‘प्रमुखी’ का ‘मजा’ लेना तो ‘करोड़ों’ तैयार ‘रखिए’, नहीं होगा सीधे ‘चुनाव’!

 ‘प्रमुखी’ का ‘मजा’ लेना तो ‘करोड़ों’ तैयार ‘रखिए’, नहीं होगा सीधे ‘चुनाव’!

-निर्वाचन आयोग ने प्रमुख का सीधे चुनाव होने की सारी अटकलों पर लगाया विराम, पंचायती मंत्री ओमप्रकाष राजभर को लगा धीरे से लगा जोर का झटका, भाजपा वालों ने इन्हें हीरो बनने और इतिहास कायम करने की उम्मीदों पर फेरा पानी, सीमा विस्तार पर भी लगा विराम

-नहीं आया प्रमुख चुनाव का बैलेट पेपर, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए 83 लाख 41 हजार 100 मतपत्र बस्ती पहुंच चुका

-सबसे अधिक मतपत्र जिला पंचायत सदस्य के 25 लाख, प्रधान के 24 लाख, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 23.50 लाख और ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव में 10.62 लाख मतपत्र जिले को मिल चुका

-अगर क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे होना होता तो उसी हिसाब से मतपत्र आ चुके होते, इसके लिए सिर्फ नियमावली बनाने से कुछ नहीं होगा, जबकि एक्ट में संषोधन नहीं होगा, तब तक सीधे चुनाव नहीं हो सकता

बस्ती। सत्ता में षामिल गैर भाजपाई दलों के मंत्री यह क्यों भूल जातें हैं, कि यह भाजपा हैं, और भाजपा वाले कभी किसी भी अन्य दलों के मंत्रियों को हीरो बनने नहीं देते और न ही उन्हें इतिहास बनाने देतें। जिसने भी हीरो बनने या फिर इतिहास बनाने का प्रयास किया, समझो वह औधें मुंह गिरा, जैसा कि पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाष राजभर को भाजपा ने औधें मुंह गिरा दिया। अब इनकी समझ में आ गया होगा, कि भाजपा में उनकी क्या हैसियत? जिस पार्टी का विधायक सदर ब्लॉक के भ्रष्ट सचिव ललिता मौर्या और कुदरहा सीएचसी के भ्रष्ट एमओआईसी डा. फैज का तबादला न करवा सके, उस पार्टी के मुखिया को अगर भाजपा वालों ने आइना दिखा दिया तो कौन सा बुरा किया। जिस विभाग का कैबिनेट मंत्री अगर अपनी व्यवस्था को लागू कर/करवा न सके, उस मंत्री को तो त्वरित त्याग पत्र दे देना चाहिए। इसी तरह अगर कोई विधायक, सचिव और एमओआईसी का तबादला न करवा सके तो उसे इस्तीफा देकर जनता का हीरो बन जाना चाहिए, ऐसे विधायक को क्षेत्र की जनता कभी हारने नहीं देती। जब पार्टी का मुखिया कमजोर होता है, तो उस पार्टी का विधायक और कार्यकर्त्ता भी कमजोर होता है। जनता को ऐसे मजबूर मंत्री और विधायक नहीं चाहिए, जो जनहित का कार्य भी न करवा सके। यह उन पार्टी के मंत्रियों और विधायकों के लिए एक सबक हैं, जो सत्ता का लाभ लेने के लिए भाजपा जैसी पार्टी का दामन दामतें है।

