डीओ’ कार्यालय को ‘साहब’ नहीं, दागी पटल ‘सहायक’ चला ‘रहें’!

 ‘डीओ’ कार्यालय को ‘साहब’ नहीं, दागी पटल ‘सहायक’ चला ‘रहें’!

-‘कुदरहा’ के ‘दुकानदार’ को ‘पता’ ही ‘नहीं’, आंवटित हो गया ‘छह’ हजार बोरी ‘खाद’जिला कृषि अधिकारी और पटल सहायक ने मिलकर पहले 35 रुपया प्रति बोरी दर से छह हजार बोरी खाद को ब्लैक किया, फिर उसी खाद को कागजों में कुदरहा के रिटेलर्स के नाम आंवटित कर दिया, ताकि एडजस्ट किया जा सके

-इंडो रामा कंपनी की यह छह हजार बोरी खाद पोर्टल पर रबी फसल की षुरुआत से दिखाई दे रहा, जब खाद किसानों को नहीं दिया गया और पाष मषीन से खारिज नहीं हुआ तो निदेषक ने इसका जांच पड़ताल करवाया, रिटेलर्स का कहना है, कि जब उसकी दुकान पर खाद आया ही नहीं वे बेचेगा किसे

-फंसता हुआ देख जिला कृषि अधिकारी और पटल सहायकों ने रिटेलर्स पर खारिज करने के लिए दबाव लाइसेंस निरंस्त करने और जेल भेजवाने की धमकी दिया, तब दुकानदार ने किसानों को खाद दिए बिना फर्जी तरीके से पाष मषीन में खारिज कर दिया

-कहां गए भाजपा के हर्रैया के विधायक अजय सिंह, जिन्होंने खरीफ फसल के बाद किसानों से यह कहकर सार्वजनिक रुप से माफी मांगा था, कि रबी फसल में आप लोगों कमो खाद के लिए न तो रोना पड़ेगा और न इधर उधर भटकना ही पड़ेगा

-किसान खरीफ फसल में भी रोया और रबी फसल में भी रो रहा हैं, तो फिर ऐसे प्रषासन के होने और न होने से क्या मतलब, जो प्रषासन किसानों को खाद न उपलब्ध करा सके और खाद की कालाबाजारी न रोक सके, वह प्रषासन किस काम का

-किसानों का दावा है, कि पटल सहायकों के कारण ही जिला कृषि अधिकारी तिजोरी भर रहें हैं कहा भी जाता है, कि जब दागी पटल सहायको को मलाईदार पटल देगें तो वह दाग लगाएगा ही

