलब्ध है। हास्पिटल में सबसे सस्ता आपरेशन किया जाता है। लड़की पैदा होने पर उसके डिस्चार्ज होने पर एम्बुलेन्स से निःशुल्क घर तक पहुंचाया जाता है और हास्पिटल में आयुष्मान सेवा भी उपलब्ध है। डा. निशा कपूर ने कहा कि ठंड के मौसम में घर का बना खाना, साग, सब्जी खायें और सर्दी से बचाव करें।