जब से पंचायत चुनाव की बात होने लगी, तब से पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाष राजभर का रोज सोषल मीडिया पर यह बयान आ रहा था, कि इस बार प्रमुखी का चुनाव बीडीसी नहीं बल्कि सीधे जनता करेगी, कभी यह मुख्यमंत्री से मिलते तो कभी पीएम से तो कभी देष के गृह मंत्री से, जितनी बार यह और इनके पुत्र लखनउ से लेकर दिल्ली के बड़े-बड़े भाजपा नेताओं से मिलते उतनी बार सोषल मीडिया पर मिलने जुलने का फोटो वायरल करना नहीं भूलते। एक समय तो ऐसा लगने लगा था, कि अब तो सीधे चुनाव होकर ही रहेगा, इसे लेेकर उन लोगों में अच्छी-खासी घबड़ाहट देखी गई, जो पैसा देकर प्रमुख की कुर्सी पर बैठते रहें। कहा भी जाने लगा था, कि अगर इन लोगों को कहीं सीधे जनता के पास जाना पड़ा तो क्या यह लोग अपनी जमानत बचा पाएगें? यह भी कहा जाने लगा कि अगर इन्हें अपने गांव का ही पूरा वोट मिल जाए तो बड़ी बात। इस तरह की बात कहने के पीछे प्रमुखों का भ्रष्टाचार में डूबे रहना माना जा रहा। जिले का कौन ऐसा व्यक्ति नहीं कि जो यह न जानता हो कि किस तरह पैसे के बल पर प्रमुखी खरीदी और बेची गई। इसी खरीद फरोख्त ने जिले को भ्रष्टाचार की आग में झांेक दिया। ऐसा भी नहीं कि सिर्फ प्रमुख ने ही मलाई काटा, बल्कि उन लोगों ने भी मलाई काटा, जिन लोगों ने इन्हें कुर्सी तक पहुंचाया। एक बार फिर खरीद फरोख्त का दौर 26 में आने वाला है, जाहिर सी बात कि मनरेगा को देखते हुए, जिस प्रमुखी की कीमत एक-दो करोड़ थी, अब उसकी कीमत पांच से छह करोड़ हो जाएगी। यह वह कारण है, जिसने सीधे चुनाव होने नहीं दिया। राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रमुख का सीधे चुनाव होने की सारी अटकलों पर विराम लगा दिया, इससे पंचायती मंत्री ओमप्रकाष राजभर को धीरे से जोर का झटका लगा, कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा वालों ने इन्हें हीरो बनने और इतिहास कायम करने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, सीमा विस्तार पर भी एक तरह से विराम लग गया। बस्ती में प्रमुख चुनाव का बैलेट पेपर नहीं आया, अगर आया होता तो सीधे चुनाव की संभावना बनी रहती। क्षेत्र पंचायत सदस्य, ग्राम पंचायत सदस्य, ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए कुल 83 लाख 41 हजार 100 मतपत्र बस्ती पहुंच चुका है। सबसे अधिक मतपत्र जिला पंचायत सदस्य के 25 लाख, प्रधान के 24 लाख, क्षेत्र पंचायत सदस्य के 23.50 लाख और ग्राम पंचायत सदस्यों के चुनाव में 10.62 लाख मतपत्र मिला। अगर क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सीधे होना होता तो उसी हिसाब से मतपत्र भी आता। जानकारों का कहना और मानना हैं, कि सीधे चुनाव करवाने के लिए सिर्फ नियमावली बनाने से कुछ नहीं होगा, जबतक कि एक्ट में संषोधन नहीं होगा। ऐसा नहीं कि यह बात ओमप्रकाष राजभर नहीं जानते होगें, ऐसा भी हो सकता है, कि भाजपा के नेताओं ने इन्हें एक्ट में संषोधन करने का आष्वासन दिया होगा, मगर जब दबाव पड़ा होगा तो बाद में पलट गए होगें। वैसे भी पल्टी मारने में भाजपा वालों का कोई जबाव नहीं। सीधे चुनाव न होने से जिले के उन नेताओं का जो टिकट दिलाने में अच्छा खासा दखलअंदाजी रखते हैं, और जिलाध्यक्ष की अहमियत बढ़ने के साथ उन्हें भी मलाई खाने का मौका मिल सकता है।

‘प्रधानों’ के ‘भाग्य’ का ‘फैसला’ करेगें ‘2.87’ लाख नये ‘वोटर्स’

-सबसे अधिक नये मतदाता सल्टौआ में 22286, रामनगर में 15722, रुधौली में 15174 और कुदरहा में 12304 जोड़े गए

-इसी तरह सबसे अधिक मतदाता सल्टौआ में 12603, बनकटी 8760, कुदरहा 7919 और रुधौली में 7840 मतदाता घटाए गए

-18.68 लाख से अधिक मतदाता 1187 प्रधानों, 1078 बीडीसी, 43 जिला पंचायत सदस्य और 13803 ग्राम पंचायत सदस्यों के भाग्य का फैसला करेगें, इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या नौ लाख 89 हजार 589 और महिला मतदाताओं की संख्या आठ लाख 93 हजार 350