बस्ती। नवागत डीएम को मीडिया की ओर से जानकारी देने के बाद भी डीएम की ओर से खाद को लेकर कोई ठोस कदम न उठाना किसानों के लिए हैरान करने वाली बात है। किसानों के लिए यह किसी दर्द से कम नहीं। किसान खरीफ फसल में भी रोया और रबी फसल में भी रो रहा हैं, तो फिर ऐसे प्रषासन के होने और न होने से किसानों के लिए क्या मतलब, जो प्रषासन किसानों को खाद न उपलब्ध करा सके और खाद की कालाबाजारी न रोक सके, वह प्रषासन किस काम का। खरीफ फसल में किसान चिल्लाता रह गया कि एआर, डीओ, पीसीएफ के डीएस और पटल सहायकों के द्वारा सचिवों और रिटेलर्स से मिलक बड़े पैमाने खाद की कालाबाजारी की जा रही है। सचिवों और रिटेलर्स से मिलकर खाद को गैर जनपदों में भेजा जा रहा हैं, और अधिकांष खाद यूरिया पंप पर ब्लैक किया जा रहा है। यह भी डीएम को बताया गया था, कि एआर और जिला कृषि अधिकारी के रहते जिले में खाद सुरक्षित नहीं है। किसानों का कहना है, कि एआर और जिला कृषि अधिकारी के सामने डीएम के होने और न होने का कोई मतलब नहीं है। यह दोनों अपना काम करते रहते हैं, इन दोनों पर इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि मीडिया क्या कह रही है? किसान क्या कर रहा? डीएम और सीडीओ क्या कह रहें? इन दोनों को जितना भी घोटाला करना होता है, यह करने से नहीं चूकते। इन्हें न तो नौकरी की चिंता रहती है, और समाज का ही डर रहता है, इन दोनों और पटल सहायकों के लिए पैसा ही माई-बाप और भगवान है। किसान उन विधायक अजय सिंह को तलाष कर रही है, जिन्होंने खरीफ फसल के बाद किसानों से यह कहकर सार्वजनिक रुप से माफी मांगा था, कि रबी फसल में आप लोगों को खाद के लिए न तो रोना पड़ेगा और न इधर उधर भटकना ही पड़ेगा। किसानों की चिंता करने के बजाए यह खाद की कालाबाजारी करने वालों की चिंता अधिक करते। जिला कृषि अधिकारी और पटल सहायकों ने मिलकर पहले 35 रुपया प्रति बोरी दर से छह हजार बोरी खाद को ब्लैक किया, फिर उसी खाद को कागजों में कुदरहा के रिटेलर्स के नाम आंवटित कर दिया, ताकि यह बताया जा सके कि खाद किसानों को दिया गया। इंडो रामा कंपनी की यह छह हजार बोरी खाद पोर्टल पर रबी फसल की षुरुआत से दिखाई दे रहा, जब खाद किसानों को नहीं दिया गया और पाष मषीन से खारिज नहीं हुआ तो निदेषक ने जांच पड़ताल करवाया, रिटेलर्स का कहना है, कि जब उसकी दुकान पर खाद आया ही नहीं तो वह बेचेगा किसे? फंसता हुआ देख जिला कृषि अधिकारी और पटल सहायकों ने रिटेलर्स पर खाद को खारिज करने के लिए दबाव बनराया, लाइसेंस निरंस्त करने और जेल भेजवाने की धमकी दिया, तब दुकानदार ने किसानों को खाद दिए बिना फर्जी तरीके से पाष मषीन में खारिज कर दिया, जिला कृषि अधिकारी ने यह रिपोर्ट भेज दिया कि बीमार होने के कारण दुकानदार खाद को नहीं बेच पाया था, अब किसानों को दे दिया गया, और पाष मषीन से खारिज भी हो गया। सवाल उठ रहा है, कि जब रिटेलर्स ने खाद मंगाया ही नहीं और न खाद का पैसा ही जमा किया तो फिर उसके नाम से कैसे छह हजार बोरी खाद आंवटित हो गया। चूंकि खाद आंवटन समिति के सचिव जिला कृषि अधिकारी होते हैं, और कभी समिति की बैठक नहीं होती, इस लिए जिला कृषि अधिकारी और एआर जिसे चाहते हैं, उसे उतना खाद आंवटित कर देते हैं, जो रिटेलर्स कमीषन नहीं देता उसे खाद के लिए तरसना पड़ता है। किसानों का दावा है, कि अगर कुदरहा रिटेलर्स की किसान वार जांच हो जाए तो सबकी कलई खुल जाए। किसानों का कहना है, कि अगर डीएम दोनों अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है, तो पटल तो चेंज करवा ही सकती है, किसानों का दावा है, कि पटल सहायकों के कारण ही जिला कृषि अधिकारी तिजोरी भर रहें है। कहा भी जाता है, कि जब दागी पटल सहायकांे को मलाईदार पटल देगें तो वह दाग लगाएगा ही। भाकियू गुट के जिला उपाध्यक्ष उमेष गोस्वामी ने पूरे मामले को सीएम के संज्ञान में लाते हुए किसानों की जांच कराने और जिला कृषि अधिकारी एवं पटल सहायक सहित विक्रेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है।

‘खरीफ’ में भी ‘खाद’ की ‘कालाबाजारी’ का ‘ज्ञापन’ दिया, ‘रबी’ में भी ‘दिया’!

-मैडम, ‘टिकरिया’ बनकटी ‘समिति’ के ‘सचिव’ कर रहें ‘खाद’ की ‘कालाबाजारी’, एक-एक किसानों से प्रति बोरी 20 से 50 रुपया खुले आम अधिक लें रहें हैं, पूछने पर कहते हैं, कि एआर से कमीषन लेना बंद करवा दीजिए, हम भी अधिक नहीं लेंगे

बस्ती। किसानों से जुड़े संगठन बराबर प्रषासन को खाद और बीज की कालाबाजारी के ज्ञापन कमिष्नर और डीएम को देते आ रहे, जांच के आदेष भी अधिकारी देते हैं, लेकिन न तो कालाबाजारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होती है, और न कालाबाजारी ही रुक रहा है। किसान नेता दीवान चंद्र पटेल कहते हैं, कि उन्होंने साक्ष्य के साथ दिया था, लेकिन प्रषासन ने कुछ भी नहीं किया। इनका भी कहना है, कि जब तक जिला कृषि अधिकारी और एआर की जोड़ी रहेगी, तब तक खाद और बीज की कालाबाजारी करने वाले फलतू फूलते रहेंगें और किसान रोता रहेगा। कहते हैं, कि अगर कोई कमिष्नर और डीएम चाह जाए तो खाद और बीज की कालाबाजारी करने को कौन करे, एक रुपया कोई अधिक नहीं ले सकता। सच तो यह है, कि अधिकारी लोग चाहते ही नहीं कि किसानों को खाद और बीज मिले। अगर चाहते तो कोई किसान एक बोरी खाद के लिए यूंही नहीं रोता। खाद की कालाबाजारी सहित अन्य मांगों को लेकर राष्ट्रीय लोकदल के पदाधिकारियों ने मण्डल अध्यक्ष राधेश्याम चौधरी के नेतृत्व डीएम को सात सूत्रीय ज्ञापन सौंपकर समस्याओं के शीघ्र निस्तारण की मांग किया है।


सौंपे गये ज्ञापन में साधन सहकारी समिति टिकरिया बनकटी के सचिव पर आरोप लगाते हुए कहा कि सचिव किसानों को 20 से 50 रूपये अधिक मूल्य पर यूरिया उपलब्ध करवा रहे हैं। लाइनों मे लगे किसानों को निराश होकर वापस लौटना पड़ रहा है। मुण्डेरवां सीएचसी पर व्याप्त अव्यवस्थाओं, खाद की किल्लत, ओवररेटिंग, अग्निशमन केन्द्र का निर्माण, कलवारी टाण्डा के मरम्मत कार्य को शीघ्र पूर्ण किये जाने की मांगों को प्रमुखता से उठाया गया है। सौपें ज्ञापन में कहा गया है, कि जिलाधिकारी को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि मुण्डेरवां सीएचसी पर तैनात डा. मेहनाज गनी तथा डा. शिप्रा शुक्ला डियूटी मे लापरवाही करते हैं जो मरीजों पर भी भारी पड़ रहा हेैं। अस्पताल के जिम्मेदार रोगियों को आक्सीजन की सुविधा देने में हीलाहवाली करते हैं जिससे एक युवक की जान चली गयी। इस मामले की जांच कराकर दोषियों को सबक सिखाया जाना जरूरी है। आरएलडी के प्रदेश सचिव महिपाल पटेल ने कहा साधन सहकारी समिति मुण्डेरवां पर यूरिया उपलब्ध न होने के कारण किसानों को इधर उधर भटकना पड़ रहा है। आरएलडी नेता राय अंकुरम श्रीवास्तव ने कहा राजस्व ग्राम बढ़यां मुण्डेरवां मे अग्नि शमन केन्द्र के निर्माण के भूमि अधिग्रहीत है, लेकिन इसका निर्माण अभी तक शुरू नही हुआ। उन्होने मांग किया कि व्यापक जनहित को देखते हुये निर्माण कार्य शीघ्र शुरू कराया जाये। अहरा बनकटी मार्ग का मरम्मत कार्य चल रहा है, इसमे तीन स्थानों पर जल निकासी के लिये पुलिया लगाने की जरूरत है, मरम्मत के साथ मार्ग मे पुलिया भी लगवाई जाये। इसके साथ ही मांग पत्र में कलवारी टाण्डा पुल के मरम्मत कार्य मे तेजी लाने की मांग उठाई गयी है। जिलाधिकारी ने सभी मागों पर विचार कर उचित निस्तारण का भरोसा दिलाया है। ज्ञापन सौंपते समय शनि सिंह, राघव प्रसाद, बब्बू चौधरी, शिवकुमार गौतम, रूदल चौधरी आदि मौजूद रहे।