-सबसे अधिक मतदाताओं की संख्या सदर में 177080, गौर में 169457, परसरामपुर में 163899, सल्टौआ में 161552, साउंघाट में 140326, सबसे कम मतदाता कप्तानगंज में 80288 एवं दुबौलिया में 95996

-मतदान के लिए 1226 मतदान केंद्र और 2959 मतदान स्थल बनाए जाएगें, सबसे अधिक मतदान सदर में 111, गौर में 110, परसरामपुर में 107 एवं सल्टौआ में 107 केंद्रों पर होगा

-22 दिसंबर को मतदाता सूची का आलेख प्रकाषन होगा और 24 से 30 दिसंबर तक आपत्ति दाखिल की जा सकती

बस्ती। पंचायत चुनाव में मतदान से अधिक मतदाता सूची पर सवाल उठते आ रहे है। सबसे अधिक षिकायत उन बीएलओ की आती है, जो प्रधानों के दबाव या प्रलोभन में आकर विरोधी का नाम काटने और फर्जी नाम जोड़ने का काम करते है। देखा जाए तो प्रधानी का चुनाव की बागडोर पूरी तरह बीएलओ के हाथ में होती है, बीएलओ जिसे चाहे हरा दे और जिसे चाहे जीता दें। 1187 ग्राम पंचायतों में कोई भी ऐसा ग्राम पंचायत नहीं होगा, जहां पर बीएलओ ने मनमानी न की हो। कहा भी जाता कि बीएलओ को पटाइए और प्रधानी का मजा लीजिए। चुनाव लड़ने वाले प्रधान पद के अधिकांष प्रत्याषी नाम जोड़वाने को लेकर नहीं बल्कि विरोधी प्रत्याषी के मतदाताओं का नाम कटवाने को लेकर पानी की तरह पैसा बीएलओ पर लुटाते है। पंचायत चुनाव एक तरह से बीएलओ के लिए वरदान साबित होता आ रहा है। जिन लोगों को प्रधान बनना हैं, उन लोगों ने अपना जुगाड़ कर लिया है। चालाक प्रत्याषी वही होता है, जो मतदाता पुनरीक्षण के दौरान फर्जी वोटरों का नाम जोड़वाता है, और विरोधियों का कटवाता है। चूंकि बीएलओ स्थानीय होते हैं, इस लिए उन पर दबाव दोनों तरफ का रहता है। 21 के चुनाव में लगभग 60 फीसद से अधिक प्रधान हारी हुई बाजी बीएलओ के सहयोग से जीते। बीएलओ भी ऐसे मौके पर सौदा करने से नहीं चूकते, एक-एक वोट बढ़ाने और कटवाने के नाम पर कई-कई हजार लेते है। इनकी सेंटिगं सुपरवाइजर और तहसीलों तक रहती है। कहने का मतलब प्रधानी जीतने के लिए एक-एक प्रत्याषी 50 लाख तक खर्च करने को तैयार रहते है। मनरेगा ने खर्च को बढ़ा दिया, कहा भी जाता है, आज अगर मनरेगा समाप्त हो जाए तो प्रधान वही लोग बनना चाहेंगे जो समाज में इज्जत पाना चाहते, भ्रष्टाचारी प्रधान मैदान छोड़कर भागते नजर आएगें। कहने को भले ही प्रषासन और निर्वाचन आयोग यह कह ले कि चुनाव पारदर्षी होगा, लेकिन होता नहीं। हिंसक घटनाएं भी सबसे अधिक पंचायत चुनाव में ही देखने को मिलती। चुनाव से अधिक चुनाव के हिसंक घटनाओं की संभावना हमेषा बनी रहती है। मुकदमों का अंबार लग जाता है। आपसी दुष्मनी के चलते गांव का भाईचारा समाप्त हो जाता है। बदला लेने के विरोधी पांच साल तक षिकायत करता रहता है।