‘हरि’ ओम ‘ढ़ाबा’ में ‘खाना’ भी ‘खाया’, ‘पैसा’ भी नहीं ‘दिया’, धुनाई भी ‘किया’!


बस्ती। हरि ओम ढ़ाबा में मारपीट की यह पहली ऐसी घटना नहीं हैं, इससे पहले न जाने कितनी बार मारपीट की घटनाएं हो चुकी, अधिकतर मारपीट की घटनाएं रात्रि 10 से 12 बजे की बीच तब होती है, जब लोग नषे में धुत रहते है। देखा जाए तो सबसे अधिक मारपीट की घटनांए स्थानीय नौजवानों के बीच होती है। यह ढ़ाबा जितना खानपान के लिए जाना जाता, उससे अधिक मारपीट जैसी घटनाओं के लिए भी जाना जाता है, और इसके लिए ढ़ाबा के मालिक को ही जिम्मेदार माना जाता है, और कहा जाता है, जब ढ़ाबे में बैठाकर षराब पिलवाएगें तो मारपीट होगा ही। वैसे यह ढ़ाबा बहुत पुराना और नामी ढ़ाबा है। एनएच के किनारे होने के नाते यहां रात दिन भीड़ रहती है। एक दिन पहले यानि सात दिसंबर 25 की रात्रि 12 बजे के आसपास ढ़ाबा में फिर से मारपीट की घटना हुई। पुरानी बस्ती थाने में श्यामदेव पुत्र स्व0 रामनौमी सा0 विशुनपुरवा थाना खेसरहा जनपद सिद्दार्थनगर के द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमें में कहा कि रात्रि समय करीब 12.05 बजे अभिषेक गुप्ता पुत्र श्याम नरायन सा0 पाण्डेय बाजार नई बाजार थाना पुरानी बस्ती जनपद बस्ती, मोनू चौरसिया पुत्र राजाराम चौरसिया सा0 बनरही थाना पुरानी बस्ती जनपद बस्ती और शिवप्रसाद पुत्र श्रीराम सा0 ख्वासबारी थाना पुरानी बस्ती जनपद खाना खाने के बाद बिल देने के समय आनाकानी करने लगे, कर्मचारी सूरज व अजय को सभी लोग मिलकर मारने पीटने लगे और गाली गुप्ता व जान माल की धमकी देते हुए लात घुसे से मारे पीटे जिससे काफी चोटे आयी है, कहा कि बीच बचाव करने आए एक अन्य ढ़ाबा के कर्मचारी अजय कुमार चौबे आए तो उन्हें भी मारकर घायल कर दिया। दंबगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई।

‘जेवर’ की ‘षौकीन’ महिलाएं ‘आटो’ वालों से रहें ‘सावधान’, नहीं तो पड़ेगा ‘रोना’

बस्ती। जो महिलाएं असली जेवर पहनकर मार्केट करने या फिर किसी समारोह में जाना चाहती है, उन्हें सलाह दी जाती है, कि वह उन आटो वालों से बचकर रहें, जो रास्ते में लड़कियों और महिलाओं को बैठाते हैं, नहीं तो सत्यभामा पांडेय जैसी महिलाओं की तरह रोना पड़ेगा। जिले में यह अपने आप में पहली ऐसी घटना सामने आया, जिसे एक आटो वाले ने दो लड़कियों और दो महिलाओं के साथ मिलकर अंजाम दिया। घटना तीन दिसंबर 25 की है। दर्ज कराए गए एफआईआर में पीड़ित ग्राम करमाराजा थाना मुंडेरवा की सत्यभामा पांडेय पत्नी धु्रवचंद्र पांडेय ने कहा कि वह तीन दिसंबर 25 को दिन में 11 बजे पानी की टंकर कटरा से रोडवेज जाने के लिए आटो में बैठी, कंपनी बाग में आटो में दो लड़कियां और दो महिलाएं बैठी, कहा कि चारों महिलाएं रास्ते में अजीब हरकत कर रही, कहा कि कंपनीबाग और गांधीनगर के बीच महिलाओं ने उनके गले की सोने की चैन काटकर चुरा लिया। बताया कि घर पहुंचने के बाद पता चला कि आटो चालक जानबूझकर महिला स्नैचरों को बैठाकर उसका चैन स्नैच कर लिया। इस तरह की घटनाएं अभी तक बड़े षहरों में ही सुनने और देखने को मिलता रहा। पुलिस को भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, नहीं तो इस तरह की घटनाओं को रोक पाना कठिन हो जाएगा। पुलिस को हर हाल में आटो वालों को पकड़ना होगा, तभी इस तरह की घटनाओं पर लगाम लग सकता है। जेवर की षौकीन महिलाओं को भी यह प्रयास करना होगा कि वह असली जेवर पहनकर न निकले। असली जेवर पहनकर निकलने वालों के साथ ही स्नैचिंग जैसी घटनाएं हो सकती है।

कल ‘रेल’ और ‘बसों’ में भरकर ‘दिल्ली’ जाएगें हजारों ‘शिक्षक’

बस्ती। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक प्रेस क्लब सभागार में जिलाध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में आगामी 11 दिसम्बर को राष्ट्रीय नेतृत्व के आवाहन पर टेट अनिवार्यता के सवाल को लेकर दिल्ली के जन्तर मन्तर पर आयोजित धरना प्रदर्शन में हिस्सेदारी के साथ ही अन्य महत्वपूर्ण विन्दुओं पर विचार किया गया। बैठक को सम्बोधित करते हुये संघ अध्यक्ष उदयशंकर शुक्ल ने कहा कि 10 दिसम्बर को बड़ी संख्या में शिक्षक अपने-अपने साधन, रेल व बसों द्वारा दिल्ली के लिये कूंच करेंगे।


संघ के जिला मंत्री राघवेन्द्र सिंह ने बताया कि आगामी 22 दिसम्बर को प्रेस क्लब सभागार में जनपदीय अधिवेशन के लिये पदाधिकारियों का नामांकन, 24 को जांच और नाम वापसी होगी। 26 दिसम्बर को जिला बेसिक अधिकारी कार्यालय परिसर में जनपदीय अधिवेशन सम्पन्न होगा जिसमें पदाधिकारियों का निर्वाचन होगा। बैठक में शिक्षकों के पदोन्नित, चयन वेतन मान, प्रतिकर अवकाश आदि मुद्दों पर विचार करने के साथ ही मांगे न माने जाने पर संघर्ष का निर्णय लिया गया। यह जानकारी देते हुये जिला प्रवक्ता सूर्य प्रकाश शुक्ल ने बताया कि बैठक में वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश कुमार, जिला कोषाध्यक्ष अभय सिंह यादव, सदर अध्यक्ष शैल शुक्ल, इन्द्रसेन मिश्र, चन्द्रभान चौरसिया, देवेन्द्र वर्मा, रीता शुक्ला, रामपाल चौधरी, सतीश शंकर शुक्ल, राजीव पाण्डेय, विकास पाण्डेय, आशुतोष पाण्डेय, रिकूं पाण्डेय, श्रवण कुमार, राजेश चौधरी, पटेश्वरी निषाद, शिवम शुक्ल, विजय वर्मा, अनूप चौधरी, उमाशंकर मणि, दिनेश वर्मा, मारूफ खान, सुनील पाण्डेय, भैयाराम राव, सत्य प्रकाश पाठक, पटेश्वरी निषाद, उदयशंकर पाण्डेय,ज्ञानदास, विवेक कुमार के साथ ही अनेक शिक्षक और संघ पदाधिकारी शामिल रहे।

 

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