चुनाव की घोषणा भले ही अभी नहीं हुई, लेकिन जिले में तैयारी पूरी हो चुकी है। 18.68 लाख मतदाता अपने अधिकारों का 26 के चुनाव में प्रयोग करेंगे, जिसमें 989579 पुरुष एवं 879350 महिलाएं षामिल है। इस बार दो लाख 87 हजार 528 नये मतदाता मतदान करेंगे। इनमें सबसे अधिक नये मतदाता सल्टौआ में 22286, रामनगर में 15722, रुधौली में 15174 और कुदरहा में 12304 जोड़े गए। इसी तरह एक लाख 64 हजार 092 मतदाताओं का नाम काटा गया। जिनमें सबसे अधिक मतदाता सल्टौआ में 12603, बनकटी 8760, कुदरहा 7919 और रुधौली में 7840 काटे गए। 18.68 लाख से अधिक मतदाता 1187 प्रधानों, 1078 बीडीसी, 43 जिला पंचायत सदस्य और 13803 ग्राम पंचायत सदस्यों के भाग्य का फैसला करेगें, सबसे अधिक मतदाताओं की संख्या सदर में 177080, गौर में 169457, परसरामपुर में 163899, सल्टौआ में 161552, साउंघाट में 140326, सबसे कम मतदाता कप्तानगंज में 80288 एवं दुबौलिया में 95996 में है। मतदान के लिए 1226 मतदान केंद्र और 2959 मतदान स्थल बनाए जाएगें, सबसे अधिक मतदान सदर में 111, गौर में 110, परसरामपुर में 107 एवं सल्टौआ में 107 केंद्रों पर होगा। 22 दिसंबर 25 को मतदाता सूची का आलेख प्रकाषित होगा और 24 से 30 दिसंबर तक आपत्ति दाखिल की जा सकती।

‘कोटेदारों’ ने ‘डीएसओ’ कार्यालय पर ‘किया’ धरना ‘प्रदर्षन’

-मांगे पूरी न हुई तो ठप करेंगे वितरणःसुरेन्द्र कुमार

बस्ती। ऑल इण्डियन फेयर प्राइस शॉप डीलर एसोसिएशन जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार यादव के नेतृत्व में कोटेदारों ने सात सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलापूर्ति अधिकारी को सौंपा। मांग किया कि राशन विक्रेताओं के समस्याओं का प्रभावी समाधान कराया जाय। यदि समस्याओं का शीघ्र प्रभावी निस्तारण न किया गया तो कोटेदार तीन दिन तक वितरण रोकने को विवश हांेगे।  

मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में कहा गया है कि वर्तमान में फोन से फीडबैंक लिया जा रहा है जिसमें कोटेदारों के विरोधियों के पास फोन जाने पर उल्टा-सीधा जवाब दिया जा रहा है व ऐसा व्यक्ति फोन उठाता है जो राशन लेने गया ही नहीं था, जिसमें उसको पूर्ण जानकारी नहीं रहती है। वह भी ठीक जवाब नहीं दे पाता है, जिसके आधार पर अनायास जांच होती है, जिससे शोषण बढ़ता है। सरकार किसी भी एक विभाग से जांच कराये। कई विभाग से जांच कराने पर शोषण बढ़ता है।


उ०प्र० के कोटेदारों का लाभांश खाद्यान्न पर १० रुपये कुन्तल व चीनी पर 70 रुपये कुन्तल, ही मिलता है, जबकि अन्य प्रदेशों में जैसे हरियाणा, 200 रुपये कुन्तल, गोवा में 200 रुपये कुन्तल, दिल्ली में 200 रुपये कुन्तल, गुजरात में 20 हजार रूपये का मिनिमम गारण्टी दिया जा रहा है। उ०प्र० के कोटेदारों को अन्य प्रदेश की भांति दिया जाये। शासनादेशानुसार डोर स्टेप डिलीवरी गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न कोटे के दुकान पर पहुंचाकर दिया जाये। पूर्व का सभी बकाया भुगतान किया जाये। कोटेदारों द्वारा वितरण ऑन लाइन किया जा रहा है, जबकि सत्यापन अधिकारी, वितरण अधिकारी व वितरण प्रमाण-पत्र व स्टॉक रजिस्टर बंद किया जाय राज्य सरकार द्वारा पेपर लेस का आदेश दिया जाये।

स्वयं सहायता समूह के दुकान संचालन के सभी जिम्मेदारी होती है, संचालक द्वारा भाड़ा, बिजली बिल, मजदूरी भी दी जाती है। कमीशन का पैसा संचालक के खाते में दिया जाये। एम०डी०एम० और आई०सी०डी०एस० के खाद्यान्न पर भी एन०एफ०एस०ए० खाद्यान्न की भांति कमीशन प्रदान करें।

ज्ञापन देने के बाद कोटेदार संघ जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि यदि समस्याओं का शीघ्र प्रभावी निस्तारण न किया गया तो कोटेदार तीन दिन तक वितरण रोकने को बाध्य हांेगे।  

ज्ञापन देने वालों में एसोसिएशन के दीप नरायन राय, मो. करीम, मनीष सिंह, विनोद भाई, राम प्रकाश चौधरी, शिवशंकर मिश्र, राम पियारे, सत्यदेव पाण्डेय, बलवन्त, उमेश श्रीवास्तव, शिवाजी, शिवशंकर मिश्र, राम गोपाल, रामनाथ, हनुमान प्रसाद, मेंहदी हसन, राम सुरेश, रवि कुमार वर्मा, किरन देवी, अमरेश, मीना कुमारी, धर्मेन्द्र कुमार, रीता भारती, मनीराम, राम सगुन, राधेश्याम, जगदीश, रामचन्द्र, सावित्री देवी, विन्धवासिनी के साथ ही बड़ी संख्या में कोटेदार शामिल रहे। 

‘यूपी’ में भी ‘जीतने’ का ‘बनेगा’ नया ‘रिकार्ड’ःस्वंतत्र देव सिंह

बस्ती। प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह का शुक्रवार को बड़ेवन टोल प्लाजा पर भव्य स्वागत किया गया। भाजपा के क्षेत्रीय मंत्री राजेश पाल चौधरी तथा जिला कार्य समिति सदस्य नितेश शर्मा के संयुक्त नेतृत्व में भाजपा कार्यकर्ताओं ने फूलमाला पहनाकर कैबिनेट मंत्री का स्वागत किया। जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन सरकार गांव गरीब और किसानों के लिए दिन-रात काम कर रही है।


सुशासन और विकास की नीति के बदौलत बिहार में एनडीए गठबंधन ने इतिहास रच दिया। कहा कि आगामी 2027 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन बिहार की तरह ही उत्तर प्रदेश में एक नया रिकार्ड बनाएगा। उन्होंने कहा कि आम जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीतियों से संतुष्ट है। सरकार गरीबों को मकान, किसानों को सम्मान निधि, बेटियों की मुफ्त शादी, 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, आयुष्मान इलाज और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं दे रही है। कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस नीति से माफियाराज का अंत हो चुका है। स्वागत कार्यक्रम में हिमांशु पाल गोलू, रमेश चौधरी, अभिषेक पटेल, मनोज चौधरी, अशोक दुबे, सन्नी सोनकर, रियाज अहमद, प्रमोद चौधरी, मुन्ना उपाध्याय, चंद्रप्रकाश चौधरी, आशुतोष शुक्ला, सौरभ दुबे, शिवानंद पाठक, विपिन कुमार, रवि पाठक, राम भारत यादव, आकाश चौधरी मौजूद रहे।

‘सचिवों’ ने भी ‘आनलाइन’ हाजीरी का किया ‘विरोध’

बस्ती। जिस तरह बेसिक के षिक्षकों ने आनलाइन हाजीरी का विरोध किया था, और जिसमें वे सफल रहें, ठीक उसी तरह ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी समन्वय समिति की ओर से भी विरोध किया जा रहा, आंदोलन तक हो रहा। कप्तानगंज ब्लॉकं पर ग्राम सचिवों ने काली पट्टी बांधकर काम किया और दोपहर में कुछ समय के लिए सांकेतिक प्रदर्शन कर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।


ज्ञापन में कहा कि उनका काम फील्ड का है। ऐसे में ऑनलाइन हाजिरी से उनका काम प्रभावित होगा। इसके साथ ही उन्होंने अन्य विभागों के काम से ग्राम सचिवों को मुक्त करने की भी मांग रखा। ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी संयुक्त समिति के पदाधिकारी अरुणेश पाल व अमरनाथ गौतम ने बताया कि मांगों को लेकर ब्लॉकों पर धरना दिया जा रहा है। ऑनलाइन हाजिरी अव्यवहारिक तथा शासकीय कार्य को बाधित करने वाला है। यदि सरकार हमारी मांग को नहीं मानती है तो सभी ग्रुपों से लेफ्ट होकर केवल अपने विभागीय कार्य करेंगे। मौके पर सचिव अरविन्द कुमारवर्मा, उदितान्त शुक्ल आदि उपस्थित रहे।


    


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